परिचय
कैंसर की शुरुआत तब होती है, जब हमारे शरीर की कोशिकाएं अत्यधिक मात्रा में बढ़ने लगती हैं। शरीर के किसी भी अंग की कोशिकाएं कैंसर का कारण बन सकती हैं। यही नहीं, यह कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती हैं। पेट के कैंसर को गैस्ट्रिक कैंसर भी कहा जाता है। यह पेट की लाइनिंग में सेल्स के विकास के कारण होता है। इस तरह के कैंसर का निदान मुश्किल होता है क्योंकि अधिकतर लोगों में आमतौर पर शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। पेट के कैंसर के कारण भी अनेक हैं। इस रोग के उपचार के लिए पेट के कैंसर के कारण के बारे में जानना बेहद आवश्यक है।
पेट का कैंसर अन्य तरह के कैंसर के मुकाबले बहुत ही दुर्लभ है, लेकिन शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखाई देने के कारण इसका निदान तभी हो पाता है जब यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है। इससे इसका उपचार करना और भी मुश्किल हो जाता है। रिसर्च के अनुसार पेट के कैंसर के निदान के बाद 31.5% लोग पांच या अधिक सालों में पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।
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कारण
वैज्ञानिक इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं कि पेट में किन कारणों की वजह से कैंसर सेल बनते और बढ़ते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों को इस बात का पूरी तरह से जानकारी है कि कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे यह रोग बढ़ता है। इनमें से एक है सामान्य बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण, जिसे एच पाइलोरी कहा जाता है और जो अल्सर का कारण है। दूसरा है पेट में जलन जिसे जठरशोथ (gastritis) कहा जाता है। अधिक समय तक रहने वाला एनीमिया है जिसे घातक एनीमिया कहा जाता है। गैस्ट्रिक पोलिप्स भी पेट के कैंसर का एक कारण है।
अन्य कई ऐसे कारण भी हैं जो पेट के कैंसर के कारण हैं, जैसे:
- धूम्रपान
- वजन का बढ़ना या मोटापा
- आहार में अधिक तला-भुना या नमक वाला खाना, आचार आदि का सेवन
- अल्सर के लिए पेट की सर्जरी
- टाइप-A खून
- एपस्टीन-बार वायरस का संक्रमण
- कुछ जीन
- कोयले, धातु या रबर इंडस्ट्री में काम करना
- एस्बेस्टस के संपर्क में रहना
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लक्षण
पेट के कैंसर के कारण के साथ ही इसके लक्षणों के बारे में जानना भी आवश्यक है। कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो गैस्ट्रिक कैंसर या अन्य स्थितियों का कारण बन सकते हैं। गैस्ट्रिक कैंसर के शुरुआती चरणों में आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
- अपच और पेट में समस्या
- खाने के बाद पेट के फूलने का अहसास
- हलकी मतली
- भूख न लगना
- हार्टबर्न
गैस्ट्रिक कैंसर के गंभीर चरण में निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं:
- मल में खून
- उल्टी
- बिना किसी कारण वजन कम होना
- पेट में दर्द
- पीलिया (आंखों और त्वचा का पीला होना)
- एसाइटिस (Ascites)
- कुछ भी निगलने में समस्या होना
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
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जोखिम
पेट के कैंसर को पेट के ट्यूमर से जोड़ा जाता है। हालांकि, कुछ कारक ऐसे भी हैं जो इन कैंसर कोशिकाओं को विकसित करने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इन जोखिमों में कुछ खास बीमारियां और स्थितियां भी शामिल हैं जैसे:
- लिंफोमा (ब्लड कैंसरस का समूह)
- पाइलोरी जीवाणु संक्रमण (एक सामान्य पेट का संक्रमण जो कई बार अल्सर का कारण बनता है)
- पाचन सिस्टम के अन्य भागों में ट्यूमर
- पेट के पोलिप्स (पेट की लाइनिंग पर बनने वाले ऊतक की असामान्य वृद्धि)
इन लोगों में भी पेट के कैंसर के होने की संभावना बढ़ जाती है:
- 50 साल से अधिक उम्र के लोग
- पुरुष में संभावना ज्यादा होती है
- धूम्रपान
- जिन लोगों में इस रोग की पारवारिक हिस्ट्री हो
- जो लोग एशिया (खासतौर पर कोरिया और जापान) और साउथ अमेरिका में रहते हैं
- जब आपकी रोग को लेकर निजी मेडिकल हिस्ट्री हो
जीवन शैली भी इस समस्या को बढ़ा सकती है जैसे:
- अगर आप बहुत अधिक नमक या प्रोसेस्ड आहार लेते हों
- अधिक मीट खाते हों
- अधिक एल्कोहॉल लेना
- व्यायाम न करते हों
- खाना अच्छे से न पकाना और सही तरीके से स्टोर न करना
- अगर आपमें पेट का कैंसर होने की संभावना अधिक है, तो आपको नियमित रूप से स्क्रीनिंग करा लेनी चाहिए। यह स्क्रीनिंग टेस्ट तब भी किया जाता है, जब किसी को इस खास रोग का जोखिम होने की संभावना हो, लेकिन लक्षण दिखाई न दिए हों।
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उपचार
लोगों को शुरुआत में पेट के कैंसर के लक्षण बहुत कम दिखाई देते हैं, इस रोग का निदान तब तक नहीं किया जा सकता जब तक यह एडवांस चरण तक न पहुंच जाए। इसलिए पेट के कैंसर के कारण के बारे में जानना बेहद आवश्यक है। इस रोग के निदान के लिए डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच करेंगे। इसके साथ ही ब्लड टेस्ट और अन्य टेस्ट भी कराए जा सकते हैं। निदान के लिए अन्य टेस्ट तभी कराए जा सकते हैं। अगर डॉक्टर को रोगी में कैंसर के लक्षण दिखाई देते हैं।
डॉक्टर आपको निम्नलिखित टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं:
- अपर गैस्ट्रोइंटेस्टिनल एंडोस्कोपी
- बायोप्सी
- इमेजिंग टेस्ट्स, जैसे सिटी-स्कैन और एक्स-रे
पेट के कैंसर के उपचार के निम्नलिखित तरीके हैं:
- कीमोथेरेपी
- रेडिएशन थेरेपी
- सर्जरी
- इम्मुनोथेरपी, जैसे वैक्सीन और दवाइयां
रोगी के सही इलाज की योजना कैंसर की स्टेज और अन्य कारणों पर निर्भर है। उम्र और स्वास्थ्य स्थितियों पर भी यह उपचार निर्भर रहता है। उपचार से कैंसर सेल्स का इलाज करने के अलावा कोशिकाओं में कैंसर को फैलने से भी रोका जाता है।
अगर पेट के कैंसर को बिना उपचार के ही छोड़ दिया जाए तो यह निम्नलिखित अंगों में फैल सकता है:
- फेफड़े
- लसीकापर्व (lymph nodes)
- हड्डियां
- लिवर
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घरेलू उपाय
पेट के कैंसर के कारणों के बारे में सही जानकारी नहीं है। इसलिए, इससे छुटकारा पाने का कोई सही तरीका नहीं है, लेकिन आप अपने रोजाना के जीवन में कुछ सावधानियां बरत कर इस रोग के जोखिम से काफी हद तक बच सकते हैं, जैसे :
व्यायाम: रोजाना व्यायाम करने से पेट के कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है। हफ्ते के अधिकतर दिनों में शारीरिक काम या व्यायाम करना न भूलें।
सही आहार: अधिक से अधिक फल और सब्जियां खाएं। रोजाना अपने आहार में इन्हें शामिल करें। इसके साथ ही अपने आहार से तली भुनी या अधिक नमक वाली चीजों को निकाल दें।
धूम्रपान से बचें: अगर आप धूम्रपान करते हैं तो इसे छोड़ दें। धूम्रपान करने से पेट का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, धूम्रपान छोड़ना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर की सलाह लें।
पेट के कैंसर से निजात पाने के लिए कैसी एब्सोल्युट हर्ब को बेहद कारगर माना जाता है। पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए या इसके बारे में अधिक जानने के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें। इसके लक्षणों को पहचाने और सही समय पर इसका इलाज कराएं।