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Bile Duct Cancer: बाइल डक्ट कैंसर क्या है? जानिए बाइल डक्ट कैंसर के लक्षण, कारण और इलाज!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 04/05/2022

    Bile Duct Cancer: बाइल डक्ट कैंसर क्या है? जानिए बाइल डक्ट कैंसर के लक्षण, कारण और इलाज!

    नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer) रेयर कैंसर की लिस्ट में शामिल है। कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो अगर इलाज ना करवाया जाए तो शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से को अपना शिकार जरूर बना लेती है। इसलिए आज इस आर्टिकल में बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करेंगे। 

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    • बाइल डक्ट क्या है?
    • बाइल डक्ट कैंसर क्या है?
    • बाइल डक्ट कैंसर कितने तरह का होता है?
    • बाइल डक्ट कैंसर के लक्षण क्या हैं?
    • बाइल डक्ट कैंसर के कारण क्या हो सकते हैं?
    • बाइल डक्ट कैंसर का निदान कैसे किया जाता है?
    • बाइल डक्ट कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?

    चलिए अब बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer) से जुड़े इन ऊपर बताये गए सवालों का जवाब जानते हैं।

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    बाइल डक्ट (Bile duct) क्या है?

    बाइल डक्ट स्मॉल इंटेस्टाइन का हिस्सा है, जो लिवर एवं गॉलब्लैडर से होते हुए पैंक्रियाज (Pancreas), डियोडेनम (Duodenum) तक जाता है। बाइल डक्ट कैंसर को कोलेजनियोकार्सिनोमा (Cholangiocarcinoma) के नाम से भी जाना जाता है। अगर आसान शब्दों में समझें तो बाइल डक्ट लिवर एवं गॉलब्लैडर (Liver and Gallbladder) को जोड़ता है, जो बिलियरी डक्ट सिस्टम (Biliary Duct System) का हिस्सा है। इन शारीरिक अंगों को आपस में जोड़ने वाले बाइल डक्ट में कैंसर की समस्या अगर शुरू हो जाए तो सोचिये शारीरिक एवं मानसिक परेशानी (Physical and mental problem) कितनी बढ़ सकती है। इसलिए आर्टिकल में आगे समझेंगे बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer) के बारे में।      

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    बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer) क्या है?

    बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer)

    रेयर कैंसर की लिस्ट में शामिल बाइल डक्ट कैंसर, बाइल डक्ट के मलिग्नैंट सेल्स (Malignant cells) के कारण शुरू होने वाली बीमारी है। यूएसए नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट (USA National Cancer Institute) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बाइल डक्ट कैंसर कोलाइटिस या कुछ विशेष लिवर डिजीज (Liver disease) की स्थिति में शुरू होती है। चलिए इसके कारणों और लक्षणों  को समझने की कोशिश करते हैं, लेकिन सबसे पहले इसके अलग-अलग प्रकरों को समझते हैं।

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    बाइल डक्ट कैंसर कितने तरह का होता है? (Types of Bile duct cancer)

    बाइल डक्ट कैंसर दो अलग-अलग तरह के होते हैं। जैसे:

    • इंट्राहेपेटिक बाइल डक्ट कैंसर (Intrahepatic bile duct cancer): जब बाइल डक्ट के बाहरी हिस्सों पर कैंसर सेल्स बनने लगे तो ऐसी स्थिति इंट्राहेपेटिक बाइल डक्ट कैंसर (Intrahepatic bile duct cancer) कहलाती है।
    • एक्सट्राहेपेटिक बाइल डक्ट कैंसर (Extrahepatic bile duct cancer): इंट्राहेपेटिक बाइल डक्ट कैंसर की शुरुआत ही बाइल डक्ट के अंदुरुनी हिस्से से शुरू होती है, जिसकी संभावना बेहद कम होती है।

    चलिए अब बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer) के बारे और कुछ महत्वपूर्ण बातों को समझते हैं।

    बाइल डक्ट कैंसर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Bile duct cancer) 

    मायो फाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशनल एंड रिसर्च (Mayo Foundation for Medical Education and Research) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बाइल डक्ट कैंसर के लक्षण इस प्रकार है। जैसे: 

    • त्वचा का पीला (Yellow) पड़ना। 
    • त्वचा में खुजली (Itchy skin) की समस्या होना। 
    • स्टूल का रंग सफेद (White-colored stools) होना। 
    • थकान (Fatigue) महसूस होना। 
    • पेट के दाहिने हिस्से में दर्द (Abdominal pain) महसूस होना। 
    • बिना कारण वजन कम (Weight loss) होना। 
    • बुखार (Fever) आना। 
    • रात के वक्त ज्यादा पसीना (Night sweats) आना। 
    • यूरिन का रंग डार्क (Dark urine) होना। 

    ये लक्षण बाइल डक्ट कैंसर के लक्षण (Symptoms of Bile duct cancer) हो सकते हैं। इसलिए अगर ऐसे लक्षण नजर आने पर या महसूस होने पर बाइल डक्ट कैंसर के कारण (Cause of Bile duct cancer) को समझें और डॉक्टर से कंसल्ट करें।    

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    बाइल डक्ट कैंसर के कारण क्या हो सकते हैं? (Cause of Bile duct cancer) 

    बाइल डक्ट कैंसर यानी कोलेजनियोकार्सिनोमा (Cholangiocarcinoma) की समस्या बाइल डक्ट के सेल्स बढ़ने और डीएनए (DNA) में आये बदलाव की वजह से शुरू होती है। अगर इसे और आसान शब्दों में समझें तो तेजी से बढ़ने की वजह से सेल्स ट्यूमर (Tumor)  बनने लगते हैं, जो बाइल डक्ट्स (Bile ducts) एवं उसके आसपास के हेल्दी टिशू (Healthy tissue) को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं। हालांकि रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार अभी भी यह क्लियर नहीं है कि कोलेजनियोकार्सिनोमा (Cholangiocarcinoma) के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं।

    इसके अलावा कोलेजनियोकार्सिनोमा (Cholangiocarcinoma) के अन्य कारणों को भी इग्नोर नहीं किया जा सकता। जैसे :

    • 50 या इससे ज्यादा उम्र (Age) होना।
    • डायबिटीज (Diabetes) की समस्या होना।
    • क्रोनिक लिवर डिजीज (Chronic liver disease) होना।

    इसलिए बाइल डक्ट कैंसर के लक्षण महसूस होने पर ही सतर्कता बरतें और डॉक्टर से कंसल्टेशन शुरू करें।  

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    बाइल डक्ट कैंसर का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Bile duct cancer) 

    बाइल डक्ट कैंसर के लक्षण और पेशेंट की हेल्थ कंडिशन (Health condition) को जानने के साथ-साथ डॉक्टर पेशेंट की फिजिकल एग्जाम (Physical exam) और हेल्थ हिस्ट्री (Health history) को जानने के साथ-साथ निम्नलिखित टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। जैसे:  

    • लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver function tests)- लिवर फंक्शन टेस्ट के दौरान लिवर की कार्य क्षमता को समझने के लिए ब्लड टेस्ट (Blood test) की जाती है, जिससे कोलेंजियोकार्सिनोमा की जानकारी मिलती है।
    • लेबोरटरी टेस्ट (Laboratory tests)- इस टेस्ट के दौरान टिशू (Tissue), ब्लड (Blood) एवं यूरिन (Urine) सैम्पल लिया जाता है। इस रिपोर्ट में बाइल डक्ट के सिकुड़ने की जानकारी मिलती है।
    • कार्सिनोएंब्रियोनिक एंटीजन (Carcinoembryonic antigen) एवं सीए 19-9 ट्यूमर मार्कर टेस्ट (CA 19-9 tumor marker test)- ब्लड में कार्बोहाइड्रेट एंटीजन (CA) 19-9 के जानकारी के लिए डॉक्टर इस टेस्ट को करते हैं। सीए 19-9 एक तरह का प्रोटीन है, जो पित्त नली के कैंसरस सेल्स द्वारा ज्यादा निर्माण होने लगता है।
    • अल्ट्रासाउंड एग्जाम (Ultrasound exam)- कैंसर इन्फेक्टेड एरिया को दो देखने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है।
    • सीटी स्कैन (CT scan)- पेट के टिशू को देखने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है।
    • एमआरआई (MRI)- एमआरआई की भी सहायता से कैंसरस सेल्स को समझने में मदद मिलती है।
    • एमआरसीपी (MRCP)- लिवर, पित्त नलिकाओं, पित्ताशय की थैली, अग्न्याशय, और अग्नाशयी वाहिनी की स्थिति को समझने के लिए इस टेस्ट की आवश्यकता पड़ती है।
    • लेप्रोस्कोपी (Laparoscopy)- कैंसर के लक्षणों को समझने के लिए लेप्रोस्कोपी की जा सकती है।
    • पर्क्यूटेनियस ट्रांसहेपेटिक कोलेजनियोग्राफी (Percutaneous transhepatic cholangiography)- कैंसरस टिशू को रिमूव करना है या नहीं वो इस टेस्ट रिपोर्ट को ध्यान में रखकर किया जाता है।
    • एन्डोस्कोपिक रेट्रोग्रैड चोलैंगियोपैरेग्रोफी (Endoscopic retrograde cholangiopancreatography)- गॉलब्लैडर (Gallbladder) एवं स्मॉल इंटेस्टाइन (Small intestine) की स्थिति को समझने के लिए इस टेस्ट की आवश्यकता पड़ती है।
    • एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (Endoscopic ultrasound)- इस टेस्ट की मदद से भी बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer) की जानकारी मिल सकती है।

    बाइल डक्ट कैंसर का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Bile duct cancer) 

    बाइल डक्ट कैंसर के निदान के लिए इन ऊपर बताये टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही इलाज शुरू करने के पहले निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखा जाता है। जैसे:

    • कैंसरस सेल्स बाइल डक्ट सिस्टम (Bile duct system) के ऊपरी हिस्से या फिर निचले हिस्से में फैला है। 
    • कैंसरस सेल्स लिवर (Liver), लिम्फ नॉड्स (Lymph nodes) या किसी अन्य ऑर्गन तक फैल चूका है। 
    • नर्व (Nerves) या वेन (Veins) के आसपास कैंसरस सेल्स फैला हुआ है। 
    • ट्यूमर को सर्जरी की सहायता से पूरा रिमूव करना है या नहीं। 
    • पेशेंट को प्राइमरी स्केलेरोसिंग कोलिन्जाइटिस (Primary sclerosing cholangitis) की समस्या तो नहीं है। 
    •  CA 19-9 लेवल सामान्य से कम या ज्यादा है। 
    • कैंसर हाल फिलाल में डायग्नोस किया गया है या फिर से कैंसर की शुरुआत हुई है। 

    इन सभी बातों को ध्यान में रखने के बाद कोलेजनियोकार्सिनोमा (Cholangiocarcinoma) का इलाज शुरू किया जाता है। 

    बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer) के ट्रीटमेंट के दौरान मेडिकेशन भी प्रिस्क्राइब की जाती है। इलाज के दौरान या ट्रीटमेंट पूरी होने के बाद भी डॉक्टर द्वारा दिए गए टिप्स को फॉलो करें।

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    बाइल डक्ट कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Bile duct cancer)

    बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer)

    बाइल डक्ट कैंसर का इलाज तीन अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। जैसे:

    • सर्जरी (Surgery)
    • रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy)
    • कीमोथेरिपी (Chemotherapy)
    • लिवर ट्रांसप्लांट (Liver transplant)
    • टार्गेटेड ड्रग थेरिपी (Targeted drug therapy)
    • इम्यूनोथेरिपी (Immunotherapy)
    • हीटिंग कैंसर सेल्स (Heating cancer cells)
    • फोटोडायनेमिक थेरिपी (Photodynamic therapy)
    • बिलियरी ड्रैनेज (Biliary drainage)

    कैंसर (Cancer) का नाम सुनते ही ज्यादातर मरीज या उनके केयर टेकर परेशान हो जाते हैं। जबकि डॉक्टर्स एवं अलग-अलग रिसर्च रिपोर्ट की मानें तो किसी भी गंभीर बीमारी की जानकारी अगर शुरुआती स्टेज में मिल जाए तो उस बीमारी को हराना आसान होता है। इसलिए शरीर में होने वाले अच्छे बुरे सभी तरह के बदलाव पर ध्यान दें और परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें।

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    कोलेजनियोकार्सिनोमा से बचाव के लिए क्या हैं घरेलू उपाय? (Home remedies for Cholangiocarcinoma)

    कोलेजनियोकार्सिनोमा के लक्षण अगर नजर आते हैं, तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। वहीं इस कैंसर से बचाव के लिए निम्नलिखित घरेलू उपाय किये जा सकते हैं। जैसे:

    • स्मोकिंग (Smoking) ना करें
    • एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन ना करें।
    • नियमित योगासन (Yogasan) या एक्सरसाइज (Workout) करें। अगर योग या एक्सरसाइज करने में सक्षम ना हों, तो वॉक (Walk) करें।
    • न्यूट्रिशन वाले खाद्य पदार्थों (Nutritious food) का सेवन करें। इसके साथ ही हरी सब्जियों का सेवन रोजाना करें, क्योंकि इसमें बीटा कैरोटीन (Beta carotin) मौजूद होता है, जो ल‍िवर को हेल्दी बनाये रखें में सहायक माना गया है।
    • केमिकल फ्री कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स (Chemical free products) का इस्तेमाल करें, क्योंकि केमिकल्स भी शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
    • अगर कैंसर का ट्रीटमेंट चल रहा हो, तो दवाओं (Medication) का सेवन समय पर करें।

    इन टिप्स को फॉलो करें और अगर आप कैंसर पेशेंट (Cancer patients) हैं या आपके परिवार में किसी व्यक्ति को कैंसर है, तो डॉक्टर से समय-समय पर कंसल्टेशन जरूर करें।

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    नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2010 में कैंसर पेशेंट्स की संख्या 979,786 थी वहीं 2020 में कैंसर पेशेंट्स की संख्या 1,148,757 हो गई है। कैंसर पेशेंट्स (Cancer patients) की संख्या बढ़ते जा रही है, लेकिन रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार कैंसर पेशेंट्स भी ठीक होते हैं अगर इलाज समय पर शुरू कर दिया जाए तो। इसलिए शरीर में होने वाले अच्छे बुरे सभी बदलाओं को नोटिस करें। अगर कोई परेशानी महसूस हो तो उसे इग्नोर ना करें।

    अगर आप बाइल डक्ट कैंसर (Bile duct cancer) से जुड़े किसी तरह के सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज पर कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हैलो स्वास्थ्य के हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देने की पूरी कोशिश करेंगे।

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