लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer) क्या है ?
कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें असामान्य कोशिकाएं (Abnormal Cells) अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं और शरीर के सामान्य टिशू को नष्ट कर देती हैं। वहीं लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer) को इनवेसिव लोब्युलर कार्सिनोमा (ILC) भी कहा जाता है। यह ब्रेस्ट के लोब या लोब्यूल्स में होता है। लोब्यूल स्तन में दूध उत्पादन का कार्य करते हैं। लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर दूसरा सबसे सामान्य प्रकार का ब्रेस्ट कैंसर है।
इनवेसिव लोब्युलर कार्सिनोमा (लोब्यूलर) लगभग 10 प्रतिशत महिलाओं को होता है। स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं के मिल्क डक्ट में परेशानी होती है, इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा (IDC) कहते हैं।
लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer) किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन, 60 या इससे ज्यादा उम्र की महिलाओं में इसका खतरा ज्यादा होता है। रिसर्च के अनुसार पीरियड्स बंद होने (मेनोपॉज) के बाद इसका खतरा बढ़ जाता है।
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लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer) दो तरह के होते हैं
- इनवेसिव लोब्युलर कार्सिनोमा (ILC)
- लोब्युलर नियोप्लाजिया (LCIS)
लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer cause) के कारण क्या हैं ?
निम्नलिखित कारणों से हो सकती है लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर की समस्या-
- बढ़ती उम्र- उम्र बढ़ने के साथ-साथ ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer) अन्य ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की तुलना में ज्यादा उम्र की महिलाओं में होता है।
- एलसीआईएस (Lobular carcinoma in situ)- LCIS कैंसर नहीं होता है लेकिन, यह कैंसर की ओर इशारा करते हैं।
- पोस्टमेनोपॉसल हॉर्मोन- मेनोपॉज के दौरान या बाद में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की वजह से लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer) की संभावना बढ़ सकती है।
- इनहेरिटेड जेनेटिक सिंड्रोम- हेरिडेट्री डिफयूज कैंसर सिंड्रोम होने की संभावना वैसे तो कम होती है लेकिन, कोई भी महिला अगर हेरिडेट्री डिफयूज कैंसर सिंड्रोम से पीड़ित हैं, तो उनमें लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer) और गैस्ट्रिक कैंसर होने की संभावना अत्यधिक होती है।
महिलाओं में इनहेरिटेड जीन्स की वजह से ब्रेस्ट और ओवरियन कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
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लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer symptoms)के लक्षण क्या हैं ?
शुरुआती स्टेज में इनवेसिव लोब्युलर कार्सिनोमा के कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन, स्टेज के बढ़ने के साथ-साथ इसके निम्नलिखित लक्षण नजर आने लगते हैं।
- ब्रेस्ट का कोई भी एक हिस्सा सख्त होने लगता है।
- ब्रेस्ट में सूजन आना।
- ब्रेस्ट के ऊपर की त्वचा की बनावट में बदलाव आना।
- निप्पल के आकार में भी बदलाव आना जैसे ब्रेस्ट में डिंपल आना या ब्रेस्ट का रेड होना।
- स्तन से मिल्क (दूध) जैसा तरल पदार्थ डिस्चार्ज होना, जो वास्तव में मिल्क नहीं होते हैं।
- निप्पल या ब्रेस्ट में दर्द महसूस होना।
- ब्रेस्ट के आसपास लंप होना।
लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer treatment) के लिए कौन-कौन सी जांच की जाती हैं ?
- बायोप्सी की प्रक्रिया
- सीटी स्कैन की प्रक्रिया
- पीईटी स्कैन
- एमआरआई की प्रोसेस
- चेस्ट एक्स-रे
- बोन स्कैन
इन सभी जांच के माध्यम से कैंसर की जानकारी मिलने के साथ-साथ स्टेज की भी जानकारी मिलती है। ब्रेस्ट कैंसर के 5 स्टेज होते हैं। कैंसर विषेशज्ञों के अनुसार शुरुआती स्टेज में इस बीमारी से लड़ना आसान होता है लेकिन, स्टेज बढ़ने के साथ-साथ खतरा भी बढ़ता जाता है।
लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer treatment) का इलाज कैसे किया जाता है ?
डॉक्टर लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर (Lobular breast cancer)से पीड़ित महिलाओं के ब्रेस्ट की सर्जरी की जाती है। लेकिन, ज्यादातर महिलाओं के पूरे स्तन को हटाए बिना सिर्फ कैंसरस सेल्स को हटाया जा सकता है। इसके साथ ही कीमोथेरिपी की प्रक्रिया, रेडिएशन थेरिपी और हॉर्मोन थेरिपी से भी इलाज करते हैं।
अगर परिवार (ब्लड रिलेशन) में कोई ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित है या रह चुका है, तो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर एनास्ट्रोजोल (Arimidex), एक्सटेस्टेन (Aromasin), रालॉक्सिफेन (Evista), टैमोक्सीफेन (Nolvadex) जैसी अन्य दवा लेने की सलाह दी जाती है। इन दवाओं से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। लेकिन, दवाओं का सेवन खुद से न करें बल्कि डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही करें।
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ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं को निम्नलिखित बातोंन रखना चाहिए:
- शराब, ध्रूमपान और तम्बाकू का सेवन नहीं करना चाहिए।
- वजन संतुलित रहना चाहिए।
- डॉक्टरों के संपर्क में रहें।
- ध्रूमपान कर रहें व्यक्तियों के पास खड़े न रहें।
- डॉक्टर से जिन बातों की सलाह दी हो, उसे जरूर ध्यान रखें।
- डॉक्टर की ओर से बताई गई दवाओं को समय पर खाएं।
- नियमित स्वस्थ्य जीवनशैली को अपनाना आपकी प्राथमिकता होना चाहिए।
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इन बातों का भी ध्यान रखें:
- गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन न करें।
- एल्कोहॉल, सिगरेट और तंबाकू-गुटखा का सेवन न करें।
- जंक फूड को अपने आहार में शामिल नहीं करें।
- बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं।
- पौष्टिक आहार और पानी का सेवन करें।
- महिलाओं को 40 साल की उम्र के बाद मैमोग्राफी करवाना चाहिए।
- समय -समय पर अपने ब्रेस्ट में आने वाले बदलावों को नजरअंदाज न करें।
- लाइफस्टाल में बदलाव करना बहुत जरूरी हैं।
- रोजाना योगा व एक्सरसाइज जरूर करें।
- ब्रा का सही साइज ही पहनें, टाइट ब्रा का चयन न करें।