परिचय
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) क्या है?
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) आंतों से जुड़ी बीमारी है, जिसमें पेट में दर्द , ऐंठन, सूजन, डायरिया और कब्ज की शिकायत होती है। इसे स्पैस्टिक कोलन (Spastic Colon), इरिटेबल कोलन (Irritable Colon), म्यूकस कोइलटिस (Mucus colitis) जैसे नामों से भी जाना जाता है।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम तीन तरह की होती है:
- आईबीएस डी (IBS D)
- आईबीएस सी (IBS C)
- आईबीएस एम (IBS M)
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आईबीएस डी में मुख्य रूप से डायरिया (Diarrhea) की शिकायत होती है, जबकि आईबीएस सी में कब्ज (Constipation) के लक्षण होते हैं। आईबीएस एम में दोनों के लक्षण होते हैं। आम तौर पर मरीज को पेट के दर्द की शिकायत होती है। इस परेशानी का पता लगाने के लिए कोई परीक्षण नहीं है। इन लोगों के सभी टेस्ट जैसे सीबीसी (CBC), सोनोग्राफी (Sonography), एंडोस्कोपी (Endoscopy), सीटी स्कैन (CT Scan), स्टूल एनलिसिस (Stool analysis) की रिपोर्ट नॉर्मल आती है। यह परेशानी लंबे समय तक होती है, लेकिन जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इससे निजात पाया जा सकता है।
ये बीमारी अनुवांशिक नहीं है। ज्यादातर यह बीमारी उन्हीं लोगों में होती हैं, जो अधिक स्ट्रेस या तनाव में रहते हैं। जिन लोगों को रात में ठीक से नींद नहीं आती है, उन्हें भी इसकी शिकायत रहती है। यदि कोई मानसिक बीमारी से पीड़ित है, तो उसे भी यह बीमारी हो सकती है।
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) से ग्रसित बहुत कम लोगों में गंभीर लक्षण होते हैं। कुछ लोग आहार, जीवनशैली और तनाव को मैनेज करके इसके लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं। अधिक गंभीर लक्षणों का इलाज दवा और परामर्श के साथ किया जा सकता है।
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जानें इसके लक्षण
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) के लक्षण क्या हैं?
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण सभी में अलग हो सकते हैं। नीचे बताए गए कुछ आम लक्षण हैं:
- पेट दर्द (Abdominal Pain)
- पेट में ऐंठन (Cramping)
- अत्यधिक गैस बनना (Excess gas)
- आंतों का ठीक से काम न करना (Intestinal dysfunction)
- दस्त की समस्या
- तनाव (Stress)
- कब्ज की समस्या (Constipation)
- नींद की कमी (Lack of sleep)
- खून की कमी (Anemic)
- शरीर में पानी की कमी (Lack of body water)
- अपच की समस्या (Indigestion)
- जी मिचलाना (Nausea)
- पेट का ठीक से साफ न होना (Partially clean stomach)
- बार-बार मल त्याग की इच्छा होना (Having frequent bowel movement)
इन लक्षणों को नजरअंदाज ना करें, क्योंकि शुरुआती परेशानियों को सहना आसान है। लेकिन जब परेशानी जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है, तो इलाज में वक्त लगता है और तकलीफ भी ज्यादा होती है। इसलिए डॉक्टर से कंसल्टेशन जरूरी होता है।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
यदि आपके बॉवेल मूवमेंट में लगातार परिवर्तन होता है या आईबीएस के दूसरे लक्षण नजर आते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। ये कोलोन कैंसर (Colon Cancer) जैसे अधिक गंभीर स्थिति का संकेत भी हो सकते हैं। अधिक गंभीर संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं:
- लगातार वजन कम होना (Weight loss)
- रात के समय में डायरिया (Diarrhea at night)
- रेक्टल ब्लीडिंग (Rectal bleeding)
- आयरन की कमी एनीमिया (Iron deficiency anemia)
- बिना किसी कारण के उल्टी होना (Unexplained vomiting)
- निगलने में दिक्कत होना (Difficulty in swallowing)
- लगातार दर्द होना जो गैस पास या बॉवेल मूवमेंट के बाद भी ठीक न हो (Persistent pain that isn’t relieved by passing gas or a bowel movement)
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कारण
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) के क्या कारण हैं?
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के स्पष्ट कारण की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन निम्नलिखित कारक इसमें अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।
आंत में मांसपेशियों का सिकुड़ना (Muscle contractions in the intestine):
आंतों की दीवार मांसपेशियों की परतों से पंक्तिबद्ध होती हैं जो खाने को पेट से आंत के माध्यम से डायजेस्टिव ट्रैक्ट में ले जाती हैं। यदि आप इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से ग्रसित हैं तो संकुचन के समय में सामान्य से अधिक समय लग सकता है। इसी कारण पेट दर्द (Stomach pain), गैस, दस्त और सूजन की शिकायत होती है।
नर्वस सिस्टम (Nervous System):
पाचन तंत्र में मौजूद नसों में असामान्यताएं पेट में गैस या मल से खिंचाव होने पर आपको तकलीफ पहुंचा सकती हैं। यदि मस्तिष्क और आंतों के बीच सही तालमेल नहीं होगा तो शरीर सामान्य रूप से पाचन प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तनों के प्रति अनावश्यक प्रतिक्रिया जैसे दर्द, कब्ज या दस्त की परेशानी उत्पन्न कर सकता है।
इंटेस्टाइन में सूजन (Inflammation in the intestines):
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से ग्रसित कुछ लोगों की इंटेस्टाइन में इम्यून सिस्टम सेल्स में वृद्धि हो सकती है। ऐसे में इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रया से दर्द और डायरिया की शिकायत हो सकती है।
गंभीर संक्रमण (Severe Infection):
बैक्टीरिया या वायरस के कारण दस्त की गंभीर परेशानी के बाद आईबीएस विकसित हो सकता है। आईबीएस आंतों में मौजूद ओवरग्रोथ बैक्टीरियल के साथ भी जुड़ा हो सकता है।
आईबीएस के लक्षण को सक्रिय करने में निम्न कारक शामिल हैं:
खाद्य पदार्थ:
आईबीएस में खाद्य पदार्थों से एलर्जी को लेकर अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। लेकिन कई लोगों में कुछ खास खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आईबीएस के लक्षण खराब होते देखे गए हैं। इस लिस्ट में शामिल हैं गेहूं, डेयरी उत्पाद, खट्टे फल, बीन्स, दूध, गोभी और कार्बोनेटेड पेय पदार्थ।
स्ट्रेस:
आईबीएस पेशेंट्स जब स्ट्रेस में होते हैं तो उनके लक्षण अधिक गंभीर हो जाते हैं। तनाव से यह लक्षण बढ़ जाते हैं लेकिन तनाव से यह उत्पन्न नहीं होते हैं।
हार्मोर्न:
पुरुषों की तुलना में आईबीएस की परेशानी महिलाओं को होने की दोगुनी संभावना होती है। इसलिए रिसर्चर्स का मानना है कि इसमें हार्मोनल बदलाव अहम भूमिका निभाता है। एक शोध के अनुसार, कई महिलाओं ने पीरियड्स के दौरान इसके लक्षण को बदतर होने का दावा किया।
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) का खतरा किसे ज्यादा होता है?
कई लोगों में आईबीएस के लक्षण कभी-कभी नजर आते हैं लेकिन नीचे बताए लोगों को इस सिंड्रोम के होने की संभावना अधिक होती है:
- आईबीएस 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में अधिक होता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में, आईबीएस महिलाओं में अधिक आम है। मेनोपोज से पहले या बाद में एस्ट्रोजेन थेरेपी भी आईबीएस के लिए एक जोखिम कारक है।
- कुछ लोगों में यह पारिवारिक इतिहास के कारण होती है।
- जो लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्या जैसे चिंता, अवसाद से ग्रसित हैं उन्हें इस होने की संभावना रहती है।
- यौन, शारीरिक या भावनात्मक शोषण का इतिहास भी इसका एक जोखिम कारक हो सकता है।
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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निदान और उपचार
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) का निदान कैसे किया जाता है?
आपका डॉक्टर आपके लक्षणों को देखकर आईबीएस डायग्नोस कर सकता है। वह आपके लक्षणों के अन्य संभावित कारणों का पता लगाने के लिए निम्न में से किसी एक या उससे अधिक कदम उठा सकते हैं:
- क्या आपने किसी खाद्य एलर्जी (Allergy) से राहत पाने के लिए किसी आहार को अपनाया या किसी को डायट से बाहर किया हो।
- संक्रमण का पता लगाने के लिए स्टूल के नमूने की जांच कर सकते हैं।
- एनीमिया और आउसीलिएक रोग की जांच के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है।
- कोलोनॉस्कोपी
आमतौर पर कोलोनॉस्कोपी तब की जाती है जब डॉक्टर को कोलाइटिस, क्रोहन रोग या कैंसर के लक्षण नजर आए। इसके बारे में यदि आप अधिक जानकारी चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) का इलाज कैसे किया जाता है?
आईबीएस का इलाज इसके लक्षणों पर निर्भर करता है, जिसके लिए दवा भी दी जाती है। यदि मरीज को दिमागी परेशानी है तो उसको तनाव कम करने की दवाएं दी जाती है। कई लोगों में डायट में बदलाव करके इससे राहत पाई जा सकती है। डायट में निम्नलिखित बदलाव कर आप इस परेशानी से निजात पा सकते हैं:
- कैफीन युक्त ड्रिंक्स जैसे कॉफी, टी और सोडा का सेवन न करें
- अपनी डायट में फाइबर युक्त चीजों को शामिल करें
- दिनभर पानी पीते रहें।
- तय सीमा में दूध और चीज का सेवन करें
- एक साथ ज्यादा मात्रा में खाना न खाएं। दिनभर टुकड़ों में खाना खाएं।
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जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार की मदद से इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) से कैसे निपटा जा सकता है?
लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके और कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर आईबीएस के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
- रोजाना एक्सरसाइज (Workout) करें
- अपनी डायट से कैफीन ड्रिंक्स को बाहर करें
- स्ट्रेस को दूर करने के लिए किसी थेरेपी का सहारा लें
- अपनी डायट में प्रोबायोटिक्स (Probiotics) चीजों को शामिल करें
- डायट से फ्राइड और स्पाइसी फूड को बाहर करें
- डॉक्टर की सलाह पर इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम की दवा का सेवन करके
आईबीएस पेशेंट्स को डायट पर खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। उन्हें अपनी डायट में डेयरी, फ्राइड, शुगर को कंट्रोल करने की जरूरत होती है। कुछ लोगों में अदरक, पुदीना आर कैमोमाइल को शामिल करने से इसके लक्षण में आराम मिलता है।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
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