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क्या कहती है रिसर्च?
धूम्रपान कैसे छोड़ें – लैंसेट रेस्पीरेट्री मेडिसीन द्वारा किए गए रिसर्च में 25,000 अमेरिकन को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 17 से 93 साल के बीच की थी। ये वे लोग थे जो स्मोकिंग करते हैं। ऐसे में इनके फेफड़ों पर रेस्पीरोमेट्री टेस्ट किया गया। इस टेस्ट से ये जानने की कोशिश की गई कि इन लोगों के फेफड़े एक सेकेंड में कितनी हवा भीतर ले पा रहे हैं और बाहर छोड़ पा रहे हैं। रिसर्च में शामिल लोगों की 20 सालों तक निगरानी की गई। इसके बाद फिर से एक बार रेस्पीरोमेट्री टेस्ट किया गया, जिसमें चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है।
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लोगों के फेफड़ों ने सांस लेना कम कर दिया। मेडिकल के शब्दों में कहा जाए तो उन्हें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (chronic obstructive pulmonary disease) होने का खतरा बढ़ गया है। इस पूरे अध्ययन में शामिल 10,000 लोग जो कभी स्मोक नहीं करते थे, 7,000 लोगों ने सेमोकिंग छोड़ दी थी, वहीं 5,800 लोग स्मोकिंग करते हैं और छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा 2,500 वे लोग थे अभी भी धूम्रपान करते हैं। तो इन लोगों की जब रिजल्ट आया तो पाया गया कि जिन लोगों ने स्मोकिंग छोड़ दी और जो कर रहे हैं या धूम्रपान कैसे छोड़ें की सोच रहे हैं, उन सभी के फेफड़े समान रूप से डैमेज पाए गए।
लैंसेट रेस्पीरेट्री मेडिसीन की रिसर्च में ये निष्कर्ष निकल कर सामने आया कि पांच सिगरेट भी इंसान के फेफड़ों को उतना ही असर पहुंचाता है, जितना सिगरेट की पूरी पैकेट पी जाना। इसलिए अगर आप सोचते हैं कि एक सिगरेट आपके फेफड़े को नुकसान नहीं पहुंचाती है तो ये गलत है।
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) क्या है?
धूम्रपान कैसे छोड़ें ? क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) फेफड़ों में होने वाली बीमारियों का समूह है। ये एम्फाईसीमा और क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस जैसी दो बीमारी का समूह है। जिसमें इंसान के फेफड़े में पाए जाने वाले श्वास नली में सूजन आ जाती है। ये नली फेफड़ों में हवा ले जाने का काम करती है, जो क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज में धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है। वहीं, वायु छिद्र (Alveoli) की इलास्टिसिटी कम हो जाती है, जिससे वे फेफड़ों में हवा भरते समय तनाव को कम कर देते हैं। इसलिए अभी भी वक्त है, अगर अपने फेफड़ों का ख्याल रखना चाहते हैं तो स्मोकिंग छोड़ना ही बेहतर विकल्प है।