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Stages of Bone cancer: जानिए बोन कैंसर के स्टेज 1 से 4 तक की महत्वपूर्ण जानकारी और टेस्ट!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 06/07/2022

    Stages of Bone cancer: जानिए बोन कैंसर के स्टेज 1 से 4 तक की महत्वपूर्ण जानकारी और टेस्ट!

    कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, लेकिन हड्डी का कैंसर बोन सेल्स से शुरू होता है। बोन कैंसर अलग-अलग तरह का होता है और बोन कैंसर के स्टेज (Stages of Bone cancer) भी अलग-अलग होते हैं। वैसे अगर हड्डी के कैंसर की समस्या शुरू हो जाए तो मरीज की शारीरिक तकलीफें बढ़ने लगती है। 

    इंडियन जर्नल ऑफ मस्कुलोस्केलेटल रेडियोलॉजी (Indian Journal of Musculoskeletal Radiology) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बोन ट्यूमर अन्य कैंसर के मुकाबले कम डायग्नोस किया जाता है, लेकिन अगर हड्डी के कैंसर का इलाज भी जल्द से जल्द शुरू किया जाए तो इस बीमारी से खुद को दूर किया जा सकता है। इसलिए बोन कैंसर के स्टेज (Stages of Bone cancer) को समझना बेहद जरूरी है, क्योंकि बोन कैंसर के स्टेज के अनुसार ही ऑन्कोलॉजिस्ट इसका इलाज करते हैं।  

  • बोन कैंसर के स्टेज कौन-कौन से हैं?
  • बोन कैंसर के रिस्क फैक्टर क्या हो सकते हैं?
  • बोन कैंसर को डायग्नोस करने के लिए कौन-कौन से टेस्ट किये जा सकते हैं?
  • चलिए अब बोन कैंसर और बोन कैंसर के स्टेज से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।

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    बोन कैंसर के स्टेज कौन-कौन से हैं? (Stages of Bone cancer)

    बोन कैंसर के स्टेज (Stages of Bone cancer)

    बोन कैंसर के स्टेज को समझने के लिए नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट (National Cancer Institute) द्वारा एक सबसे महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गई है जिससे कैंसर और उसके स्टेज को समझने में आसानी होती है। इसलिए मेडिकल टर्म टीएनएम (TNM) के अंतर्गत हड्डी के कैंसर के स्टेज वर्गीकृत करते हैं। जैसे: 

    टीएनएम (TNM)-

    • टी (T)- ट्यूमर का आकार कितना बड़ा है। 
    • एन (N)- कैंसर सेल्स लिम्फ नॉड्स में कितना फैला हुआ है। 
    • एम (M)- मेटास्टैटिक यानी कैंसर कहां-कहां फैल चूका है। 
    • जी (G)- ग्रेड यानी कैंसर सेल्स को माइक्रोस्कॉप से देखा जाता है कि यह कितना एब्नॉर्मल है। 

    टीएनएम के साथ-साथ जी (G) कैंसर के ग्रेडिंग को दर्शता है। इसलिए जी (G) को अलग-अलग कैटेगरी में डिवाइड किया गया है। जैसे G1 (जी 1), G2 (जी 2) और जी 3 (G3)। अगर कैंसर जी 3  ग्रेडिंग में है, तो इसे हाइयर ग्रेड कैंसर माना जाता है जो काफी तेजी से बढ़ सकता है। 

    कैंसर से जुड़े टीएनएम (TNM) और जी (G) जैसे अलग-अलग मेडिकल टर्म को समझने के साथ ही अब बोन कैंसर के स्टेज को समझने की कोशिश करते हैं। 

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    बोन कैंसर के स्टेज (Stages of Bone cancer) 

    बोन कैंसर के स्टेज यानी हड्डी के कैंसर के स्टेज 1 से 4 होते हैं, जो इस प्रकार हैं-

    • स्टेज 1 (Stage 1)- बोन कैंसर के स्टेज 1 में ट्यूमर का आकार 8 cm से बड़ा या इससे छोटा हो सकता है। इस स्टेज में कैंसर सेल्स सिर्फ अपने शुरुआती जगह में ही रहता है और किसी अन्य हिस्से में नहीं फैलता है। हड्डी के कैंसर के स्टेज 1 को लो ग्रेड कैंसर कहा जाता है। कभी-कभी ट्यूमर का आकार छोटा होने की वजह से इस स्टेज में ग्रेड की जानकारी भी नहीं मिल पाती है। 
    • स्टेज 2 (Stage 2)- हड्डी के कैंसर के स्टेज 1 की ही तरह स्टेज 2 भी होता है। इस स्टेज में भी ट्यूमर का आकार 8 cm होता है, लेकिन इस स्टेज में एक सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि कैंसर सेल्स के बढ़ने की गति तेज होती है।  
    • स्टेज 3 (Stage 3)- हड्डी के कैंसर के स्टेज 3 में पहुंचने का अर्थ यह है कि ट्यूमर दो अलग-अलग जगहों में फैल चूका है, लेकिन हड्डी के उसी हिस्से लंग्स या लिम्फ नॉड्स को अपना शिकार नहीं बनाया होता है। वैसे बोन कैंसर के स्टेज 3 को हाइ ग्रेड कैंसर माना जाता है।  
    • स्टेज 4 (Stage 4)- बोन कैंसर के स्टेज 4 को हाइ ग्रेड कैंसर या एडवांस कैंसर माना जाता है। बोन कैंसर के स्टेज 4 में पहुंचने के साथ-साथ कैंसर सेल्स लंग्स (Lungs), लिम्फ नॉड्स (Lymph nodes) या बॉडी के अन्य ऑर्गन (Other organs) को अपना शिकार बना चुके होते हैं। 

    ये हैं बोन कैंसर के स्टेज 1 से 4 तक की महत्वपूर्ण जानकारी, लेकिन बोन कैंसर का खतरा क्यों होता इसे भी समझना जरूरी है।  

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    बोन कैंसर के रिस्क फैक्टर क्या हो सकते हैं? (Risk factor of Bone cancer) 

    अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (American Cancer Society) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बोन कैंसर के रिस्क फैक्टर निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:

    • व्यक्ति की उम्र 20 वर्ष (20 Years) या इससे कम होना। 
    • रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy) या अन्य कैंसर ट्रीटमेंट (Cancer Treatment) करवाना। 
    • पहले कभी बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant) करवाना। 
    • परिवार में हड्डी का कैंसर (Bone cancer) होना। 

    ये हैं बोन कैंसर के रिस्क फैक्टर, लेकिन यह ध्यान रखें कि बोन कैंसर का खतरा बड़ों की तुलना में बच्चों में ज्यादा रहता है।  

    यहां हमनें बोन कैंसर के स्टेज और इसके रिस्क फैक्टर को समझा। मेडिकल एक्सपर्ट हड्डी के कैंसर को समझने के लिए टेस्ट भी करते हैं जिससे बोन कैंसर के स्टेज को समझने में मदद मिल सके। 

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    बोन कैंसर को डायग्नोस करने के लिए कौन-कौन से टेस्ट किये जा सकते हैं? (Diagnosis for Bone cancer) 

    बोन कैंसर के स्टेज (Stages of Bone cancer)

    बोन कैंसर को डायग्नोस करने के लिए निम्नलिखित टेस्ट किये जा सकते हैं। जैसे: 

    एक्स-रे (X-Ray)- हड्डी के कैंसर को समझने के लिय एक्स-रे किया जाता है। अगर बोन कैंसर डायग्नोस होता है, तो इसके बाद सीने का भी एक्स-रे किया जाता है, जिससे यह पता किया जाता है कि हड्डी का कैंसर (Bone cancer) कहीं फेफड़े (Lungs) तक तो नहीं फैल गया है।

    सीटी स्कैन (CT Scan)- सीटी स्कैन को कैट स्कैन भी कहा जाता है। सीटी स्कैन एक प्रकार का एक्स-रे है, जिससे इंफेक्टेड एरिया की जानकारी मिलती है। सीटी स्कैन का उपयोग यह देखने के लिए किया जाता है कि कैंसर शरीर के अन्य अंगों, जैसे- लिवर (Liver), फेफड़े (Lungs) आदि में तो नहीं फैल गया है।

    एमआरआई स्कैन (MRI Scan)- एमआरआई इमेजेस लेने के लिए एक्स-रे के बजाय रेडियो वेव्स और स्ट्रॉन्ग मैग्नेट का उपयोग करते हैं। एमआरआई का उपयोग कैंसर के आकार के बारे में जानने के लिए किया जाता है। एमआरआई अक्सर कॉर्डोमा जैसे बोन कैंसर (Bone cancer) की जांच के लिए किया जाता है।

    बोन स्कैन (Bone Scan)- बोन स्कैन यह देखने के लिए किया जाता है कि कैंसर हड्डियों कि किन हिस्सों में फैल गया है। निम्न-स्तर की रेडियोएक्टिव पदार्थ की एक छोटी मात्रा को ब्लड में डाला जाता है। जो पूरे शरीर में हड्डी के डैमेज एरिया में जाता है। जिसके बाद एक विशेष कैमरे से पता लगाकर तक हड्डियों का चित्र निकाला जाता है।

    पीईटी स्कैन (PET Scan)- पीईटी स्कैन एक तरह का बोन स्कैन है। अगर हड्डी का कैंसर (Bone cancer) है, तो कैंसर वाले स्थान पर शुगर हॉट स्पॉट के रूप में दिखाई देता है।

    बायोप्सी (Biopsy)- बायोप्सी के लिए डॉक्टर ट्यूमर के छोटे टुकड़े निकालते हैं। ट्यूमर के टुकड़े की जांच के लिए उसे लैब में भेज दिया जाता है। जहां ये पता लगाया जाता है कि ट्यूमर में कैंसर सेल्स है या नहीं।

    ये है अलग-अलग तरह के टेस्ट जिससे हड्डी के कैंसर के मरीजों को गुजरना पड़ता है। इस टेस्ट रिपोर्ट्स को ध्यान में रखकर ही इलाज शुरू किया जाता है। 

    नोट : बोन कैंसर का इलाज (Bone cancer treatment) अगर इसके शुरुआती स्टेज में ही शुरू कर दिया जाए तो कैंसर सेल्स को फैलने से रोका जा सकता है और इलाज का लाभ भी जल्द मिलना शुरू हो जाता है।

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    अगर आप बोन कैंसर (Bone cancer) या बोन कैंसर के स्टेज (Stages of Bone cancer) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं। हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। हालांकि अगर आप हड्डी के कैंसर (Bone Cancer) की समस्या से पीड़ित है, तो डॉक्टर से कंसल्टेशन करें, क्योंकि ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपके हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर इलाज शुरू करेंगे।

    स्वस्थ रहने के लिए अपने डेली रूटीन में योगासन शामिल करें। यहां हम आपके साथ योग महत्वपूर्ण जानकारी शेयर कर रहें हैं, जिसकी मदद से आप अपने दिनचर्या में योग को शामिल कर सकते हैं। नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर योगासन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जानिए।

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