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रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस या आरएसवी, एक सामान्य वायरस है, जो आमतौर पर हल्के ठंड, कोल्ड के कारण होती है। इस वायरस से पीड़ित मरीज एक सप्ताह से दो सप्ताह में ठीक हो जाता है। हालांकि कुछ मामलों में यह वायरस छोटे बच्चों के लिए गंभीर हो सकती है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ सकता है। इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरुआती स्थिति को समझ सकते हैं।
रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस एक रेयर डिसॉर्डर है। यह महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। कुछ वक्त पहले हुए एक शोध में यह बात सामने आई थी कि पूरे विश्व में लगभग 1 से 1.5 लाख तक लोग इस वायरस से पीड़ित हैं। इस वायरस से संबंधित किसी भी तरह का कोई सवाल अगर आपके मन में है तो अपने डॉक्टर या स्पेशलिस्ट से संपर्क करें।
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रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस के क्या लक्षण है?
रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। यह वायरस उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है, जिन्हें सांस लेने में किसी तरह की परेशानी, अस्थमा, सीने में दर्द , खांसी, बुखार, सांस में दिक्कत, सांस का तेज होना, धड़कन तेज होना, थकावट, ब्लड़ प्रेशर कम होना, छाती में दर्द जैसी समस्या होती है। यह समस्या मुख्य तौर पर समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे, जिनकी उम्र 2 वर्ष से कम है, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले वयस्क या बच्चे में ज्यादा दिखाई देते हैं।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। इस बात का ध्यान रखें कि रेस्पिरेटरी सिंथेटिकल वायरस हर किसी व्यक्ति पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आपने डॉक्टर से बातचीत अवश्य करें।
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निमोनिया: आरएसवी शिशुओं में फेफड़ों (निमोनिया) या फेफड़ों के वायुमार्ग (ब्रोन्कोलाइटिस) की सूजन का सबसे आम कारण है। ये जटिलताएं तब हो सकती हैं जब वायरस निचले श्वसन पथ में फैलता है। शिशुओं में फेफड़े की सूजन, छोटे बच्चों, प्रतिरक्षाविज्ञानी व्यक्तियों या पुरानी हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों में काफी गंभीर हो सकती है।
कानों का संक्रमण: यदि रोगाणु कान के पीछे की जगह में प्रवेश करते हैं, तो आप एक मध्य कान संक्रमण (ओटिटिस मीडिया) हो सकता है। यह लक्षण आमतौर पर 2 साल से कम उम्र के बच्चों में दिखाई देते हैं।
अस्थमा : बच्चों में गंभीर रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस अस्थमा के कारण भी हो सकता है। कुछ मामलों में नवजात बच्चों में अस्थमा के लक्षण माता-पिता के पारिवारिक जीन्स के कारण भी हो सकते हैं।
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जैसा कि पहले ही बताया गया कि रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस एक प्रकार की आनुवंशिक बीमारी है। इसलिए माता-पिता के जीन्स के द्वारा ये बीमारी बच्चों में भी जाती है। वहीं, अगर माता-पिता दोनों के जीन्स अस्थमा या सांस संबंधित किसी भी बीमारी से ग्रसित हैं तो बच्चों में 25 से 50 प्रतिशत कर रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस होने का खतरा रहता है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या नजदीकी अस्पताल में संपर्क करें।
इस लेख में रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस के बारे में जो जानकारी दी गई है उसे किसी भी तरह के मेडिकल सलाह के तौर पर ना लें। इस वायरस से संबंधित अगर कोई भी सवाल और ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।
रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से संक्रमित व्यक्ति या मरीज में इस संक्रमण के असर को कम किया जाता है।
इसके अलावा जिंक एसिटेट से भी रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल का इलाज किया जाता है। लेकिन, जिंक एसिटेट लेने से आपको लूज मोशन का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही रोज़ाना के खान-पान में छोटे-छोटे बदलाव करके रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस के संक्रमण को कम किया जा सकता है।
कुछ मामलों में समय अनुसार दवा का सेवन करने के बाद भी वायरस के लक्षण कम नहीं हो सकते है। इससे राहत पाने के लिए आपको रोजाना के लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव करने की आवश्यकता है।
रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस के दौरान आपको किस तरह का खाना खाना है और कैसे शरीर को आराम देना है इस बारे में अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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