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इन टेस्ट से चलता है वजायनल कैंसर का पता, जानिए इनके बारे में विस्तार से

इन टेस्ट से चलता है वजायनल कैंसर का पता, जानिए इनके बारे में विस्तार से

कैंसर एक बीमारी है जिसमें बॉडी के सेल बहुत तेजी से बढ़ते हैं। शरीर के जिस अंग से यह शुरू होता है उसके नाम के हिसाब से ही इसे नाम दिया जाता है। जैसे ब्रेस्ट कैंसर, लंग्स कैंसर आदि। सर्वाइकल कैंसर की तरह वजायनल कैंसर के बारे में बहुत जागरूकता नहीं है और ना ही इसके लिए अलग से कोई टेस्ट है, लेकिन कुछ टेस्ट के जरिए इसकी संभावानओं या रिस्क के बारे में पता लगाया जा सकता है।

जब कैंसर वजायना में होता है तो इसे वजायनल कैंसर कहा जाता है। वजायना को बर्थ कैनाल भी कहा जाता है। यह यूट्ररस के नीचे एक ट्यूब नुमा रचना होती है जो शरीर के बाहरी तरफ होती है। जब कैंसर वल्वा में होता है तो इसे वल्वर कैंसर कहा जाता है। वल्वा फीमेल जेनिटल ऑर्गन का आउटर पार्ट है। इसके ऊपर दो स्किन फोल्ड होते हैं जिन्हें लेबिया कहते हैं। वल्वर कैंसर लेबिया के अंदर के किनारे पर होता है।

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वजायनल और वल्वर कैंसर के रिस्क फैक्टर्स

वजायनल कैंसर का पता कैसे करें?
वजायनल स्क्रीनिंग क्यों जरूरी है?

वजायनल और वल्वर कैंसर बहुत रेयर हैं। हालांकि सभी महिलाओं को इन कैंसर का रिस्क होता है, लेकिन केवल कुछ को ही यह कैंसर होता है। आपको वजायनल कैंसर होगा या नहीं इसके बारे में जानने का कोई तरीका नहीं है। हालांकि कुछ फैक्टर्स इसके होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं। जानते हैं उनके बारे में।

अगर ऊपर बताए गए एक या दो लक्षण आप में हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको वजायनल या वल्वर कैंसर होगा, लेकिन आपको इसके बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए ताकि वह आपको कुछ टेस्ट रिकमंड कर सके और समय रहते इलाज शुरू हो।

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वजायनल कैंसर के लक्षण

वजायनल कैंसर से कैसे बचें?

आमतौर पर वजायनल कैंसर के ऐसे कोई लक्षण शुरुआती स्तर पर नहीं दिखते हैं जिससे आपको लगे कि वजायनल स्क्रीनिंग की जरूरत है। इसलिए महिलाओं को रेग्युलर वजायनल और सर्वाइकल कैंसर के लिए जांच करवाते रहनी चाहिए। वजायनल कैंसर होने पर कुछ लक्षण दिख सकते हैं जिसमें शामिल हैः

  •  वजायना से ब्लीडिंग होना, अक्सर इंटरकोर्स के बाद  और पीरियड से संबंधित नहीं है
  •  इंटरकोर्स के दौरान दर्द
  •  एब्नॉर्मल वजायनल डिस्चार्ज
  •  यूरिनेशन के दौरान दर्द
  •  पेल्विक में दर्द
  •  कब्ज , हालांकि कई बार यह लक्षण वजायनल कैंसर की वजह से नहीं होता है, लेकिन फिर भी आपको एक बार डॉक्टर से परामर्श कर लेना चाहिए।

वजायनल कैंसर की स्क्रीनिंग कैसे की जाती है?

कई बार रूटीन पेल्विक एग्जाम के दौरान ही वजायनल कैंसर का पता चल जाता है, जबकि मरीज में इसके कोई लक्षण नहीं दिख रहे होते हैं। पेल्विक एग्जाम के दौरान आपका डॉक्टर आउटर जेनिटल्स की अच्छी तरह जांच करता है और उसके बाद दो उंगलियों को वजायना में डालता है जबकि दूसरे हाथ से आपके पेट को दबाकर यूट्रस और ओवरीज को महसूस करता है। डॉक्टर स्पेकुलम नामक एक उपकरण भी वजायना में डाल सकता है। यह वजायनल कैनाल को खोल देता है जिससे डॉक्टर आपके वजायना या सर्विक्स की किसी तरह की एबनॉर्मलिटी के लिए जांच कर सकते हैं। वजायनल स्क्रीनिंग के लिए पैप टेस्ट भी किया जा सकता है। आमतौर पर यह सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए इस्तेमाल होता है, लेकिन कई बार वजायनल कैंसर को डिटेक्ट करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

वजायनल स्क्रीनिंग या वजायनल कैंसर के लिए टेस्ट

वजायनल स्क्रीनिंग या वजायनल कैंसर का पता लगाने के लिए आमतौर पर इन टेस्ट की सलाह दी जा सकती है।

मेडिकल हिस्ट्री और फिजिकल एग्जाम

सबसे पहले डॉक्टर आपकी कंप्लीट मेडिकल हिस्ट्री, रिस्क फैक्टर और लक्षणों के बारे में चर्चा करेगा। फिर आपका फिजिकल एग्जामिनेशन होगा। जिसमें पेल्विक एग्जाम, पैप टेस्ट या वजायनल बायोप्सी की जा सकती है।

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कोलपोस्कॉपी

यदि किसी तरह के कैंसर के लक्षण दिखते हैं या पैप टेस्ट में एबनॉर्मल सेल्स का पता चलता है तो आपको कोलपोस्कॉपी टेस्ट की जरूरत पड़ सकती है। यह टेस्ट रेग्युलर पेल्विक एग्जाम से अधिक दर्दनाक नहीं होता है और प्रेग्नेंट महिलाएं भी इसे सुरक्षित तरीके से करा सकती हैं। यदि सर्विक्स या वजायना में किसी तरह की असमान्यता दिखती है तो आपको बायोप्सी की सलाह दी जा सकती है। यह थोड़ा दर्दनाक होता है और इससे पेल्विक क्रैम्पिंग हो सकती है।

बायोप्सी

यदि कुछ लक्षण वजायनल कैंसर का संकेत दे रहे हैं, फिर भी इसमें से अधिकांश किसी अन्य वजहों से भी हो सकते हैं। कैंसर का सटीक पता लगाने का एक ही तरीका है और वह है बायोप्सी। इस प्रॉसेस में संदिग्ध भाग से टिशूज को रिमूव किया जाता है। इसके बाद पैथोलॉजिस्ट टिशूज के सेंपल को माइक्रोस्कोप के द्वारा चेक करते हैं। वे ये पता लगाने की कोशिश करते हैं कि प्री- कैंसर्स और कैंसर कंडिशन हैं या नहीं।

इमेजिंग टेस्ट

इसमें एक्स रे, मैग्नेटिक फील्ड, साउंड वेव्स या रेडियोएक्टिव सब्सटैंस के जरिए शरीर के अंदर की इमेज बनाई जाती है। वजायनल कैंसर डायग्नोस होने के बाद यह टेस्ट किया जाता है ताकि इस बारे में अधिक जानकारी जुटाई जा सके।

चेस्ट एक्स-रे

कैंसर कहीं लग्स तक तो नहीं फैल गया इसकी जांच के लिए यह टेस्ट किया जाता है।

सीटी स्कैन

यह एक्स-रे की ही तरह होता है, लेकिन इसमें एक नहीं कई पिक्चर्स ली जाती है और बाद में उसे जोड़कर शरीर के अंदर के खास हिस्से के बारे में पूरी जानकारी ली जाती है। इसके जरिए ट्यूमर के साइज, शेप और उसकी पुजिशन के बारे में पता चलता है। साथ ही यह भी पता चलता है कि कैंसर कहीं शरीर के दूसरे अंगों तक तो नहीं फैल गया।

एमआरआई स्कैन

एमआरआई इमेज पेल्विक ट्यूमर के एग्जामिनेशन में बहुत उपयोगी होते हैं। यह ग्रोइन एरिया में बड़े लिम्फ नोड्स को दिखाता है।

एंडोस्कोपी टेस्ट

वजायनल कैंसर से पीड़ित हर महिला को एंडोस्कोपी के लिए नहीं कहा जाता, लेकिन कुछ मामलों मं एंडोस्कोपी का इस्तेमाल किया जाता है।

पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन (Positron emission tomography (PET) scan)

इस टेस्ट में रेडियोएक्टिव सब्सटैंस को आपके ब्लड में डाला जाता है क्योंकि कैंसर कोशिकाएं सब्सटैंस का यूज नॉर्मल कोशिकाओं की तुलना में ज्यादा करती हैं। वे रेडियोएक्टिव सब्सटैंस का ज्यादा एब्जॉर्प करती हैं। किसी भाग पर होने वाली ये रेडियोएक्टिविटी स्पेशल कैमरे के द्वारा देखी जा सकती है।

इसके द्वारा मिलने वाली पिक्चर सीटी और एमआरआई स्कैन की तरह डिटेल्ड नहीं होती है, लेकिन यह पूरे शरीर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है। पीईटी स्कैन महिलाओं में वजायनल कैंसर के अर्ली स्टेज में नहीं किया जाता बल्कि यह कैंसर किस जगह पर ज्यादा फैला है इसका पता लगाने के लिए किया जाता है।

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प्रोक्टोसिगमोयडोस्कॉपी (Proctosigmoidoscopy)

यह टेस्ट तब किया जा सकता है जब वजायनल कैंसर बढ़ गया हो या फिर कैंसर रैक्टम और कोलोन तक फैल चुका हो। प्रोक्टोसिगमोयडोस्कॉपी में रैक्टम और कोलोन के पार्ट को जांचा जाता है कि कहीं कैंसर इन ऑर्गन तक तो नहीं फैल गया। इसकी प्रॉसेस में एक पतली और फ्लैगजिबल और हल्की ट्यूब को रैक्टम में डाला जाता है। डॉक्टर रैक्टम के अंदर जांच कर पता लगाते हैं कि कैंसर कोलन तक तो नहीं पहुंचा। जो भी एरिया संदिग्ध दिखता है उनकी बायोप्सी की जाती है। यह टेस्ट अनकंफर्टेबल हो सकता है लेकिन पेनफुल नहीं होता।

सिस्टॉसकॉपी (Cystoscopy)

सिस्टॉसकॉपी भी तभी रिकमंड की जाती है जब वजायनल कैंसर बढ़ गया हो और या फिर ये ब्लैडर के पास वजायना की फ्रंट वॉल पर हो। इस टेस्ट में डॉक्टर ब्लैडर के अंदर जांच करते हैं कि कहीं वजायनल कैंसर ब्लैडर तो नहीं पहुंचा। यह डॉक्टर के क्लिनिक में हो सकता है। इसके लिए आपको इंट्रावेनस ड्रग दिया जाता है ताकि आप बेहोशी में रहे। एक पतली ट्यूब जिसमें लेंस होता है को यूरेथ्रा के जरिए ब्लैडर में डाला जाता है। अगर कुछ संदिग्ध या सेल ग्रोथ दिखाई देती है तो उसकी बायोप्सी की जाती है।

वजायनल कैंसर की स्टेजेज

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो अचानक से शरीर पर हमला नहीं करती है, बल्कि धीरे-धीरे अटैक करती है और इसलिए इसे कई स्टेज में बांटा गया है।

एक स्टेज होती है जिसे प्री कैंसरस स्टेज कहा जाता है। वजायनल इंट्रापिथेलियल न्यूप्लाजिया (Vaginal intraepithelial neoplasia) (VAIN)- प्री कैंसर का एक टाइप है। इसमें वजायनल लाइनिंग में एब्नॉर्मल सेल्स होती हैं, लेकिन वह विकसित नहीं होती हैं या फैलती नहीं है। यानी यह कैंसर नहीं है।

स्टेज 1- इस स्थिति में कैसर सिर्फ वजायनल वॉल में होता है।

स्टेज 2- कैंसर के आगे टिशू तक फैल जाता है, लेकिन यह पेल्विक वॉल तक नहीं फैला होता है।

स्टेज 3- कैंसर पेल्विक और पेल्विक वॉल तक फैल जाता है। यह लिम्फ नोड के पास तक पहुंच जाता है

स्टेज 4- इसे 2 सब स्टेज में बांटा जाता है-

स्टेज 4 A में कैंसर ब्लैडर, रेक्टम या दोनों तक फैल जाता है।

स्टेज 4B में कैंसर शरीर के दूसरे अंगों जैसे लंग्स, लिवर आदि तक फैल जाता है।

वजायनल कैंसर का उपचार

वजायनल कैंसर का इलाज कैंसर के स्टेज, मरीज की उम्र आदि कई चीजों पर निर्भर करता है। ऐसी महिला जिसके अभी तक बच्चे नहीं है उसका इलाज अलग तरह से किया जाता है, लेकिन गंभीर मामलों में रेडिएशन, सर्जरी और कीमोथेरेपी के जरिए ही वजायनल कैंसर का इलाज होता है।

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डिस्क्लेमर

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Current Version

05/01/2022

Manjari Khare द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/01/2022

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