एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) की स्थिति तब पैदा होती है, जब एंडोमेट्रियम ऊतक के बाहर बढ़ने लगता है। जो टिश्यू बाहर की ओर निकल जाते हैं, वो पीरियड्स के समय शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं और शरीर के अंदर ही ब्लीडिंग (Internal bleeding) का कारण बन जाते हैं। इस कारण से महिलाओं को मां बनने में दिक्कत होती है। वहीं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (Polycystic ovarian syndrome) यानी पीसीओएस हार्मोनल इंबैलेस के कारण पैदा हुई स्थिति है। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के कारण भी मां बनने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। दोनों ही समस्याएं 12 से 52 साल की महिलाओं में होने की अधिक संभावना होती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको दोनों में अंतर बताएंगे। जानिए एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस (Endometriosis and PCOS) में क्या अंतर है?
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एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस के लक्षण (Symptoms of endometriosis and PCOS)
एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस के कुछ लक्षण एक जैसे होते हैं। महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग के साथ ही कंसीव करने में समस्या का सामना करना पड़ता है। जानिए एंडोमेट्रियोसिस के सामान्य लक्षणों के बारे में।
- पीरियड्स के दौरान पेल्विक पेन (Pelvic pain during periods)
- सेक्स के दौरान पेन होना
- महावारी के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग (Excess bleeding)
- थकान का एहसास (Fatigue)
- कब्ज की समस्या (Constipation problem)
- कंसीव करने में समस्या
- डायजेशन संबंधी समस्या (Digestive issues)
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एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस के लक्षण कुछ अलग होते हैं, जानिए पीसीओस के लक्षणों के बारे में।
- चेहरे और शरीर पर बालों की वृद्धि
- एक्ने की समस्या
- मिसकैरिज की समस्या
- वजन का बढ़ जाना
- चिंता या डिप्रेशन
- ओवरी में सिस्ट
- बार-बार मूड बदलना
- कंसीव करने में समस्या
उपरोक्त लक्षण दिखने पर जांच जरूर कराएं। दोनों बीमारियों के लक्षण आपको समान लग सकते हैं लेकिन जांच के बाद आपको बीमारी के बारे में सही जानकारी मिल जाती है।
एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस (Endometriosis and PCOS) कितना है कॉमन?
एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस के लक्षण काफी हद तक समान होते हैं। साल 2017 में हुई स्टडी के मुताबिक करीब 5 से 20 प्रतिशत महिलाओं को प्रसव की उम्र में पीसीओएस की समस्या होती है। जिन महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या है, उनमें से करीब 80 प्रतिशत महिलाओं को पीसीओएस की समस्या है।
एस्ट्राडायल (Estradiol) के हाय लेवल के कारण यूटेराइन टिशू ग्रोथ (Uterine tissue) करते हैं। एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) की समस्या के कारण एंडोमेट्रियम टिशू बढ़ने लगते हैं, जिसके कारण रिप्रोडक्टिव ऑर्गन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यूट्रस के बाहर, फैलोपियन ट्यूब, ओवरी, पेरिटोनियम, वजायना के पास का भाग आदि प्रभावित होते हैं। एंडोमेट्रियोसिस पेल्विक एरिया के बाहरी तरह जैसे कि छोटी और बड़ी आंत, डायाफ्राम,रेक्टम, लंग्स आदि भी प्रभावित होते हैं। पीरियड्स के दौरान इन ऊतकों से खून निकलता है और दर्द, सूजन पैदा होती है। ये बांझपन का कारण भी बनता है।
पीसीओएस हॉर्मोनल डिसऑर्डर है, जो अंडाशय को प्रभावित करता है। इस डिसऑर्डर में एंड्रोजन का लेवल हाय हो जाता है और ओवरी में सिस्ट की समस्या हो जाती है। बिना सिस्ट के भी पीसीओएस की समस्या हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।
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एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस के कारण (Causes of endometriosis and PCOS)?
रेट्रेग्रेट मेंस्ट्रुएशन (Retrograde menstruation), इम्यून सिस्टम प्रॉब्लम (Immune system problems), एंडोमेट्रियल सेल ट्रांसपोर्ट (Endometrial cell transport), पोस्ट सर्जरी इम्प्लांटेशन आदि के कारण एंडोमेट्रियोसिस की समस्या होती है। इम्यून सिस्टम में समस्या के कारण भी एंडोमेट्रियोसिस की समस्या हो सकती है। गर्भाशय की असामान्यताएं भी एंडोमेट्रियोसिस की समस्या पैदा हो सकती है।
वहीं पीसीओएस (PCOS) की समस्या हॉर्मोन में असंतुलन के कारण पैदा होती है। कुछ हॉर्मोन जैसे कि टेस्टोस्टेरॉन के हाय लेवल के कारण ( High levels of testosterone), इंसुलिन रिसिस्टेंस (Insulin resistance) जिसमें शरीर इंसुलिन का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं और शरीर में इंसुलिन का लेवल बढ़ जाता है। इस कारण से ओवरी अधिक मेल हॉर्मोन प्रोड्यूस करने लगती है। कई बार शरीर में अधिक सूजन के कारण भी मेल हॉर्मोन का लेवल बढ़ जाता है।
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एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस क्या हो सकते हैं एकसाथ?
आपको एक ही समय में एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस हो सकता है। जिन महिलाओं को पीसीओएस की परेशानी है, उनमें एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण दिखने की संभावना बढ़ जाती है। 2014 की एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि पैल्विक पेन और कंसीव करने में होने में परेशानी एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस के बीच एक मजबूत संबंध दिखाता है। पीसीओएस में एंड्रोजन और इंसुलिन का हाय लेवल अप्रत्यक्ष रूप से इस्ट्राडायओल को बढ़ा सकता है, जिसके कारण एंडोमेट्रियोसिस का खतरा बढ़ सकता है। अगर आपको एक ही समय में बीमारी के कई लक्षण दिखें, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें।
एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस के ट्रीटमेंट में अंतर
एंडोमेट्रियोसिस के ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर एस्ट्रोजन को कम करने वाली दवाएं देते हैं ताकि एंडोमेट्रियल टिशू की ग्रोथ को रोका जा सके। वहीं कुछ पेन मेडिकेशन भी काम आती हैं। जरूरत पड़ने पर सर्जन एंड्रोमेट्रियल टिशू को हटा देते हैं। लाइफस्टाइल में बदलाव भी एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को सुधारने में मदद करती है। कई मामलों में यूट्रस को हटाने की जरूरत पड़ती है।
पीसीओएस की समस्या को ठीक करने के लिए डॉक्टर एंड्रोजन को कम करने के लिए दवाएं देते हैं। वहीं एक्ने और अधिक बालों की ग्रोथ को रोकने के लिए भी दवाएं दी जाती हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर सर्जरी (Laparoscopic ovarian drilling) की सलाह भी देते हैं। हेल्दी डायट के साथ ही रेग्युलर एक्सरसाइज पीसीओएस के लक्षणों से राहत दिलाने का काम करती है। आपको इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जरूर जानकारी लेनी चाहिए।
अगर आपको पेल्विक पेन, पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग या अधिक पेन, कंसीव करने में समस्या, सेक्स के दौरान दर्द की समस्या हो, तो इसे इग्नोर बिल्कुल न करें और जांच कराएं। डायग्नोज के जरिए बीमारी के जानकारी मिल जाती है और बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। बीमारी का इलाज न कराने से बीमारी की गंभीरता बढ़ती जाती है।
हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस (Endometriosis and PCOS) के बारे में जानकारी दी है। अगर आपको एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस में से किसी भी बीमारी के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बीमारी को नजरअंदाज करने से आपकी समस्या बढ़ भी सकती है। आप डॉक्टर से ट्रीटमेंट कराकर बीमारी के लक्षणों से राहत पा सकती हैं और साथ ही आपकी इनफर्टिलिटी की समस्या भी दूर हो सकती है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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