परिचय
ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट क्या है? ( What is Auditory brainstem implant?)
ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट सुनने की शक्ति खो देने वाले लोगों को सुनने की शक्ति वापस लौटाने के लिए किया जाता है। ये ट्रीटमेंट उन्हीं लोगों के लिए है जो सुन नहीं सकते हैं। आमतौर पर यह एक बहुत छोटी ऑडिटरी नर्व या आंतरिक कान के न होने पर किया जाता है। ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट सीधे ब्रेन के मार्ग में ऑडिटरी मार्ग को उत्तेजित करके आंतरिक कान और ऑडिटरी नर्व को दरकिनार करता है। ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट मूल रूप से न्यूरोफा इब्रोमैटोसिस टाइप 2 के निदान वाले लोगों के लिए निकाला गया था। यह एक रेयर जेनेटिक स्थिति है जो ट्यूमर को नसों पर बढ़ने का कारण बनती है।
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उपयोग
ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट क्यों किया जाता है (Why an Auditory Brainstem Implant is performed)
बता दें की ऑडिटरी ब्रेन स्टोम इंप्लांट को पूरा करने का गोल यही होता है की उस व्यक्ति की सुनने की क्षमता ठीक हो सके, जिससे वो साधारण लोगों की तरह दुनिया भर की आवाजों को सुन सके और महसूस कर सके। ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट उन लोगों के लिए एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है जिनके पास कर्णावत इंप्लांट(Cochlear implants) नहीं हो सकता है। एक कर्णावत इंप्लांट (Cochlear implants) एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो आंतरिक कान (कोक्लीअ) के खराब या काम न करने वाले हिस्सों को बाईपास करता है और सीधे ऑडिटरी (श्रवण) नर्व को उत्तेजित करता है। एक कॉक्लियर इम्प्लांट आमतौर पर एक बेहतर साउंड प्रदान करता है, लेकिन इसका उपयोग सभी स्थितियों में नहीं किया जा सकता है।
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क्या ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट कर्णावत इंप्लांट (Cochlear implants) की तरह ही होता है?
ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट और कर्णावत इंप्लांट (Cochlear implants) का डिजाइन और कार्य एक ही होता है, लेकिन ये अलग अलग डिवाइस हैं। कर्णावत इंप्लांट उन लोगों के लिया जाता है जिनके कोछलर डैमेज हुआ हो और उनकी ऑडिटरी नर्व काम करती हो। कर्णावत इंप्लांट (Cochlear implants) अंदरूनी कान के डैमेज एरिया से पास होते हुए काम करता है। यह ऑडिटरी नर्व को सीधे उत्तेजित करने के लिए इलेक्ट्रोड की एक सरणी का उपयोग करता है। ऑडिटरी नर्व मस्तिष्क को प्रत्यारोपण द्वारा उत्पन्न संकेतों को भेजता है, जो संकेतों को ध्वनि के रूप में पहचानता है। वहीं ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इंप्लांट आंतरिक कान और ऑडिटरी नर्व से पास होता है। यह सीधे मस्तिष्क पर श्रवण मार्गों को उत्तेजित करने के लिए इलेक्ट्रोड की एक सरणी का उपयोग करता है।
कॉक्लियर इम्प्लांट (Cochlear implants) सर्जरी एक भीतरी कान की सर्जरी है। ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट सर्जरी मस्तिष्क की सर्जरी है और यह अत्यधित जटिल होती है।
यदि आपके अंदर नीचे दी गई बातें है तो आप कर्णावत इंप्लांट(Cochlear implants) नहीं करवा सकते हैं।
- एक छोटा या लापता ऑडिटरी नर्व
- आपके कान का इंटर्नल हिस्सा आसामान्य हो।
- मेनिनजाइटिस जैसे इंफेक्शन के कारण होने वाले इंटर्नल ईयर मार्क।
- स्कैल्प के फ्रैक्चर से नुकसान।
एक ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट चोटिल कान के नर्व को बाईपास करता है और आपको ध्वनियों को सुनने में मदद करने के लिए सीधे ब्रेनस्टेम से जोड़ता है।
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प्रक्रिया
प्रक्रिया के दौरान आपकी उम्मीद (Your Expectation during treatment)
ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट के मुख्य रुप से तीन भाग हैं:
-ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट में ध्वनियों को लेने के लिए कान के पीछे एक माइक्रोफोन और साउंड प्रोसेसर लगा होता है।
-इसमें माइक्रोफ़ोन द्वारा ली गई जानकारी को प्रसारित करने के लिए एक डिकोडिंग चिप त्वचा के नीचे रखी होती है।
-वहीं इलेक्ट्रोड सीधे ब्रेनस्टेम से जुड़े होते हैं, जो उत्तेजित होने पर आपको ध्वनि के लिए एक्टिव कर देते हैं।
यदि आपको न्यूरोफिब्रोमैटोसिस टाइप दो है, तो ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट सर्जरी अक्सर उसी समय की जाती है जब ट्यूमर ऑडिटरी नसों से हटा दिया जाता है।
प्रक्रिया के बाद आपकी उम्मीद (Your Expectation After Surgery)
ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट कि सर्जरी के बाद, आपको ध्वनि प्रोसेसर को ठीक तरीके से समझने के लिए उसके द्वारा दिए गए हिंट को कैसे उपयोग करना है ये सारी चीजें समझने के लिए ऑडिओलॉजिस्ट के साथ आपके बहुत सारे सेशन कराएं जाते हैं जिससे आपको काफी मदत मिलती है।ये कहना गलत नहीं होगी कि इस प्रक्रिया में कई महीने भी लग सकते हैं। आप आम तौर पर सर्जरी के पहले वर्ष में आपको हर दो से चार महीने में एक बार ऑडियोलॉजिस्ट देखेंगे। आपको अपने ऑडियोलॉजिस्ट के साथ सेशन लेने में बिल्कुल भी हिचकिचाना नहीं चाहिए। कुछ दिनों बाद भी ये सोचकर नहीं सेशन बंद नहीं कर देना चाहिए कि आप सारी जानकारी को समझ चुके हैं अब आपको ऑडियोलॉजिस्ट की जरुरत नहीं है। इसलिए सर्जरी के बाद भी आपको तब तक सेशन रोकना नहीं चाहिए जब तक आपको ऑडियोलॉजिस्ट आपको मना न करे।
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जोखिम
ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट के रिस्क ( Risk of Auditory Brainstem Implants)
ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट के बाद रेयर कॉम्प्लिकेशन में मेनिन्जाइटिस, ब्रेन और रीढ़ में लिक्विड पदार्थ लीक होना, चेहरे की नर्व कमजोरी, दर्द और चक्कर आना शामिल हो सकते हैं। उपयुक्त डिवाइस प्लेसमेंट के बावजूद, कुछ लोग किसी भी तरह से सुनने का लाभ नहीं उठा पाते हैं। ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट होने के बाद भी कुछ सावधानियां अपनाने कि जरूरत होती है आपको इस बात का अंदाजा होना चाहिए कि ये एक संवेदनशील भाग है जो किसी भी तरह से ज्यादा तेज आवाज का भार संभालने के योग्य नहीं होता है।
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सर्जरी के लिए डॉक्टर का चुनाव कैसे करें (How to choose doctor for surgery)
जैसा कि आप जानते हैं की इंप्लांट करना कोई साधारण ट्रीटमेंट नहीं होता है इसलिए ऐसी सर्जरी के लिए डॉक्टर्स का चुनाव बहुत मायने रखता है। सबसे पहले आप एक ऐसे डॉक्टर का पता करें जिसने पहले भी ऐसी बहुत सारी सक्सेज सर्जरी की हो और न केवल की हो सर्जरी सक्सेज भी हुई हो। आपको अपने डॉक्टर का अनुभव, बैकग्राउंड और एजुकेशन के बारें में जरूर पता कर लें। डॉक्टर के पुराने पेशेंट से फीडबैक लेने में जरा भी न हिचकिचाए क्योंकि यह सर्जरी बहुत ही सेंसटिव होती है।
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रिकवरी
ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट के रिजल्ट (Auditory brainstem implants Result)
जानकारी के लिए आपको बता दें की एक ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट आपके सुनने की क्षमता को पूरी तरह से साधारण तो नहीं कर सकता है। लेकिन यह ज्यादातर लोगों को कुछ-कुछ आवाजें सुनने में मदद करने में सहायक होता है जैसे की टेलीफोन की आवाज और कार के हॉर्न जैसी ध्वनियों को सुनने में मदद कर सकता है। कुछ लोगों को शब्द पहचानना अच्छा लगता है, जबकि अन्य को अधिक सामान्य ध्वनि संकेत मिलते हैं। जैसे होंठ पढ़ना इससे आप दूसरों के साथ अपने कम्यूनिकेशन में सुधार कर सकते हैं।
किन लोगों को ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट कराने की जरूरत होती है? (Who is a candidate for an auditory brainstem implant?)
सबसे पहले ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट उन लोगों के लिए डेवलप किया गया था जिन्हें न्यूरोफिब्रोमैटोसिस टाइप 2 (neurofibromatosis type 2) हो और उन्हें ऑडिटरी नर्व के डैमेज होने के कारण सुनाई देना बंद हो जाता है। न्यूरोफिब्रोमैटोसिस टाइप 2 (neurofibromatosis type 2) एक एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जिसमें ट्यूमर ऑडिटरी नर्व के साथ बनता है। इन ट्यूमर को एकॉस्टिक न्यूरोमा कहा जाता है। ट्यूमर को बढ़ने और उन्हें हटाने के लिए सर्जरी या रेडिएशन थेरेपी से उपचार किया जाता है। रेडिएशन ऑडिटरी नर्व को डैमेज कर सकता है जिससे इंसान को सुनाई देना बंद हो सकता है।
इन लोगों में भी ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट की जरूरत पड़ सकती है:
- जिनकी जन्म से ही ऑडिटरी नर्व सही से या बिल्कुल काम न करती हो।
- जो कान की एबनॉर्मल शेप के कारण बहरे हो, जिनका कान पूरी तरह से डेवलप न हुआ हो।
- जिनके कान में अंदरूनी स्ट्रक्चर न हो।
- अंदरूनी कान में हड्डी का बड़ा होना।
- कान के अंदर हड्डी का अनुचित विकास।
उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में ऑडिटरी ब्रेनस्टोम इंप्लांट से जुड़ी जानकारी दी गई है। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहत हैं तो किसी विशेषज्ञ से संपर्क करना बेहतर होगा।
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