पिछले 40 दिनों में आपने अपनी जिंदगी में क्या बदलाव महसूस किए हैं ? अगर आप इस बारे में सोचेंगे तो एक नहीं बल्कि कई बातें आपके जहन में आ जाएंगी। जब लॉकडाउन की घोषणा की गई थी तो कुछ लोगों ने पैनिक बाइंग यानी अधिक मात्रा में राशन का सामान खरीद कर रख लिया था। राशन का कुछ सामान ऐसा होता है जिसे लंबे समय तक स्टोर कर रखा जा सकता है, लेकिन आप खाने के सभी सामान को लंबे समय तक स्टोर कर नहीं रख सकते हैं। लॉकडाउन के दौरान लोगों की आदतों में बहुत से बदलाव भी नजर आएं हैं। घर में खाने की कमी न हो और खाने के साथ अन्य चीजों की बर्बादी न हो, इस बात का बच्चों से लेकर बुजुर्गों ने भी ध्यान रखा है। यानी यह कहा जा सकता है कि लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल का चलन देखने को मिल रहा है।
खान-पान की चीजों की बर्बादी न करना वाकई अच्छी आदत है। लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लिविंग अपनाकर लोगों ने ये साबित कर दिया है कि भले ही मजबूरी में ही सही, लेकिन सभी लोगों ने अच्छी आदत को अपना लिया है। अगर आप भी लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल के फायदों के बारे में नहीं समझ पाई हैं तो ये आर्टिकल पढ़ें। जानिए कि किस तरह से जीरो वेस्ट लिविंग की आदत को अपनाकर बेहतर कदम उठाया जा सकता है और बर्बादी को रोका जा सकता है
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लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल : अधिक मात्रा में न खरीदें सब्जियां
ज्यादातर घरों में एक सप्ताह से ज्यादा के लिए सब्जयों का स्टॉक कर लिया जाता है। कुछ सब्जियां फ्रिज में फ्रेश रहती हैं, जबकि कुछ सब्जियां खराब हो जाती हैं। ऐसे में सब्जियों को फेंफना पड़ता है। आपने फिलहाल महसूस किया होगा कि घर में सब्जियों की बर्बादी नहीं हुई होगी। सब्जियों के न मिल पाने का डर और सब्जियों का सही रखरखाव ही इसके पीछे मुख्य वजह है। लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लिविंग के लिए जरूरी है कि कम मात्रा में सब्जी खरीदें और उन्हें बरबाद होने से बचाएं। कोरोना महामारी के कारण कई लोगों को सही से खाना भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, ऐसे में खाने की बर्बादी रोकना हम सबकी जिम्मेदारी है। इसकी शुरूआत अपने घर से करें। ये आदत सिर्फ अभी के लिए न आपनाएं बल्कि खाने की बर्बादी को रोकने के लिए हमेशा तत्पर रहें।
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लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लिविंग : क्या इस बात पर दिया है ध्यान ?
कुछ लोगों की आदत होती है कि वो सुबह का खाना शाम को नहीं खाते हैं। अगर आपने खाने को फ्रिज करके रखा है तो खाना छह से सात घंटे में खराब नहीं होता है। हो सकता है कि आप पहले खाना फेंक देते हो। सोचिए, ऐसा करने से कितना खाना बरबाद होता है। ऐसा बिल्कुल न करें। एक बार में उतना ही खाना बनाएं जितना आपको खाना हो। कुछ सब्जियों के छिलके को सुरक्षित रखें। फिर जरूरत पड़ने पर उन्हें पानी में उबालकर वेजीटेबल स्टॉक बनाया जा सकता है। लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल अपनाने के लिए ये तरीका अपनाया जा सकता है। कोरोना महामारी से बचने के लिए इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खट्टे फलों को खाने में शामिल करें। संतरे, नींबू आदि के छिलकों को पानी में उबालकर पीना सेहत के लिए अच्छा है। आपको बताते चले कि खट्टे फल खाने से इम्यूनिटी मजबूत होने के साथ ही विटामिन सी भी प्राप्त होती है।
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लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल : फ्रीजिंग फूड का इस्तेमाल
ब्रिटिश फूड जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, लॉकडाउन में फ्रीजिंग फूड का इस्तेमाल करने से खाने की बर्बादी छह गुना कम हो जाती है। वैसे तो फ्रेश फूड स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं लेकिन कुछ फूड को फ्रिज करके लंबे समय तक रखा जा सकता है। सब्जियों के कचरे को कभी भी ऐसे न फेंके। अगर आपके घर में बागवानी है तो बेहतर होगा कि वहां कुछ पौधे लगाएं। गीले और सूखें कचरे को अलग-अलग रखें। ऐसा करने से पौधे के लिए अच्छी खाद भी बनाई जा सकती है। आप चाहे तो गर्बेज गार्डनिंग का विकल्प भी चुन सकते हैं। ऐसा करने से फलों और सब्जियों के छिलकों का सही उपयोग हो जाएगा।
लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल : इन तरीकों को भी अपनाएं
लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल अपनाने से मतलब सिर्फ खाने तक ही सीमित नहीं है। ऐसे कई तरीके हैं, जिनकी हेल्प से वेस्ट घर में कम इकट्ठा होगा। आप टिशू पेपर की जगह रूमाल यूज कर सकते हैं। मैस्ट्रुअल कप, पैड्स के स्थान पर यूज करना भी बेहतरीन तरीका हो सकता है। फिलहाल लॉकडाउन में जीरो वेस्ट लिविंग के लिए लोगों का माइंडसेट हो चुका है। कई लोगों को इस बारे में पता चल चुका है कि जिंदगी में बहुत सी ऐसी चीजों हैं, इनके बिना भी हम जी सकते हैं। रोजाना दो से तीन टाइम का खाना, दो-तीन जोड़ी कपड़ों के साथ ही कुछ जरूरी चीजों को छोड़ दिया जाए तो जिंदगी जीना इतना भी कठिन नहीं है। यानी हम सभी लोगों को बिना यूज की चीजों को खरीदने में रोक लगानी पड़ेगी। सब लोग इस बात का पालन कर पाएं, ये जरूरी नहीं है। लेकिन जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल अपनाने के लिए आदतों में बदलाव बहुत जरूरी है। कोरोना महामारी ने हम लोगों को बहुत कुछ सिखा दिया है।
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