के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
टेंशन के कारण होने वाला सिरदर्द सबसे आम तरह का सिरदर्द है, जो ज्यादातर लोगों को होता है। काम का अधिक तनाव, रोजमर्रा के लड़ाई झगड़े और जीवन में असफलता सहित कई अन्य कारणों से टेंशन बढ़ता है जिसके कारण सिरदर्द होता है।
तनाव के कारण होने वाले सिरदर्द में आंख, सिर और गर्दन के आसपास हल्का, मध्यम या तेज दर्द होता है। कुछ लोगों को टेंशन के कारण होने वाले सिरदर्द में माथे पर टाइट बैंड जैसा महसूस होता है। ज्यादातर लोगों को हर महीने में एक या दो बार टेंशन से सिरदर्द होता है।
टेंशन के कारण दो तरह का सिरदर्द होता है-एपिसोडिक और क्रोनिक। एपिसोडिक टेंशन हेडेक 30 मिनट से एक हफ्ते तक रहता है और धीरे-धीरे शुरु होता है। इस तरह का सिरदर्द दोपहर के समय होता है। जबकि क्रोनिक टेंशन हेडेक कुछ घंटों तक या लंबे समय तक हो सकता है। इसमें पूरे दिन तेज सिरदर्द होता है।
यदि सिरदर्द हर महीने 15 या इससे अधिक दिनों तक लगातार तीन महीनों तक रहता है तो स्थिति गंभीर हो सकती है। अगर समस्या की जद बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
टेंशन वाला सिरदर्द एक आम समस्या है। ये पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं पर अधिक प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया में लाखों लोग टेंशन से होने वाले सिरदर्द से पीड़ित हैं। 80 प्रतिशत वयस्कों को समय समय पर टेंशन के कारण सिरदर्द की समस्या होती है।
जबकि 15 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को टेंशन से सिरदर्द होता है। यह समस्या किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय हो सकती है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
टेंशन वाला सिरदर्द शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। सिरदर्द से पीड़ित व्यक्ति के पूरे सिर में दर्द होता है लेकिन दर्द आमतौर पर सिर के पिछले हिस्से या भौहों के ऊपर से शुरू होता है। जिसके कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और लाइट या अधिक शोरगुल से तेज घबराहट होती है और कभी-कभी गुस्से का अनुभव होता है।
सिरदर्द से पीड़ित व्यक्ति को मानसिक विकार भी हो सकता है। जैसे- डिप्रेशन, आत्मविश्वास में कमी आना, चिंता।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
माइग्रेन के सिरदर्द की तरह टेंशन से होने वाले सिरदर्द में व्यक्ति को उल्टी या मितली नहीं आती है। साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी, पेट दर्द और आंखों से धुंधला दिखने की समस्या नहीं होती है।
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर सिरदर्द अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। यदि सिरदर्द के कारण आपकी लाइफ प्रभावित हो रही है और आप एक हफ्ते से अधिक समय से सिरदर्द के लिए दवाएं ले रहे हों तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
बार-बार होने वाले सिरदर्द किसी गंभीर समस्या जैसे ब्रेन ट्यूमर या मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएं कमजोर होने का संकेत हो सकती हैं। इसलिए तत्काल डॉक्टर से परामर्श लें।
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सिरदर्द का कोई सटीक कारण ज्ञात नहीं है। एक्सपर्ट मानते हैं कि चेहरे, गर्दन और स्कैल्प की मांसपेशियों में संकुचन, अधिक भावुक होने, स्ट्रेस एवं टेंशन के कारण सिरदर्द होता है। साथ ही ऑफिस, स्कूल, परिवार और रिश्तों में तनाव के कारण भी सिरदर्द होता है।
टेंशन वाला सिरदर्द आनुवांशिक नहीं होता है। पर्याप्त आराम न करने, गलत पोजीशन में बैठने, मानसिक विकार, थकान, शरीर में आयरन की कमी, भूख लगने, एल्कोहल या कैफीन का सेवन करने, जबड़ों या दांतों में समस्या होने के कारण सिरदर्द होता है।
सिरदर्द एक आम समस्या है लेकिन यह लाइफ की क्वालिटी और काम के प्रदर्शन पर असर डाल सकती है। बार-बार सिरदर्द की समस्या गंभीर हो सकती है और भविष्य में ब्रेन ट्यूमर या मस्तिष्क के ब्लड वेसल्स के डैमेज होने का जोखिम हो सकता है। इसके साथ ही तेज सिरदर्द से शरीर के अन्य हिस्से जैसे आंख और मांसपेशियां भी प्रभावित हो सकती हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
टेंशन वाला सिरदर्द का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
कुछ मरीजों में खून की जांच के द्वारा सिरदर्द का पता लगाया जाता है। इसके अलावा मरीज से कुछ व्यक्तिगत सवाल पूछकर कारणों के आधार पर सिरदर्द का निदान किया जाता है।
सिरदर्द का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में सिरदर्द के असर को कम किया जाता है। टेंशन के कारण होने वाले सिरदर्द के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
इसके अलावा सिरदर्द के मरीज को रात में कम से कम 7 से 8 घंटे नींद लेने की सलाह दी जाती है और हफ्ते में तीन दिन योग, एक्सरसाइज और मेडिटेशन करने से तनाव कम होता है जिसके कारण सिरदर्द के लक्षण समाप्त हो जाते हैं। स्ट्रेस मैनेजमेंट के गुर सीखकर काफी हद तक सिरदर्द से बचा जा सकता है। साथ ही डायट में बदलाव करने से भी इसका जोखिम कम होता है।
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अगर आपको टेंशन के कारण सिरदर्द की समस्या है तो आपके डॉक्टर जीवनशैली और आदतों में सुधार करने के लिए कहेंगे। इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पीने और बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए भी कहा जाएगा। टेंशन और तनाव को कम करने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट क्लास ज्वाइन करना चाहिए। इसके अलावा कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी और रिलैक्सेशन टेक्निक सीखने से भी सिरदर्द से काफी हद तक निपटा जा सकता है। इसके अलावा सिरदर्द से बचने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए। सिरदर्द के मरीजों को निम्न फूड्स का सेवन करना चाहिए:
इसके अलावा अलसी के बीज का सेवन करना चाहिए। अलसी के बीज में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड और एंटी ऑक्सीडेंट मौजूद होता है जो सिरदर्द को कम करने में मदद करता है। तेज सिरदर्द होने पर या लैवेंडर ऑयल को सूंघना चाहिए, इससे सिर का दर्द कम होता है। हल्के हाथों से स्कैल्प की मसाज करने से सिरदर्द हल्का हो जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं पूरे शरीर का मसाज करने से भी तनाव कम होता है और सिरदर्द से राहत मिलती है।
सिरदर्द से पीड़ित व्यक्ति को हीटिंग पैड या आइस पैक दिन में कई बार 5 से 10 मिनट तक सिर पर रखना चाहिए। गुनगुने पानी में नहाने या शॉवर लेने से मांसपेशियों में तनाव कम होता है जिससे सिरदर्द से राहत मिलती है। सिरदर्द से बचने के लिए सही पोजीशन में बैठना चाहिए और कंप्यूटर की स्क्रीन पर लगातार नहीं देखना चाहिए। भोजन में मैग्नीशियम और विटामिन बी 2 शामिल करने के साथ ही धूम्रपान, एल्कोहल, शुगर और कैफीन से परहेज करने से भी सिरदर्द की समस्या ठीक हो जाती है।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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