हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism) थायरॉइड की एक ऐसी समस्या है जिसमें थायरॉइड ग्रंथि अत्यधिक सक्रिय हो जाती है और हार्मोन्स का निमार्ण करने लगती है। यह समस्या एक ऑटो इम्यून डिसॉर्डर यानी ग्रेव्स डिसीज की वजह से होती है। हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism) में आंखों को खासा खतरा रहता है।
हायपोथायरॉइडिज्म और आंख की बीमारी
हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism) में जब आंखों की बीमारी हो जाए तो इसे ग्रेव्स आई डिसीज या थायरॉइड आई डिसीज (Graves’ ophthalmopathy) कहते हैं। इसमें हमारे शरीर के रोगप्रतिरोधक सेल्स अपने आप थायरॉइड ग्रंथि पर हमला कर देते हैं। इसके अलावा जब रोगप्रतिरोधक सेल्स आंख और आंखों के आसपास के कनेक्टिव टिशू पर हमला करते हैं तो इससे आंखों को क्षति पहुंचती है और उनमें सूजन आने लगती है। आंख में सूजन आते ही कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं। ऑटो इम्यून सिस्टम आमतौर पर हमारी आंखों पर हमला इसलिए करता है क्योंकि इसमें भी हमारी थायरॉइड ग्रंथि की तरह प्रोटींस होते हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में इस बीमारी होने की संभावना 5-6 गुना ज्यादा होती है। वहीं स्मोकिंग करने वालों को भी इसका ज्यादा खतरा होता है।
और पढ़ें : बच्चों में हायपोथायरॉइडिज्म (hypothyroidism)
क्या हैं हायपोथायरॉइडिज्म के लक्षण?
हायपोथायरॉइडिज्म में आंखों की मांसपेशियां और आंख की झिल्ली के फैटी टिशू में सजून आ जाती है। इसकी वजह से दबाव बनता है और आंखें बाहर की ओर निकलने लगती हैं। आंखों का मूवमेंट प्रभावित होने लगता है और नजर की परेशानी होने लगती है।
हायपोथायरॉइडिज्म के कई मामलों में निम्नलिखित समस्याएं आ सकती हैंः
- हायपोथायरॉइडिज्म में आंखे के ज्यादा बाहर आने से पलकें पूरे तरह बंद नहीं हो पातीं। इसकी वजह से आंखें सूखने लगती हैं और उनमें खुजली और जलन शुरू हो जाती है। सुबह के वक्त आंख के आसपास ज्यादा सूजन होती है, जिसमें दर्द भी होता है।
- हायपोथायरॉइडिज्म में जब आंख की मांसपेशियों पर इम्यून सिस्टम हमला कर देता है तो, सूजन की वजह से आंखें सामान्य तरह से हिल नहीं पातीं। इसकी वजह से दर्द और धुंधला दिखाई देने लगता है।
और पढ़ें : थायरॉइड पेशेंट्स करें ये एक्सरसाइज, जल्द हो जाएंगे फिट
क्या हैं हायपोथायरॉइडिज्म का उपचार
ग्रेव्स आई डिजीज अगर सामान्य है तो एक से चार महीने के बीच अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन अगर आंखें बाहर की ओर आ जाएं और उसमें सूजन की वजह से आए बदलाव वापस ठीक न हों तो इलाज जरूरी हो जाता है। इस बीमारी की शुरुआत में आर्टिफिशियल टियर्स (नकली आंसु) और चश्मे से मदद मिलती है। वहीं दर्द की दवाई से आराम मिलता है। लेकिन अगर बीमारी बढ़ जाए तो immunosuppressants यानी इम्यून सिस्टम के असमान्य व्यवहार को रोकने के लिए दवा ली जाती है। वहीं नजर अगर ठीक न हो और आंख की नस (optic nerve) अगर दब गई है तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
आइए अब जानते हैं कि थायरॉइड कंट्रोल करने के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं।
डॉक्टर्स के मुताबिक अगर आप आठ घंटों से कम की नींद ले रहे हैं, तो ये हायपोथायरॉइडिज्म को बढ़ावा दे सकता है। ध्यान रखें कि आपकी नींद पूरी हो इसके लिए जरूरी है कि सोते समय आप इन बातों का ध्यान रखें :
ज्यादा तनाव न लेकर भी थायरॉइड पर कंट्रोल पाएं
तनाव आपके इम्यून सिस्टम पर गलत प्रभाव डालता है इसलिए कोशिश करें कि तनाव कम करने के लिए अलग- अलग तरीके अपनाएं ।
[mc4wp_form id=’183492″]
थायरॉइड पर कंट्रोल पाने के लिए ज्यादा से ज्यादा एक्ससरसाइज करें
शरीर का सक्रिय रहना बहुत जरूरी है। इसके बाद भी यदि कोई समस्या आती है तो अपने डॉक्टर की सलाह लें।
आपका सोने का कमरा शांत होना चाहिए, साथ ही सोने के लिए तापमान भी सही होना बहुत जरूरी है। ध्यान रखें कि आपका कमरा बहुत अधिक ठंडा या बहुत अधिक गर्म न हो। इससे आपकी नींद में कोई परेशानी नहीं होगी।
और पढ़ें : थायरॉइड के बारे में वो बातें जो आपको जानना जरूरी हैं
थायरॉइड पर कंट्रोल पाने के लिए के लिए ये फूड्स हैं लाभदायक
अंडे : अंडों में प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और ये शरीर को मजबूती देते हैं।
मछली : समुद्री खाना, टूना और श्रिम्प आपकी सेहत के लिए सही हैं।
सब्जियां : हरी सब्जियां लाभदायक हैं लेकिन गोईट्रोजन युक्त सब्जियां कम खाएं।
दूध : दूध से बनाया गया फर्मेन्टेड खाना भी सेहत के लिए लाभकारी है।
सेलीनियम (Selenium)
सेलीनियम शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन्स को सक्रिय करने का काम करता है, जिससे कि शरीर में आयोडीन की मात्रा में कोई कमी न हो।
आयोडीन (Iodine)
थायरॉइड हॉर्मोन के बनने के लिए आयोडीन एक महत्त्वपूर्ण पदार्थ है। आयोडीन की कमी होने पर हायपोथायरॉइडिस्म की समस्या हो सकती है। समुद्री वीड्स, मछली , दूध से बनी हुई चीजें खाने से और रोज के खाने में अंडे लेने से आपको थायरॉइड की समस्या नहीं होगी। वहीं इसके उलट हायपरथायरॉइड में आयोडीन और आयोडीन युक्त भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि यह थायरॉइड के स्तर को और ज्यादा बढ़ा सकता है।
जिंक ( Zinc)
सेलीनियम की तरह जिंक भी आयोडीन की मात्रा को शरीर में बनाए रखने का काम करता है। विश्व की पूरी जनसंख्या में से लगभग एक तिहाई लोग आयोडीन की कमी से पीड़ित हैं।
और पढ़ें : सोनम कपूर का सोशल मीडिया पर खुलासा, इस हेल्थ प्रॉब्लम से जूझ रही हैं
थायरॉइड की समस्या होने पर करें जीवनशैली में बदलाव
अगर आप अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएंगे, तो थायरॉइड की समस्या से राहत पा सकते हैं। नीचे हम आपको जीवनशैली में कुछ बदलाव के टिप्स दे रहे हैं, जो आपको ठीक रखने में मदद कर सकते हैं :
- अच्छी नींद लें। एक ही समय पर सोएं और जागें। इससे आपका हार्मोनल बैलेंस बना रहेगा।
- संतुलित और पौष्टिक आहार खाएं। ऐसा आहार लें जिसकी मात्रा कम और पौष्टिकता ज्यादा हो। इससे आपके पाचन तंत्र पर भार कम पड़ेगा और आपके हार्मोन संतुलित रहेंगे।
- अपने बेडरूम को ठंडा रखें। 23 से 26 डिग्री सेल्सियस का तापमान सोने के लिए सबसे उपयुक्त है। आप अच्छी नींद लेंगे तो आपको इसके लक्षणों से जल्द निजाते मिलेगा।
- व्यायाम करें और वजन को कंट्रोल करें। इससे आपकी फिटनेस मेंटेन रहेगी और बॉडी फैट नहीं बढ़ेगा, जो थायरॉइड का कारण बनता है।
- तनाव लेना बंद करें। तनाव से थायरॉइड और बिगड़ सकता है।
सही खाना खाने से और अपनी दिनचर्या को संतुलित रखने से थायरॉइड पर कंट्रोल पाया जा सकता है। इस सबके अलावा हायपर या हाइपो दोनों थायरॉइड में डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाईयां लेने में बिल्कुल चूक न करें। किसी भी और जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना न भूलें।
[embed-health-tool-ovulation]