के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
काली खांसी को पर्टुसिस (Pertussis), कंपकंपी वाली खांसी, कुकुर खांसी और हूपिंग कफ (Whooping Cough) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो नाक और गले में हो सकता है। रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में होने वाला यह संक्रमण बहुत आसानी से फैल सकता है, लेकिन इसे फैलने से रोकने के लिए बच्चों और वयस्कों में DTaP और Tdap वैक्सीन दी जाती है। कई लोगों में इससे गंभीर खांसी की शिकायत होती है। जब तक इसकी वैक्सीन तैयार नहीं हुई थी इसे बच्चों में होने वाली बीमारी माना जाता था। अब काली खांसी मुख्य रूप से बच्चों या फिर अत्यधिक कमजोर इम्यूनिटी वाले वयस्कों को प्रभावित करती है।
कुकुर खांसी में इतनी ज्यादा खांसी की शिकायत होती है कि उस पर काबू पाना भी मुश्किल होता है। इसमें सांस लेने में भी दिक्कत होती है। साथ ही खांसी के बाद सांस लेते वक्त हुप-हुप की आवाज आती है।
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यदि कोई काली खांसी से संक्रमित होता है तो उसके लक्षण दिखाई देने में लगभग 5 से 10 दिन लगते हैं। हालांकि, कई बार इससे भी ज्यादा समय लग सकता है। सीडीसी के अनुसार, कूकर खांसी के लक्षण 3 सप्ताह तक विकसित नहीं होते हैं। आमतौर पर शुरुआत में इसके लक्षण सर्दी के होते हैं:
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एक या दो हफ्ते के बाद इसके लक्षण बिगड़ने लगते हैं। वायुमार्ग में गाढ़ा बलगम जमा हो सकता है, जिससे खांसी की परेशानी बेकाबू हो जाती है। कई लोगों को लंबे समय के लिए खांसी का अटैक पड़ सकता है।
हालांकि बहुत सारे लोगों में ये लक्षण नहीं होते हैं। कभी-कभी वयस्कों में लगातार खांसी होना काली खांसी का एकमात्र लक्षण होता है। बच्चों में शायद खांसी की दिक्कत न हो। इसके बजाय उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
यदि आपको या आपके बच्चे को लंबे समय तक खांसी की शिकायत या इसके साथ नीचे बताई परेशानी होती है तो अपने चिकित्सक से कंसल्ट करें:
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काली खांसी बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। ये बैक्टीरिया वायुमार्ग की लाइनिंग को संक्रमित करता है। जब यह बैक्टीरिया वायुमार्ग की लाइनिंग के संपर्क में आता है तो यह कई गुना बढ़ जाता है। इसके साथ ही अत्यधिक बलगम को बनाता है। यही बलगम अत्यधिक खांसी का कारण बनती है क्योंकि आपका शरीर इस कफ को बाहर करने की कोशिश करता है।
बोर्डेटेला पर्टुसिस के कारण वायुमार्ग में सूजन आ जाती है, जिससे वे सामान्य से अधिक संकीर्ण हो जाते हैं। यहीं कारण है कि मरीज का सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इससे खांसने के बाद सांस लेते वक्त ‘हूप’ आवाज आती है।
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कूकर खांसी से ग्रसित पेशेंट जब खांसता या छींकता है, तो छोटे-छोटे कीटाणु से भरी बूंदे हवा में फैल जाती हैं। ये बूंदे मरीज के आस पास बैठे लोगों की सांस के माध्यम से फेफड़ों में प्रवेश कर सकती हैं। यही कारण है कि यह बीमारी एक से दूसरे इंसान में आसानी से फैल सकती है। जिन लोगों को काली खांसी होती है उनके आस पास रहने वाले लोगों को इसके होने की संभावना अधिक रहती है।
बच्चे और वयस्क अक्सर बिना किसी परेशानी के काली खांसी से ठीक हो जाते हैं। काली खांसी में जोरदार खांसी के निम्नलिखित दुष्प्रभाव होते हैं:
6 साल से कम उम्र के बच्चों में काली खांसी के निम्न दुष्परिणाम हो सकते हैं:
टॉडलर्स में काली खांसी के कारण कॉम्प्लिकेशन का खतरा अधिक होता है। इसलिए बच्चों में यदि यह परेशानी हो तो उनका इलाज अस्पताल में होना जरूरी है। 6 साल या उससे कम उम्र के बच्चों की इस परेशानी के चलते जान भी जा सकती है।
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यदि आपको या आपके बच्चे को लंबे समय से खांसी और सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें। हो सकता है शुरुआत में डॉक्टर इसका पता न लगा पाए। क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण फ्लू और कोमन कोल्ड से मिलते हैं। काली खांसी का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं:
गले और नाक का कल्चर टेस्ट (throat or nose culture test): इसमें डॉक्टर या नर्स आपके नाक और गले में स्वैब डाल कर सैंप्ल लेंगे, जिसे लैब में यह पता करने के लिए भेजा जाएगा कि इसमें बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) बैक्टीरिया मौजूद है या नहीं।
ब्लड टेस्ट (Blood tests): आपके ब्लड में व्हाइट ब्लड सेल्स काउंट का पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट के लिए कह सकते हैं। यदि व्हाइट ब्लड सेल्स काउंट बहुत अधिक होता है तो आपको यह इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है।
छाती का एक्स-रे (Chest X-ray): छाती में फ्लुइड और सूजन को देखने के लिए डॉक्टर छाती का एक्स-रे कराने के लिए कह सकते हैं।
यदि किसी बच्चे में काली खांसी का संदेह होता है तो डॉक्टर परीक्षण कर उन्हें सीधा अस्पताल रेफर कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शिशुओं में यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है।
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काली खांसी के इलाज के लिए बच्चों को ज्यादातर अस्पताल में एडमिट कराया जाता है। यदि बच्चे को तरल पदार्थ या भोजन को गले से नीचे ले जाने में दिक्कत हो रही है तो उसे इंट्रावेनस इंफ्यूजन (Intravenous infusions) की जरूरत हो सकती है। शिशु को एक आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा ताकि बीमारी फैल न सके। बड़े बच्चों, किशोरों और वयस्कों का आमतौर पर घर पर इलाज किया जा सकता है। इलाज में डॉक्टर बोर्डेटेला पर्टुसिस बैक्टीरिया को मारने के लिए एंटीबायोटिक्स देंगे, जो पेशेंट को रिकवर करने में मदद करेंगे। हो सकता है घर के दूसरे सदस्यों को भी एंटीबायोटिक्स दी जाएं।
यदि आपको काली खांसी हुई है और आप इलाज के दौरान घर पर हैं तो नीचे बताई बातों का खास ख्याल रखें:
डिस्क्लेमर
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