और पढ़ें: टाइप 1 डायबिटीज और हेरिडिटी: जानिए पेरेंट्स को डायबिटीज होने पर बच्चों में कितना बढ़ जाता है इसका रिस्क
बॉडी शेमिंग एक आम समस्या है जिससे बच्चे और बड़े कोई भी ग्रसित हो सकते हैं। जबकि हम जानते हैं कि कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं है इसलिए समय रहते अपने आप को एक्सेप्ट करें और खुद से प्यार करना शुरू करें।
बच्चों में बॉडी शेमिंग की भावना दूर करने के साथ-साथ उन्हें फिट रहने के लिए प्रोत्साहित करें। इसलिए उनके डायट का ध्यान रखें। बच्चों के डायट में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:-
प्रोटीन (Protein)- बच्चों में प्रोटीन की कमी न हो इसलिए उन्हें सी-फूड, लीन प्रोटीन जैसे चिकेन, मछली दें। वहीं बच्चों के डायट में अंडे, बीन्स, मटर, सोया उत्पाद और अनसाल्टेड नट्स खाने के लिए दें।
फल (Fruits)- अपने बच्चे को विभिन्न प्रकार के डिब्बा बंद जूस के सेवन के लिए प्रोत्साहित न करें। बच्चों को ताजे और मौसमी फलों का सेवन करवाएं। यह उनके शरीर के विकास पर सकारात्मक असर डालेगा।
सब्जियां (Vegetables)- बच्चों को मौसमी और हरी सब्जियों का सेवन करने दें। कई बार बच्चे सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहते हैं। ,लेकिन उन्हें सब्जियों में मौजूद पोषण की जानकारी दें और फिर उन्हें इसे खाने के लिए प्रोत्साहित करें। सब्जियों के साथ-साथ साग भी बच्चों को अवश्य खिलाएं।
अनाज (Whole grain)- बच्चों को साबुत आनाज अवश्य खिलाएं जैसे गेहूं की रोटी, दलिया, पॉपकॉर्न, पास्ता, क्विनोआ या चावल।
डेयरी प्रोडक्ट (Diary Products)- अपने बच्चे को फैट फ्री या कम वसा वाले डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, पनीर या फोर्टीफाइड सोया पेय पदार्थ खाने और पीने के लिए प्रोत्साहित करें।
इन ऊपर बताए गए पौष्टिक आहार को अपने बच्चों के डायट में जरूर शामिल करें, लेकिन कुछ निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के सेवन से दूरी भी रखें। जैसे:-
बच्चों को अत्यधिक मीठा खाने न दें।
सैचुरेटेड फैट का सेवन भी न करने दें।
दो से तीन साल के बच्चों (लड़का और लड़की) के लिए डायट प्लान
कैलोरी- 1,000 से 1,400 या फिर बच्चे के शारीरिक विकास के अनुसार
प्रोटीन– 50-110 ग्राम
फ्रूट- एक से डेढ़ कप
सब्जी- एक से डेढ़ कप