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इयर टिकल थेरिपी क्या है? जानें कैसे बढ़ती उम्र की टेंशन दूर करने में करती है मदद

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Kanchan Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/04/2021

    इयर टिकल थेरिपी क्या है? जानें कैसे बढ़ती उम्र की टेंशन दूर करने में करती है मदद

    ट्रांसक्यूटेनियस वेगस नर्व स्टिम्युलेशन (Ear tickle therapy) के प्रभावों पर हाल ही में एक अध्ययन किया गया था, जो 55 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए ब्रेथरटन ए ऑल. द्वारा ग्लासगो में आयोजित किया गया था। इसमें इयर स्टिम्युलेशन के संभावित लाभों पर रिसर्च किया गया।

    लीड्स विश्वविद्यालय के बियाट्रिस ब्रेथरटन के मुताबिक, “कान एक गेटवे की तरह है, जिसके माध्यम से हम दवा या इनवेसिव प्रोसीजर (आक्रामक प्रक्रियाओं) के बिना शरीर के मेटाबॉलिक बैलेंस के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। हमारा मानना है कि यह नतीजें सिर्फ पानी की एक बूंद के बराबर है। हम डेली इयर स्टिम्युलेशन के प्रभाव और लंबे समय में इसके संभावित लाभों की जांच करने को लेकर उत्साहित हैं, क्योंकि हमने अब तक उपचार की अच्छी प्रतिक्रिया देखी है।”

    हालांकि इयर टिकल थेरिपी के फायदों और विवरण के बारे में और रिसर्च की आवश्यता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ‘ईयर टिकल थेरिपी’ में लोगों के जीवन की गुणवता सुधारने और स्वस्थ तरीके से उम्र बढ़ाने में मदद करने की क्षमता है।

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    इयर टिकल थेरिपी क्या है? (What is Ear tickle therapy?)

    इयर टिकल थेरिपी- Ear tickle therapy

    ट्रांसक्यूटेनियस वेगस नर्व स्टिम्युलेशन को इयर टिकल थेरिपी भी कहा जाता है। इयर टिकल थेरिपी में एक उपकरण के जरिए कान में छोटे, दर्द रहित इलेक्ट्रिकल स्टिम्युलेटिंग करंट को भेजा जाता है, जो फिर वेगस नर्व के जरिए बॉडी के नर्वस सिस्टम (Nervous System) को संकेत भेजता है। यह आपको क्रॉनिक बीमारियों से बचाने में मदद करेगा, जिनका खतरा उम्र बढ़ने के साथ बढ़ जाता है, जैसे- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), हृदय रोग (Heart Disease) और एट्रिअल फिब्रिलेशन (Atrial Fibrillation)।

    इयर टिकल थेरिपी के क्या फायदे हैं? (Benefits of Ear tickle therapy?)

    इयर टिकल थेरिपी के निम्न फायदे हैं, जिनमें शामिल हैंः

    बढ़ती उम्र को रोकती है

    एजिंग का संबंध आमतौर पर रिड्यूस्ड ऑटोनॉमिक फंक्शन (Reduced Autonomic Function) से होता है। ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम अधिकांश शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है जो स्वेच्छा से नहीं होती, जैसे हार्ट रेट (Heart Rate), पाचन (Diagestion), सांस लेना आदि। उम्र बढ़ने के साथ शरीर के ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम के संतुलन में बदलाव आता है। इस असंतुलन की वजह से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और स्वस्थ शारीरिक क्रियाओं की कड़ी टूट जाती है। इयर टिकल थेरिपी पैरासिम्पेथेटिक एक्टिविटी को बढ़ाने और सिम्पेथेटिक एक्टिविटी को कम करने में मदद कर सकती है, जिससे ऑटोनॉमिक फंक्शन फिर से संतुलित हो सकते हैं और शरीर की स्वस्थ क्रियाएं सुचारू रूप से काम करने लग सकती हैं।

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    मूड होता है बेहतर

    तनाव (Tension), अवसाद (Depression), गुस्सा, भ्रम जैसी नकारात्मक भावनाएं सिम्पेथेटिक प्रिविलेंस के कारण हो सकती हैं। इयर टिकल थेरिपी सिम्पेथेटिक एक्टिविटी को कम करके मूड को ठीक करने में मदद कर सकती है।

    जीवन की गुणवता में सुधार

    सिंपेथेटिक एक्टिविटी के कारण एनर्जी (Energy) में कमी और लगातार थकान होती है, जिसे इयर टिकल थेरिपी से दूर किया जा सकता है। एनर्जी लेवल में सुधार से जीवन की गुणवता में भी सुधार लाया जा सकता है।

    नींद में सुधार

    स्वस्थ रहने के लिए नींद बहुत जरूरी है। बढ़ती उम्र के साथ नींद में कमी आती है। यदि आपको सोने में बहुत समय लगता है तो जल्दी सोने के लिए इयर टिकल थेरिपी की मदद लें। पर्याप्त नींद नहीं लेने से आपका काम प्रभावित होता है और सुबह उठने में दिक्कत आती है। इयर टिकल थेरिपी दिमाग को शांत करती है और पैरासिम्पेथेटिक एक्टिविटी को बढ़ाती है जिससे जल्दी और आसानी से नींद आ जाती है।

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    इयर टिकल थेरिपी पर अध्ययन के नजीते

    इयर टिकल थेरिपी बढ़ती उम्र की प्रक्रिया को रोकने या धीमा करने में कितनी मददगार हो सकती है, इस पर कई शोध किए गए हैं। अपने एक किए गए शोध में वैज्ञानिकों का दावा है कि, उन्होंने कुछ लोगों को अपने इस शोध में शामिल किया। शोध के दौरान उन्होंने प्रतिभागियों को लगातार दो सप्ताह तक एक छोटी दैनिक चिकित्सा की प्रक्रिया की। जिसमें पाया गया कि इससे प्रतिभागियों में शारीरिक और मानिसक दोनों स्थितियों में काफी सुधार हुआ है। इसके अलावा, शोध में शामिल प्रतिभागियों की मनोदशा और नींद की गुणवत्ता में भी काफी सुधार देखा गया था।

    इस इयर टिकल थेरिपी की प्रक्रिया के दौरान ट्रांसक्यूटेनस वेजस नर्व स्टिमुलेशन नामक थेरिपी दी जाती है। जिसमें कान में एक छोटी, दर्द रहित विद्युत धारा पहुंचाई जाती है। यह वेजस नर्व के माध्यम से शरीर के तंत्रिका तंत्र को संकेत भेजने का कार्य करती है।

    पुरानी बीमारियों से बचाने में मदद करती है

    लीड्स विश्वविद्यालय में किए गए नए शोध में भी यही दावा किया गया है कि, यह चिकित्सा उम्र बढ़ने के प्रभाव को धीमा कर सकती है। इसके अलावा यह लोगों को पुरानी बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती है। जैसेः उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure), हृदय रोग (Heart Disease) और फिब्रिलेशन (Fibrillation)। शोधकर्ता द्वारा किया गया यह अध्ययन एक एजिंग नामक पत्रिका में भी प्रकाशित किया गया है। हालांकि उनके इस शोध पर भी अभी भी कई तरह के सवाल उठाए जाते हैं। जिस वजह से अभी भी इस पर उचित जानकारी का अभाव है।

    लीड्स विश्वविद्यालय में बायोमेडिकल साइंसेज के स्कूल से लीड लेखक डॉ. बीट्राइस ब्रेथरटन ने का कहना है “कान एक प्रवेश द्वार की तरह है, जिसके माध्यम से हम दवा या आक्रामक प्रक्रियाओं की आवश्यकता के बिना, शरीर के चयापचय संतुलन के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।’

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    ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम (स्वायत्त तंत्रिका तंत्र) क्या है? (What is Autonomic nervous system?)

    ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम शरीर के कई कार्यों को नियंत्रित करता है, जिनके लिए सचेत विचार की आवश्यकता नहीं होती है, जैसे पाचन, श्वास, हृदय गति और रक्तचाप। इसमें दो शाखाएं होती हैं, जिसमें, सिंपेथेटिक और पैरासिंपेथेटिक शामिल होती हैं, जो गतिविधियों के स्वस्थ संतुलन को बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के विरुद्ध काम करती हैं। सिंपेथिक शाखा शरीर को उच्च तीव्रता ‘लड़ाई’ जैसे गतिविधियों के लिए तैयार करने में मदद करती है, जबकि पैरासिम्पेथेटिक कम तीव्रता ‘आराम करने और पाचन’ जैसी गतिविधियों में मदद करता है।

    जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है और हम बीमारियों से लड़ते रहते हैं, वैसे-वैसे शरीर का संतुलन भी बदलता है और इस दौरान सिंपेथेटिक शाखा शरीर में अपना प्रभाव अधिक करने लगती है। इससे होने वाले असंतुलन के कारण हम नई बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बन सकते हैं और जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारी शरीर में अन्य बीमारियों का जोखिम भी बढ़ने लगता है।

    इन बीमारियों के उपचार में भी कर सकती है मदद

    वैज्ञानिकों के मुताबिक, तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करके कार्य करने वाली यह इयर टिकल थेरिपी अवसाद (Depression), मिर्गी (Epilepsy), मोटापा (Obesity), स्ट्रोक (Strok), टिनिटस (Tinnitus) और हृदय से जुड़ी समस्याओं (Heart problems) के उपचार में भी मदद कर सकती है। हालांकि अभी भी इस दिशा में उचित शोध करने की जरूरत है।

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