ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम शरीर के कई कार्यों को नियंत्रित करता है, जिनके लिए सचेत विचार की आवश्यकता नहीं होती है, जैसे पाचन, श्वास, हृदय गति और रक्तचाप। इसमें दो शाखाएं होती हैं, जिसमें, सिंपेथेटिक और पैरासिंपेथेटिक शामिल होती हैं, जो गतिविधियों के स्वस्थ संतुलन को बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के विरुद्ध काम करती हैं। सिंपेथिक शाखा शरीर को उच्च तीव्रता ‘लड़ाई’ जैसे गतिविधियों के लिए तैयार करने में मदद करती है, जबकि पैरासिम्पेथेटिक कम तीव्रता ‘आराम करने और पाचन’ जैसी गतिविधियों में मदद करता है।
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है और हम बीमारियों से लड़ते रहते हैं, वैसे-वैसे शरीर का संतुलन भी बदलता है और इस दौरान सिंपेथेटिक शाखा शरीर में अपना प्रभाव अधिक करने लगती है। इससे होने वाले असंतुलन के कारण हम नई बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बन सकते हैं और जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारी शरीर में अन्य बीमारियों का जोखिम भी बढ़ने लगता है।
इन बीमारियों के उपचार में भी कर सकती है मदद
वैज्ञानिकों के मुताबिक, तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करके कार्य करने वाली यह इयर टिकल थेरिपी अवसाद (Depression), मिर्गी (Epilepsy), मोटापा (Obesity), स्ट्रोक (Strok), टिनिटस (Tinnitus) और हृदय से जुड़ी समस्याओं (Heart problems) के उपचार में भी मदद कर सकती है। हालांकि अभी भी इस दिशा में उचित शोध करने की जरूरत है।
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