थायरॉयड स्टॉर्म क्या है?
थायरॉयड स्टॉर्म को थायरोटॉक्सिक क्राइसिस (thyrotoxic crisis) के नाम से भी जाना जाता है। थायराइड स्टॉर्म एक ऐसी स्थिति है, जो बहुत कम लोगों में देखी जाती है, लेकिन यह वास्तव में एक जानलेवा स्थिति है। ऐसी स्थिति थायरॉयड का उचित उपचार ना करने की वजह से पनपती है। थायरॉयड स्टॉर्म ज्यादातर हाइपरथायरायडिज्म (hyperthyroidism) या थायरोटॉक्सिकोसिस (thyrotoxicosis) से पीड़ित लोगों में होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को अनियमित दिल की धड़कन, ब्लड प्रेशर (blood pressure) बढ़ना आदि स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है।
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थायरॉयड स्टॉर्म (thyroid storm) के लक्षण क्या हैं?
थायराइड स्टॉर्म के लक्षण हाइपरथायरायडिज्म की तरह ही होते हैं, लेकिन इसके लक्षण अधिक गंभीर होते हैं और अचानक ही नजर आते हैं। यही कारण है कि थायराइड स्टॉर्म वाले लोग खुद अपनी देखभाल नहीं कर पाते हैं। थायराइड स्टॉर्म (thyroid storm)से पीड़ित व्यक्ति में निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं-
- बहुत तेज हृदय गति (टैचीकार्डिया) 140 बीट प्रति मिनट से अधिक
- तेज बुखार (high fever)
- लगातार पसीना आना
- शरीर कांपना
- बेचैनी
- डायरिया (diarrhea)
- बेहोशी की हालत आदि
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कब लें डॉक्टर की मदद?
अगर आपको ऊपर बताया गया कोई भी लक्षण दिखे, तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें। हर इंसान का शरीर अलग तरीके से काम करता है।इसलिए, किसी भी तरह के असामान्य लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से सलाह लेना सबसे अच्छा होता है।
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थायरॉयड स्टॉर्म के कारण क्या हैं?
थायरॉयड स्टॉर्म के क्या कारण होते हैं?
थायरॉयड स्टॉर्म का मुख्य कारण हायपरथॉयरायडिज्म (HYPERTHYROIDISM) का अधूरा इलाज है। जब हाइपरथायरायडिज्म का इलाज सही से या पूरी तरह से नहीं किया जाता या फिर एंटी-थायरॉयड दवाओं को बंद कर दिया जाता है, तो व्यक्ति को थायरॉयड स्टॉर्म का खतरा अधिक होता है। हाइपरथायरायडिज्म से ग्रस्त सभी लोगों को थायरॉयड स्टॉर्म नहीं होता है। इस स्थिति के कारणों में मुख्य रूप से अतिसक्रिय थायरॉयड ग्रंथि का उपचार न करना व हाइपरथायरायडिज्म से जुड़ा इन्फेक्शन है।
हाइपरथायरायडिज्म पीड़ित लोग निम्न में से किसी एक का अनुभव करने के बाद थायरॉयड स्टॉर्म का विकास कर सकते हैं:
- आघात
- सर्जरी
- स्ट्रोक
- डायबिटीज़ संबंधी कीटोएसिडोसिस
- कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (congestive heart failure)
- पल्मोनरी एम्बोलिज्म (pulmonary embolism): हृदय रोग है जिसमें फेफड़ों तक रक्त ले जाने वाली रक्तवाहिका में रक्त का थक्का जम जाता है। इससे फेफड़ों में रक्तसंचार बाधित होता है।
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थायरॉयड स्टॉर्म के जोखिम क्या हैं?
थायरॉयड स्टॉर्म व्यक्ति के लिए काफी जोखिमभरा हो सकता है। इसके कारण व्यक्ति के शरीर के अंगों को ठीक तरह से कार्य करने में परेशानी होती है। इसकी वजह से व्यक्ति को कभी-कभी हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर जनलेवा स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है। कई बार थायरॉयड स्टॉर्म से पीड़ित व्यक्ति को वायरल इंफेक्शन, ऊपरी श्वसन ट्रैक्ट में इंफेक्शन और निमोनिया जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। कई बार थायरॉयड स्टॉर्म व्यक्ति की मौत का कारण भी बन सकता है।
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थायरॉयड स्टॉर्म के निदान क्या हैं?
हाइपरथायरायडिज्म वाले व्यक्ति को अगर थायरॉयड स्ट्रॉम के किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। थायरॉइड स्टॉर्म वाले लोगों में आमतौर पर बढ़ी हुई हृदय गति के साथ-साथ हाई ब्लड प्रेशर जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। थायरॉयड स्टॉर्म को डायग्नोस करने के लिए कोई स्पेशल लैब टेस्ट मौजूद नहीं है। इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर मरीज के लक्षण व संकेतों पर विशेष रूप से ध्यान देते हैं। डॉक्टर ब्लड टेस्ट के जरिए आपके थायरॉयड हार्मोन के स्तर को मापते हैं। थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन (TSH) का स्तर हाइपरथायरायडिज्म और थायरॉयड स्टॉर्म में कम होता है। अमेरिकन एसोसिएशन फॉर क्लिनिकल केमिस्ट्री (AACC) के अनुसार, TSH के लिए सामान्य मान 0.4 से 4 मिलि-अंतरराष्ट्रीय इकाइयों प्रति लीटर (mIU / L) होता है। थायरॉयड स्टॉर्म वाले लोगों में T3 और T4 हार्मोन सामान्य से अधिक होते हैं।
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थायरॉइड स्टॉर्म का उपचार क्या है?
थायरॉयड स्टॉर्म अचानक विकसित होता है और यह आपके शरीर के सभी प्रणालियों को प्रभावित करता है। इसमें व्यक्ति को तुरंत उपचार की जरूरत होती है। थायरॉयड स्टॉर्म का उपचार लक्षणों का प्रबंधन करते हुए मरीज़ की हालत में सुधार लाने की कोशिश की जाती है। इसमें सपोर्टिव थेरेपी के साथ दवाओं के उपयोग शामिल हैं। इसके लिए व्यक्ति को थायरॉइड हार्मोनों के उत्पादन को कम करने के लिए प्रोपीथियोरासिल या मिथिमाज़ोल जैसी एंटीथायराइड दवाईयां दी जाती हैं। इसके अतिरिक्त हाइपरथायरायडिज्म के इलाज के लिए रोगी को निरंतर देखभाल की आवश्यकता होती है। हाइपरथायरायडिज्म वाले लोगों का रेडियोएक्टिव आयोडीन द्वारा इलाज किया जा सकता है, जो कि थायराइड को नष्ट कर देता है। हालांकि, यदि गर्भवती महिलाओं को हाइपरथायरायडिज्म होता है, उनके इलाज के लिए इस रेडियोएक्टिव आयोडीन का सहारा नहीं लिया जा सकता, क्योंकि यह उनके गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचाएगा। उन मामलों में, महिला के थायरॉयड को सर्जिकल तरीके से खत्म किया जाता है। यदि आपका थायराइड रेडियोएक्टिव आयोडीन उपचार द्वारा नष्ट हो जाता है या सर्जिकल तरीके से हटा दिया जाता है, तो भी आपको बाद में सिंथेटिक थायरॉयड हार्मोन लेने की आवश्यकता होगी।
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जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार क्या हैं?
थायरॉयड स्टॉर्म से निपटने के लिए जीवनशैली में क्या बदलाव या घरेलू उपचार करने चाहिए?
नीचे बताई गई जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको थायरॉयड स्टॉर्म से निपटने में मदद कर सकते हैं :
- थायरॉयड स्टार्म से पीड़ित लोगों को अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्हें आयोडीन लेने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे स्थिति और खराब हो सकती है।
- कुछ खाद्य पदार्थ आपके थायरॉयड को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं और इस स्थिति के कुछ नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं। थायरॉयड के कार्य को संतुलित करने के लिए डायट में विटामिन, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्व जरूर शामिल करने चाहिए।
- नाइट्रेट्स नामक केमिकल का उपयोग करने से बचें। दरअसल, कुछ खाद्य पदार्थों में नाइट्रेट प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। ये अधिक मात्रा में आयोडीन को अवशोषित करते हैं जो हाइपरथायरायडिज्म का कारण बन सकता है। पालक, प्रोसेस्ड मीट्स, पत्ता गोभी, बीट्स, गाजर, खीरा, कद्दू आदि खाद्य पदार्थों से बचें या सीमित करें।
- कुछ लोगों में, ग्लूटेन का इस्तेमाल सूजन पैदा करके थायरॉयड को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों के लिए लेबल की जाँच जरूर करें।
- ऐसे खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ जिनमें कैफीन होता है, जैसे कॉफी, चाय, सोडा और चॉकलेट, हाइपरथायरायडिज्म के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। इनके सेवन से जितना हो सके बचना चाहिए। इसकी जगह प्राकृतिक हर्बल चाय या फ्लेवर्ड वाटर लिया जा सकता है।
- अपने आहार में परिवर्तन करने के बारे में अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से बात करें। यह थायराइड को संतुलित करने और हाइपरथायरायडिज्म के प्रभाव से आपके शरीर की रक्षा करने में मदद कर सकता है।
हाइपरथायरायडिज्म होने पर उपचार आवश्यक है। आपके शरीर में थायराइड हार्मोन का उच्च स्तर विषाक्त हो सकता है। अनुपचारित हाइपरथायरायडिज्म दिल की समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसलिए, ट्रीटमेंट कोर्स को बीच में ही न छोड़ें, चाहे हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण ठीक ही क्यों न हो रहे हों। थायरॉयड स्टॉर्म की शुरुआत को रोकने के लिए सबसे प्रभावी तरीका अपने थायरॉयड हेल्थ प्लान को बनाए रखना है। निर्देशानुसार अपनी दवाएं लें। समय-समय पर थायरॉयड हॉर्मोन लेवल को चेक करते रहें अपने डॉक्टर के साथ सभी अपॉइंटमेंट्स को याद रखें।
उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आप थायरॉयड स्टॉर्म से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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