परिचय
क्या है मुंह का कैंसर (Oral cancer)?
मुंह का कैंसर यानी मुंह का कैंस (Oral cancer) मुंह के टिशू में होने वाली परेशानी है। यह होठों से शुरू होकर मुंह के अंत के हिस्से जिसे टॉन्सिल (Tonsil) कहते हैं वहां तक होता है। मुंह का कैंसर होठों, जीभ, जबड़ा, मसूढ़े, मुंह के अंदुरुनी सतह, हार्ड और सॉफ्ट पैलेट, साइनस और गले में होता है। लेकिन, सबसे ज्यादा मुंह, जीभ और होठों में कैंसर खतरा ज्यादा होता है। शुरुआती दौर में कैंसर के लक्षण समझ नहीं आते हैं और यह गले और लिम्फ नोड तक फैलने के साथ-साथ सूजन हो जाता है। डेंटिस्ट इसकी जानकारी दे सकते हैं।
क्या ओरल कैंसर (Oral cancer) सामान्य बीमारी है ?
ओरल कैंसर (Oral cancer) की आशंका होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
लक्षण
ओरल कैंसर के लक्षण क्या हैं ? (Symptoms of Oral cancer)
मुंह में होने वाली आम परेशानियों की तरह मुंह का कैंसर (Oral cancer) की भी शुरुआत होती है। इसलिए इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है। निम्लिखित लक्षण होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
- मुंह में हुई कोई भी परेशानी अगर 2 सप्ताह में ठीक न हो।
- खाने का स्वाद पता नहीं चलना।
- मुंह के (होंठ से टॉन्सिल तक) अंदर सूजन (Swelling) आना, गांठ बनना, पपड़ी बनना या फिर मसूड़ों पर कटे का निशान होना।
- मुंह में लाल या सफेद पैच का निशान पड़ना।
- मुंह से किसी भी वक्त खून (Blood) आना।
- मुंह में दर्द होना और चेहरे या गर्दन की त्वचा बहुत ज्यादा सॉफ्ट हो जाना।
- चेहरे, गर्दन या मुंह में घाव होना और घाव का जल्दी ठीक न होना और फिर से दुबारा होने की संभावना होना।
- चबाने, निगलने, बोलने, जबड़े या जीभ को हिलाने में भी कठिनाई हो सकती है।
- गले में खराश (Throat infection) या आवाज में बदलाव होना।
- कान (Ear pain) में दर्द होना।
- अचानक से वजन कम होना।
- परिवार में किसी को पहले कैंसर हुआ हो (जेनेटिकल)।
- एच.पी.वी. के संक्रमण से भी मुंह का कैंसर (Oral cancer) का खतरा बढ़ जाता है। यह खासकर युवा वर्ग में ज्यादा होता है।इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। इसलिए परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होगा।
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डॉक्टर से कब मिलना चाहिए ?
ऊपर बताये गए लक्षण होने पर या कोई और परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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कारण
किन कारणों से होता है ओरल कैंसर ? (Cause of Oral cancer)
मुंह का कैंसर DNA में हुए म्यूटेशन (जेनेटिक म्यूटेशन) की वजह से सेल्स (कोशिका) में जरूरत से ज्यादा बढ़त हो जाती है। ऐसी स्थिति में बढ़े हुए सेल्स जिसे एब्नार्मल (कैंसरस) सेल्स कहते हैं। ये सेल्स एक जगह इक्कठा हो जाते है और कुछ समय बाद ट्यूमर (Tumor) का रूप ले लेते हैं।
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जोखिम के कारण
किन कारणों से बढ़ सकती है ओरल कैंसर (Oral cancer) की बीमारी ?
ओरल कैंसर (Oral cancer) निम्नलिखित कारणों से हो सकता है:
- तंबाकू का सेवन करना जैसे सिगरेट, सिगार पीना या तंबाकू जैसी चीजें चबाना
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन करना
- एचआईवी (HIV) इंफेक्शन
- अत्यधिक सूर्य की रोशनी में रहना
- पहले कभी ओरल कैंसर (Oral cancer) होना
- 25 प्रतिशत लोग जो स्मॉकिंग (Smoking) नहीं करते हैं और एल्कोहॉल का सेवन भी कभी-कभी करते हैं उन्हें भी मुंह का कैंसर (Oral cancer) हो सकता है।
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निदान और उपचार
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
मुंह के कैंसर का निदान कैसे किया जाता है ? (Diagnosis of Oral cancer)
- डॉक्टर सबसे पहले मरीज के शारीरिक लक्षण की जांच करेंगे।
- इसके साथ ही डॉक्टर मुंह, गले, जीभ और जबड़े की अच्छी तरह जांच करेंगे। डॉक्टर पेशेंट से लक्षण समझने की कोशिश करेंगे और परेशानी पूछेंगे।
- निम्नलिखित शारीरिक जांच की सलाह डॉक्टर पेशेंट को देते हैं:
एक्स-रे (X-Ray), सीटी स्कैन (CT Scan), एमआरआई (MRI), एंडोस्कॉपी (Endoscopy) या पीईटी स्कैन और बायोप्सी टेस्ट (Biopsy test)
ओरल कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है ? (Treatment for Oral cancer)
मुंह का कैंसर (Oral cancer) की गंभीरता को समझते हुए इलाज की जाती है। ट्यूमर (Tumor) को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। लेकिन, अगर स्थिति गंभीर हो चुकी है तो एक साथ कई इलाज किये जा सकते हैं।
- रेडियोथेरिपी (Radiotherapy): इससे ट्यूमर सेल्स को नष्ट किया जाता है।
- कीमोथेरिपी (Chemotherapy): ड्रग्स के माध्यम से कैंसर का इलाज किया जाता है।
- टार्गेटेड थेरिपी (Target therapy): यह थेरिपी कैंसरस सेल्स को बढ़ने नहीं देती है।इससे पेशेंट को साइड इफेक्ट भी हो सकता है। उनमें शामिल हैं:–
रेडिएशन थेरिपी (Radiation Therapy)
- गले या मुंह में छाले होना
- मुंह सूखना
- दांत में सड़न
- मतली और उल्टी
- मसूढ़ों से ब्लड आना
- इंफेक्शन होना
- दांतों या मुंह में हुई परेशानी को ठीक होने में वक्त लगना
- जबड़े में जकड़न और दर्द होना
- थकान
- डेंचर पहनने में समस्या
- खाने में स्वाद महसूस न होना
- त्वचा संबंधी परेशानी
- वजन कम होना
कीमोथेरिपी (Chemotherapy)
- थायरॉइड (Thyroid) की समस्या
- बाल झड़ना (Hair fall)
- मुंह और मसूड़ों में दर्द होना
- मुंह से ब्लीडिंग होना
- शरीर में खून की कमी होना
- कमजोरी (Weakness)
- भूख नहीं लगना
- जी मिचलाना
- उल्टी (Vomiting) होना
- दस्त (Diarrhea) होना
- मुंह और होंठ घाव होना
टार्गेटेड थेरिपी (Target therapy)
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार क्या हैं जो मुंह के कैंसर से बचने में मदद कर सकते हैं? (Home remedies for Oral cancer)
- डॉक्टर द्वारा बताए गए डायट प्लान फॉलो करें
- इलाज होने के दौरान और इलाज के बाद भी मुंह की सफाई का ध्यान रखें
- तम्बाकू, गुटखा और सिगरेट आदि का सेवन बंद करें। ओरल कैंसर तंबाकू, गुटखा और सिगरेट (Smoking) पीने वालों में ज्यादा होता है।
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन नहीं करना चाहिए। शराब न पीने वालों की तुलना में पीने वाले लोगों में मुंह का कैंसर (Oral cancer) होने की संभावना लगभग छह गुना अधिक बढ़ जाती है।
- ताजे फल और हरी सब्जियों का सेवन सेहत के साथ-साथ किसी भी बीमारी से लड़ने में सहायक होता है।
- जंक फूड (Junk food) और पैक्ड जूस का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इलाज के दौरान महसूस हो रही परेशानी को डॉक्टर को बताएं। इस बीमारी या किसी अन्य बीमारी से जुड़ी अगर कोई भी समस्या हो, तो डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें।
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कैंसर (Cancer) से जुड़े एक्सपर्ट्स का मानना है कि कैंसर का इलाज कैंसर के पहले और दूसरे स्टेज में करने से इससे आसानी से लड़ा जा सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि मुंह में हो रहे किसी भी तरह के बदलाव को ज्यादा समय तक नजरअंदाज करना ठीक नहीं होता है। मुंह का कैंसर से संंबंधित किसी भी तरह की दुविधा के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।