कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर शुरू किये गए इलाज मरीज के लिए एक नए जीवन से कम नहीं है। अब समय पर इलाज तभी संभव है जब शरीर में होने वाले अच्छे-बुरे बदलाव को समझा जा सके। इसलिए आज इस आर्टिकल में क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया (Chronic Lymphocytic Leukemia) यानी सीएलएल (CLL) के बारे में समझेंगे, क्योंकि कहते हैं ना सही और पूरी जानकारी ही बचाव के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया क्या है?
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया के कारण क्या हो सकते हैं?
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया के लक्षण क्या हैं?
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया का निदान कैसे किया जाता है?
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया का इलाज कैसे किया जाता है?
ल्यूकेमिया या क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया की समस्या से बचाव के लिए क्या करें?
चलिए क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया क्रोनिक ल्यूकेमिया का एक प्रकार है, जो एक एडवांस स्टेज माना जाता है। क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया की समस्या होने पर बोन मैरो एब्नॉर्मल लिम्फोसाइट्स यानी एक खास तरह के वाइट ब्लड सेल्स (White blood cell) का निर्माण करने लगता है। वहीं जब एब्नॉर्मल सेल्स हेल्दी सेल्स से मिलने लगते हैं, तो ऐसी स्थिति में इंफेक्शन (Infection), एनीमिया (Anemia) एवं ब्लीडिंग (Bleeding) जैसी तकलीफें शुरू हो सकती हैं। वैसे एब्नॉर्मल सेल्स ब्लड के साथ-साथ बॉडी के अन्य ऑर्गन्स में भी फैल जाते हैं।
एडल्ट्स में क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया की समस्या सबसे ज्यादा डायग्नोस की जाती है, जो मिडिल ऐज के साथ-साथ बढ़ती उम्र के लोगों में हो सकती है। क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया (CLL) की समस्या बच्चों में काफी रेयर होती है। अब यहां यह समझना जरूरी है कि क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया के कारण क्या हो सकते हैं।
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of of Chronic Lymphocytic Leukemia)
ल्यूकेमिया एक ऐसी बीमारी है, जो बहुत धीरे-धीरे डेवलप होती है। इसलिए कई ल्यूकेमिया या लिंफोमा के लक्षणों को समझना भी कठिन हो जाता है। बीमारी के कुछ दिनों के बाद शरीर में वाइट ब्लड सेल्स (WBC) की संख्या बढ़ना और रेड ब्लड सेल्स (RBC) का कम होना शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। ल्यूकेमिया की समस्या क्रोनिक या एक्यूट हो सकती है। दरसअल एक्यूट ल्यूकेमिया (Acute Leukemia) तेजी से फैलने वाले कैंसर की लिस्ट में शामिल है, तो वहीं क्रोनिक ल्यूकेमिया (Chronic leukemia) सामान्य है और यह शुरुआती स्टेज में काफी धीरे-धीरे डेवलप होता है। वहीं किसी भी बीमारी के शुरुआत के पहले शरीर में कुछ ऐसे बदलाव होते हैं, जिससे परेशानी महसूस हो सकती है। ठीक ऐसे ही क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया के लक्षण को समझा जा सकता है। जैसे:
लिम्फ नॉड्स में सूजन (Swollen lymph nodes) की समस्या होना। प्रायः गले, अंडरआर्म्स, पेट या ग्रोइन में लम्प की समस्या नोटिस की जा सकती है, लेकिन इनमें दर्द नहीं होता है।
कमजोरी (Weakness) या थका हुआ (Feeling tired) महसूस करना।
सांस लेने में कठिनाई (Shortness of breath) महसूस होना।
ये लक्षण सामान्य लग सकते हैं, लेकिन यह शारीरिक परेशानी या क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया के लक्षण की ओर इशारा कर सकते हैं। इसलिए ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी है।
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Chronic Lymphocytic Leukemia)
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया के निदान के लिए ऑन्कोलॉजिस्ट सबसे पहले पेशेंट की हेल्थ कंडिशन और महसूस की जाने वाली परेशानियों के बारे में पूछते हैं और फिर निम्नलिखित टेस्ट की सलाह देते हैं। जैसे:
पेशेंट का फिजिकल एग्जाम (Physical exam) करना।
पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री (Medical history) जाना।
ब्लड टेस्ट (Blood tests), जिससे ब्लड में कंप्लीट ब्लड टेस्ट (CBC), इलेक्ट्रोलाइट (Electrolytes), फैट (Fats), प्रोटीन्स (Proteins), ग्लूकोज (Glucose) एवं एंजाइम्स (Enzymes) की जानकारी मिलती है।
फ्लो साइटोमेट्री टेस्ट (Flow cytometry tests) की जाती है। इस टेस्ट की सहायता से ल्यूकेमिया के टाइप की जानकारी मिलती है।
जीन एवं क्रोमोसोमल चेंजेस की जानकारी के लिए जेनेटिक टेस्ट (Genetic tests) की जाती है।
इन ऊपर बताये गए टेस्ट रिपोर्ट में अगर क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया डायग्नोस किया जाता है, तो इमेजिंग टेस्ट (Imaging tests) एवं बोन मेरो टेस्ट (Bone marrow tests) भी किया जाता है।
इन अलग-अलग तरीकों से क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया का इलाज किया जाता है। नैशनल कैंसर इंस्टीटूट, यूएसए (National Cancer Institute, USA) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार एरानोन (Arranon), एस्परलास (Asparlas) या बेस्पोंसा (Besponsa) जैसे अन्य मेडिसिन प्रिस्क्राइब किये जा सकते हैं।
नोट: यहां कैंसर ड्रग्स (Cancer drugs) के नाम सिर्फ जानकारी के लिए दी गई है। बिना डॉक्टर के कंसल्टेशन से इन दवाओं का शरीर पर साइड इफेक्ट्स भी पड़ सकता है।
जहरीले रसायन (Chemicals) जैसे बेंजीन से खुद को सुरक्षित रखें।
धूम्रपान (Smoking) या तंबाकू (Tobacco) का सेवन ना करें।
रोजाना समय से सोने और जागने की कोशिश करें।
रेस्ट (Rest) करें।
ल्यूकेमिया या क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया की समस्या से बचाव के लिए इन ऊपर बताये गए टिप्स को अपनाना चाहिए ।
अगर आप क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया (Chronic lymphocytic leukemia [CLL]) से जुड़े किसी तरह के सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज पर कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हैलो स्वास्थ्य के हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देने की पूरी कोशिश करेंगे। कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान परेशान ना हों, इस बीमारी के इलाज में वक्त लग सकता है।
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