प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) हर महिला में पीरियड्स (मासिक धर्म) शुरू होने के पहले शारीरिक और मासिक भावनात्मक बदलाव होते हैं। इस बदलाव को प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम कहते हैं। ऐसा पीरियड्स के एक या दो हफ्ते पहले से होता है। महिलाएं इस दौरान चेहरे पर मुंहासे, स्तन का सॉफ्ट होना, सूजन, चिड़चिड़ापन, थकावट और मूड स्विंग जैसी परेशानी महसूस करती हैं।
सवाल: मैं प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual Syndrome) की समस्या से परेशान रहती हूं, क्या इससे बचा जा सकता है?
जवाब: प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) की काफी महिलाएं परेशान रहती हैं और शरीर में हो रहे इस शारीरिक परेशानी को ठीक भी नहीं कर पाती हैं। हालांकि ऐसा नहीं है की इसका इलाज नहीं है। मैंने अपनी पेशेंट को शतावरी लेने की सलाह दी। जिसका सेवन काफी सकारात्मक रहा।
शतावरी (Asparagus Racemosus) को सर्वगुण संपन्न माना जाता है। शतावरी में मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट (Anti Oxidant), एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-डिप्रेसेंट जैसे तत्व मौजूद होते हैं जो इसे क्वीन ऑफ हर्ब (औषधि की रानी) की श्रेणी में रखता है। इसके जड़ में औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसलिए इसके सेवन से शारीरिक लाभ मिलता है और इससे इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होता है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) की समस्या से राहत पाने के लिए शतावरी टॉनिक मेडिकल स्टोर से आसानी से खरीदा जा सकता है। शतावरी को फीमेल टॉनिक भी कहा जाता है। शतावरी में मौजूद स्टेरॉयडल सैपोनिंस (Steroidal saponins) हॉर्मोन लेवल को बैलेंस्ड करता है। इसलिए इसके सेवन इस्ट्रोजन रेगुलेट होता है। इसके सेवन से पीरियड्स के पहले और पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानी जैसे चेहरे पर मुंहासे, स्तन का सॉफ्ट होना, सूजन, चिड़चिड़ापन, थकावट, मूड स्विंग, अत्यधिक ब्लीडिंग होना, क्रैंप महसूस होना या ऐसी कोई और परेशानी को कम करने में सहायक होता है। दरअसल शतावरी हैपी हॉर्मोन जैसे एंडॉर्फिन, सेरोटोनिन और डोपामाइन को भी संतुलित रखने में सहायक होता है।
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अगर कोई महिला तनाव, इम्यूनिटी या इनफर्टिलिटी जैसी परेशानी से पीड़ित हैं तो ऐसी स्थिति में भी शतावरी का सेवन लाभदायक होता है। यही नहीं गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन से मिसकैरिज से भी बचा जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान शतावरी का सेवन किस तरह करना है इसकी राय आयुर्वेदिक डॉक्टर से समझकर करें।
पीरियड्स के पहले, पीरियड्स के दौरान और साथ ही मेनोपॉज (Menopause) के दौरान भी इसका सेवन हितकारी होता है। शतावरी के सेवन कई फायदे होते हैं जैसे इससे सेक्शूअल हेल्थ बेहतर होता है, जेनाइटल एरिया में ब्लड फ्लो ठीक तरह से होता है, सेक्शूअल सेंसिटिविटी और वजायना को लुब्रिकेट करने में सहायक होता है।
ऐसा नहीं है की सिर्फ महिलाएं ही इसका सेवन कर सकती है बल्कि पुरुष भी इसका सेवन कर सकते हैं। शतावरी को अश्वगंधा के साथ मिलकर सेवन करने से स्पर्म की क्वॉलिटी और स्पर्म काउंट को बेहतर रखा जा सकता है। इसका सेवन दूध के साथ मिलाकर भी किया जा सकता है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual Syndrome) के दौरान क्या खाएं?
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान आप नीचे बताई गई चीजें खा सकते हैं, जो आपको कुछ हद तक राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं :
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान हरी पत्तेदार सब्जियां (Green Leafy Vegetables) और फल खाएं
इन कठिन दिनों में आप हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों का सेवन करें। हरी पत्तेदार जैसी सब्जियों में आयरन और विटामिन-बी की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो थकान दूर करती है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान खाएं जैतून का तेल (Olive Oil)
आप चाहें तो जैतून के तेल का सेवन कर सकती हैं। अगर आप कोई सब्जी या साग बना रहीं हैं, तो उसे जैतून के तेल में पका सकती हैं। आप इसमें लहसुन और प्याज का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान खूब पानी पिएं
महिलाओं को अपने शारीरिक कद और भार के अनुसार पानी पीना चाहिए। पानी की मात्रा अधिक रहने से शरीर के अंगों में आई सूजन कम होती है। साथ ही, आप जो भी खाती हैं उसे भी पचाने में मदद मिलती है।
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प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान खाएं अधिक कैल्शियम (Calcium) और कम फैट वाले उत्पाद
कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि अधिक कैल्शियम जैसे- दही, दूध, सोया उत्पादों को खाने से प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान करे विटामिन-डी (Vitamin-D) का सेवन
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान विटामिन-डी आपको राहत पहुंचा सकता है। विटामिन-डी, प्राकृतिक रूप से सार्डिन (एक प्रकार की मछली) और सीप जैसे सी-फूड में पाया जाता है। जिनके सेवन से आप विटामिन-डी की कमी को पूरा कर सकती हैं।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान खाएं फाइबर (Fiber) से भरपूर चीजें
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान आप फाइबर युक्त चीजें खाएं, जिसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी हो। इसके लिए आप शकरकंद, कद्दू, दाल और आलू का सेवन कर सकती हैं। फाइबरयुक्त चीजें आपके इंसुलिन स्तर को संतुलित रखने में मदद करती हैं, जो आपके मूड को नियंत्रित करने में मदद करती है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान खाएं साबुत अनाज
इस दौरान आपके लिए साबुत अनाज का सेवन करना भी फायदेमंद साबित हो सकता है। साबुत अनाज आपको मानसिक रूप से शांत रखने में मदद कर सकता है। इसके लिए आप ब्राउन ब्रेड, ब्राउन राइस जैसी चीजें खा सकते हैं।
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प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान आयरन (Iron Foods) से भरपूर खाना खाएं
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दिनों में आयरन की मात्रा बढ़ा सकती हैं। आयरन एनीमिया से बचाने में मदद कर सकता है। जो महिलाएं मांसाहारी हैं, उनके लिए रेड मीट बेहतर हो सकता है। वहीं, अगर आप शाकाहारी हैं, तो हरी सब्जियां, आयरन से भरपूर फल का सेवन करना फायदेमंद होता है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान नाश्ते से कभी न करें इंकार
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के दौरान हार्मोन में बड़ा बदलाव होता है, जिसकी वजह से किसी खाने की इच्छा कम होने लगती है, तो किसी को बहुत भूख लगती है। लेकिन, कुछ भी हो, आप सुबह का नाश्ता जरूर करें, क्योंकि नाश्ता नहीं करने के कारण आपके खून में शुगर लेवल असंतुलित हो सकता है। अगर खाने का मन नहीं है, तो आप हल्का नाश्ता कर सकती हैं।
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प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual Syndrome) के दौरान खाएं व्यायाम करें
खाने के साथ-साथ महिलाओं को अपनी दिनचर्या में व्यायाम भी शामिल करना चाहिए। व्यायाम करने से भी आप प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) की समस्या से कुछ हद तक राहत पा सकते हैं। आप चाहें तो प्रशिक्षक की सलाह लेकर उचित व्यायाम कर सकती हैं।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual Syndrome) के दौरान खाएं सूखे मेवे (Dry Fruits)
चिप्स या तला-भुना कुछ भी खाने की बजाए आप नाश्ते में सूखे मेवे खा सकती हैं। इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जिससे काफी देर तक आपको भूख नहीं लगेगी। हालांकि, ऐसी महिलाएं जिन्हें सूखे मेवे से किसी भी प्रकार की एलर्जी होती है वो इनका सेवन करने से पहले उन्हें अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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