अनियंत्रित डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण लोगों की खराब लाइफस्टाइल देखी गई है, जिसमें डायट भी शामिल हे। क्योंकि डायबिटीज के मरीज क्या खाते हैं और क्या नहीं, यह दोनों ही बातें बहुत महत्वपूर्ण हैं। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे डायबिटीज पेशेंट में न्यूट्रिशन थेरिपी (Nutrition therapy in diabetic patient) की, जो शुगर के मरीजों की बिगड़ी हुई शुगर को कंट्रोल में ला सकता है, यानि कि न्यूट्रिशन थेरिपी की मदद से कुछ डायबिटीज के मार्कर को कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि डायबिटीज पेशेंट में न्यूट्रिशन थेरिपी (Nutrition therapy in diabetic patient) क्या है?
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डायबिटीज (Diabetes) क्या है?
डायबिटीज पेशेंट में न्यूट्रिशन थेरिपी के बारे में जानने से पहले जानते हैं कि डायबिटीज है क्या? डायबिटीज एक प्रकार का एंडोक्राइन डिसऑर्डर है, जो कि शरीर में इंसुलिन में आई गड़बड़ी के कारण होती है। डायबिटीज तीन प्रकार की होती है, पहला डायबिटीज टाइप 1, जिसमें शरीर में पर्याप्त इंसुलिन का निमार्ण नहीं हो पाता है। तो वहीं डायबिटीज टाइप 2 में शरीर इंसुलिन का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाता है, यानि कि इंसुलिन एनर्जी में कंवर्ट नहीं हो पाती है, जिसके कारण ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ती जाती है। तीसरी है जेस्टेशनल डायबिटीज, जो प्रेग्नेंट महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान देखी जाती है।
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हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia)
इस बारे में एंडोक्राइनोलाॅजिस्ट डॉक्टर सूर्यकांत का कहना है कि हाय डायबिटीज का कारण खराब डायट पैटर्न है। जैसे कि जब आप बहुत अधिक चीनी का सेवन करते हैं, तो अतिरिक्त चीनी मांसपेशियों और यकृत में जमा होने लगती हैं। यदि मरीज का ब्लड शुगर लेवल 72 मिग्रा/DL से भी नीचे चला जाता है, तो उस स्थिति को हायपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर कहते हैं। हमारे शरीर का सामान्य ब्लड शुगर लेवल 80-110 मिग्रा/DL के बीच होता है और 90 मिग्रा/DL को औसत ब्लड शुगर लेवल माना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मरीज को चक्कर आना, बेहोशी और घबराहट जैसी दिक्कतें आती हैं। हायपोग्लाइसीमिया के लक्षणों में शामिल हैं:
- सांस लेने में दिक्कत महसूस होना (Breathing Problem)
- पसीना आना (Sweating)
- ठंड लगना
- चक्कर आना (Dizziness)
- दिल की धड़कन तेज होना (Fast heartbeat)
- जी मिचलाना (Getting nausea)
- चिड़चिड़ापन (Irritability)
- सिर दर्द होना (Headache)
हायपोग्लाइसीमिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन डायबिटीज पेशेंट में हायपोग्लाइसीमिया उनके द्वारा ली जा रही दवा के साइड इफेक्ट के रूप में हो सकता है। हाय कार्बोहाइड्रेट फूड के सेवन से खाने से आमतौर पर आपके रक्त शर्करा को सामान्य स्तर तक बढ़ाने में मदद मिलती है।
हायपरग्लेसेमिया उपवास के दौरान 125 मिलीग्राम / डीएल से अधिक रक्त ग्लूकोज है, जिसे कम से कम आठ घंटे तक नहीं खाने के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह मधुमेह वाले लोगों में हो सकता है यदि वे बहुत अधिक कार्बोहाइड्रेट खा रहे हैं, अपनी दवा गलत तरीके से ले रहे हैं, या उनकी दवा उतनी प्रभावी नहीं है जितनी होनी चाहिए। 5 तनाव और सुबह की घटना, हार्मोन का एक उछाल जो उच्च रक्त शर्करा का कारण बनता है सुबह में, हाइपरग्लेसेमिया भी हो सकता है।
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हायपोग्लाइसीमिया के लक्षणों (Symptoms of Hypoglycemia) को जानें
हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं:
- ठंड अधिक लगना
- घबराहट होना
- चिड़चिड़ापन महसूस होना
- उलझन महूसस होना
- चक्कर आना
- भूख कम लगना
- बालों का झड़ना
- मतली महसूस होना
- रक्त प्रवाह में कमी के कारण त्वचा में पीलापन
- थकान अधिक लगना
- सिरदर्द होना
- बुरे सपने आना या नींद के दौरान रोना
- बरामदगी
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डायबिटीज पेशेंट में न्यूट्रिशन थेरिपी क्या है (What is nutrition therapy in diabetic patient)?
अगर हम बात करें डायबिटीज पेशेंट में न्यूट्रिशन थेरिपी की तो यह चिकित्सा सबसे ज्यादा तब प्रभावकारी साबित हो सकती है, जब डायबिटीज का लेवल बहुत हाय होता है और शुगर कंट्रोल नहीं हो रहा होता है। यह थेरिपी डायबिटीज के तीनों प्रकार में काम आ सकती है, लेकिन तीनों का थेरिपी पैटर्न अलग होता है। जैसा कि टाइप टाइप 1 में पेंक्रियाज उचित मात्रा में इंसुलिन का निमार्ण कर कर पाता है। तो वहीं टाइप 2 में शरीर इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता है, जिसकी वजह से रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़नें लगता है। डायबिटीज की समस्या अपने साथ और भी कई बीमारी को लेकर आती है, इसका प्रभाव हार्ट, किडनी और नर्व आदि पर पड़ सकता है। ऐसे मरीजों में हार्ट प्रॉब्लम, स्ट्रोक और किडनी डैमेज का खतरा अधिक होता है। डायबिटीज से होने वाले समस्याओं को न्यूट्रिशन थेरिपी की मदद से ठीक किया जा सकता है। इसमें कुछ डायबिटीज के मार्कर को कंट्रोल किया जा सकता है, जैसे कि हीमोग्लोबिन HbA1c1 इसके लिए आप A1c1 टेस्ट भी करवा सकते हैं। ये लॉन्ग टर्म ब्लड शुगर कंट्रोल इंडिकेटर होता है। डायबिटीज पेशेंट में न्यूट्रिशन थेरिपी एक पैटर्न डायट प्लान की जाती है, जो रक्त शर्करा, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में संतुलन बनाए रखता है। इसमें खाने डायट प्लान व्यक्तिगत और शरीर के जरूरी पोषक तत्वों की प्राथमिकताओं पर आधारित होती है।
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टाइप 1 और 2 मधुमेह के उपचार में डायबिटीज पेशेंट में न्यूट्रिशन थेरिपी की भूमिका (Role of nutrition therapy in diabetic patients in the treatment of type 1 and 2 diabetes)
जैसे ही इसमें शुगर लेवल का निदान किया जाता है, तो यह न्यूट्रिशन थेरिपी टाइप 1 डायबिटीज के लिए कम्पलिट ट्रीटमेंट योजना है। इसमें ग्लाइसेमिक पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए, टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों को भोजन के कार्बोहाइड्रेट तत्व को प्रांडियल इंसुलिन के साथ समन्वयित किया जाता है। टाइप 1 डायबिटीज वाले व्यक्ति को प्लान युक्त कार्बोहाइड्रेट सेवन पर जोर दिया जाता है। इसके अलावा टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए, न्यूट्रिशन थेरिपी महत्वपूर्ण है। टाइप 2 मधुमेह के जोखिम वाले लोगों में अधिक वजन से शुरू होने वाली मेटाबॉल्जिम प्रॉब्लम को दूर करने के साथ यह इंसुलिन रेजिस्टेंट को भी कंट्रोल करता है। हालांकि प्रीडायबिटीज इस डायट पैटर्न में शामिल नहीं है। प्रीडायबिटीज का इलाज जीवनशैली में सुधार कर के किया जाना चाहिए। इस थेरिपी पैटर्न से डायबिटीज को लंबे समय तक कंट्रोल किया जा सकता है।
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न्यूट्रिशन थेरिपी ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन को कम करने में कारगर है (Nutrition therapy is effective in reducing glycated hemoglobin)
टाइप 1 मधुमेह वाले व्यक्तियों के लिए ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) में प्रलेखित कमी -0.3 से -1% देखी गई। 2,18–20 टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में, HbA1c में कमी -0.5 से -2% .10 तक थी। ,13,21,22 रिपोर्ट की गई एचबीए1सी में कमी मधुमेह के लिए वर्तमान में उपलब्ध फार्माकोलॉजिकल उपचारों के साथ उपचार के साथ अपेक्षा की तुलना में समान या अधिक है (तालिका 1 देखें)। आदर्श रूप से, टाइप 1 या 2 मधुमेह वाले लोगों को मधुमेह चिकित्सा पोषण चिकित्सा (एमएनटी) के लिए एक न्यट्रिनिस्ट के पास भेजा जाना चाहिए। डायबिटीज से ग्रसित वयस्कों के लिए न्यूट्रीशन थेरेपी स्वास्थ्य देखभाल का एक अनिवार्य घटक है। एमएनटी के दौरान, आरडी/एनएस व्यक्ति को जीवनशैली में बदलाव और लॉन्ग टर्म खाने की आदतों और स्वास्थ्य को प्रभावित करने के लिए आवश्यक व्यवहार परिवर्तनों पर सलाह दी जाती है।
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इस तरह से आपने जाना कि डायबिटीज पेशेंट में न्यूट्रिशन थेरिपी क्या है और डायबिटीज पेशेंट में न्यूट्रिशन थेरिपी के दौरान किन बातों का ध्यान रखना आवश्क है। डायबिटीज के मरीजों के लिए सही डायट पैटर्न बहुत आवश्यक है। इस न्यूट्रिशन थेरिपी से डायबिटीज को लंबे समय तक कंट्रोल में रखा जा सकता है। अन्य जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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