एनीमिया (Anemia) उस स्थिति को कहते हैं, जब बॉडी में रेड ब्लड सेल्स की कमी हो जाती है। जिससे शरीर के अंगों और टिशूज में ऑक्सिजन नहीं पहुंच पाती। नॉरमोसाइटिक एनीमिया एनीमिया का कॉमन टाइप है। जिसका मतलब है कि मरीज की बॉडी में नॉर्मल साइज की रेड ब्लड सेल्स हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है। कुछ प्रकार के एनीमिया में रेड ब्लड सेल्स का साइज और शेप चेंज होता है। जिससे डॉक्टर को कंडिशन के बारे में पता लगाने में आसानी होती है। उदाहरण के लिए अगर एनीमिया डायट में आयरन की कमी (Iron Deficiency) के कारण होता है, तो ऐसे में रेड ब्लड सेल्स छोटी होती हैं। अगर एनीमिया विटामिन बी 12 की कमी (Vitamin B12 Deficiency) के कारण होता है, तो रेड ब्लड सेल्स एक्स्ट्रा लार्ज होती हैं।
नॉरमोसाइटिक एनीमिया क्यों होता है? (Normocytic anemia Causes)
नॉरमोसाइटिक एनीमिया जन्मजात (congenital) हो सकता है। इसके अलावा यह किसी इंफेक्शन या बीमारी की वजह से भी हो सकता है। जन्मजात होने वाला नॉरमोसाइटिक एनीमिया का कारण रेड ब्लड सेल्स का टूटना है। नॉरमोसाइटिक एनीमिया का सबसे आम कारण लंबे समय से चल रही कोई बीमारी होती है। जिसमें किडनी डिजीज (Kidney disease),कैंसर (Cancer), रयूमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) और थायरॉइटिस (thyroiditis) शामिल है। इसे एनीमिया ऑफ क्रोनिक डिजीज (Anemia of chronic disease) (ACD) या एनीमिया ऑफ इंफ्लामेशन भी कहा जाता है। इंफ्लामेशन की वजह से भी नॉरमोसाइटिक एनीमिया हो सकता है, क्योंकि इससे बॉडी का इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है। जिससे रेड ब्लड सेल्स का प्रोडक्शन कम हो जाता है या ऐसी ब्लड सेल्स प्रोड्यूस होती हैं जो वीक होती हैं और जल्दी डेड हो जाती है। हालांकि इस एनीमिया के लक्षण जल्दी पता नहीं चल पाते।
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नॉरमोसाइटिक एनीमिया के लक्षण क्या हैं? (Normocytic anemia symptoms)
नॉरमोसाइटिक एनीमिया (Normocytic Anemia) की शुरुआत धीरे-धीरे होती है। शुरुआत में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। आप खुद को थका हुआ महसूस करेंगे। स्किन फीकी पड़ सकती है। अगर नॉरमोसाइटिक एनीमिया अचानक से हो जाता है और गंभीर होता है तो चक्कर आना, कमजोर महसूस करना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। नॉरमोसाइटिक एनीमिया का संबंध क्रोनिक डिजीज (Chronic Disease) से भी होता है। इसलिए इसके सही लक्षणों के बारे में पता करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। डॉक्टर ही उचित परीक्षण कर बीमारी के बारे में पता लगा सकते हैं।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
अगर आपको बिना किसी कारण के थकान (Fatigue) हो रही है, तो डॉक्टर से मिलें। हालांकि, एनीमिया (Anemia) के अलावा भी थकान के अन्य कारण हैं। इसलिए ऐसा ना सोचें कि अगर आपको थकान लग रही है तो एनीमिया ही होगा। कुछ लोगों का हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) कम होता है। यह भी एनीमिया का एक संकेत है। अगर आपको हीमोग्लोबिन लो होने के चलते ब्लड डोनेट करने से मना कर दिया जाता है, तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर ब्लड टेस्ट के जरिए एनीमिया है या नहीं इसकी जांच करेंगे।
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नॉरमोसाइटिक एनीमिया के बारे में पता कैसे लगाया जाता है? (Normocytic Anemia Diagnosis)
रूटीन ब्लड टेस्ट (Blood test) जैसे कि कंप्लीट ब्लड काउंट सीबीसी (CBC) से एनीमिया के बारे में पता चल जाता है। इस ब्लड टेस्ट में रेड ब्लड सेल्स (Red blood cells), वाइट ब्लड सेल्स काउंट (White blood cells count), प्लेटलेट लेवल (Platelet level) और ब्लड हेल्थ के दूसरे मार्कर को चेक किया जाता है। अगर डॉक्टर को एनीमिया, असामान्य चोट और ब्लीडिंग (Bleeding) होने का संदेह होता है, तो यह टेस्ट मरीज के एनुअल टेस्ट का हिस्सा बन सकता है। 40% तक आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया अपने शुरुआती चरणों में नॉरमोसाइटिक एनीमिया (Normocytic Anemia) के रूप में सामने आता है। यदि आपका ब्लड टेस्ट नॉरमोसाइटिक एनीमिया या एनीमिया के किसी अन्य रूप के बारे में संकेत देता है, तो डॉक्टर आगे कुछ दूसरे टेस्ट रिकमंड कर सकते हैं।
कुछ टेस्ट रेड ब्लड सेल्स के शेप और साइज की जांच कर सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर बोन मेरो बायोप्सी (Bone marrow biopsy) भी करने की सलाह दे सकते हैं क्योंकि रेड ब्लड सेल्स का निमार्ण वहीं होता है। अगर एनीमिया इनहेरिटेड है तो परिवार के दूसरे सदस्यों की भी जांच की जा सकती है। इसके आधार पर ही डॉक्टर ट्रीटमेंट रिकमंड करते हैं।
नॉरमोसाइटिक एनीमिया का इलाज कैसे किया जाता है? (Normocytic Anemia treatment)
अगर नॉरमोसाइटिक एनीमिया किसी दूसरी क्रोनिक हेल्थ कंडिशन (Chronic Health condition) से जुड़ा हुआ है, तो ट्रीटमेंट की पहली प्राथमिकता इस कंडिशन को मैनेज करना होती है। ट्रीटमेंट में रयूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज के लिए एंटी- इंफ्लामेटरी (Anti-inflammatory) मेडिकेशन और मोटापे से ग्रसित लोगों को वेट लॉस के लिए प्रेरित किया जाता है।
अगर बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial infection) के कारण रेड ब्लड सेल्स में कमी हो रही है, तो स्ट्रॉन्ग एंटीबायोटिक्स भी ट्रीटमेंट के तौर पर दी जा सकती हैं।
नॉरमोसाइटिक एनीमिया की स्थिति गंभीर होने पर मरीज को इंजेक्शन भी दिए जा सकते हैं जो कि बोन मेरो में रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन को बढ़ाते हैं। अगर स्थिति और भी गंभीर है तो डॉक्टर ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood transfusion) की सलाह भी दे सकते हैं। ताकि ब्लड सेल्स के द्वारा पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन बॉडी में डिलिवर हो सके। इस एनीमिया का इलाज मरीज की स्थिति के आधार पर ही किया जाता है।
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इस बात का रखें ध्यान
आयरन डेफिसिएंशी के कारण एनीमिया होने पर डॉक्टर आयरन की गोलियां दे सकते हैं। हालांकि, किसी भी प्रकार का एनीमिया होने पर आयरन सप्लिमेंट्स (Iron supplements) लेना खतरनाक हो सकता है। अगर आपको आयरन लेवल नॉर्मल है, तो अधिक मात्रा में आयरन का सेवन खतरनाक हो सकता है। किसी भी प्रकार की दवा या सप्लिमेंट्स का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। बता दें कि नॉरमोसाइटिक एनीमिया को होने से रोकना मुश्किल है, लेकिन इसे मैनेज जरूर किया जा सकता है।
क्या नॉरमोसाइटिक एनीमिया को होने से रोका जा सकता है? (Prevention of Normocytic Anemia)
क्रोनिक डिजीज के कारण होने वाले एनीमिया (Normocytic Anemia) की रोकथाम करना मुश्किल है, लेकिन डायट में कुछ प्रकार के बदलाव करके इस बीमारी से लड़ने में खुद की मदद की जा सकती है। डायट में आयरन, विटामिन बी 12 और फॉलेट की पर्याप्त मात्रा शामिल करनी चाहिए। इसके लिए चिकन, बीन्स, पालक, फॉर्टिफाइड ब्रेकफास्ट सीरियल्स को अपने डायट में शामिल कर सकते हैं। इसके साथ ही डायटीशियन या डॉक्टर की मदद से अपने लिए परफेक्ट डायट का चुनाव कर सकते हैं।
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उम्मीद करते हैं कि आपके लिए ये आर्टिकल उपयोगी साबित होगा। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। नॉरमोसाइटिक एनीमिया (Normocytic Anemia) एनीमिया का एक सामान्य रूप है, हालांकि यह आमतौर पर एक क्रोनिक हेल्थ प्रॉब्लम से संबंधित होता है जो बॉडी में इंफ्लामेटरी रिस्पॉन्स को ट्रिगर करता है। यदि आपको असामान्य थकावट जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें और समय पर ब्लड टेस्ट करवाएं।
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