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मोटापे और डायबिटीज से इंसुलिन रेजिस्टेंस का होना हो सकता है खतरे का संकेत!

मोटापे और डायबिटीज से इंसुलिन रेजिस्टेंस का होना हो सकता है खतरे का संकेत!

आज के समय में बढ़ता मोटापा डायबिटीज जैसे कई बड़ी बीमारियों का कारण है। इसकी वजह से भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग मोटापे की समसया से परेशान हैं। मोटापा खुद में ही एक ऐसी बीमारी है,जो शरीर में हजारो बीमारियों को जन्म दे सकती है। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे मोटापे और डायबिटीज से इंसुलिन रेजिस्टेंस का होना क्या है? इसकी वजह से आप किन-किन बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं। समय रहते आपको इससे अलर्ट होने की जरूर है, नहीं तो यह आपके लिए भविष्य में खतरे की घंटी बन सकता है। तो आइए जानते हैं कि मोटापे और डायबिटीज से इंसुलिन रेजिस्टेंस का होना क्या है और इससे बचाव के लिए आपको क्या करना चाहिए? इससे पहले यह भी जान लेते हैं कि इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या है?

इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या है (insulin resistance)?

इंसुलिन रेजिस्टेंस एक हेल्थ कंडिशन है, जो कि शरीर में कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकती है। । इंसुलिन रेजिस्टेंस का मतलब है कि आप शरीर में इंसुलिन का नियंत्रित स्तर न होना है। इसके लक्षण रोगी को महसूस नहीं होते हैं। मोटापे से शिकार लोगों में इसके सबसे ज्यादा इंसुलिन रेजिस्टेंट की समस्या देखी जाती है,खासतौर पर उनमें, जो ओबसिटी के शिकार होते हैं। इसके अलावा यह समस्या उन लोगों में भी ज्यादा देखने को मिलती है, जिनकी लाइफस्टाइल भी बिगड़ी हुई होती है और जाे लोग खाने में हाय कार्बोहाइड्रेड्स का सेवन करते हैं। वैसे यह यह समस्या 40 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में अधिक देखने को मिलती है। लेकिन आजकल कम उम्र वाले मोटापे से ग्रस्त लोगों भी यहा समस्या आम है। इंसुलिन रेजिस्टेंस के  लक्षण इस प्रकार है:

  • फास्टिंग में ग्लूकोज लेवल 100-125 एमजी/डीएल हो सकता है
  • पुरुषों में जहां 40 एमजी/डीएल से कम और महिलाओं में 50 एमजी/डीएल से कम हो सकता है।
  • घबराहट अधिक महसूस होना
  • थकान होना

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क्या है टाइप-2 डायबिटीज और मोटापा का संबंध

मोटापा सामान्य रूप से शारीरिक परिवर्तनों से जुड़ा होता है जो उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 मधुमेह जैसी बीमारियों के विकास का कारण बन सकता है। बढ़ता मोटापा टाइप-2 डायबिटीज के खतरे का सबसे पहला कारण है। जो भविष्य में कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। गलत खानपान मोटापे का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए मोटापे को डायबिटीज के जोखिम का सबसे बड़ा कारण माना गया है। इतना ही नहीं, मोटापे के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस विकसित होन की समस्या का भी रिस्क अधिक बढ़ जाता  है। इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है, जो शरीर में जाकर शुगर के साथ मिलकर उसके सही इनटैक को संभव बनाने में करागर है।  डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण इंसुलिन की कमी होना भी हाे सकता है। मोटापे और डायबिटीज टाइप 2 का बहुत गहरा संबंध है, क्योंकि डायबिटीज एक क्रॉनिक मेटाबॉलिक बीमारी है, जिसमें इंसान को हाय ब्लड शुगर लेवल का सामना करना पड़ता है। यह असंतुलित इंसुलिन का उत्पादन (टाइप 1 डायबिटीज) होता है, या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का ठीक तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं, तो टाइप 2 डायबिटीज की समस्या भी हो सकती है।

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मोटापा कम करके टाइप 2 मधुमेह का उपचार और रोकथाम

टाइप 2 मधुमेह के उपचार और रोकथाम के लिए, मोटापा कम करना पूरी दुनिया में एक प्रमुख लक्ष्य है। मोटापा और मधुमेह दोनों के इलाज के मुख्य उद्देश्य हैं: –

शारीरिक गतिविधि है जरूरी

रक्त शर्करा को कम करने के लिए दवाओं को सेवन के साथ मधुमेह और मोटापे के नए निदान के लिए रोज नियमित रूप से एक्सरसाइज बहुत जरूरी है।

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वसा और मधुमेह के बीच संबंध

फैटी एसिड लिवर, किडनी और मांसपेशियों के लिए ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं और लिवर में ट्राइग्लिसराइड्स के उत्पादन में मदद करते हैं। लंबे समय तक उपवास की अवधि में, फैटी एसिड ऊर्जा के स्रोत के रूप में ग्लूकोज की जगह लेते हैं। ये फैटी फ्री एसिड सफेद वसा ऊतक में ट्राइग्लिसराइड्स के रूप में शरीर में जमा होते हैं। फास्टिंग यानि खाली पेट के समय, लिपोलिसिस या वसा के टूटने की प्रक्रिया द्वारा ट्राइग्लिसराइड्स से मुक्त फैटी एसिड निकलते हैं। एक बार मांसपेशियों में इन फैटी एसिड को ऊर्जा छोड़ने के लिए ऑक्सीकरण किया जाता है। इंसुलिन हमारे शरीर में मुख्य हाॅर्मोन में से एक हँ, जो वसा के टूटने को प्रयोग करने योग्य ग्लूकोज को नियंत्रित करता है। जब इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है, तो इस नियमन की कमी होती है और परिणामस्वरूप मुक्त फैटी एसिड के स्तर में वृद्धि होती है।

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रिस्क फैक्टर्स

अब सवाल उठता है कि डायबिटीज क्यों होता है? तो इसके होने के कई कारण हो सकते है, जो सभी में अलग-अलग देखे जाते हैं। उनमें में कुछ कारण मुख्य है, जिनमें शामिल हैं:

वजन बहुत अधिक होना

• शरीर में वसा

• शारीरिक रूप से कम एक्टिव होना

• फैमिली हिस्ट्री

• बढ़ती उम्र भी इसका एक कारण है

• प्री-डायबिटीज की समस्या का होना

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 डायब‍िटीज में क्या खाएं और क्या नहीं

डायबिटीज के मरीजों के लिए सही खानपान का होना बहुत जरूरी है। उन्हें अपने डायट में अधिक कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थों जैसे आलू, गोभी, गाजर, चावल, केला, कटहल और ऑयली फूड के सेवन से बचना चाहिए। ऑयली फूड के अलावा चाय और कॉफी को भी अधिक मात्रा में सेवन न करें। एल्कॉहल के सेवन से बचें, जंक फूड्स और फॉस्ट फूड्स में एम्पटी कैलोरीज होती हैं और पोषक तत्व नाममात्र के होते हैं। इसलिए इसके सेवन से बचना चाहिए। अपने डायट में मौसमी फल और को भी शामिल करें। यह शरीर के लिए अच्छा होता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण कई बीमारियां हो सकती है।  इसलिए जरूरी है कि आप इस बीमारी से बचाव के लिए या फिर इस हेल्थ कंडीशन से बचाव के लिए शरीर से अतिरिक्त फैट को कम कर हेल्दी खाद्य पदार्थ का सेवन कर और एक्सरसाइज कर इस प्रकार की बीमारी से बचाव कर सकते हैं। वहीं 40 साल से अधिक उम्र के लोगों को नियमित तौर पर डायबिटीज और इंसुलिन से संबंधित ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए ताकि समय रहते बीमारी का पता चल सकें और इसके बचाव संबंधी कदम उठाए जा सकें। एक्सपर्ट बताते हैं कि इंसुलिन रेजिस्टेंस को कंट्रोल कर स्वस्थ्य जीवन और लंबे समय तक जीवित रहा जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाएं। अधिक सलाह के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

ftp://ftp.cordis.europa.eu/pub/fp7/health/docs/diabetes-and-obesity-research-projects-fp6_en.pdf Accessed 2 December,2021

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www.journalofdiabetology.org/…/RA-1-JOD-10-001.pdf Accessed 2 December,2021

Current Version

03/12/2021

Niharika Jaiswal द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari

Updated by: Manjari Khare


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Sayali Chaudhari

फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 03/12/2021

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