इबोला वायरस क्या है?
इबोला हेमोरैजिक बुखार के नाम से भी जाना जाता है। इबोला वायरस की वजह से होने वाली बीमारी है। इसके 6 अलग-अलग प्रकार हैं, जिसमें से 4 ऐसे वायरस हैं जिससे लोग पीड़ित हो सकते हैं। जब इबोला वायरस शरीर में प्रवेश करता है, तो यह प्रतिरक्षा प्रणाली यानी हमारे इम्यून सिस्टम और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। ब्लड क्लॉट बनाने वाली कोशिकाएं कम होने लगती हैं। ऐसी स्थिति में किसी कारण से अगर ब्लीडिंग शुरू हो जाए, तो फिर रुक नहीं पाती है।
इबोला एक जानलेवा बीमारी है। इबोला इंफेक्शन की वजह से लगभग 90% लोगों की मौत हो जाती है। इबोला के लक्षण समझ आने पर तुरंत डॉक्टर से संर्पक करें।
इबोला वायरस (Ebola Virus Disease) कितना सामान्य है?
इबोला एक दुर्लभ और बेहद खतरनाक बीमारी है। यह आमतौर पर अफ्रीका में देखी जाती है, लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में भी इसके मामले देखे गए हैं। इबोला किसी भी उम्र में हो सकता है। इसके कारणों को समझकर इससे बचा जा सकता है।
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इबोला वायरस के लक्षण (Symptoms of Ebola Virus) क्या हैं?
सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन के मुताबिक इबोला या मारबर्ग वायरस के कुछ सामान्य संकेत और लक्षण वायरस के संपर्क में आने के 5 से 10 दिनों में नजर आने लगते हैं।
कुछ मामलों में लक्षणों के दिखाई देने में 3 हफ्तों का समय भी लग सकता है।
अत्यधिक थकान इसका सामान्य और सबसे पहला प्रसिद्ध लक्षण होता है। इसके अलावा इसके अन्य शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं-
- बुखार आना।
- सिरदर्द होना।
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होना।
- ठंड लगना।
- डायरिया।
- कमजोरी महसूस होना।
- ब्लीडिंग या घाव बनना।
- पेट दर्द।
समय के साथ, लक्षण तेजी से गंभीर हो जाते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:
- मतली और उल्टी होना।
- आंखों का लाल होना।
- शरीर पर दाने आना।
- सीने में दर्द और खांसी होना।
- पेट दर्द होना।
- वजन कम होना।
- अत्यधिक ब्लीडिंग होना।
- गंभीर स्थिति में आंखों से खून आना।
- नाक और कान से खून आने की स्थिति में मरीज की मौत भी हो सकती है।
इन लक्षणों के अलावा और अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं। इसलिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
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डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस होने पर सबसे पहले डॉक्टर से मिलें:
- एक्सपर्ट्स के अनुसार फ्लू जैसे लक्षण होने पर यह समझा जाता है कि आप वायरस के संपर्क में हैं।
- इबोला वायरस के संपर्क में अगर कोई व्यक्ति है और आप उसके संपर्क में आते हैं, तो आप भी संक्रमित हो सकते हैं।
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किन कारणों से होता है इबोला वायरस (Ebola Virus)?
इबोला वायरस फिलोवायरस नामक वायरल परिवार से संबंध रखता है। इस प्रकार के संकम्रण के कारण रक्तस्रावी बुखार या अंदरूनी और बाहरी अंगों से अत्यधिक खून बहता रहता है। इसके साथ ही व्यक्ति को बहुत तेज बुखार की भी शिकायत होती है।
इबोला जिस अंग या जगह को प्रभावित करता है उसके अनुसार इसे उपप्रकारों में विभावित किया गया है। जिनमें शामिल हैं –
- सूडान (Sudan)
- बुन्दिबुग्यो (Bundibugyo)
- टाई फारेस्ट (Taï Forest)
- रेस्टन (Reston)
अफ्रीकी बंदरों, चिंपाजी और इनकी अन्य प्रजातियों में इबोला वायरस पाया गया है। फिलीपींस में बंदरों और सूअरों में इबोला के एक हल्के प्रारूप की खोज की गई है।
इस वायरस को एक जूनोटिक वायरस भी कहा जाता है क्योंकि यह जानवरों से मनुष्यों में ट्रांसफर होता है। इसके बाद मनुष्य भी एक दूसरे में इस वायरस को फैला सकते हैं।
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जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण
एक्सपर्ट्स के अनुसार दोनों वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैलते हैं। उदाहरण के लिए-
- संक्रमित मांस खाने से भी इबोला वायरस होने की संभावना बढ़ जाती है। साइंटिस्ट्स ने एक्सपेरिमेंट के जरिए इस बात को सिद्ध किया है।
- अफ्रीकी गुफाओं में पर्यटकों और कुछ भूमिगत खदान में काम करने वाले लोगों को संक्रमित चमगादड़ों के मल की वजह से इबोला होने के मामले सामने आ चुके हैं।
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एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस पहुंचना
संक्रमित लोग आमतौर पर तब तक संक्रामक नहीं होते हैं, जब तक लक्षण नजर न आएं। परिवार के सदस्य अक्सर संक्रमित हो सकते हैं। दरसअल, यह इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर देता है।
सर्जिकल मास्क और दस्ताने का उपयोग न करने पर चिकित्सा कर्मी संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि, कीड़े-मकोड़े के काटने से इबोला वायरस हो सकता है या नहीं यह अभी साफ नहीं है।
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किन कारणों से बढ़ता है इबोला वायरस का खतरा (Risk of Ebola Virus) ?
ज्यादातर लोगों में इबोला वायरस होने की आशंका कम होती है, लेकिन कुछ कारणों से खतरा बढ़ सकता है –
- अफ्रीका की यात्रा: अगर आप इबोला वायरस या मारबर्ग वायरस के संपर्क में आते हैं, तो आप जोखिम में पड़ सकते हैं या उन क्षेत्रों में अगर आप काम करते हैं।
- जानवरों के संपर्क में आने के कारण ये हो सकता है।
- संक्रमित लोग आमतौर पर तब तक संक्रामक नहीं होते हैं, जब तक लक्षण नजर न आएं। परिवार के सदस्य अक्सर संक्रमित हो सकते हैं। दरसअल, यह इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर देता है।
- इबोला वायरस की वजह से अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में भी मृत व्यक्ति के शरीर में वायरस रहता है और ऐसे में डेड बॉडी के संपर्क में रहने से भी खतरा बढ़ जाता है।
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इबोला वायरस फैलने के अन्य रिस्क फैक्टर
अन्य प्रकार के वायरस की तरह इबोला वायरस हवा या किसी संक्रमित वस्तु व जीव को छूने से नहीं फैलता है। इबोला से संक्रमित होने के लिए व्यक्ति का संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आना अनिवार्य होता है।
ऐसे में वायरस निम्न द्वारा ट्रांसफर हो सकता है –
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शरीर के यह सभी तरल पदार्थ इबोला वायरस को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा सकते हैं। यह आंख, नाक, मुंह, क्षतिग्रस्त त्वचा या यौन संबंध से ट्रांसफर हो सकता है।
हेल्थ केयर प्रोवाइडर जैसे नर्स, डॉक्टर या क्लीनिकल एक्सपर्ट को इसके होने का सबसे अधिक खतरा होता है क्योंकि उनका काम खून और शरीर के अन्य तरल पदार्थो से घिरा रहता है।
इनके अलावा इबोला के फैलने का खतरा निम्न चीजों के संपर्क में आने पर भी अधिक होता है –
- संक्रमित वस्तु जैसे सुई के संपर्क में आना
- संक्रमित जानवरों के साथ रहना
- इबोला के कारण मरे व्यक्ति के दफन समारोह में जाना
- उन इलाकों में ट्रैवल करना जहां संक्रमण के मामले सबसे अधिक हैं
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निदान और उपचार को समझें (Treatment of Ebola Virus Disease)
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।
इबोला वायरस का निदान (Treatment of Ebola Virus Disease) कैसे किया जाता है?
इबोला का निदान करना मुश्किल है क्योंकि शुरुआती लक्षण अन्य बीमारियों जैसे टाइफाइड और मलेरिया से मिलते-जुलते हैं। यदि डॉक्टरों को संदेह होता है कि आप इबोला वायरस से पीड़ित हैं, तो ब्लड टेस्ट कर फिर इलाज करते हैं।
- ELISA टेस्ट
- PCR टेस्ट
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इबोला वायरस के परीक्षण के अन्य विकल्प
ब्लड टेस्ट की मदद से इबोला वायरस की एंटीबॉडी की पहचान की जा सकती है। इससे निम्न परिस्थितियों का भी पता चलता है –
- लिवर एंजाइम में बढ़ोतरी
- सफेद रक्त कोशिकाओं का आसामान्य रूप से अधिक या कम होना
- प्लेटलेट की गिनती में कमी आना
- खून के गाढ़े होने के आसामान्य लक्षण दिखाई देना
ब्लड टेस्ट के साथ डॉक्टर इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि अन्य मरीजों को आपके कारण खतरा न हो।
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क्योंकि इबोला संपर्क में आने के 3 हफ्तों बाद दिखाई देता है इसलिए किसी भी अन्य वस्तु या व्यक्ति के संपर्क में आने पर उन्हें भी संक्रमित रोगी माना जाता है। यदि 21 दिनों के अंदर कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तो इसका मतलब आपको इबोला नहीं है।
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इलाज
इबोला वायरस का इलाज कैसे किया जाता है?
इबोला वायरस का साल 2019 तक कोई इलाज नहीं था। वैक्सीन या इलाज की बजाए मरीज को ज्यादा से ज्यादा सुविधाजनक महसूस करवाने की कोशिश की जाती है।
इबोला वायरस से कैसे आसानी से बचा जाए, इस पर अभी भी शोध जारी है। उपचार में एक प्रयोगात्मक सीरम का उपयोग किया जाता है जो संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।
डॉक्टर इबोला के लक्षणों को ध्यान रखकर इलाज शुरू कर सकते हैं। इनमें शामिल है:
- तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स।
- ऑक्सिजन।
- ब्लड प्रेशर की दवाएं।
- ब्लड ट्रांस्फ्यूजन।
- दूसरे इंफेक्शन से बचने के लिए इलाज।
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इबोला वैक्सीन
19 दिसंबर 2019 को अमेरिकन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा इबोला वैक्सीन rVSV-ZEBOV (ट्रेडनेम एरवेबो) को इबोला डिजीज के संभावित इलाज के रूप में मंजूरी दी जा चुकी है।
rVSV-ZEBOV एक ऐसी वैक्सीन है जिसे एक डोज में दिया जाता है। इस वैक्सीन को पूरी तरह से सुरक्षित और इबोला वायरस के खिलाफ रक्षात्मक पाया गया है।
इसके अलावा 2019 में ही हुई एक अन्य स्टडी में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ दी कांगो द्वारा इबोला की अन्य वैक्सीन भी बनाई गई। इस वैक्सीन में दो विभिन्न प्रकार की वैक्सीन (Ad26.ZEBOVऔर MVA-BN-Filo) मौजूद होती हैं।
इस वैक्सीन को दो खुराक में दिया जाता है। पहली खुराक के 56 दिन बाद दूसरी खुराक दी जाती है।
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जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार, जिनकी मदद से इबोला वायरस से बचा जा सकता है
निम्नलिखित टिप्स अपनाकर इबोला वायरस से बचा जा सकता है –
इबोला बीमारी से बचे रहने का एकमात्र तरीका यह है कि जैसे ही किसी वायरस के संपर्क में आएं या कम से कम जब लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। निम्नलिखित स्थितियों में चिकित्सा सहायता अवश्य लें:
- अगर आप अफ्रीकन देश जैसे किसी अन्य देश की यात्रा पर जा रहें हैं, जहां इबोला वायरस का खतरा हो।
- यदि आप इबोला वायरल संक्रमण वाले व्यक्ति के संपर्क में आते हैं।
- अगर आप इबोला बीमारी होने की आशंका वाले व्यक्ति के संपर्क में आएं।
- यदि आपमें इबोला वायरस के लक्षण हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
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डॉक्टर, नर्स और अन्य हेल्थ केयर कर्मचारियों को भी इस बचाव को अपनाना चाहिए। जैसे कि इबोला से ग्रसित मरीज को आइसोलेट करते समय सुरक्षित दस्ताने, गाउन, मास्क और आंखों की शील्ड पहनें।
इस्तेमाल के बाद संक्रमण से बचने के लिए इन वस्तुओं को ध्यान से रखने या फेंकने के लिए भी सही तरीके का इस्तेमाल करना अनिवार्य होता है। इबोला वायरस के संपर्क में आने वाली जगह के फर्श, दीवारों और वस्तुओं को ब्लीच सलूशन की मदद से साफ करना चाहिए।
अगर इस बीमारी से जुड़े कोई प्रश्न हैं आपके पास तो समझने के लिए कृपया अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
जटिलताएं
लोगों का इम्यून सिस्टम इबोला वायरस के प्रति अलग विभिन्न तरह से प्रतिक्रिया करता है। ऐसे तो ज्यादातर लोग बिना किसी कॉम्प्लीकेशन के वायरस से ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों में अवशिष्ट प्रभाव भी हो सकते हैं।
इसमें निम्न प्रभाव शामिल हैं-
- जोड़ों की समस्या
- बाल झड़ना
- अत्यधिक कमजोरी और थकान
- बेहोशी रहना
- आंखों और लिवर में सूजन
- सेंसेस में बदलाव
- पीलिया
स्टडी के अनुसार इस प्रकार की जटिलताएं कुछ हफ्तों से कुछ महीनों तक रहती हैं। इसके अलावा इबोला वायरस की कुछ जानलेवा जटिलताएं भी हो सकती हैं। जैसे कि –
- कई अंगों का काम करना बंद कर देना
- शॉक
- कोमा
- गंभीर रक्तस्राव
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निष्कर्ष
डब्लूएचओ के अनुसार इबोला वायरस से ग्रसित मरीज की जीवन प्रत्याशा दर 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। कुछ वायरस स्ट्रेन अन्य वायरस के मुकाबले अधिक जानलेवा होते हैं। संक्रमण का जितना जल्दी परीक्षण किया जाता है उसके इलाज के परिणाम उतने ही बेहतर और भरोसेमंद होते हैं।
सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन) के अनुसार इबोला के मरीजों में 10 साल तक एंटीबॉडीज रहती हैं। इसका मतलब है कि यदि आप एक बार वायरस से संक्रमित हो जाते हैं तो ऐसा नहीं है कि आप अनिवार्य रूप से संक्रमण से इम्यून हैं। जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है तब तक यह बेहद आवश्यक है कि आप खुद को क्वारंटीन रखें।