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लिप कैंसर का जीवन की गुणवत्ता पर असर: इमोशनल हेल्थ (Emotional health) भी होती है प्रभावित
अपने परिवार, दोस्तों और अन्य लोगों की मदद लें ताकि आप अकेला महसूस न करें। ट्रीटमेंट प्रकिया से गुजरने के बाद मरीज कई प्रकार की भावनाएं महससू कर सकता है। उसे कैंसर के वापस आने की चिंता हो सकती है। अपनी बीमारी और उसके परिणाम से निपटने के लिए तनाव महसूस कर सकते हैं। अपने शरीर, स्वास्थ्य और जीवन में होने वाले परिवर्तनों के बारे में उदास या चिंतित महसूस करना भी आम है।
समय बीतने के साथ आपका मूड बेहतर हो सकता है। यदि ऐसा नहीं होता है, तो मदद मांगें। यदि आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको अवसाद है, तो वे आपका इलाज कर सकते हैं या आपको किसी विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं। आप एक कैंसर सहायता समूह में शामिल हो सकते हैं या अन्य लोगों से जुड़ सकते हैं जिनके पास ऑनलाइन समूहों के माध्यम से समान अनुभव हैं। ऐसी स्थिति में मित्र और परिवार के सदस्य आपको आवश्यक व्यावहारिक सहायता प्रदान कर सकते हैं, जैसे कि यदि आप अस्पताल में हैं तो अपने घर की देखभाल करने में मदद करें। और जब आप कैंसर से व्यथित महसूस करते हैं तो वे भावनात्मक समर्थन दे सकते हैं।
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लिप कैंसर का जीवन की गुणवत्ता पर असर (Effects of lip cancer on quality of life) और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
कैंसर के साथ अपने जीवन को आसान बनाने के लिए निम्न बातों का ध्यान मददगार हो सकता है।
- अपने चिकित्सक से अपने कैंसर के बारे में पूछें, जिसमें आपके उपचार के विकल्प और, यदि आप चाहें, तो पूर्वानुमान के बारे में भी पूछ सकते हैं। जैसे-जैसे आप कैंसर के बारे में अधिक जानेंगे, आप उपचार संबंधी निर्णय लेने में अधिक आश्वस्त हो सकते हैं।
- एक अच्छा लिसनर खोजें जो आपकी आशाओं और आशंकाओं के बारे में बात करने के लिए आपकी बात सुनने को तैयार हो। यह एक दोस्त या परिवार का सदस्य हो सकता है। परामर्शदाता, चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता या कैंसर सहायता समूह भी सहायक हो सकते हैं।
- आपके ट्रीटमेंट से होने वाले संभावित साइड इफेक्ट्स की एक लिस्ट डॉक्टर से मांग लें ताकि आप इनको लेकर पहले से तैयार रहें और इनकी वजह से अनावश्यक तनाव ना लें।
- डॉक्टर से सुझाव लें कि कैसे कौन से स्टेप आप हेल्थ में सुधार करने के लिए उठा सकते हैं, जिससे कैंसर के वापस आने की संभावना कम हो सके
- अपने प्राइमरी केयर प्रोवाइडर (पीसीपी) के साथ अपने अपॉइंटमेंट्स को याद रखें जिससे जनरल हेल्थ केयर की मॉनिटरिंग हो सके। डॉक्टर द्वारा बताए गए फॉलो-अप एग्जाम और टेस्ट करवाएं।
- अन्य टेस्ट के लिए योजना बनाएं जिनकी भविष्य में आपको जरूरत पड़ सकती है, जैसे अन्य प्रकार के कैंसर के लिए अर्ली डिटेक्शन (स्क्रीनिंग) टेस्ट।