आपके घर में या आपके आस-पास किसी न किसी के आंखों में चश्मा लगा हुआ आपने देखा ही होगा। बच्चों से लेकर बूढ़े तक चश्मा किसी को भी लग सकता है। आप जब चश्मे वाले किसी व्यक्ति को देखते हैं तो आप इतना समझ जाते हैं कि उसकी आंख में कोई समस्या होगी या उसने शौक में लगाया होगा। बहुत कम ही लोग जानते हैं चश्मे के प्रकार कितने होते हैं। किन-किन कारणों से इन्हें पहना जाता है। आप ज्यादातर दो चश्मों के बारें में सुनते आएं हैं एक पावर वाला चश्मा एक धूप वाला चश्मा। दरअसल चश्मे की कैटेगरी इससे बहुत बड़ी है। तमाम तरीके के फ्रेम, डिजाइन जिसमें तरह-तरह के लेंस अलग-अलग कारणों से प्रयोग किए जाते हैं। आज हम इसी विषय पर आपको जानकारी देगें।
चश्मे के प्रकार
चश्मे के प्रकार तो कई होते हैं लेकिन आपके लिए कौन-सा बेहतर है आपको यह जानना है। हम सभी जानते हैं चश्मा दो चीजों से मिलकर बना होता है एक चश्मे का लेंस और दूसरा उसका फ्रेम। हम सबसे पहले बात करेंगे चश्मे के लेंस के बारें में। आमतौर पर लेंस के कई प्रकार होते हैं लेकिन चश्मे में लेंस कौन सा होगा यह आपके आंखों की समस्या पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं लेंस कितने प्रकार का होता है, यह किस प्रयोग में लाया जाता है, साथ ही आपके लिए किस तरह से उपयोगी है।
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सिंगल-विज़न ग्लास
सभी जानते हैं, लेंस आपकी समस्याओं पर निर्भर करता है। सिंगल-विज़न ग्लास कभी-कभी उन बच्चों या वयस्कों के लिए निर्धारित होते हैं जिन्हें दूर की वस्तुओं को देखने में परेशानी होती है, ऐसी स्थिति जिसे मायोपिया कहा जाता है। उन्हें ऐसे लोगों के लिए भी निर्धारित किया जा सकता है, जिनके पास हाइपरोपिया नामक स्थिति होती है, इसमें उन्हें दूर की चीजें साफ दिखाई देती है और करीब से देखने में परेशानी होती है।
-इस ग्लास का प्रयोग वो लोग भी करते हैं जिन्हें पास की चीजें देखने में समस्या होती है। ज्यादातर मामलों में उनके रीडिंग ग्लास लेने की सलाह दी जाती है। यह हर उम्र के लोगों के लिए होता है। ज्यादातर मामले में ये समस्या बढ़ती उम्र के साथ दिखाई पड़ती है। लगभग 40 और 60 की उम्र के बीच समय-समय पर आपको अपने चश्मे को बदलने की आवश्यकता होती है।
मल्टीफ़ोकल चश्मा
मल्टीफ़ोकल चश्मा में निकट और दूर दृष्टि दोनों समस्या को सही करने की क्षमता होती है। एक हिस्सा डिस्टेंस विजन के लिए फोकस किया जाता है, जबकि दूसरे हिस्से का इस्तेमाल रीडिंग जैसी करीबी गतिविधियों के लिए किया जाता है।
- मल्टीफ़ोकल लेंस आमतौर पर प्रेस्बायोपिया के साथ दूर दृष्टि को सही करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- बिफोकल्स लेंस के आधे हिस्से में पढ़ने यानि नज़दीक के लिए लेंस लगा होता है जबकि बाकी हिस्से में दूर की चीजें सही ढंग से दिखाई देने के लिए लेंस लगा होता है। यह दोनों ही समस्या को एक साथ सही करता है। इन्हें डबल-डी बाइफोकल्स कहा जाता है।
- ट्राइफोकल्स तीन अलग-अलग लेंस सुधारों के साथ लेंस हैं – दूर दृष्टि, मध्यवर्ती दृष्टि और निकट दृष्टि। इसमें तीनों समस्या के लिए एक चश्मा बनाया जाता है जो आपकी इन तीनों समस्या में सुधार करता है।
- प्रोग्रेसिव लेंस आमतौर पर बाइफोकल्स या ट्राइफोकल्स की तरह ही कार्य करते हैं, लेकिन उनके पास दूरी और निकट फोकल क्षेत्रों के बीच एक स्मूद लाइन होती है,वो लाइन आपको दिखाई देती है जबकि प्रोग्रेसिव लेंस में ऐसा नहीं होता है। इसमें निकट और दूरी वाले लेंस के बीच में आपको कोई लाइन नहीं दिखाई पड़ता है।यह बहुत आरामदायक होता है।
- कंप्यूटर चश्मे में मल्टीफोकल लेंस होते हैं, जो विशेष रूप से कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करने के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं जो आमतौर पर चेहरे से लगभग 20 से 26 इंच की दूरी पर स्थित होते हैं। ये चश्मा आंख के तनाव से बचने में मदद करते हैं। यह ऑफिस में कर्मचारियों को कॉन्फ्रेंस रूम व्हाइटबोर्ड और कंप्यूटर स्क्रीन के सामने रहकर काम करने के लिए बनाया गया है। इससे उनकी आंखें सुरक्षित रहती है। ज्यादा फोन का प्रयोग करने वाले लोगों के लिए भी यह उपयोगी हो सकता है।
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प्लास्टिक के लेंस
- पहले ज्यादातर चश्मे कांच के बने होते थे लेकिन वर्तमान समय में ज्यादातर लेंस प्लास्टिक के बने होते हैं। प्लास्टिक लेंस आमतौर पर हल्के होते हैं, कांच के लेंस की तुलना में अधिक लचीले और सुरक्षित होते हैं क्योंकि उनमें टूटने की संभावना कम होती है। प्लास्टिक के लेंस में अंतर्निहित यूवी प्रकाश-अवरुद्ध करने की क्षमता भी है।
- ट्राइवेक्स एक नए प्लास्टिक से बने हैं जो पॉली कार्बोनेट लेंस के समान है। वे हल्के, पतले और प्रभाव-प्रतिरोधी हैं। वे कुछ लोगों के लिए बेहतर दृष्टि को सही कर सकते हैं।
- डॉक्टर अक्सर उन लोगों के लिए पॉली कार्बोनेट लेंस की सलाह देते हैं जो किसी प्रकार के खेल या अन्य प्रकार की ऐसा गतिविधियों से जुड़े होते हैं। पॉली कार्बोनेट अत्यधिक प्रभाव प्रतिरोधी है इस कारण यह आपकी आखों को प्रोटेक्ट करता है।
- फोटो क्रोमिक लेंस आपको धूप से बचाने के लिए बनाया जाता है। इसको पहनने से आपकी आंखें तेज धूप में भी प्रभावित नहीं होती है।
- एक पतला, हल्का, प्लास्टिक लेंस जिसे “हाई इंडेक्स’ लेंस कहा जाता है। एक और विकल्प उन लोगों के लिए दिया जाता हैं जिन्हें हाई विजुअल करेक्शन की आवश्यकता है।
आंखों की सुरक्षा के लिए कोटिंग्स
आपकी आंखों को स्वस्थ रखने में मदद के लिए चश्मे पर कुछ प्रकार की कोटिंग्स होती है जो इस प्रकार हो सकती है।
- एंटी रेफ्लेक्टिव कोटिंग आपकी आंख पर तेज से आचानक पड़ी रोशनी या चकाचौंध से सुरक्षित करती है।
- सूरज की किरणों से आंखों की रक्षा करने के लिए भी यूवी कोटिंग होती है।
आपके लिए बेस्ट चश्मा कैन सा है?
वैसे तो आपके लिए कौन सा चश्मा सबसे बेस्ट है ये आप खुद तय कर सकते हैं। आपकी आंखों का लेंस आपकी समस्या को देखते हुए डॉक्टर तय कर सकता है। लेकिन आपको वो लेंस किस तरह के फ्रेम में लगवाना है यह आपके ऊपर निर्भर करता है। इस बात पर भी गौर करना है आपको ऐसा फ्रेम लेना चाहिए जो आप ज्यादा से ज्यादा देर तक लगाकर रह सकें। आपको अपने चेहरे के शेप के हिसाब से चश्मे के प्रकार चुन सकते हैं। अब आपको ऐसी सुविधा दे दी गई है जिसमे आपके सामने हजार तरह के चश्मे के प्रकार होते हैं जिसमें से आप फोन में ही घर बैठे अपने चेहरे के शेप और साइज के हिसाब से हर फ्रेम अपने चेहरे पर ट्राई कर सकते हैं। इससे आपको यह जानने में आसानी हो जाती है आपको किस प्रकार का फ्रेम सिलेक्ट करना है।
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