परिभाषा
तलवों में ऊपर की तरफ बीच में (फुट बॉल) होने वाली दर्दनाक स्थिति को मेटाटार्सलगिया कहा जाता है। इसमें दर्द के साथ ही तलवे में सूजन भी हो जाती है। दर्द पैरों की उंगलियों के ठीक नीचे उभरे हुए स्थान पर होता है जिसे फुट बॉल कहते हैं। आमतौर पर बहुत ज्यादा दौड़ने या कूदने से मेटाटार्सलगिया की समस्या हो सकती है।
मेटाटार्सलगिया क्या है?
5 मेटाटार्सल हड्डियां तलवे के बीच को पैरों की उंगलियों से जोड़ने का काम करती हैं, से ही मेटाटार्सलगिया कहा जाता है और जब तलवों के बीच में मेटाटार्सल हड्डियों में दर्द और सूजन होती है तो यही मेटाटार्सलगिया की समस्या कहलाती है। ऐसा तलवों पर बहुत प्रेशर पड़ने के कारण होता है। यदि आप बहुत ज्यादा दौड़ते, कूदते हैं या आपके जूते सही नहीं (बहुत ढीले या टाइट) है तो मेटाटार्सलगिया की समस्या हो सकती है। कई बार यह पैरों की किसी विकृति या आर्थराइटिस या किसी अन्य बीमारी के कारण भी हो सकती है। मेटाटार्सलगिया की समस्या आमतौर पर गंभीर नहीं होती और घर पर ही आराम, बर्फ से सेंक और सही फीटिंग के जूते पहनने पर ठीक हो सकती है और भविष्य में भी आप मेटाटार्सलगिया से बच सकते हैं।
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कारण
मेटाटार्सलगिया के क्या कारण है?
पैरों में किसी खेल के दौरान चोट लग सकती है। इसके अलावा तलवे पर बहुत अधिक दबाव के कारण इंजरी हो सकती है या ऐसा सामान्य बायोमेकैनिज्म में बदलाव की वजह से होता है जिससे पैरों के किसी एक हिस्से पर ज्यादा भार पड़ता है। लगातर तलवे पर पड़ने वाले तनाव की वजह से सूजन और दर्द हो सकती है। मेटाटार्सलगिया के लिए निम्न कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, क्योंकि इन गतिविधियों में तलवे के आगे के हिस्से पर अधिक दबाव पड़ता हैः
- हाई लेवल एक्टिविटी
- पैरों की उंगलियों का चिपका होना (मांसपेशियों)
- पैरों की कमजोर उंगलियां
- हैमरटो विकृति
- हाइपरमोबाइल फर्स्ट फुट बोन
- चलते या दौड़ते समय पैरों का साइड टू साइड मूवमेंट
अन्य कारणों में शामिल हैः
- जूते बहुत लूज या टाइट होने की वजह से भी समस्या हो सकता है।
- हाई हील और स्निकर्स को बिना पर्याप्त पैडिंग और तलवे के सपोर्ट के पहनने पर तलवे के आगे वाले हिस्से पर अधिक दबाव पड़ता है।
- पैरों की विकृति जैसे हाई आर्क, पैरों के नीचे कॉलस या हैमर टो के कारण मेटाटार्सलगिया हो सकता है।
- वजन बढ़ने के कारण पैरों और मेटाटार्सल एरिया पर अतिरिक्त दवाब पड़ता है।
- बर्साइटिस, आर्थराइटिस, गाउट, मॉर्टन के न्यूरोमा और पैरों की उंगलियों में स्मॉल स्ट्रेस फ्रैक्चर के कारण मेटाटार्सलगिया हो सकता है।
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लक्षण
मेटाटार्सलगिया के क्या लक्षण हैं?
मेटाटार्सलगिया के लक्षणों में शामिल हैः
- पैरों की उंगलियों के ठीक नीचे, तलवे में तेज दर्द और जलन होना
- खड़े होने, बिना चप्पल के चलने, दौड़ने आदि पर दर्द बहुत बढ़ जाना
- तेज दर्द के साथ, पैरों की उंगलियों का सुन्न् होना या झुनझुनी होना
- ऐसा महसूस होना जैसे जूतों में कंकड़ है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
पैरों की हर समस्या के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है। कई बार पूरे दिन खड़े रहकर काम करने या ज्यादा चलने से भी पैरों में दर्द हो जाता है, जो कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि दर्द यदि कुछ दिनों में ठीक न हो तो डॉक्टर से परामर्श लें। यदि आराम करने और जूते बदलने पर भी तलवों का दर्द कम नहीं होता है तो डॉक्टर के पास जाएं।
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निदान
मेटाटार्सलगिया का निदान कैसे किया जाता है?
यदि आपके मेटाटार्सल एरिया में लगातार कई दिनों तक दर्द रहता है और आराम व फुटवेयर बदलने के बाद भी दर्द कम नहीं होता, तो आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है। डॉक्टर मेटाटार्सलगिया का पता लगाने के लिए आपका शारीरिक परीक्षण करने के साथ ही आपको चलने के लिए कहेगा और आपकी चाल की निगरानी करता है। वह आपसे पूछेगा कि आप क्या-क्या गतिविधि करते हैं और दर्द कब से है। यदि डॉक्टर को लगता है कि दर्द किसी अन्य कारण से हो रहा है तो वह कुछ टेस्ट की सलाह दे सकता है जिसमें शामिल हैः
- स्ट्रेस फ्रैक्चर का पता लगाने के लिए एक्स-रे किया जाता है
- यूरिक एसिड जो गाउट का संकेत हो सकता है, का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है
- सॉफ्ट टिशू प्रॉब्लम की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है
- आर्थराइटिस और किसी तरह की इंजरी का पता लगाने के लिए MRI किया जाता है।
मेटाटार्सलगिया का खतरा किसे अधिक होता है?
जो लोग हाई इम्पैक्ट स्पोर्ट्स, रनिंग, जंपिंग ज्यादा करते हैं, उनके मेटाटार्सलगिया का शिकार होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा बिना स्पाइक्स के या बिना अच्छे सपोर्ट वाले जूते पहनने वाले एथलीट्स को भी इसका खतरा अधिक होता है। इसके अलावा इन लोगों के भी मेटाटार्सलगिया के शिकार होने का जोखिम अधिक होता हैः
- बुजुर्ग
- हाई हील पहनने वाली महिलाएं
- जो लोग गलत फीटिंग के फुटवेयर पहनते हैं
- जिन लोगों को इन्फ्लामेट्री आर्थराइटिस या पैरों की विकृति है
- जिन लोगों का वजन बहुत अधिक है।
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उपचार
मेटाटार्सलगिया का उपचार कैसे किया जाता है?
मेटाटार्सलगिया के उपचार का मकसद मरीज को होने वाले दर्द और असहजता को कम करना होता है। उपचार में शामिल हैः
- प्रभावित हिस्से पर दिन में कई बार बर्फ लगाना, हर बार कम से कम 15-20 मिनट तक बर्फ को कपड़े में बांधकर उस हिस्से पर सेंक करें। आप बाजार में मिलने वाला आइस पैक भी खरीद सकते हैं
- दर्द और सूजन से राहत के लिए एंटी इन्फ्लामेट्री दवाएं ले सकते हैं
- पैर पर दबाव कम डालें और आराम करते समय पैरों को ऊपर की ओर उठाकर रखें
- पैरों को सपोर्ट देने के लिए मेटाटार्सल पैड या बार का इस्तेमाल किया जा सकता है, यह मेटाटार्सल बोन्स पर दबाव को कम करते हैं, पैरों को सपोर्ट देने वाला एब्जॉर्विंग सॉक्स भी पहना जा सकता है
- गंभीर मामलों में दर्द और सूजन को कम करने के लिए डॉक्टर स्टेरॉयड इंजेक्शन देता है
- मेटाटार्सलगिया की समस्या न हो इसके लिए आपको सही फीटिंग के फुटवेयर पहनने की जरूरत है
- हाई हील जूते/सैंडल पहनने से परहेज करें। साथ ही बहुत टाइट जूते भी न पहनें। ऐसे फुटवेयर पहनें जो पैरों को सपोर्ट करे और नीचे कुशन जैसा सॉफ्ट हो।
- वजन बहुत अधिक न बढ़ने दें, इससे भी पैरों पर प्रेशर पड़ता है
- मेटाटार्सलगिया का उपचार समय पर नहीं करने या बहुत जल्दी गतिविधियां शुरू कर देने से जटिलताएं बढ़ जाती है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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