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Progressive supranuclear palsy : प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी क्या है?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/05/2020

Progressive supranuclear palsy : प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी क्या है?

परिचय

प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी (PSP) एक दिमाग की दुर्लभ बीमारी है। यह रोग बॉलीवुड अभिनेता कादर खान और ब्रिटिश एक्टर डडले मूर की मृत्यु का कारण बना। इस विकार का लम्बा नाम यह दर्शाता है कि यह बीमारी बदतर हो सकती है (progressive) और नर्व सेल के ऊपर दिमाग के खास भाग को नुकसान पहुंचा कर कमजोरी(palsy) पैदा कर सकती है जिसे नाभिक (supranuclear) कहा जाता है। इस बीमारी से इंसान के सोचने-समझने की क्षमता, आंखों की गतिविधियां और शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही रोगी अपने मूड, व्यवहार या व्यक्तित्व में भी बदलाव महसूस करते हैं। इस समस्या के लक्षण पार्किंसन’स डिजीज के समान होते हैं। समय गुजरने के साथ ही प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी के लक्षण बदतर हो सकते हैं और इससे जान के लिए खतरनाक जटिलताएं जैसे निमोनिया और सूजन आदि हो सकती है।

इस रोग का कोई इलाज नहीं है, इसलिए इसके संकेतों और लक्षणों को समझ कर उन्हें सही समय पर कम करना ही इसका सही उपचार है। यह रोग अक्सर 60 साल या इससे अधिक की उम्र में विकसित होने लगता है। 60 की उम्र में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। हालांकि कई मामलों में यह रोग 40 या 50 साल के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है। प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक सामान्य है।

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लक्षण

  • प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी (PSP) का सबसे सामान्य लक्षण है आंखों की गतिविधियों में संतुलन न होना। इस स्थिति को (ophthalmoparesis) कहा जाता है। क्योंकि, इससे आंख (Eyeball) के चारों तरफ की कुछ खास मांसपेशियों कमजोर हो जाती हैं या पक्षाघात हो सकता है। ophthalmoparesis के कारण रोगी को दोहरी दृष्टि, धुंधली दृष्टि, और प्रकाश संवेदनशीलता जैसी समस्यायों का सामना करना पड़ सकता है। इससे पलकों पर नियंत्रण भी प्रभावित हो सकता है।
  • दिमाग के अन्य भागों पर भी इस रोग का प्रभाव पड़ता है। समय के साथ इस रोग के लक्षण और भी बदतर हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:

    • अस्थिरता और संतुलन न होना
    • मूवमेंट की गति कम या धीमा होना
    • शब्दों का अस्पष्ट उच्चारण
    • निगलने में समस्या (dysphagia)
    • याददाश्त कमजोर होना
    • चेहरे की मांसपेशियों में ऐंठन
    • गर्दन की मांसपेशियों में अकड़न के कारण सिर का पीछे की तरफ झुकना
    • मूत्र त्याग पर सयंम न रहना
    • व्यवहार में परिवर्तन
    • आर्गेनाइजेशन या योजना कौशल में समस्या होना

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    लक्षण

    • प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी के कारणों के बारे में जानकारी नहीं है। यह विकार मस्तिष्क के क्षेत्रों में कोशिकाओं को हुए नुकसान के कारण होता है, विशेष रूप से वो कोशिकाएं जो शरीर की गतिविधियों और सोच को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
    • शोधकर्ताओं ने पाया है कि प्रोग्रेसिव सुपरन्यूक्लियर पाल्सी से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क की बिगड़ती कोशिकाओं में टाऊ नामक प्रोटीन की असामान्य मात्रा होती है। यानी टाऊ प्रोटीन को इस विकार का कारण माना जा सकता है। टाऊ प्रोटीन अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों में भी पायी जाती है, जैसे अल्जाइमर रोग।
    • प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी का एक कारण अनुवांशिकी भी है। यानी अगर आपके परिवार में यह किसी को है तो, इस रोग की आपको होने की संभावना भी बढ़ जाती है। लेकिन, इस तथ्य के बारे में अभी सही जानकारी उपलब्ध नहीं है।

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    जोखिम

    • प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी रोग की स्थिति में केवल एक ही फैक्टर है जो जोखिम का कारण बन सकता है और वो है उम्र। यह स्थिति अक्सर 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करती है और चालीस साल से कम लोगों में इसके प्रभाव के बारे में सही जानकारी उपलब्ध नहीं है।
    • इसके साथ ही पुरुषों में इस रोग का जोखिम महिलाओं को तुलना में अधिक होता है।

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    उपचार

    प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी के निदान के लिए डॉक्टर आपसे पहले लक्षण और पारिवारिक हिस्ट्री के बारे में जानेंगे।

    प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी का निदान मुश्किल होता है क्योंकि इस रोग के लक्षण पार्किंसन’स डिजीज की तरह ही होते हैं।

    अगर आप निम्नलिखित लक्षणों को अनुभव करते हैं तो आपके डॉक्टर को ऐसा लग सकता है कि आप पार्किंसंस रोग नहीं बल्कि प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी से पीड़ित हैं। यह लक्षण इस प्रकार हैं:

  • हिलने-जुलने में समस्या
  • पार्किंसन’स रोग की दवाइयों का कोई असर न होना
  • आंखों को हिलाने में मुश्किल होना, खासतौर पर नीचे की तरफ
  • प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी के लिए टेस्ट

  • अगर ऐसा है, तो डॉक्टर MRI टेस्ट की सलाह दे सकते हैं, ताकि वो जान पाएं कि क्या आपके प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी से जुड़े मस्तिष्क के कुछ खास भागों में सिकुड़न है या नहीं। MRI से उन विकारों के बारे में पता चल सकता है जो प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी की तरह लग सकते हैं, जैसे की स्ट्रोक
  • पॉज़िट्रान एमिशन टोमोग्राफी (PET) स्कैन की सहायता से दिमाग में बदलाव के शुरुआती लक्षणों का पता चल सकता है, जिनका MRI से पता नहीं चलता।
  • प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी का कोई इलाज नहीं है, इसका इलाज केवल रोगी को इसके लक्षणों से आराम पहुंचा कर किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं:

    • पार्किंसन’स डिजीज की दवाइयां : पार्किंसन’स डिजीज की दवाइयां मस्तिष्क के केमिकलस के स्तर को बढ़ाती हैं। हालांकि, इन दवाइयों के प्रभाव सीमित हैं या अस्थायी हैं, जो केवल दो या तीन साल तक रहते हैं।
    • ओनाबोटुलिनम टोक्सिन A (बोटोक्स) : ओनाबोटुलिनम टोक्सिन A (बोटोक्स) को कम डोज में आंखों के आसपास की मांसपेशियों में लगाया जा सकता है। बोटॉक्स केमिकल सिग्नल्स को ब्लॉक करता है, जो मांसपेशियों के सिकुड़ने का कारण बनते हैं और यह पलकों की ऐंठन में सुधार कर सकता है।
    • बिफोकल या प्रिज्म लेंस वाला चश्मा : बिफोकल या प्रिज्म लेंस वाले चश्मे से नीचे की तरफ देखने की समस्या से आराम मिलता है। प्रिज्म लेंस से प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी से पीड़ित लोग अपनी आंखों को नीचे किए बिना नीचे की ओर आराम से देख सकते हैं।
    • बोलने और निगलने की क्षमता का मूल्यांकन करना : इस तकनीक से आपको अच्छे से चीज़ों को निगलने की तकनीक सीखने में मदद मिलेगी।
    • फिजिकल थेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी : इससे संतुलन में सुधार होने में मदद मिलती है।

    अभी शोधकर्ता प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी के इलाज के लिए दवा बनाने के लिए काम कर रहे हैं

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    घरेलू उपाय

    प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी के प्रभाव को कम करने के लिए आप निम्नलिखित घरेलू उपायों को अपना सकते हैं:

  • आंखों को सूखने से बचाने के लिए दिन में कई बार आईड्रॉप्स आंख में डालें। इससे कई अन्य लाभ भी हैं।
  • अपने कमरे, बाथरूम या अन्य जगहों पर पकड़ने वाली सलाखें लगवाएं, ताकि आप संतुलन बिगड़ने पर गिरने से बच सकें।
  • वॉकर का प्रयोग करें ताकि आपको पीछे की तरफ न गिरने में मदद मिल सके।
  • घर में पायदान या ऐसी चीज़ें रखने से बचे।
  • सीढ़ियों को चढ़ने से भी बचे।
  • जब भी आपको इस रोग के लक्षण नजर आएं, तुरंत डॉक्टर से मिलें। इसके साथ ही डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

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