परिभाषा
निमोनिया (Pneumonia) एक तरह का इंफेक्शन है, जो फेफड़े का लेफ्ट भाग या राइट भाग या कभी-कभी पूरे फेफड़े को प्रभावित कर सकता है। ऐसे कई तरह के जर्म्स होते हैं, जिनके कारण निमोनिया हो जाता है। ऐसे में संक्रमित फेफड़ों से फ्लूइड और शेड डैड सेल्स लीक होते हैं। ऐसे में फेफड़ों को ब्लड से ऑक्सीजन मिलने में भी कठिनाई होती है। ऑक्सिजन के कमी होने से शरीर ठीक से काम नहीं कर पाता। निमोनिया कई अलग-अलग तरह के होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
निमोनिया के प्रकार (Types of Pneumonia)
निमोनिया के पांच प्रकार निम्न हैं-
बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial Pneumonia)- स्ट्रेप्टीकोकस निमोनिया की वजह से बैक्टीरियल निमोनिया की वजह से होता है। यह प्रायः न्यूट्रिशन की कमी, बढ़ती उम्र या किसी क्रोनिक डिजीज की वजह से होने वाली बीमारी है।
वायरल निमोनिया (Viral Pneumonia)- निमोनिया इन्फ्लूएंजा या फ्लू की वजह से वायरल निमोनिया का खतरा बना रहता है। वायरल निमोनिया का खतरा बैक्टीरियल निमोनिया होने की वजह से ज्यादा होती है।
माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma Pneumonia)- माइकोप्लासम निमोनिया जीवाणु की वजह से माइकोप्लाज्मा निमोनिया होने की संभावना ज्यादा होती है।
एस्पिरेशन निमोनिया (Aspiration Pneumonia)- यह निमोनिया अनहेल्दी फूड या धूल की वजह से होने वाली बीमारी है।
फंगल निमोनिया (Fungal Pneumonia)- फंगस की वजह से होने वाले निमोनिया फंगल निमोनिया के अंतर्गत आता है।
निमोनिया का खतरा लोगों में कितना बना रहता है।
निमोनिया (Pneumonia) कितना सामान्य है?
निमोनिया किसी को भी हो सकता है बच्चे, सीओपीडी और अस्थमा जैसी पुरानी बीमारी वाले लोगों को इसका ज्यादा जोखिम होता है। हालांकि इसे जोखिम को कम किया जा सकता है। ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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जानिए निमोनिया (Pneumonia) के लक्षण
निमोनिया के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं :
- बार-बार खांसी आना
- बुखार आना
- कंपकंपी होना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- खांसते समय या गहरी सांस लेते समय सीने में तेज दर्द होना
- सिरदर्द होना
- भूख न लगना
- ज्यादा थकान महूसस होना
- उल्टी होना
इसके अलावा भी बहुत कुछ लक्षण हो सकते हैं, जो ऊपर नहीं दिए गए हैं। अगर आपको किसी लक्षण से परेशानी है, तो आप अपने डॉक्टर का सपंर्क करे।
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मुझे अपने डॉक्टर को कब दिखना चाहिए?
अगर आपको नीचे दिए गए लक्षण नजर आएं, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए :
- कंपकंपी के साथ बुखार होना
- सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ
- मरीज की उम्र पांच वर्ष से कम या 65 साल से ज्यादा हो
- फेफड़ों से ब्लड या म्यूकस के साथ खांसी आना
- सांस की तकलीफ होना, तेज सांस लेना
इस बारे दिल्ली के क्लीनिक्ल जनरल फीजिश्यन डॉक्टर अशोक रामपाल का कहना है कि निमोनिया फंफड़ों की एक गंभीर बीमारी है और इसका समय रहते इलाज बहुत जरूरी है। मरीज में होने वाले निमोनिया के भी कई प्रकार होते हैं, जिनमें शामिल हैं, बैक्टीरियल निमोनिया या माइकोप्लाज्मा निमोनिया। निमोनिया अक्सर सर्दी या फ्लू से हो सकता है। ऐसे में आपको सावधानीपूर्वक ध्यान देना चाहिए, क्योंकि आमतौर पर निमोनिया लंबे समय तक रहता है और दूसरी बीमारियों से निमोनिया का लक्षण काफी गंभीर होता है।
अगर आप ऊपर दिए गए लक्षण नजर आए या कोई सवाल हो तो, अपने डॉक्टर से संपर्क करें। हर किसी का शरीर अलग तरह से काम करता है। ऐसे में, अपने डॉक्टर के साथ बात करना आपके लिए ज्यादा अच्छा रहता है।
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जानिए निमोनिया (Pneumonia) के कारण
निमोनिया के तीन मुख्य कारण है जैसे :
- बैक्टीरियल निमोनिया : बैक्टीरिया के कारण अपने आप या यह एक गंभीर सर्दी या फ्लू के बाद भी हो सकता है।
- वायरल निमोनिया : बहुत गंभीर नहीं है और आमतौर पर थोड़े समय के लिए रहता है। हालांकि, फ्लू वायरस के कारण वायल निमोनिया हो सकता है, जो गंभीर हो सकता है। प्रेग्नेंट महिलाओं या हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले रोगियों को इस बीमारी से सावधान रहना चाहिए।
- माइकोप्लाज्मा निमोनिया : यह इंफेक्शन और बैक्टीरिया दोनों के सामान्य लक्षण हैं, जो निमोनिया के हल्के मामलों का कारण बनते हैं।
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जानिए निमोनिया (Pneumonia) के जोखिम फैक्टर
निमोनिया के कई जोखिम फैक्टर हैं, जो हम आपको नीचे बता रहे हैं जैसे:
- स्मोकिंग की आदत
- रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन- ठंड, लैरींगाइटिस (laryngitis), इन्फ्लूएंजा के कारण
- पुरानी फेफड़ों की बीमारी
- अन्य गंभीर बीमारी जैसे हृदय रोग, लिवर सिरोसिस, या डायबिटीज की समस्या
- अस्थमा
- कमजोर इम्यून सिस्टम
- एचआईवी या कैंसर होना
- यंग और बूढ़े लोग
निदान और उपचार
दी गई जानकारी किसी मेडिकल एडवाइज का विकल्प नही है ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर का संपर्क करे।
निमोनिया (Pneumonia) का पता कैसे लगाया जाता है?
निमोनिया अक्सर सर्दी या फ्लू से हो सकता है। ऐसे में आपको सावधानीपूर्वक ध्यान देना चाहिए, क्योंकि आमतौर पर निमोनिया लंबे समय तक रहता है और दूसरी बीमारियों से निमोनिया का लक्षण काफी गंभीर होता है।
आपको निमोनिया है कि नहीं, यह जानने के लिए डॉक्टर आपको सवाल पूछ सकते हैं जैसे:
- आपके लक्षण क्या हैं और वे कितनी बार होते हैं?
- क्या आप स्मोकिंग करते हैं?
- आपका मेडिकल हिस्ट्री क्या है?
- क्या आप कोई दवा ले रहे हैं?
- अगर जरूरत हो, तो डॉक्टर कोई भी निदान करने से पहले कुछ सामान्य टेस्ट करेंगे:
- फिजिकल एग्जाम
- चेस्ट का एक्स-रे
- सीटी-स्कैन
- स्पुटम टेस्ट
- ब्रोंकोस्कोपी, जिसका उपयोग फेफड़ों के अंदर एयरवेज को देखने के लिए किया जाता है।
निमोनिया (Pneumonia) का इलाज कैसे किया जाता है?
निमोनिया का इलाज कई तरह से होता है। यह इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में निमोनिया का इलाज घर पर भी किया जा सकता है।
बैक्टीरियल निमोनिया का इलाज: इस बीमारी को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक्स सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है।वायरल निमोनिया का इलाज: कुछ एंटीवायरल दवाएं इस स्थिति का इलाज करने में मदद कर सकती हैं।
निमोनिया (Pneumonia) से जुड़े फैक्ट्स क्या हैं?
इससे जुड़े फैक्ट्स निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे-
- इस बीमारी से बचने के लिए फ्लू शॉट हर साल लेना चाहिए। इस बीमारी के होने का सबसे सामान्य कारण फ्लू है। इसलिए इस बीमारी से बचने के लिए समय-समय पर वैक्सीन लेना बेहद जरुरी है।
- निमोनिया बैक्टेरिया, वायरस और फंगस के कारण भी हो सकता है। इसलिए यह किस कारण से हुआ है यह जानना बेहद जरूरी है।
- यह बीमारी काफी सीरियस भी हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इससे सेप्सिस और लंग्स से जुड़ी परेशानी भी शुरू हो जाती है।
- इस बीमारी से बचने के लिए पौष्टिक आहार और संतुलित आहार, आराम करें, नियमित एक्सरसाइज करने के साथ-साथ खाना खाने के पहले हाथ जरूर धोएं। एल्कोहॉल और सिगरेट का सेवन न करें।
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लाइफस्टाइल में बदलाव या घरेलू उपचार क्या हैं, जो मुझे निमोनिया से निपटने में मदद कर सकते हैं?
दिए गए लाइफस्टाइल और घरेलू उपचार आपको हेल्थ कंडिशन से निपटने में मदद कर सकते है:
- ज्यादा से ज्यादा आराम करें।
- डिहाइड्रेशन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लें।
- खांसी से इन्फेक्शन हो सकता है। अगर आपको रात में खांसी सोने में परेशान करती है या सांस लेने में तकलीफ होती है या वॉमिटिंग हो रही है, तो इसके लिए डॉक्टर की सलाह से उचित दवा लें।
- एसिटामिनोफेन (acetaminophen) (टाइलेनॉल) या एस्पिरिन लेने से आपको फीवर को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे आपको राहत महसूस होगी।
- निमोनिया की परेशानी को कम करने के लिए आयुर्वेद में तुलसी के सेवन की सलाह दी जाती है। तुलसी के पत्तों से रस निकाल लें और उसमें पीसी हुई काली मिर्च मिलाएं और दो से तीन बार इसका सेवन करें। बेहतर रिजल्ट के लिए आयुर्वेद डॉक्टर से परामर्श करें।
- आयुर्वेद के अनुसार निमोनिया के मरीजों के लिए पुदीना भी फायदेमंद होता है। दरअसल पुदीने के सेवन से जलन और बलगम को कम करने में मदद मिल सकती है। पुदीने की ताजी पत्तियों को चबाने से आपकी तकलीफ कम हो सकती है।
इस बीमारी के कारण पूरे देश में बच्चों की जान सबसे ज्यादा जाती है। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी और हैल्प ग्रुप ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए रिसर्च के अनुसार, 2030 तक 5 वर्ष से कम उम्र के 11 मिलियन बच्चों की निमोनिया के कारण मौत होने की आशंका हैं। विकसित देशों में बुजुर्गों के निमोनिया से प्रभावित होने की आशंका है। जबकि विकासशील देशों में निमोनिया से बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि नाइजीरिया और भारत जैसे देशों में निमोनिया से सबसे ज्यादा लोग प्रभावित होंगे और पुराने आकड़ों का विश्लेषण करने के बाद अनुमान लगाया गया कि 2030 तक 1.7 मिलियन लोगों की मौत होने की आशंका है।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की दवा का सेवन न करें। अगर आप निमोनिया से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।