के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
हार्ट अटैक (Heart Attack) एक ऐसी मेडिकल कंडिशन है जिसमें ह्रदय में रक्त का प्रवाह रूक जाता है। ज्यादातर मामलों में हार्ट अटैक के कारण व्यक्ति की जान भी जा सकती है। यह स्थिति रक्त वाहिकाओं में वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य द्रव्यों के जमने से पैदा होती है। यह सभी चीजें ह्रदय में खून के प्रवाह में रुकावट पैदा करती हैं जिससे दिल का दौरा पड़ने की स्थिति उतपन्न हो सकती है।
आमतौर पर ह्रदय में रक्त पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाएं यानी कोरोनरी आर्टरीज (Coronary arteries) में ये समस्या आती है। खून में ऐसी रूकावट आने के कारण ह्रदय को पूरी तरह से या आंशिक रूप से क्षति पहुंचती है। यह एक जानलेवा समस्या है।
हालांकि, मेडिकल साइंस ने इसके उपचार में नई उपलब्धियां हासिल कर ली हैं। इसी वजह से आज के दौर में दिल का दौरा आने पर भी लोगों की जान बचाई जा सकती है।
और पढ़ें: एक ड्रिंक बचाएगी आपको हार्ट अटैक (दिल का दौरा) के खतरे से
भारत में हृदय रोग के कारण होने वाली 80 प्रतिशत मृत्यु का कारण इस्केमिक हृदय रोग (Ischemic heart disease) और स्ट्रोक हैं। हृदय रोग के कारण समय से पहले होने वाली मृत्यु दरों में 59 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। जहां 1990 में आंकड़े 2 करोड़ 30 लाख थे वही 2010 में यह आंकड़े बढ़ कर 3 करोड़ 70 लाख तक पहुंच गए हैं।
और पढ़ें: रिसर्च: हाई फाइबर फूड हार्ट डिसीज और डायबिटीज को करता है दूर
दिल का दौरा पड़ना एक बेहद गंभीर स्थिति होती है जिसके कारण किसी भी व्यक्ति की उसी समय मृत्यु हो सकती है। ऐसे में इस स्थिति के लक्षणों को पहचान कर व्यक्ति स्वयं आपातकालीन कक्ष या मदद बुलाकर अपनी जान बचा सकता है।
[mc4wp_form id=”183492″]
ऐसा देखा गया है कि हर व्यक्ति में हार्ट अटैक (Heart Attack) के दौरान अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं। किसी व्यक्ति को अत्यधिक दर्द (Pain) का अहसास होता है, तो किसी को कम दर्द का महसूस होता है।
कई लोगों में कोई भी लक्षण नजर नहीं आते और उन्हें सीधे हार्ट अटैक आ जाता है। हालांकि, व्यक्ति में जितने ज्यादा लक्षण दिखाई देते हैं उनमें हार्ट अटैक आने की आशंका उतनी ही ज्यादा होती है।
कई लोग अचानक हार्ट अटैक (Heart Attack) का शिकार हो जाते हैं। लेकिन, राहत की बात यह है कि हार्ट अटैक आने से कई घंटों, दिन हफ्तों पहले इसके लक्षण नजर आने लगते हैं।
हार्ट अटैक (Heart Attack) की पहली चेतावनी है बार-बार सीने में होने वाला दर्द। यह दर्द ज्यादा तनाव लेने से बढ़ता है और आराम करने से कम भी हो जाता है।
हार्ट अटैक,कार्डियक अरेस्ट यानी ह्दय गति (Heart beat) रूकने से बिल्कुल अलग स्थिति होती है। कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) में हार्ट इलेक्ट्रिकल डिस्टर्बेंस की वजह से रूक जाता है, जिससे खून का प्रवाह शरीर के बाकी हिस्सों तक नहीं पहुंच पता है। कई बार हार्ट अटैक की वजह से भी कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
दिल का दौरा पड़ने पर जितना जल्दी हो सकें मेडिकल सहायता लें। कई लोग हार्ट अटैक के लक्षणों (Heart attack symptoms) को समझ नहीं पाते हैं और देर कर देते हैं। ऐसी स्थिति में ये कदम उठाएं –
और पढ़ें: Heart biopsy: हार्ट बायोप्सी क्या है?
जब आपकी एक या एक से अधिक रक्त वाहिकाओं में अवरोध उत्पन्न होता है तो इस वजह से हार्ट अटैक आता है। ज्यादातर मामलों में इन रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रोल और अन्य तत्वों के बहाव की वजह से अवरोध उत्पन्न होता है। इसी वजह से इस स्थिति को कोरोनरी आर्टरी डिसीज (Coronary artery disease) भी कहते हैं।
हार्ट अटैक (Heart Attack) के दौरान कई अवरोधक फट भी सकते हैं जिससे कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) और अन्य द्रव्य खून में मिल जाते हैं। इस वजह से रूकावट वाली जगह पर खून के थक्के बनने लगते हैं और अगर खून का थक्का बहुत ज्यादा बड़ा हुआ होता है तो रक्त प्रवाह पूरी तरह रूक जाता है।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) यानि धमनियों के अंदर रूकावट पैदा होने वाली बीमारी के अलावा एक और वजह से हार्ट अटैक आता है। यह वजह है हृदय को खून पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं का सिकुड़ना।
तंबाकू, ड्रग्स आदि नशे करने वालों की नसें तेजी से सिकुड़ने लग जाती हैं, जिससे हार्ट अटैक (Heart Attack) पड़ सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। इसके अलावा हृदय को खून पहुंचाने वाली नसों को क्षति पहुंचने से भी हार्ट अटैक पड़ सकता है।
और पढ़ें: मधुमेह और हृदय रोग का क्या है संबंध?
हार्ट अटैक के पीछे यूं तो कई वजहें बताई जाती हैं पर ये तीन वजहें सबसे प्रमुख हैं –
उम्र (Age): 45 साल से ज्यादा के पुरुष और 55 साल से ज्यादा की महिलाओं में हार्ट अटैक (Heart Attack) की आशंका युवाओं के मुकाबले ज्यादा होती है।
तंबाकू (Tobacco): धूम्रपान या लंबे समय तक पैसिव स्मोकिंग (Passive smoking) से हार्ट अटैक की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
हाय ब्लड प्रशेर (High Blood Pressure) : हाय ब्लड प्रेशर की वजह से धमनियों में एथेरोस्क्लेरोसिस (एक रोग जिसमें धमनियों के अंदर प्लाक जमने लगता है) तेजी से होने लगता है, जिससे उसे अंदर से नुकसान पहुंचने लगता है।
खून में एलडीएल यानी बुरा कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) बढ़ने से भी उनमें अंदर से रूकावट आने लगती है। वहीं हमारी डाइट से जुड़ा हुए ब्लड फैट जैसे ट्रायग्लिसराइड धमनियों के अंदर रूकावट पैदा कर हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा देते हैं।
डाइबिटीज (Diabetes): डाइबिटीज भी हार्ट अटैक की आशंका को कई गुना बढ़ा देती है। जब शरीर में इंसुलिन संबंधी गड़बड़ी होने लगती है तो शरीर में शुगर का स्तर अनियंत्रित हो जाता है और इससे हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता है।
अनुवांशिक कारण (Genetical): अगर आपके परिवार में भाई-बहन, माता-पिता को कम उम्र में हार्ट अटैक (Heart attack) आया हो तो आप में भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
गतिहीन होना : एक ही जगह बैठे रहने और फिजिकल एक्टिविटी के न होने से मोटापा और कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। जो लोग नियमित व्यायम (Workout) करते हैं उनका हृदय स्वस्थ रहता है।
मोटापा (Obesity): मोटापे का सीधा संबंध कोलेस्ट्रॉल के स्तर से है। इसकी वजह से ट्रायग्लिसराइड, ब्लड प्रेशर (Blood Pressure), डायबिटीज (Diabetes) का स्तर बढ़ता है, जो खतरनाक है।
चिंता (Tension): कहते हैं चिंता चिता के समान है। इसकी वजह से हमें कई बीमारियां घेर लेती हैं जिसके कारण दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
और पढ़ें: जानिए महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों की तुलना में कैसे अलग होते हैं
अगर आपको हार्ट अटैक आया है तो डॉक्टर आपके लक्षण पूछकर या देखकर इसकी पुष्टि कर सकते हैं। आपको ब्लड प्रशेर (Blood pressure), पल्स रेट (Pulse rate) और शरीर का तापमान बता सकता है कि आपको हार्ट अटैक आया है या नहीं।
निम्नलिखित टेस्ट कर हार्ट अटैक का पता लगाते हैं :-
ईसीजी (Electrocardiogram)
गंभीर स्थिति में हार्ट अटैक (Heart Attack) का पता लगाने के लिए डॉक्टर ईसीजी यानी इलेक्ट्रोकार्ड्रियोग्राम तकनीक (ECG/EKG) का इस्तेमाल करते हैं। इसमें इलेक्ट्रोड्स को आपकी त्वचा से जोड़कर तरंगों को देखा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि क्षतिग्रस्त दिल ईसीजी में सामान्य तरंगे दर्ज नहीं करता।
खून की जांच (Blood Tests)
अगर हार्ट अटैक से आपके दिल को क्षति पहुंची है तो कुछ एंजाइम जैसे क्रिएटन फोस्फकाइनेज, उससे लीक होकर खून में मिल जाते हैं। डॉक्टर्स आपके खून का सैंपल लेकर इन एंजाइम के होने की पुष्टि कर सकते हैं।
और पढ़ें: हाई ब्लड प्रेशर से क्यों होता है हार्ट अटैक?
हार्ट अटैक में जान बचाने का सबसे कारगर तरीका है जल्द से जल्द रक्त के बहाव को फिर से सामान्य बनाना। अगर आपको दिल का दौरा पड़ा है तो आपके डॉक्टर कई प्रकार के टेस्ट के साथ इलाज की मदद से कारण पता लगाने की कोशिश करेंगे।
इलाज की प्रकिया कारण पर निर्भर करती है। अगर आपको हार्ट अटैक (Heart Attack) आया है तो डॉक्टर सर्जरी या बिना सर्जरी वाले इलाज की प्रकिया की सलाह देंगे। दोनों ही आपकी स्थिति पर निर्भर करते हैं।
इलाज की मदद से दर्द को कम किया जा सकता है व दोबारा दिल का दौरा पड़ने नहीं दिया जाता। हार्ट अटैक (Heart Attack) पड़ने पर मरीज के ट्रीटमेंट के लिए निम्न विकल्प मौजूद होते हैं –
एंजियोप्लास्टी – इस प्रक्रिया में बैलून (गुब्बारे) की मदद से ब्लॉक (बंध) हुई धमनियों को खोला जाता है या जमे हुए प्लाक को हटाया जाता है।
स्टेंट – स्टेंट एक तार से बना जाल होता है जिसे हृदय की धमनियों में डाला जाता है ताकि उन्हें एंजियोप्लास्टी के बाद खुला रखा जा सके।
हार्ट बाईपास सर्जरी – बाईपास सर्जरी के अंदर डॉक्टर ब्लॉक हुए भाग में रक्त प्रवाह को फिर से शुरू करते हैं।
पेसमेकर – यह एक प्रकार का उपकरण होता है जिसे त्वचा के अंदर इम्प्लांट (Implant) किया जाता है। इसे हृदय गति को सामान्य बनाए रखने के लिए बनाया गया है।
हार्ट ट्रांसप्लांट (हृदय प्रत्यारोपण) – इलाज के इस विकल्प को बेहद तीव्र मामलों में चुना जाता है जिसमें दौरा पड़ने के कारण हृदय (Heart) को अत्यधिक क्षति पहुंची होती है और हृदय के ज्यादातर ऊतक पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं।
आपके डॉक्टर आपको कुछ दवाओं का सेवन करने की भी सलाह दे सकते हैं। जैसे की –
और पढ़ें : Congestive heart failure: कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें।
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।