मूल बातों को जानें
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन (Orthostatic hypotension) क्या होता है?
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन (Orthostatic hypotension) को पोस्टुरल हाइपोटेंशन भी कहा जाता है। यह अचानक ब्लड प्रेशर कम होने की एक बीमारी है। जब व्यक्ति अपने शरीर की स्थिति को बदलता है जैसे अचानक से खड़ा होता है तो उसका ब्लड प्रेशर डाउन हो जाता है।
कितना आम है ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन (Orthostatic hypotension)?
ब्लड प्रेशर से जुड़ी बीमारी ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन बहुत आम है। ज्यादा जानकारी के लिए डॉक्टर से चर्चा कर सकते हैं।
2011 में की गई एक स्टडी के अनुसार 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में इसके होने की आशंका 20 प्रतिशत से ज्यादा होती है। कई प्रकार की दवाएं रक्त के प्रेशर को प्रभावित कर सकती हैं जिसे कारण ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन हो सकता है। इस प्रकार के रीफ्लैक्स उम्र के साथ कमजोर होने लगते हैं। यही कारण है की यह स्थिति बुजुर्गों में अधिक सामान्य होती है।
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लक्षण
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन (Orthostatic hypotension) के सामान्य लक्षण क्या हैं
?
- ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के सामान्य लक्षण हैं:
- खड़े होने के बाद चक्कर आना
- धुंधला दिखना
- दुर्बलता
- बेहोशी
- उलझन
- जी मिचलाना
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
- कभी-कभी चक्कर आना या धुंधली छा जाना, ये डिहाइड्रेशन या ब्लड शुगर कम होने की वजह से भी हो सकता है।
- जब कभी लंबे समय तक बैठने के बाद खड़े होने पर चक्कर आए तो इसमें ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।
- इसका कारण कमजोरी हो सकता है। जब आपको बार-बार ऐसा हो तो डॉक्टर सेजरूर बात करनी चाहिए।
- कभी-कभी ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन बड़ी समस्या बन सकती है।
- बार-बार बेहोशी होने पर बिना देरी के डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
- ड्राइविंग के समय बार-बार ऐसा होना खतरे के लक्षण हो सकते हैं।
कारण
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन (Orthostatic hypotension) के कारण क्या हैं?
- रक्त वाहिकाओं के अंदर तरल पदार्थ की कमी ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन से जुड़े लक्षणों का सबसे आम कारण है।
- ऐसा होने से आपको डिहाइड्रेशन, डायरिया और उल्टी जैसी समस्या हो सकती है।
- खून की कमी या एनीमिया होना भी इस बीमारी का एक कारण हो सकता है।
- जब रक्त वाहिकाओं में रेड ब्लड सेल्स की संख्या कम हो जाती है तो चक्कर आने जैसी समस्या हो सकती है।
- कुछ दवाएं जैसे बीटा-ब्लॉकर्स और एंटीडिपेंटेंट्स, ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन से जुड़े लक्षणों को बढ़ा देती हैं।
- गर्म मौसम में काम करना, व्यायाम करना या लंबे समय तक बिस्तर पर पड़े रहना भी इस बीमारी को जन्म दे सकता है।
- पार्किंसंस रोग और गर्भावस्था के दौरान भी ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन से जुड़े लक्षण दिख सकते हैं।
खतरों के कारण
क्या चीजें हैं जो ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन की संभावना को बढ़ा सकती हैं?
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ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के कई जोखिम कारक हैं, जैसे:
- ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन उन लोगों में आम है जिनकी उम्र 65 और उससे अधिक है।
- आपके दिल और गर्दन की धमनियों के पास विशेष कोशिकाएं होती हैं जो रक्तचाप को नियंत्रित करती हैं। ये आपकी उम्र के अनुसार धीमी हो सकती हैं।
- उच्च रक्तचाप या हृदय रोग का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली
दवाएं भी इस बीमारी का कारण बन सकती हैं। जैसे- मूत्रवर्धक
, अल्फा ब्लॉकर्स, बीटा ब्लॉकर्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स और नाइट्रेट। - अन्य दवाएं जो ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन को बढ़ा सकती हैं, उनमें पार्किंसंस रोग का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं शामिल हैं।
- इसके अलावा कुछ एंटीडिप्रेसेंट, कुछ एंटीसाइकोटिक्स, मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं और मादक पदार्थों का इलाज करने वाली
दवाएं भी इस रोग का कारण बन सकती हैं।
- गर्म वातावरण भी इस बीमारी को बढ़ा सकता है। इससे डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
- अगर आप किसी बीमारी की वजह से लंबे समय तक बेड पर लेटे हैं तो इससे आपको कमजोरी हो सकती है। फिर अचानक खड़े होने पर ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के लक्षण दिख सकते हैं।
- शराब पीने की वजह से भी ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
जांच और इलाज
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन का परीक्षण कैसे किया जा सकता है?
- ऊपर दिए लक्षणों में अगर कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
- अगर कोई दवा इस बीमारी का कारण बन रही है तो डॉक्टर उस दवाई की डोज कम कर देगा या दवा बदल देगा।
- डॉक्टर एक हेड-अप टिल्ट टेबल टेस्ट भी करते हैं। इसमें ये दखा जाता है कि किसी व्यक्ति का रक्तचाप उनके शरीर की स्थिति में परिवर्तन के प्रति कैसे
प्रतिक्रिया करता है।
- इस परीक्षण के दौरान, एक व्यक्ति एक मेज पर लेटा होता है जो धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठता है।
- अल्ट्रासाउंड या इकोकार्डियोग्राम का उपयोग करके हृदय के वाल्व का आंकलन किया जा सकता है जिससे बीमारी का पता लग सकता है।
- ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन का इलाज कैसे करें?
- ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के लिए उपचार के लिए सबसे पहले ब्लड प्रेशर को
सामान्य करना होता है।
- इसमें आमतौर पर रक्त की मात्रा बढ़ाना और रक्त वाहिकाओं को आपके पूरे शरीर में रक्त को बढ़ाने में मदद करना शामिल है।
- इस बीमारी के इलाज का सबसे अच्छा तरीका यह है कि खड़े होने पर चक्कर आए तो तुरंत लेट जाइए। धीरे—धीरे ये लक्षण खत्म होते जाएंगे।
- अगर कोई दवा इस बीमारी का कारण बन रही है तो इसे लेना बंद कर दें।
- इसके अलावा डॉक्टर आपको अच्छी सलाह दे सकते हैं।
इलाज
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन का इलाज स्थिति के कारण पर निर्भर करता है। अगर आपको ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के एपिसोड आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर इस बात का पता लगाने में मदद करेंगे कि आपको ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन है या कोई अन्य रोग के कारण ऐसा हो रहा है।
ज्यादातर मामलों में जिस रोग के कारण ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन होता है उसके इलाज से स्थिति को ठीक किया जा सकता है।
अगर आपको किसी विशेष प्रकार की दवा के कारण ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन हो रहा तो उसका सेवन बंद करने या खुराक में फेरबदल करके इसे ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के इलाज में घरेलू उपाय और जीवनशैली में बदलाव करने से काफी मदद मिलती है।
जीवनशैली और घरेलू उपाय
डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवाई न लें।
- गर्म वातावरण में व्यायाम या कोई भी काम करने से बचें।
- अपने पैर को ज्यादा समय तक मोड़कर न बैठें।
- अपनी डाइट में नमक की मात्रा बढ़ाएं। साथ ही डॉक्टर की सलाह भी लें।
- थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खाएं।
- विटामिन बी-12 रक्त संचार को प्रभावित करता है इसलिए डायट में आइरन और विटामिन भी शामिल करें।
- समय-समय पर पानी पीते रहें।
- शराब का सेवन करने से बचें।
- सोकर उठते समय झटके से न उठें। आराम से उठने की कोशिश करें।
- बेड से उठने से पहले कुछ देर बैठे रहें तो अच्छा होगा।
- ज्यादा समय तक एक ही जगह पर खड़े हैं तो पैर हिलाते रहें, जिससे रक्त का संचार बना रहे।
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जटिलताएं
लगातार ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के कारण गंभीर जटिलताएं विकसित हो सकती हैं। खासतौर से वयस्कों में। जिसमें शामिल हैं –
बेहोश होना – बेहोशी के कारण व्यक्ति किसी भी समय गिर सकता है। यह ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन की सबसे मुख्य जटिलता में से एक है।
स्ट्रोक – ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के कारण ब्लड प्रेशर में बदलाव होने के कारण मूड पर भी असर पड़ता है। ऐसा खासतौर से उठने या बैठने पर होता है। ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के कारण मस्तिष्क तक रक्त सही से नहीं पहुंच पाता है।
हृदय संबंधी रोग – ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन हृदय के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को पहले से ही कार्डियोवैस्कुलर रोग है तो इसकी जटिलताओं की आशंका और भी अधिक हो जाती है।
सीने में दर्द, हार्ट फेल होना या अनियमित दिल की धड़कन वाले मरीजों को इस स्थिति में अपना खास ध्यान रखना पड़ता है।
अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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