कैंसर लंबे समय से मौत के प्रमुख कारणों में से एक रहा है। सभी प्रकार के कैंसरों में ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer) दुनिया भर में नौवां सबसे आम कैंसर है, जो हर साल लगभग 430,000 लोगों को प्रभावित करता है। भारत में साल 2020 में ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer) के 18,921 नए केसेस रजिस्टर किये गए। हालांकि कैंसर पेशेंट्स या इस बीमारी से मरने वालों के आंकड़े भले डराने वाले हों, लेकिन ये सच है कि अगर कैंसर (Cancer) की जानकारी अगर इसके शुरुआती स्टेज में मिल जाए तो इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है।
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2010 में कैंसर पेशेंट्स की संख्या 979,786 थी वहीं 2020 में कैंसर पेशेंट्स की संख्या 1,148,757 हो गई है। कैंसर पेशेंट्स (Cancer patients) की संख्या बढ़ते जा रही है, लेकिन रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार कैंसर पेशेंट्स भी ठीक होते हैं अगर इलाज समय पर शुरू कर दिया जाए तो। इसलिए शरीर में होने वाले अच्छे बुरे सभी बदलाओं को नोटिस करें। अगर कोई परेशानी महसूस हो तो उसे इग्नोर ना करें। इसलिए किसी भी बीमारी की जानकारी के लिए उसके लक्षण एवं कारणों को समझना जरूरी है। इसलिए आज इस आर्टिकल में ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer), ब्लैडर कैंसर के लक्षण एवं इससे जुड़े कई सवालों का जवाब जानेंगे, जिससे समय रहते जल्द से जल्द इलाज शुरू करने में मदद मिल सके।
ब्लैडर कैंसर क्या है?
ब्लैडर कैंसर के कितने प्रकार हैं?
ब्लैडर कैंसर के लक्षण क्या हैं?
ब्लैडर कैंसर के कारण क्या हैं?
ब्लैडर कैंसर के रिस्क फैक्टर क्या हैं?
ब्लैडर कैंसर का निदान कैसे किया जाता है?
ब्लैडर कैंसर के स्टेज कौन-कौन से हैं?
ब्लैडर कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?
ब्लैडर कैंसर से बचाव कैसे संभव है?
चलिए अब ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानेंगे।
ब्लैडर ह्यूमन बॉडी में पेट के सबसे निचले हिस्से में स्थित होता है। ब्लैडर (Bladder) में ही किडनी से छनकर आये यूरिन कलेक्ट होता है और यहीं से यूरिन बॉडी के बाहर निकलता है। कभी-कभी कुछ कारणों से ब्लैडर से जुड़ी बीमारियां शुरू हो जाती हैं, जिनमें से एक बीमारी है कैंसर। ब्लैडर कैंसर, ब्लैडर के टिशू को सबसे पहले अपना शिकार बनाती है जहां यूरिन जमा रहता है। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार हर साल तकरीबन 45,000 पुरुष एवं 17,000 महिलाएं ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer) की समस्या डायग्नोस होती है। ब्लैडर कैंसर की समस्या अलग-अलग तरह की होती है।
नोट: महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer) की संभावना ज्यादा होती है, लेकिन यह किसी भी व्यक्ति को अपना शिकार बना सकती है।
ब्लैडर कैंसर के कितने प्रकार हैं? (Types of Bladder Cancer)
ब्लैडर कैंसर तीन अलग-अलग तरह के होते हैं। जैसे:
ट्रान्सिशनल सेल कार्सिनोमा (Transitional cell carcinoma)- ट्रान्सिशनल सेल कार्सिनोमा ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer) का सबसे कॉमन टाइप है। यह ब्लैडर के ट्रान्सिशनल सेल के अंदुरुनी हिस्से में होता है। यह बिना डैमेज हुए सेल के शेप एवं टिशू को स्ट्रेच करता है।
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma)- स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा रेयर कैंसर की लिस्ट में शामिल है। यह लम्बे वक्त से ब्लैडर इंफेक्शन (Bladder infection) या ब्लैडर से जुड़ी समस्या के कारण शुरू होने वाला कैंसर (Cancer) है।
एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)- एडेनोकार्सिनोमा भी रेयर कैंसर (Rare Cancer) की लिस्ट में शामिल है। यह ब्लैडर के ग्लैंडुलर सेल्स (Glandular cells) में होने वाला कैंसर है। एडेनोकार्सिनोमा भी लम्बे वक्त से हो रहें ब्लैडर में इरिटेशन (Irritation) और इन्फ्लेमेशन (Inflammation) के कारण शुरू होने वाला कैंसर है।
ये हैं अलग-अलग तरह के ब्लैडर कैंसर जो कॉमन एवं रेयर दोनों तरह के होते हैं। चलिए अब ब्लैडर कैंसर के लक्षण के बारे में समझने की कोशिश करते हैं, जिससे वक्त रहते इसका इलाज शुरू किया जा सके।
ब्लैडर कैंसर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Bladder Cancer)
ब्लैडर कैसे की समस्या से पीड़ित ज्यादातर लोगों में यूरिनेशन के दौरान यूरिन के साथ-साथ ब्लड (Blood in the urine) भी आता है। हालांकि सिर्फ यही नहीं ब्लैडर कैंसर के लक्षण और भी हैं जिनके बारे में आगे समझेंगे। जैसे:
यूरिनेशन के दौरान दर्द (Painful urination) महसूस होना।
बार-बार पेशाब (Frequent urination) लगना।
यूरिन (Urination) कंट्रोल नहीं कर पाना।
यूरिन (Urinary incontinence) लीक होना।
एब्डॉमिनल (Abdominal) एरिया में दर्द होना।
लोवर बैक (Lower back) में दर्द होना।
इन लक्षणों को इग्नोर नहीं करना चाहिए, क्योंकि अगर इन परेशानियों को नजरअंदाज किया जाए तो तकलीफें कम होने की बजाये बढ़ सकती हैं और इलाज करना भी कठिन हो सकता है।
ब्लैडर कैंसर के कारण क्या हैं? (Cause of Bladder Cancer)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information), सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) एवं अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (American Cancer Society) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्लैडर कैंसर के मुख्य कारणों की जानकारी अभी तक नहीं मिली है, लेकिन जेनटिक मियूटेशन (Genetic mutations) के कारण ब्लैडर कैंसर की समस्या हो सकती है। हालांकि साइंटिस्ट जेनटिक मियूटेशन को ब्लैडर कैंसर का मुख्य कारण नहीं मानते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि कुछ विशेष इंडस्ट्री केमिकल (Certain industrial chemicals) एवं तंबाकू (Tobacco) ब्लैडर कैंसर की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं। इसलिए अगर ब्लैडर कैंसर के लक्षण महसूस हो रहें हैं या यूरिन से जुड़ी कोई भी परेशानी महसूस होती है तो डॉक्टर से कंसल्ट करें।
ब्लैडर कैंसर का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Bladder Cancer)
ब्लैडर कैंसर के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले पेशेंट से बीमारी के लक्षणों एवं उनके हेल्थ कंडिशन (Health Condition) को समझते हैं और फिर निम्नलिखित टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। जैसे:
यूरिनएनालिसिस (Urinalysis)।
वजायना (Vagina) या रेक्टम (Rectum) में होने वाले लम्प को समझने के लिए मॉनिटर करते हैं।
सिस्टोस्कोपी (Cystoscopy) यानी कैमरे की सहायता से ब्लैडर को देखा जाता है।
यूरिनरी ब्लैडर (Urinary bladder) से टिशू लेकर बायोप्सी (Biopsy) की जाती है।
इंट्रावीनस पाइलोग्राम (Intravenous pyelogram) की सहायता से ब्लैडर (Bladder) एवं किडनी (Kidney) की जांच की जाती है। यह एक तरह का एक्स-रे (X-rays) होता है।
इन्हीं अलग-अलग टेस्ट से ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer) की गंभीरता की जानकारी मिलती है। अब हम सभी जानते हैं कि कैंसर अलग-अलग स्टेज में होने वाली बीमारी है, तो ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer) के भी अलग-अलग स्टेज (Stage) होते हैं। टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर ब्लैडर कैंसर के स्टेज (Bladder Cancer stage) की जानकारी देते हैं और फिर उसी अनुसार इलाज भी जल्द से जल्द शुरू करते हैं।
ब्लैडर कैंसर के स्टेज कौन-कौन से हैं? (Stages of Bladder Cancer)
ब्लैडर कैंसर के 0 से 4 स्टेज होते हैं। जैसे:
स्टेज 0 ब्लैडर कैंसर (Stage 0 Bladder cancer)- इस स्टेज में कैंसर सेल्स (Cancer cells) ब्लैडर की लाइन से आगे फैले हुए नहीं होते हैं।
स्टेज 1 ब्लैडर कैंसर (Stage 1 Bladder cancer)- इस स्टेज में कैंसरस सेल्स ब्लैडर की लाइन से आगे तो बढ़े हुए होते हैं, लेकिन ब्लैडर मसल लेयर तक नहीं पहुंचे होते हैं।
स्टेज 2 ब्लैडर कैंसर (Stage 2 Bladder cancer)- इस स्टेज में ब्लैडर कैंसर ब्लैडर मसल (Bladder muscles) में फैल जाते हैं।
स्टेज 3 ब्लैडर कैंसर (Stage 3 Bladder cancer)- कैंसरस सेल्स ब्लैडर के आसपास के हिस्से को भी अपना शिकार बनाना शुरू कर देते हैं।
ब्लैडर कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment of Bladder Cancer)
ब्लैडर कैंसर का इलाज कैंसर स्टेज को ध्यान में रखकर किया जाता है। जैसे:
स्टेज 0 से 1 ब्लैडर कैंसर (Stage 1 Bladder cancer)- ब्लैडर कैंसर अगर स्टेज 0 से 1 में हो तो ऐसी स्थिति में ट्यूमर को सर्जरी की मदद से हटाया जाता है। इसके बाद कीमोथेरिपी (Chemotherapy) या इम्यूनोथेरिपी (Immunotherapy) और दवाएं दी जाती हैं।
स्टेज 2 एवं 3 ब्लैडर कैंसर (Stage 2 and stage 3 Bladder cancer)- स्टेज 2 एवं स्टेज 3 ब्लैडर कैंसर का इलाज ट्यूमर के रिमूवल से होता है। इस स्टेज में कैंसर के ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी की मदद ली जाती है। सर्जरी की सहायता से ब्लैडर को हटाया जाता है और यूरिन निकलने के लिए एक नए यूरिनरी वे बनाया जाता है। ट्यूमर का साइज बड़ा होने की वजह से कीमोथेरिपी (Chemotherapy), रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy) या इम्यूनोथेरिपी (Immunotherapy) सर्जरी से पहले दी जा सकती है। ऐसा करने से ट्यूमर को छोटा किया जाता है।
स्टेज 4 ब्लैडर कैंसर (Stage 4 Bladder cancer)- इस स्टेज में भी सर्जरी के पहले कीमोथेरिपी दी जा सकती है और फिर लिम्फ नॉड को हटाया जाता है। वहीं कैंसर सेल्स के ज्यादा फैल जाने की वजह से कीमोथेरिपी (Chemotherapy), रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy) या इम्यूनोथेरिपी (Immunotherapy) से कम करने की कोशिश की जाती है।
ब्लैडर कैंसर ट्रीटमेंट (Bladder cancer treatment) हो या कोई भी कैंसर ट्रीटमेंट, इसके इलाज में वक्त लगता है और पेशेंट की इम्यून पावर (Immune power) भी कमजोर पड़ सकती है। इसलिए ऑन्कोलॉजिस्ट इस दौरान पेशेंट के हेल्थ को बेहद ही बारीकी से मॉनिटर करते हैं। वहीं अलग-अलग थेरिपी से होने वाले साइड इफेक्ट्स को कम करने के लिए मेडिकेशन भी देते हैं।
कैंसर (Cancer) का नाम सुनते ही ज्यादातर मरीज या उनके केयर टेकर परेशान हो जाते हैं। जबकि डॉक्टर्स एवं अलग-अलग रिसर्च रिपोर्ट की मानें तो किसी भी गंभीर बीमारी की जानकारी अगर शुरुआती स्टेज में मिल जाए तो उस बीमारी को हराना आसान होता है। इसलिए शरीर में होने वाले अच्छे बुरे सभी तरह के बदलाव पर ध्यान दें और परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें।
अगर आप ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer) से जुड़े किसी तरह के सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज पर कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हैलो स्वास्थ्य के हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देने की पूरी कोशिश करेंगे। हालांकि अगर आप ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer) की समस्या से पीड़ित हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर द्वारा दिए गए सलाह का पालन करें। ऐसा करने से बीमारी को जल्द से जल्द दूर करने में मदद मिल सकती है और आप भी कैंसर सर्वाइवर बनकर दूसरे कैंसर पेशेंट्स के मनोबल को बढ़ा सकते हैं।
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