इम्पेटिगो (Impetigo) क्या है?
इम्पीटिगो अत्यधिक संक्रामक त्वचा रोग है। जिसके कारण त्वचा संबंधी परेशानी इंफेक्शन या घाव जैसी समस्या शुरू हो जाती है। शरीर के किसी भी हिस्से में यह इंफेक्शन फैल सकता है। कुछ मामलों में खासकर नाक, मुंह के आसपास, हाथों और पैरों पर ज्यादा होते हैं। इन घावों से पीला या डार्क तरल पदार्थ भी निकलता है।
कितना सामान्य है इम्पेटिगो (Impetigo)?
त्वचा संबंधी इंफेक्शन इम्पेटिगो 2 से 5 सालों के बच्चों में बहुत आम है। वयस्क पुरुषों में इम्पेटिगो की समस्या कम ही होती है। चेहरे या त्वचा पर इंफेक्शन या घाव जैसी परेशानी शुरू होती है तो डॉक्टर से संपर्क करें।
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इम्पेटिगो (Impetigo) के लक्षण क्या हैं?
इम्पेटिगो के सामान्य लक्षण और संकेत निम्नलिखित हैं:
- त्वचा पर लाल रंग के दाने होना।
- दाने या घाव की वजह से खुजली होना।
- कभी-कभी दर्द महसूस करना।
- इंफेक्शन वाले जगहों पर सूजन होना।
इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
ऊपर दिए गए लक्षण महसूस होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। खुद से इलाज न करें क्योंकि छोटी से परेशानी गंभीर समस्या हो सकती है।
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किन कारणों से होता है इम्पेटिगो (Impetigo)?
इम्पेटिगो का सबसे अहम कारण बैक्टीरिया है। दरअसल, इंफेक्शन की वजह से ये एक से दूसरे लोगों में आसानी से हो सकता है। दो अलग–अलग तरह के बैक्टीरिया–स्ट्रेप (स्ट्रेप्टोकोकस) या स्टैफ (स्टैफिलोकोकस) के कारण इम्पेटिगो की बीमारी हो सकती है।
बैक्टीरिया शरीर में स्किन इंफेक्शन की वजह से होता है। ऐसा, एक्जिमा,कीड़े के काटने, जलने या कटने जैसी त्वचा की समस्याओं के कारण होता है। बच्चों में सर्दी–जुकाम की वजह से भी इम्पेटिगो की समस्या हो सकती है। हालांकि, यह कभी–कभी स्वस्थ त्वचा में भी होने की संभावना बनी रहती है।
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किन कारणों से बढ़ सकती हैं इम्पेटिगो (Impetigo) की समस्या?
निन्मलिखित कारणों से बढ़ सकती है इम्पेटिगो (Impetigo) की परेशानी:
- 2 से 5 साल के बच्चों में इम्पेटिगो का खतरा ज्यादा होता है।
- ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से पहुंच सकता है, जैसे कि स्कूलों और चाइल्ड केयर जैसी जगहों से।
- गर्म और नमी वाले मौसम में इम्पेटिगो की परेशानी होने की संभावना ज्यादा हो सकती है।
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निदान और उपचार को समझें
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।
इम्पेटिगो (Impetigo) का निदान कैसे किया जाता है?
शरीर या त्वचा पर हुए घाव से डॉक्टर आसानी से परेशानी को समझ सकते हैं। हालांकि, कभी-कभी परेशानी कम नहीं होने की स्थिति में डॉक्टर घाव की जांच कर आवश्यकता अनुसार एंटीबायोटिक देते हैं। कुछ ऐसी भी एंटीबायोटिक दवाएं हैं जो कुछ बैक्टीरिया पर असर नहीं कर पाती है। इसलिए डॉकटर जांच कर ही दवा लेने की सलाह देते हैं। अगर आप या आपके बच्चे में बीमारी के लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट की सलाह करते हैं।
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इम्पेटिगो (Impetigo) का इलाज कैसे किया जाता है?
आप एंटीबायोटिक मलहम या क्रीम का उपयोग कर सकते हैं। परेशानी अधिक होने की स्थिति में गर्म पानी से संक्रमित जगहों को साफ किया जा सकता है। परेशानी खत्म होने पर एंटीबायोटिक लेने से परेशानी पूरी तरह दूर हो जाती है। शरीर पर घाव कम होने की स्थिति में क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन, अगर घाव ज्यादा है तो ऐसे में दवा खाने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं। डॉक्टर द्वारा दी गई दवा अपने अनुसार न खाएं और डोज पूरी करें।
ध्यान रखें शरीर से जुड़ी परेशानियों को ठीक करने के लिए हमेशा डॉक्टर से संपर्क करें।
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जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार जिनकी मदद से इम्पेटिगो (Impetigo) से बचा जा सकता है
निम्नलिखित टिप्स अपना कर इम्पेटिगो से बचा जा सकता है:
- त्वचा को साफ रखें और चोट लगने, घाव या इंफेक्शन होने पर साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति की मदद करते हैं तो खुद को भी इंफेक्शन से बचा कर रखें।
- एंटी-बैक्टेरियल प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें।
- इम्पेटिगो में लहसुन का प्रयोग करें। लहसुन में बैक्टीरियल, वायरल और फंगल इंफेक्शन से निपटने की क्षमता होती है। एक अध्ययन के अनुसार स्ट्रेप्टोकॉकस स्ट्रेन पर लहसुन को बहुत प्रभावशाली पाया गया है। लहसुन को काट कर सीधे इम्पेटिगो से प्रभावित वाले स्थान पर लगाएं। आप चाहे तो इसे मसल कर इम्पेटिगो वाले स्थान पर लगा सकते हैं। साथ ही लहसुन को अपने डायट का हिस्सा बनाने से आपको जल्द फायदा होगा।
- नीम में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जिससे यह सभी तरह के इंफेक्शन में फायदेमंद होता है। भारतीय आयुर्वेद में नीम सबसे अव्वल औषधि है। नीम की छाल को किसी पत्थर पर रगड़ने से जो पेस्ट निकलता है उसे इम्पेटिगो वाले स्थान पर लगाएं। इसके अलावा आप चाहें तो नीम के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- हल्दी से भी इम्पेटिगो का इलाज किया जा सकता है। हल्दी पूरे एशिया का सर्वश्रेष्ठ मसाला माना जाता है। हल्दी में एंटी-इंफ्लमेटरी गुण पाए जाते हैं। 2016 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि स्टेफाइलोकॉकस और स्ट्रेप्टोकॉकस से लड़ने में हल्दी सक्षम है। इसलिए आप हल्दी की गांठ को काट कर उसे सीधे इम्पेटिगो वाली जगह पर लगाएं। इसके अलावा आप हल्दी पाउडर में पानी मिला कर पेस्ट बना कर इसे प्रबावित स्थान पर लगा सकते हैं।
इस आर्टिकल में हमने आपको इम्पेटिगो से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।