लिवर कैंसर (Liver Cancer) वह कैंसर है जो लिवर की कोशिकाओं से शुरू होता है। लिवर फुटबॉल के आकार का एक अंग है जो एब्डोमिन के ऊपरी हिस्से में होता है। लिवर कैंसर का इलाज कैंसर की स्टेज, मरीज की उम्र और ओवरऑल हेल्थ पर निर्भर करता है। इसके ट्रीटमेंट ऑप्शन में सर्जरी, रेडिएशन थेरिपी, टार्गेड ड्रग थेरिपी, इम्यूनोथेरिपी और कीमोथेरिपी शामिल है। इसे लेख में लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer) के बारे में जानकारी दी जा रही है। साथ ही इसके साइड इफेक्ट्स भी बताए जा रहे हैं।
लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer)
रेडिएशन थेरिपी में हाय एनर्जी की किरणों का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है। ट्यूमर को सिकोड़ने में रेडिएशन थेरिपी मददगार है। यह ऑप्शन उन मरीजों के लिए नहीं है जिनका लिवर हेपेटायटिस या सिरोसिस जैसी बीमारियों की वजह से डैमेज हो गया है। इस ट्रीटमेंट ऑप्शन को तब अपनाया जाता है जब दूसरे ट्रीटमेंट ऑप्शन उपलब्ध नहीं होते हैं। एडवांस्ड लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद कर सकती है।
लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer) निम्न प्रकार मदद कर सकती है।
- ऐसा लिवर कैंसर जिसको सर्जरी के द्वारा हटाया नहीं जा सकता।
- लिवर कैंसर जिसका इलाज एब्लेशन (Ablation) या इंबोलाइजेशन (Embolization) के जरिए नहीं किया जा सकता या जो इन ट्रीटमेंट्स के प्रति रिस्पॉन्ड नहीं करते।
- लिवर कैंसर जो दूसरे एरिया जैसे कि हड्डियों या ब्रेन तक फैल चुके हैं।
- जिन लोगों को बड़े कैंसर के चलते बहुत दर्द होता है
- ऐसे लोग जिन्हें ट्यूमर थ्रोम्बस (Tumor thrombus) (लिवर कैंसर कोशिकाओं का इक्ठ्ठा होना) है जो उनकी पोर्टल वेन (Portal vein) को ब्लॉक कर रहा है।
रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy) कैसे दी जाती है?
लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer) दो प्रकार से दी जाती है। एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरेपी ओर रेडियोएम्बोलिजेशन। इन दोनों के बारे में विस्तार से जान लीजिए।
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एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरेपी (External beam radiation therapy)
एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरेपी (External beam radiation therapy) शरीर के बाहर के किसी स्रोत से निकलने वाले रेडिएशन को कैंसर पर केंद्रित करती है। रेडिएशन थेरिपी प्राप्त करना एक्स-रे प्राप्त करने जैसा है, लेकिन रेडिएशन अधिक स्ट्रॉग्न होता है। यह पूरी प्रक्रिया दर्द रहित होती है। प्रत्येक उपचार केवल कुछ मिनटों तक चलता है, हालांकि सेटअप का समय, मरीज को उपचार सही जगह लेना जाना इन सब में आमतौर पर अधिक समय लगता है। अक्सर, ईबीआरटी (EBRT) ट्रीटमेंट रेडिएशन का छोटा डोज होता है जो सप्ताह में 5 दिन कई हफ्तों तक दिया जाता है।
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लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer) देते वक्त ये बातें रखी जाती हैं ध्यान
लिवर की कैंसर कोशिकाएं रेडिएशन के प्रति संवेदनशील होती हैं, उपचार की योजना बनाते समय अधिक से अधिक सावधानी बरती जाती है ताकि सामान्य लिवर टिशूज को नुकसान न पहुंचे। नई रेडिएशन टेक्निक, जैसे स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडिएशन थेरेपी (SBRT), डॉक्टरों को लिवर ट्यूमर को टार्गेट करने में मदद करती है, और आसपास के हेल्दी टिशूज तक रेडिएशन को रोकने का काम करती है। यह इसे और अधिक प्रभावी बनाता है और साइड इफेक्ट को कम करता है।
एसबीआरटी ईबीआरटी की तुलना में कम समय में उपचार पूरा करने की अनुमति देता है। इसमें हाय डोज फोकस्ड बीम के रेडिएशन का उपयोग एक या कुछ दिनों के लिए किया जाता है । बीम कई अलग-अलग एंगल से ट्यूमर को टार्गेट करते हैं। रेडिएशन को सटीक रूप से केंद्रित करने के लिए, व्यक्ति को प्रत्येक उपचार के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए बॉडी फ्रेम में रखा जाता है। इस प्रकार के विकिरण का उपयोग छोटे कैंसर वाले लोगों में किया जा सकता है जो लिवर ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
रेडियोएम्बोलिजेशन (Radioembolization)
लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी की इस तकनीक के लिए, रेडियोधर्मी मेटेरियल को कैंसर प्रभावित क्षेत्र में डाला जाता है। ये मटेरियल ट्यूमर को रक्त की आपूर्ति को रोकने में मदद करते हैं और कैंसर कोशिकाओं तक रेडिएशन का हाय डोज भी ले जाते हैं।
एक डॉक्टर जिसे इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट कहा जाता है, एक लंबी, पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) को मरीज की कमर की धमनी में डालता है। एक्स-रे का उपयोग कैथेटर को मरीज के लिवर की बड़ी धमनी जिसे हेप्टिक आर्टरी कहा जाता है में डालने के लिए किया जाता है। फिर डॉक्टर कैथेटर के माध्यम से और धमनी में छोटे रेडियोधर्मी मटेरियल को धकेलता है। रक्त प्रवाह मटेरियल्स को ट्यूमर के पास लिवर में ले जाता है और वे वहां की छोटी धमनियों में फंस जाते हैं। मटेरियल्स कम मात्रा में रेडिएशन छोड़ते हैं जो केवल थोड़ी दूरी की यात्रा करते हैं।
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लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer) के बारे में ये भी जान लीजिए
चूंकि रेडिएशन सामान्य कोशिकाओं के साथ-साथ कैंसर कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है, इसलिए इस उपचार से मरीज को कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। कुछ लोगों के बहुत कम या कोई साइड इफेक्ट नहीं भी होते हैं। यदि मरीज को ज्यादा साइड इफेक्ट हो रहे हैं तो आपका डॉक्टर खुराक बदल सकता है या फिर रेडिएशन की फ्रिक्वेंसी में बदलाव कर सकता है। डॉक्टर तब तक इलाज बंद कर सकते हैं जब तक कि साइड इफेक्ट पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते। अपने डॉक्टर को किसी भी दुष्प्रभाव के बारे में बताना सुनिश्चित करें।
रेडिएशन थेरिपी के साइड इफेक्ट्स (Side effects of Radiation Therapy)
लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer) के साइड इफेक्ट तब तक शुरू नहीं हो सकते जब तक आप उपचार के कुछ हफ्तों नहीं होते। कभी-कभी वे तब तक शुरू नहीं होते जब तक इलाज लगभग समाप्त नहीं हो जाता। कम समय के लिए रहने कॉमन साइड इफेक्ट्स में निम्न शामिल हैं।
- दस्त
- जी मिचलाना
- अत्यधिक थकान जो आराम करने से ठीक नहीं होती
- उपचार क्षेत्र के ऊपर की त्वचा लाल और चिड़चिड़ी हो जाती है, छाले हो जाते हैं।
- स्किन छिल सकती है या रंग बदल जाता है (यह प्रतिक्रिया खराब सनबर्न की तरह हो सकती है।)
- भूख की कमी
हो सकता है ये भी
लिवर विकिरण के प्रति बहुत संवेदनशील होता है। यदि मरीज के लिवर के एक बड़े हिस्से का इलाज किया जाता है, तो मरीज को रेडिएशन हेपेटाइटिस हो सकता है। इससे त्वचा और आंखों का पीलापन (पीलिया) और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।इनमें से कुछ दुष्प्रभावों को दवा से नियंत्रित किया जा सकता है, और कुछ को डायट से। मरीज को अपने डॉक्टर या नर्स से इस बारे में बात करना चाहिए कि इन साइड इफेक्ट्स को कैसे मैनेज किया जा सकता है। साथ ही ये भी पूछ लें कि इनकी गंभीरता का पता कैसे लगाएं। आमतौर पर साइड इफेक्ट्स ट्रीटमेंट बंद होने के बाद ठीक हो जाते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।