के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
पेट की परत में सूजन या जलन की स्थिति को गैस्ट्राइटिस (Gastritis) कहते हैं। यह आमतौर पर पेट में अल्सर की समस्या उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया से ही गैस्ट्राइटिस भी होती है। गैस्ट्राइटिस दो प्रकार की होती है- एक्यूट गैस्ट्राइटिस और क्रोनिक गैस्ट्राइटिस। एक्यूट गैस्ट्राइटिस अचानक होती है, जबकि क्रोनिक गैस्ट्राइटिस समय के साथ धीरे-धीरे दिखायी देती है।
कुछ गंभीर मामलों में गैस्ट्राइटिस के कारण अल्सर और पेट के कैंसर (Stomach cancer) का भी खतरा रहता है। हालांकि कुछ लोगों में गैस्ट्राइटिस बहुत गंभीर नहीं होती है और इलाज से जल्दी ही ठीक हो जाती है।अगर समस्या बढ़ जाती है, तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है। इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
गैस्ट्राइटिस एक ऐसी समस्या है, जो महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। यह एक आम समस्या है और पूरी दुनिया में लोग गैस्ट्राइटिस से पीड़ित हैं। यह समस्या खराब जीवनशैली, असंतुलित भोजन, एक्सरसाइज (Workouts) न करने सहित कई कारणों से होती है। वयस्कों और बुजुर्गों के अलावा बच्चों में भी गैस्ट्राइटिस की समस्या हो सकती है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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गैस्ट्राइटिस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग दिखायी देते हैं। जबकि कई लोगों में कोई लक्षण दिखायी नहीं देते हैं। गैस्ट्राइटिस (Gastritis) होने पर ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से भोजन के दौरान या रात में पेट में जलन होने लगती है। गैस्ट्राइटिस की समस्या होने से पीड़ित व्यक्ति को चक्कर भी आ सकता है।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षम के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। लगभग हर व्यक्ति को अपच और पेट में जलन की समस्या होती है। कई बार अपच बहुत जल्दी ठीक हो जाता है और इलाज की आवश्यकता नहीं पड़ती है। लेकिन यदि गैस्ट्राइटिस के लक्षण एक हफ्ते से अधिक दिनों तक रहते हैं तो किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।
जब पेट की परत (Stomach lining) कमजोर हो जाती है तो पाचन रस डैमेज हो जाता है और पेट में सूजन आ जाती है जिसके कारण गैस्ट्राइसिट की समस्या उत्पन्न होती है। इसके अलावा गैस्ट्राइटिस हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) नामक बैक्टीरिया के कारण भी होता है। यह बैक्टीरिया पेट की म्यूकस लाइनिंग में रहता है और इंफेक्शन पैदा करता है। इंफेक्शन आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है लेकिन यह प्रदूषित भोजन और पानी के कारण भी फैलता है।
इसके अलावा अत्यधिक शराब (Alcohol) का सेवन, स्ट्रेस (Stress) और एस्पिरिन (Aspirin) एवं एंटीइंफ्लैमेटरी दवाओं के सेवन से भी गैस्ट्राइटिस की समस्या होती है।
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जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि गैस्ट्राइटिस पेट से जुड़ी एक समस्या है, इसलिए समय पर इस बीमारी का इलाज न कराने से पेट की लाइनिंग पतली हो जाती है जिससे अल्सर (Ulcer) एवं पेट के कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। क्रोनिक गैस्ट्राइटिस से पीड़ित मरीजों को भारी जोखिम उठाना पड़ सकता है क्योंकि ऐसे मरीजों में समय के साथ गैस्ट्राइटिस के लक्षण गंभीर हो जाते हैं।
एक्यूट गैस्ट्राइटिस के मरीजों को किसी विशेष जोखिम का सामना नहीं करना पड़ता है। हालांकि गैस्ट्राइटिस के कारण एनीमिया (Anemia), गैस्ट्रिक कैंसर, गुर्दे में परेशानी और आंत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
गैस्ट्राइटिस और कब्ज के बीच संबंध
क्रोनिक गैस्ट्राइटिस और कब्ज के बीच एक गहरा संबंध होता है। लंबे समय से गैस्ट्राइटिस होने सूजन बड़ने लगती है जिसकी वजह से मलाशय भी प्रभावित होने लगता है और कब्ज (Constipation) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
यदि आपको कब्ज है तो इसके कारण या तो आपकी डायट में फाइबर की कमी हो सकती है या अन्य जीवनशैली संबंधी समस्याएं। कब्ज के अन्य कारण में कई छिपी बीमारियां भी आती हैं जैसे कि, गैस्ट्राइटिस, एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux) और सीने में जलन।
अगर आप गैस्ट्राइटिस से ग्रस्त हैं तो आप में कब्ज होने की आशंका भी बड़ जाती है। ऐसे में कब्ज का इलाज करने से गैस्ट्राइटिस से भी छुटकारा पाया जा सकता है। क्योंकि ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि कब्ज के लक्षणों को कम करने की प्रक्रिया में पेट में हुई सूजन और अल्सर भी कम होने लगते हैं।
कब्ज के इलाज के लिए आप चाहें तो कई प्रकार के घरेलू उपायों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि –
अगर आपको क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन की समस्या है तो इस विषय में सबसे पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज की सही जानकारी प्राप्त करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
गैस्ट्राइटिस का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
कुछ मरीजों में इम्यूनोलॉजिकल टेस्ट और सांसों के परीक्षण द्वारा गैस्ट्राइटिस का पता लगाया जाता है। जरूरत पड़ने पर परिवार के अन्य सदस्यों में भी गैस्ट्राइटिस की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर कुछ जांच करते हैं। इससे ये पता चलता है कि भविष्य में परिवार के और कौन लोग इस बीमारी के शिकार होंगे।
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गैस्ट्राइटिस का इलाज इस समस्या के कारणों पर निर्भर करता है। यदि नॉन स्टीरॉइडल एंटी इंफ्लैमेटरी ड्रग्स या एल्कोहल के सेवन के कारण किसी व्यक्ति को एक्यूट गैस्ट्राइटिस है तो ऐसी सभी चीजों का उपयोग बंद कर देने से गैस्ट्राइटिस से राहत मिलती है। गैस्ट्राइटिस के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
1. प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स
ये दवाएं पेट में एसिड बनाने वाली कोशिकाओं को ब्लॉक करने का काम करती हैं। कुछ आम प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स दवाएं ये हैं-
हालांकि इन दवाओं का लंबे समय तक सेवन करने या अधिक खुराक लेने पर, रीढ़, कूल्हे और कलाई के फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही गुर्दा भी काम करना बंद कर सकता है और शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। इसलिए डॉक्टर से उचित सलाह लेकर ही इन दवाओं का सेवन करना चाहिए।
2.एसिड कम करने वाली दवाएं
पेट में बनने वाली एसिड की मात्रा को कम करने के लिए ये दवाओं दी जाती हैं:
डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में बनने वाली एसिड की मात्रा को कम करके ये दवाएं गैस्ट्र्रिटिस के दर्द से राहत देती हैं और आपके पेट की परत को ठीक कर देती हैं।
3. एंटीबायोटिक दवाएं
एंटीबायोटिक दवाएं पाचन तंत्र में इंफेक्शन फैलाने वाली एच. पाइलोरी बैक्टीरिया को मारने के लिए दी जाती हैं। डॉक्टर मरीज को क्लेरिथ्रोमाइसिन और एमोक्सिसिलिन या मेट्रोनिडाजोल जैसी एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। ये दवाएं आमतौर पर 7 से 14 दिनों तक लगातार लेनी पड़ती हैं।
4.एंटासिड
गैस्ट्राइटिस के दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए डॉक्टर एंटासिड दवाएं देते हैं। ये दवाएं पेट में बनने वाली अम्ल को बेअसर कर देती हैं। कुछ एंटासिड का सेवन करने से डायरिया और कब्ज की समस्या हो सकती है इसलिए अपने डॉक्टर से एंटासिड के साइड इफेक्ट के बारे में बात करके इसका सेवन करें।
जब इस बीमारी से जुड़ी सभी समस्याएं ठीक हो जाती हैं तो आमतौर पर गैस्ट्राइटिस से पूरी तरह राहत मिल जाती है। हालांकि आपको किसी भी दवा को बंद करने या अपनी मर्जी से गैस्ट्राइटिस की कोई दवा लेने से पहले डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए।
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अगर आपको गैस्ट्राइटिस है तो आपके डॉक्टर वह आहार बताएंगे जिसमें पर्याप्त मात्रा में फ्लेवोनोइड पाया जाता हो। इसके साथ ही आपको एंटी इंफ्लैमेटरी गुणों से भरपूर और प्रोबायोटिक आहार लेने की जरुरत पड़ेगी। अगर आप चाय और कॉफी पीने के आदी हैं तो इनका सेवन कम करें और कार्बोनेटेड पेय पदार्थ एवं एल्कोहल का सेवन कम करें। वहीं, ऐसे फलों का सेवन न करें, जिनमें अधिक मात्रा में साइट्रिक एसिड पायी जाती हो। निम्न फूड्स में फ्लेवोनोइड की अधिक मात्रा पाई जाती है:
इसके अलावा अपने आहार में अधिक मात्रा में प्रोबायोटिक जैसे दही और फाइबर शामिल करने से पेट का इंफेक्शन दूर होता है और पाचन क्रिया बेहतर होती है जिससे गैस्ट्राइटिस की समस्या से राहत मिलती है।
गैस्ट्राइटिस से पीड़ित होने पर नियमित हल्का आहार लें और पर्याप्त एक्सरसाइज करें। दिन भर में आठ से दस गिलास गुनगुना पानी पीने और सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ कच्चे लहसुन की कलियों का सेवन करने से भी यह समस्या काफी हद तक ठीक हो जाती है।
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पिपरमिंट, गाजर का जूस, नारियल पानी, हरी पत्ते वाली सब्जियां, सेब, लाल रंग की खट्टी बेरी का रस, गोभी, मटर और दाल आदि का उचित मात्रा में सेवन करने से पेट में एच. पाइलोरी बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं होती है और गैस्ट्राइटिस के लक्षण घटते हैं। इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
अगर गैस्ट्राइटिस का इलाज नहीं करवाया जाए तो इसके कारण पेट में ब्लीडिंग हो सकती है और अल्सर बड़ सकते हैं। गैस्ट्राइटिस के कुछ विशेष प्रकार पेट के कैंसर का खतरा बड़ा सकते हैं, खासतौर से उन लोगों में जिनके पेट की लाइनिंग बेहद पतली होती हैं।
इस प्रकार की गंभीर जटिलताओं के कारण गैस्ट्राइटिस के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करना सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। अपने डॉक्टर को बताएं की आप किस प्रकार के लक्षणों को महसूस कर रहे हैं और क्या वह कितने समय से हैं। गैस्ट्रिटिस को कभी भी क्रोनिक गैस्ट्राइटिस न बनने दें।
गैस्ट्राइटिस होने पर आपको क्या करना चाहिए यह बीमारी के कारण पर निर्भर करता है। एक्यूट गैस्ट्राइटिस अपने आप बिना किसी इलाज के ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में एच. पाइलोरी संक्रमण होने पर इसे एंटीबायोटिक के दो राउंड की मदद से ठीक किया जा सकता है। लेकिन कुछ मामलों में इलाज पूरी तरह से सक्षम नहीं हो पाता है जिसके कारण गैस्ट्राइटिस क्रोनिक गैस्ट्राइटिस का रूप ले लेता है। अपने डॉक्टर से बात कर के एक प्रभावशाली इलाज की योजना तैयार करें।
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