ज्यादातर लोगों के शरीर में तिल होते हैं। इनकी संख्या 30 से 40 तक हो सकती है। वैसे तो मोल्स (तिल) और मेलेनोमा कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं होता है, लेकिन फिर भी हमे अपने शरीर में हो रहे परिवर्तनों को ध्यान से देखते रहना चाहिए, क्योंकि कई बार हम जिन्हें तिल समझते हैं वो शरीर की बीमारी भी हो सकती है। यहां पर आपको शरीर के सामान्य तिल और मेलेनोमा कैंसर के बीच अंतर पहचानने के लिए कुछ टिप्स दिए गए है। आप इन्हें पढ़ें और इस बारें में दूसरों को भी बताएं।
क्या होता है मेलेनोमा कैंसर
इस बात को समझने के लिए सबसे पहले मेलोनोमा कैंसर क्या होता है, इस बात को थोड़ा समझ लेते हैं। मेलानोमा एक प्रकार का स्किन कैंसर होता है। वस्तुत: मेलानोसाइट्स (melanocytes) एक प्रकार का कोशिका होता है, जो मेलेनिन (melanin) का उत्पादन करने में मदद करता है। मेलेनिन वह पिग्मेंट है, जो त्वचा को रंग देता है। वैसे तो मेलानोमा कैंसर क्यों होता है, इसके बारे में कोई खास प्रामाणिक तथ्य अभी तक सामने नहीं आया है। लेकिन यह माना जाता है कि सूरज की रोशनी के संपर्क में आने के कारण त्वचा को उससे जो नुकसान पहुंचता है, उससे इस बीमारी के होने का खतरा पैदा होता है। यह बीमारी 40 साल के उम्र के भीतर लोगों में विकसित होता है, विशेष रूप से इसमें महिलाओं का वर्ग सबसे ज्यादा खतरे में रहता है। इसलिए स्किन कैंसर से बचने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि, उसके संकेतों और होने के कारणों को समझें। हो सकता है ऐसा करने से कैंसर का इलाज सही तरीके से किया जा सके। इस रोग में शरीर में बर्थ मार्क जैसे निशान बन जाते हैं। ये तिल या बर्थ मार्क जैसे भी नजर आ सकता है। इस आर्टिकल के माध्यम से यहां कुछ अंतर बताए जा रहे है जो आपको तिल और मेलेनोमा के बीच अंतर समझाने में मदद करेगा।
कैसे करें मेलेनोमा कैंसर और तिल के बीच अंतर
मेलेनोमा कैंसर और तिल के बीच के अंतर पहचाने के लिए आप निम्न बातों पर ध्यान दे सकते हैंः
जब दिखे विषमता
जब आपको दो तिल के बीच विषमता दिखे तो ये खतरे का संकेत हो सकता है। आप एक-दूसरे का रंग, शेप और कलर को मैच करके देख सकते हैं।
डिफरेंट बॉर्डर
आपने देखा होगा कि तिल के चारों ओर बॉर्डर में समानता दिखती है, अगर इसमें असमानता दिखे तो अब आपको थोड़ा सचेत होने की जरूरत है।
कलर में असमानता
एक अच्छे तिल की पहचान उसका ब्राउन कलर होता है। वाइट या ब्लू या रेड कलर आपको नजर आ रहा है तो अब आपको डर्मेटोलॉजिस्ट के पास जाने की जरूरत है।
डायमीटर
तिल का साइज बहुत मायने रखता है। अगर ये 6 मिलीमीटर से ज्यादा है तो ये वार्निंग साइन है। कुछ तिल अपनी शुरूआत की अवस्था में छोटे होते हैं। इसलिए इन पर ध्यान से गौर करें। बेवजह न घबराएं।
तेजी से विकास
तिल या मोल्स पर नजर बनाए रखना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि इनका विकास तो होता है लेकिन ये तेजी से नहीं होता है। अगर आपको सूजन, जलन या दर्द की समस्या हो रही है और साथ ही काले निशान का तेजी से विकास हो रहा है तो आपको स्किन स्पेशलिस्ट से मिलना चाहिए।
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कुरुपता
कुरूपता से मतलब है कि सुंदर न दिखना है। काले निशान जब पूरे शरीर में फैल जाए तो ये मोल्स नहीं हो सकते है। ये किसी बीमारी की निशानी है। आपको इस प्रकार के कुछ भी लक्षण दिखते है तो कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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कितना सामान्य है मेलेनोमा कैंसर की बीमारी?
मेलेनोमा कैंसर की शुरूआत एक सामान्य तिल के रूप में हो सकती हैं। हालांकि, एक सामान्य तिल अपने आकार और रंग में कुछ खास परिवर्तन नहीं करता है, लेकिन अगर वो तिल मेलेनोमा कैंसर हुआ, तो इसके रंग व आकार के साथ-साथ इसकी जगह भी बदल सकती है। और यह धीरे-धीरे त्वचा के अंदर, नसों में, लिम्फ नोड्स में, लिवर में, हड्डियों में, ब्रेन में और लंग्स तक भी पहुंच सकता है। वैसे तो, मेलेनोमा कैंसर के लक्षण युवाओं में भी देखे जा सकते हैं, हालांकि इस स्किन कैंसर का खतरा 40 साल से अधिक उम्र के लोगो में ज्यादा देखा जा सकता है और महिलाओं में इसके होने की संभावना पुरुषों की तुलना में कई गुणा ज्यादा हो सकती है।
शायद अब आपने मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर मेलेनोमा कैंसर स्वस्थ शरीर में विकसित कैसे होता है? तो जवाब यह है कि जब मेलेनिन का उत्पादन करने वाले मेलानोसाइट्स कोशिकाओं के कार्यप्रणाली में कोई समस्या होती है, तब मेलेनोमा कैंसर होने का खतरा पैदा होता है। सामान्य तौर पर स्किन सेल्स के काम करने का तरीका यह होता है कि शरीर में नई कोशिका के बनने और पुराने कोशिका के नष्ट होने की प्रक्रिया चलती रहती है। लेकिन जब कुछ कोशिकाओं का डीएनए (DNA) नष्ट हो जाता है, तब नई कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं और यह कैंसर कोशिकाओं का एक पिंड या मास जैसा बन जाता है। डीएनए के नष्ट होने के पीछे आनुवांशिक कारण या सूरज की तेज रोशनी की भूमिका हो सकती है।
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मेलेनोमा कैंसर के लक्षण कैसे पहचान सकते हैं?
मेलेनोमा स्किन कैंसर के निम्न लक्षण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
- तिल की बहुत ज्यादा बड़ा होना
- तिल के स्थान, रंग और आकार में परिवर्तन होना
- तिल का टूटना और खून बहना
- सांस में किसी तरह की समस्या महसूस करना
- हड्डियों में दर्द की समस्या होना
- सिरदर्द होना
- चक्कर आना
- दौरे आना
- देखने में परेशानी महसूस करना। हालांकि, ये लक्षण तब दिखाई देता है जब ये कैंसर दिमाग तक पहुंच जाता है।
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मेलेनोमा स्किन कैंसर का इलाज कैसे किया जा सकता है?
मेलेनोमा स्किन कैंसर का इलाज उसके स्टेज और प्रकार पर निर्भर कर सकता है। यह कैंसर चार प्रकार का होता है और इसके चार स्टेज होते हैं, जिनमें शामिल हैंः
मेलेमोना स्किन कैंसर के स्टेज
स्टेज 0: स्टेज 0 में कैंसर त्वचा के सबसे ऊपरी हिस्से में ही होता है। इस स्टेज को मेलेनोमा सीटू (Melanoma in situ) कहा जाता है। जिसका उपचार करना आसान होता है और इसमें कम समय भी लगता है।
स्टेज 1: स्टेज वन में यह कैंसर लगभग 2 मिमी तक शरीर के अंदर फैल चुका होता है। हालांकि, अभी भी यह लिम्फ नोड या अन्य हिस्से तक नहीं पहुंच पाता है।
स्टेज 2: इस स्टेज में यह कैंसर 1 एमएम तक मोटा हो चुका होता है। लेकिन 4 एमएम से ज्यादा नहीं फैलता है और इस स्टेज में भी लिम्फ नोड या शरीर के किसी अन्य हिस्से में नहीं फैलता है।
स्टेज 3: इस स्टेज में पहुंचने के बाद यह कैंसर लिम्फ नोड या लिम्फैटिक चैनल्स के पास तक पहुंच जाता है। इस स्टेज में इसका उपचार तुरंत कराना चाहिए। इसके उपचार में देरी जीवन के लिए जोखिम बन सकता है।
स्टेज 4: इस स्टेज में पहुंचने के बाद यह कैंसर लिम्फ नोड समेत शरीर के अन्य हिस्सों जैसे ब्रेन, लंग्स और लिवर तक फैल चुका होता है। जिसका उपचार गंभीर हो सकता है।
अगर कैंसर स्टेज 3 तक है, तो इसका उपचार ऊपरी सर्जरी करके किया जा सकता है। हालांकि, अगर कैंसर चौथे स्टेज में है, तो लिम्फ नोड्स से इसे अलग किया जाता है। इस दौरान सर्जरी के बाद पेशेंट को इंटरफेरॉन नाम की दवा दी जाती है। सर्जरी के अलावा रेडिएशन, कीमोथेरिपी या इम्यूनोथेरेपी की प्रक्रिया की भी सलाह आपके डॉक्टर दे सकते हैं।
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मेलेमोना स्किन कैंसर के प्रकार
मेलेमोना स्किन कैंसर के चार प्रकार होते हैं, जिनमें शामिल हैंः
सुपरफिशियल स्प्रेडिंग मेलेनोमा
यह धीरे-धीरे बड़ा होता है।
नोडियोलर मेलेनोमा
यह ट्रंक, सिर और गले पर अधिक होता है। इसका रंग लाल, नीला या काला हो सकता है।
लेंटिगो मलिंगा मेलेनोमा
यह बुजुर्गों में अधिक होता है।
एकरल लेंटिगीनॉस मेलेनोमा
यह काफी रेयर प्रकार होता है जो हाथ, हथेली, पैर के तलवे या नाखून में अधिक हो सकते हैं।
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किन लोगों को इस बीमारी के होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है?
– जिनका रंग बहुत गोरा होता है। कहने का मतलब यह है कि मेलेनिन पिग्मेंट की मात्रा कम होने के कारण रंग गोरा होता है और उन्हीं के स्किन को सूरज की तेज रोशनी से नुकसान पहुंचने का खतरा होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इससे सांवले रंग वालों को कोई खतरा नहीं होता है। जिन सांवले रंग वाले लोगों को हिस्पैनिक होता है, उनको इस बीमारी के होने का खतरा होता है।
-जो लोग बहुत देर तक धूप में रहते हैं, उनको मेलेनोमा कैंसर होने का खतरा हो सकता है।
– अगर आपके शरीर में 50 से अधिक तरह के अजीब तिल हैं तो, यह मेलेनोमा कैंसर होने का संकेत हो सकता है।
– अगर आपके परिवार के सदस्यों में किसी को मेलेनोमा हुआ है तो आप इस बीमारी के चपेट में आ सकते हैं। परिवार के सदस्यों में आपके माता-पिता, भाई-बहन या बच्चा कोई भी आ सकता है।
– इसके अलावा सबसे बड़ा कारण है, आपकी कमजोरी इम्यूनिटी पावर। अगर आपको एड्स जैसी कोई बीमारी है या आपका कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है तो आपकी इम्यूनिटी पर असर पड़ सकता है।
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मेलेनोमा कैंसर से बचने के उपाय-
आपको सबसे पहले सूरज की तेज रोशनी से खुद का बचाव करना होगा। सुबह दस बजे से लेकर शाम चार बजे तक सूरज की तेज रोशनी का असर त्वचा पर हो सकता है। इसलिए इस समय बाहर निकलने पर सनस्क्रीन लगाना न भूलें। छाता और धूप के चश्मे का इस्तेमाल जरूर करें। इस तरह आप अपनी त्वचा और आंख दोनों को बचा सकते हैं।
अब तक के विश्लेषण से आप समझ ही चुके होंगे कि मेलेनोमा कैंसर और तिल के बीच में क्या अंतर होता है। कैसे आप मेलेनोमा कैंसर का खतरा कम सकते हैं। इसलिए कैंसर के खतरे से बचना है तो सचेत रहें और सही समय पर इलाज करवाएं। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकली सलाह या उपचार की सिफारिश नहीं करता है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो कृपया इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करनी चाहिए।