रेडियोएम्बोलिजेशन (Radioembolization)
लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी की इस तकनीक के लिए, रेडियोधर्मी मेटेरियल को कैंसर प्रभावित क्षेत्र में डाला जाता है। ये मटेरियल ट्यूमर को रक्त की आपूर्ति को रोकने में मदद करते हैं और कैंसर कोशिकाओं तक रेडिएशन का हाय डोज भी ले जाते हैं।
एक डॉक्टर जिसे इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट कहा जाता है, एक लंबी, पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) को मरीज की कमर की धमनी में डालता है। एक्स-रे का उपयोग कैथेटर को मरीज के लिवर की बड़ी धमनी जिसे हेप्टिक आर्टरी कहा जाता है में डालने के लिए किया जाता है। फिर डॉक्टर कैथेटर के माध्यम से और धमनी में छोटे रेडियोधर्मी मटेरियल को धकेलता है। रक्त प्रवाह मटेरियल्स को ट्यूमर के पास लिवर में ले जाता है और वे वहां की छोटी धमनियों में फंस जाते हैं। मटेरियल्स कम मात्रा में रेडिएशन छोड़ते हैं जो केवल थोड़ी दूरी की यात्रा करते हैं।

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लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer) के बारे में ये भी जान लीजिए
चूंकि रेडिएशन सामान्य कोशिकाओं के साथ-साथ कैंसर कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है, इसलिए इस उपचार से मरीज को कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। कुछ लोगों के बहुत कम या कोई साइड इफेक्ट नहीं भी होते हैं। यदि मरीज को ज्यादा साइड इफेक्ट हो रहे हैं तो आपका डॉक्टर खुराक बदल सकता है या फिर रेडिएशन की फ्रिक्वेंसी में बदलाव कर सकता है। डॉक्टर तब तक इलाज बंद कर सकते हैं जब तक कि साइड इफेक्ट पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते। अपने डॉक्टर को किसी भी दुष्प्रभाव के बारे में बताना सुनिश्चित करें।
रेडिएशन थेरिपी के साइड इफेक्ट्स (Side effects of Radiation Therapy)
लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer) के साइड इफेक्ट तब तक शुरू नहीं हो सकते जब तक आप उपचार के कुछ हफ्तों नहीं होते। कभी-कभी वे तब तक शुरू नहीं होते जब तक इलाज लगभग समाप्त नहीं हो जाता। कम समय के लिए रहने कॉमन साइड इफेक्ट्स में निम्न शामिल हैं।
- दस्त
- जी मिचलाना
- अत्यधिक थकान जो आराम करने से ठीक नहीं होती
- उपचार क्षेत्र के ऊपर की त्वचा लाल और चिड़चिड़ी हो जाती है, छाले हो जाते हैं।
- स्किन छिल सकती है या रंग बदल जाता है (यह प्रतिक्रिया खराब सनबर्न की तरह हो सकती है।)
- भूख की कमी
हो सकता है ये भी
लिवर विकिरण के प्रति बहुत संवेदनशील होता है। यदि मरीज के लिवर के एक बड़े हिस्से का इलाज किया जाता है, तो मरीज को रेडिएशन हेपेटाइटिस हो सकता है। इससे त्वचा और आंखों का पीलापन (पीलिया) और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।इनमें से कुछ दुष्प्रभावों को दवा से नियंत्रित किया जा सकता है, और कुछ को डायट से। मरीज को अपने डॉक्टर या नर्स से इस बारे में बात करना चाहिए कि इन साइड इफेक्ट्स को कैसे मैनेज किया जा सकता है। साथ ही ये भी पूछ लें कि इनकी गंभीरता का पता कैसे लगाएं। आमतौर पर साइड इफेक्ट्स ट्रीटमेंट बंद होने के बाद ठीक हो जाते हैं।
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उम्मीद करते हैं कि आपको लिवर कैंसर में रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy in liver cancer) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।