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Stress Fracture: स्ट्रेस फ्रैक्चर क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Kanchan Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/06/2021

Stress Fracture: स्ट्रेस फ्रैक्चर क्या है?

परिभाषा

स्ट्रेस फ्रैक्चर क्या है? (What is stress fracture?)

स्ट्रेस फ्रैक्चर मांसपेशियों के बहुत अधिक इस्तेमाल से होता है जैसे लगातार जंप करना, बहुत दूर तक दौड़ना आदि। इससे मसल्स पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। जब मांसपेशियों बहुत अधिक थकी होती है और उस पर दवाब डाला जाता है तो वह उसे सहने में असमर्थ होती है और अतिरिक्त दवाब को हड्डियों को ट्रांसफर कर देती है जिसकी वजह से हड्डियों में दरार आ जाती है, इसे ही स्ट्रेस फ्रैक्चर कहते हैं। स्ट्रेस फ्रैक्चर कई बार सामान्य गतिविधि के दौरान भी हो सकता है। ऑस्टियोपोरिसिस जैसी किसी कंडिशन के कारण आपकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं जिससे स्ट्रेस फ्रैक्चर हो सकता है।

आमतौर पर स्ट्रेस फ्रैक्चर लोगों द्वारा एक्टिविटी में बदलाव करने से होता है। जैसे कोई नई एक्सरसाइज शुरू करना और अचानक वर्कआउट की तीव्रता बढ़ा देना। इसके अलावा अगर ऑस्टियोपोरोसिस या अन्य बीमारी के कारण हड्डियां कमजोर हो गई हैं, तो रोजमर्रा की गतिविधियों को करने से स्टेस फ्रैक्चर हो सकता है।

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निचले पैर की जो हड्डियां शरीर का भार उठाती हैं, उसमें स्ट्रेस फ्रैक्चर होना आम है। ट्रैक और फील्ड एथलीट और मिल्ट्री रिक्रूटर्स जो लंबी दूरी तक भारी सामान उठाते हैं उन्हें स्ट्रेस फ्रैक्चर का खतरा अधिक होता है, लेकिन यह सामान्य लोगों में भी हो सकता है। यदि आप कोई नया एक्सरसाइज प्रोग्राम शुरू कर रहे हैं, जो बहुत अधिक एक्सरसाइज कर लेने पर आपको स्ट्रेस फ्रैक्चर हो सकता है।

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कारण

स्ट्रेस फ्रैक्चर के कारण क्या है? (What are the causes of stress fracture?)

स्ट्रेस फ्रैक्चर आमतौर पर तब होता है जब आप बार-बार एक ही गतिविधि को दोहराते हैं (जैसे किसी स्पोर्ट्स की ट्रेनिंग के दौरान)। गलत उपकरण के इस्तेमाल जैसे रनिंग के दौरान सही जूते न पहनना या खेल का सरफेस बदलने जैसे मिट्टी के मैदान से निकलकर अचानक हार्ड सरफेस पर खेलने से भी यह फ्रैक्चर हो सकता है। इसके अलावा स्ट्रेस फ्रैक्चर रोजाना की गतिविधियों के दौरान उन लोगों को भी हो सकता है जिनकी हड्डिया पोषण की कमी या किसी मेडिकल कंडिशन के कारण कमजोर हो गई हैं।

स्ट्रेस फ्रैक्चर के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

कमजोर हड्डियां

किसी परेशानी के चलते हड्डियों की ताकत और घनत्व में कमी आने से स्ट्रेस फ्रैक्चर के होने की संभावना अधिक होती है। उदाहरण के तौर पर, सर्दियों के दिनों में शरीर में विटामिन डी की कमी होती है। ऐसे में स्ट्रेस फ्रैक्चर के अधिक मामले देखने को मिलते हैं।

गलत तकनीक

कोई भी चीज जो आपके पैरों को प्रभावित करती है वो स्ट्रेस फ्रैक्चर के जोखिम को बढ़ाती है। उदाहरण के लिए, यदि आपको छाला, गोखरू या टेंडोनाइटिस है, तो आपके चलने और दौड़ते समय आप पैर पर वजन कैसे डालते हैं, यह इसे प्रभावित कर सकता है। सामान्य से अधिक वजन और दबाव को संभालने के लिए हड्डी को एक क्षेत्र की आवश्यकता हो सकती है।

खेल का सरफेस बदलने से

खेल का सरफेस बदलने से भी स्ट्रेस फ्रैक्चर होने की संभावना अधिक होती है। जैसे कोई टेनिस प्लेयर एक ग्रास कोर्ट से हार्ड कोर्ट, या कोई दौड़ लगाने वाला ट्रेडमिल से आउटडोर ट्रैक पर जा रहा है, तो स्ट्रेस फ्रैक्चर होने का जोखिम होता है।

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लक्षण

स्ट्रेस फ्रैक्चर के लक्षण क्या है? (What are the symptoms of stress fracture?)

यदि आपको स्ट्रेस फ्रैक्चर हुआ है तो आपको निम्न लक्षण नोटिस होंगे-

  • एक्सरसाइज के दौरान दर्द होना और आराम करने के बाद भी दर्द कम न होना
  • कोमलता
  • दर्द जो सामान्य, दैनिक गतिविधियों के दौरान होता है और तेज होता है
  • पैर के शीर्ष पर या टखने के बाहर सूजन
  • थोड़ी सूजन और स्किन का लाल होना

निचले पैर और फुट में स्ट्रेस फ्रैक्चर होना आम है, लेकिन यह शरीर के अन्य हिस्सों जैसे बांह, रीढ़ और पसलियों में भी हो सकता है।

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स्ट्रेस फ्रैक्चर के जोखिम (Risk of stress fracture)

स्ट्रेस फ्रैक्चर का जोखिम बढ़ाने वाले कारणों में शामिल हैः

  • हाई इंपैक्ट स्पोर्ट्स जैसे ट्रैक और फील्ड, बास्केटबॉल, टेनिस, डांस या जिमनास्टिक करने वाले खिलाड़ियों को स्ट्रेस फ्रैक्चर होने का खतरा अधिक होता है।
  • यह उन लोगों को भी हो सकता है जो अचानक से सुस्त लाइफस्टाइल छोड़कर अति सक्रिया हो जाते हैं या जिनकी शारीरिक गतिविधि बहुत अधिक बढ़ जाती है। जैसे वर्कआउट का समय या फ्रिक्वेंसी बढ़ना।
  • जिन महिलाओं के पीरियड्स असामान्य हैं या नहीं आते हैं उऩ्हें भी स्ट्रेस फ्रैक्चर होने का खतरा अधिक रहता है।
  • कमजोर हड्डियां जैसे ऑस्टियोपोरोसिस आदि के कारण हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं जिससे स्ट्रेस फ्रैक्चर का जोखिम बढ़ जाता है।
  • जिन लोगों को पहले भी स्ट्रेस फ्रैक्चर हो चुका उन्हें दोबारा यह फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • बैलेंस डायट नहीं लेना, विटामिन डी और कैल्शियम की कमी के कारण स्ट्रेस फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है।

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निदान

स्ट्रेस फ्रैक्चर का निदान कैसे किया जाता है? (How is stress fracture diagnose?)

स्ट्रेस फ्रैक्चर के निदान के समय डॉक्टर मरीज के स्ट्रेस फ्रैक्चर के जोखिम कारकों का मूल्यांकन करता है और यह बेहद महत्वपूर्ण होता है।

फ्रैक्चर का पता लगाने के लिए आमतौर पर एक्स-रे किया जाता है। कई बार दर्द शुरू होने के कई हफ्तों बाद तक स्ट्रे फ्रैक्चर के लक्षण नहीं दिखते हैं और कई बार रेग्युलर एक्स-रे में भी यह दिखाई नहीं देता है। ऐसे में कम्प्यूटेड टोपोग्राफी (CT) स्कैन या मैग्नेटिक रेसोनैन्स इमैजिंग (MRI) की जरूरत होती है।

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उपचार

स्ट्रेस फ्रैक्चर का उपचार क्या है? (What is the treatment of stress fracture?)

स्ट्रेस फ्रैक्चर से रिकवरी के लिए बेहद ज़रूरी हैः

  • चोटिल हिस्से को आराम देना
  • खेल से ब्रेक लेना

इस फ्रैक्चर से ठीक होने के लिए आराम बहुत जरूरी है इसलिए आप खेल या किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी से कम से कम 6-8 हफ्ते तक पूरी तरह से दूर रहे, क्योंकि फ्रैक्चर को ठीक होने में इतना समय लगता है। यदि स्ट्रेस फ्रैक्चर के बाद भी आपने फ्रैक्चर के लिए जिम्मेदार गतिविधि बंद नहीं की तो स्थिति और बिगड़ सकती है, फ्रैक्चर गहरा हो सकता है और फिर इसका ठीक होना मुश्किल होगा। कई बार स्ट्रेस फ्रैक्चर के लिए कास्ट, स्प्लिंट या ब्रेस की आवश्यकता होती है। दुर्लभ मामलों में ही सर्जरी की जाती है।

स्ट्रेस फ्रैक्चर के कारण होने वाले दर्द को कम करने के लिएः

  • कोल्ड कंप्रेसर या तौलिया में बर्फ लपेटकर प्रभावित हिस्से पर 15 मिनट तक रखें। ऐसे दिन में 3 बार करें।
  • डॉक्टर ने जो पेनकिलर दिया है उसे सही समय पर लें।

यदि स्ट्रेस टेस्ट पर्याप्त पोषण न मिलने के कारण कमजोर हो चुकी हड्डियों के कारण हुआ है तो न्यूट्रिशनल और साइकोलॉजिकल काउंसलिंग की मदद से फ्रैक्चर ठीक हो जाता है।

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स्ट्रेस फ्रैक्चर से बचाव (Stress fracture prevention tips)

कुछ आसान बातों का ध्यान रखकर स्ट्रेस फ्रैक्चर से बचा जा सकता हैः

  • कोई भी बदलाव धीमी गति से करें। जैसे आपने यदि कोई एक्सरसाइज प्रोग्राम शुरू किया है तो पहले ही दिन जोश में आकर सारी एक्सरसाइज न कर लें। बल्कि पहले दिन सामान्य एक्सरसाइज करें और धीरे-धीरे एक्सरसाइज की स्पीड बठाएं इससे मसल्स फ्लेक्सिबल हो जाती हैं और अधिक दबाव नहीं पड़ता है।
  • खेलते और दौड़ते समय अपने जूतों का खास ख्याल रखें। फिटिंग सही होने के साथ ही इनका कंफर्टेबल होना भी जरूरी है। यदि आपके फ्लैट फीट हैं तो आर्क सपोर्ट के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
  • शरीर के किसी एक हिस्से को बार-बार तनावग्रस्त होने से बचाने के लिए लो इंपैक्ट एक्टिविटी

    एक्सरसाइज रूटीन से शुरुआत करें।

  • आहार का ध्यान रखें और भोजन में सभी पोषक तत्वों को शामिल करें ताकि हड्डियां मज़बूत रहें। आपकी डायट में विटामिन डी, कैल्शियम और अऩ्य पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होने चाहिए।
  • याद रखिए कि स्ट्रेस फ्रैक्चर के लक्षणों की पहचानकर जितनी जल्दी इसका इलाज करवाया जाए यह उतनी जल्दी ठीक हो जाता है और आप जल्दी खेल के मैदान में वापसी कर सकते हैं।

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उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में स्ट्रेस फ्रैक्चर से जुड़ी जानकारी देने का प्रयास किया गया है। यदि आप इससे जुड़ी अधिक जानकारी पाना चाहते हैं, तो बेहतर होगा इसके लिए आप डॉक्टर से संपर्क करें।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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