आज की महिलाओं में पीसीओएस (पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) (Polycystic ovary syndrome (PCOS)) बहुत तेजी से फैल रहा है। PCOS एक प्रकार की सिस्ट होती है जो कि ओवरी में होती है। पहले यह समस्या 25 की उम्र के बाद महिलाओं में देखी जाती थी लेकिन, अब यंग लड़कियां भी इस समस्या से परेशान हैं। सही डाइट न लेना, शारीरिक व्यायाम न करना, पौषक तत्वों की कमी और कुछ खराब आदतों जैसे,स्मोकिंग या शराब पीने को बीमारी का कारण माना जा सकता है। पीसीओएस में डायट की ओर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome) तब होता है जब सेक्स हार्मोन में असंतुलन पैदा हो जाता है। हार्मोन में होने वाले बदलाव पीरियड (मासिक धर्म) साइकिल पर तुरंत असर डालते हैं। इस वजह से ओवरी में छोटी सिस्ट बन जाती है। इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है लेकिन, जब तक लाइफस्टाइल ठीक नहीं होगी और खान-पान हेल्दी नहीं होगा तब तक इसे ठीक नहीं किया जा सकता। आप इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि अगर आपको पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या है तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किस तरह की डायट का सेवन कर आप पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षणों का आप कम कर सकते हैं।
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पीसीओएस में डायट
पीसीओएस में डायट कैसी होनी चाहिए और पेशेंट को किस बात का ध्यान रखना चाहिए यह जानने के लिए हमने भोपाल की आयुर्वेदिक एक्सपर्ट एवं डायटीशियन गीतांजलि शर्मा से बात की। लंदन से डॉक्टरेट करने वाली डॉक्टर गीतांजलि ने बताया कि, ‘पीसीओएस की समस्या मोटापे की वजह से होती है। जो महिलाएं फैटी होते हैं उन्हें अक्सर इस समस्या का सामना करना पड़ता है। साथ ही इस बीमारी की फैमिली हिस्ट्री भी होती है। फेमिली हिस्ट्री के अलावा इस बीमारी का कारण फैटी भोजन भी होता है।
जो महिलाएं पीसीओएस से ग्रसित होती हैं उन्हें अपनी डायट में हरी सब्जियां जिनमें पालक, टमाटर, मेथी, स्प्राउट्स, सोयावड़ी, सोया मिल्क आदि शामिल करना चाहिए। साथ ही उन्हें फैटी और आयली फूड एवं कैफीन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। पीसीओएस के मरीजों के लिए ग्रीन टी बहुत फायदेमंद होती है। ये सभी चीजें इस्ट्रोजेन के लेवल को बढ़ाती है जिससे पीसीओएस की समस्या में राहत मिलती है।’
वे आगे कहती हैं कि, ‘पीसीओएस के मरीजों को हम शाम को 7 बजे के बाद खाने की थाली नीचे रख देने के लिए कहते हैं। यानी शाम 7 बजे के बाद उन्हें खाना नहीं खाना है। साथ ही 7-9 के बीच वॉक करने को कहा जाता है। पीसीओएस के मरीजों के शरीर में मैग्नीशियम का लेवल भी अच्छा होना जरूरी है। जो कि केले और बादाम और पनीर से बढ़ सकता है। इन तीनों को भी उन्हें अपनी डायट में शामिल करना चाहिए।’
- पीसीओएस में डायट को प्लान करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप किसी भी खाने की चीज को ठीक तरह से पका (पूरी तरह पका हुआ) कर खाएं जैसे मछली को सिर्फ फ्राई कर के नहीं बल्कि पूरी तरह पका कर खाएं।
- पीसीओएस में डायट प्लान करते समय खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां और प्रोटीन जरूर शामिल करें। बीन्स, छोले,मीट, अंडा और मछली खाएं। कोशिश करें कि प्रोटीन के लिए प्रति सप्ताह 2-3 बार मछली का सेवन करें।
- कोशिश करें कि भूखे नहीं रहें और जब भूख लग रही हो तब ही खाएं। तनाव का स्ट्रेस का एहसास, घबराहट या थकावट होने पर भी भूखा न रहें। ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें।
- पीसीओएस में डायट का चयन करने के साथ ही हेल्दी ऑयल भी चुने। हेल्दी कुकिंग ऑइल जैसे ऑलिव ऑइल और मस्टर्ड ऑइल में बनी सब्जियों का सेवन लाभदायक होगा।
- नियमित रूप से पीसीओएस में डायट लेते समय ड्राई फ्रूट्स खाने की आदत डालें। ड्राई फ्रूट्स में बादाम (नट्स) जरूर खाएं।
- पीसीओएस में डायट में खाने में हाई फाइबर फूड्स जैसे ओट्स, ब्राउन राइस और होलग्रेन को शामिल करने से लाभ होता है।
- जो महिलाएं पीसीओएस से लड़ रही हैं उन्हें कैल्शियम की आवश्यकता होती है और कैल्शियम का सबसे अच्छा स्त्रोत दूध होता है। इसलिए नियमित रूप से फैट फ्री दूध पीने की आदत डालें। कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए दिन में नियमित रूप से दही का सेवन लाभदायक हो सकता है।
- पालक की सब्जी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है । पालक में कम कैलोरी होती है और यह एक सूपर फूड के नाम से जाना जाता है। इसके सेवन से पीसीओएस की परेशानी भी कम हो सकती है।
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पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम: इन बातों का रखें ध्यान
- अक्सर ये देखा गया है कि PCOS की परेशानी होने पर लड़की या महिला का वजन कुछ हद का बढ़ जाता है इसलिए टमाटर को आहार में शामिल करें । इसमें मौजूद लाइकोपीन वेट कम करने में मदद करता है और इस बीमारी से भी बचाता है।
- अगर आप अपने वजन का 5 से 10 परसेंट तक का वेट कम करते हैं तो आपकी मेंस्ट्रुअल साइकिल इंप्रूव हो सकती है। ऐसा करने से PCOS के लक्षणों में सुधार होगा। वजन में नियंत्रण खानपान में ध्यान रखकर ही सुधारा जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल लेवल को इंप्रूव करके वेट लॉस किया जा सकता है। आपको वेट लॉस के लिए कौन-सी डायट लेनी है, इस बारे में अपने डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करें।
- कुछ स्टडीज में ये बात सामने आई है कि सप्ताह में कम से कम तीन दिन तक 30 मिनट तक मॉडरेट-इंटेंसिटी एक्सरसाइज ( moderate-intensity exercise) करने से वजन को कम करने में आसानी होती है। वजन को कम करने और एक्सरसाइज को नियमित करने से ऑव्युलेशन के साथ ही शरीर में इंसुलिन के स्तर में भी सुधार आता है। आप डॉक्टर से पूछ सकते हैं कि एक्सरसाइज के दौरान आपको किस तरह के फूड का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से डायबिटीज और हार्ट डिसीज का खतरा भी कम हो जाता है।
- शुगर में कार्बोहाइड्रेट होता है जो कि ऐसे पेशेंट को अवॉयड करना चाहिए। आपको कोई भी प्रोडक्ट बाजार से खरीदते समय एक बार उसका लेबल भी अच्छे से पढ़ लेना चाहिए। शुगर को कुछ अलग नाम से जैसे कि सुक्रोज, हाई फ्रक्टोज कॉर्न सिरप या फिर डेक्सट्रोज नाम से भी मेंशन किया जा सकता है। आपको इन बातों का ध्यान रखना होगा कि आप शुगर को कहीं अधिक मात्रा में तो नहीं ले रही हैं। सोडा और जूस का सेवन करते समय भी इस बात का ध्यान जरूर रखें।
- आप सामान्य दिनों में अब तक जो भी खाते थे, अब उनकी एक लिस्ट बना लें। आप एक कॉलम में गुड फूड और दूसरे में बैड फूड लिख कर लिस्ट तैयार करें। ऐसा करने से आपको या रहेगा कि क्या खाना है और क्या नहीं। पीसीओएस में डायट पर अगर ध्यान दिया जाए तो बीमारी से काफी हद तक राहत मिल सकती है।
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अगर हार्मोन लेवल को बैलेंस कर लिया जाए तो PCOS की परेशानी दूर हो सकती है। महिलाओं तथा लड़कियों को इससे बचने के लिए नियमित एक्सरसाइज करनी चाहिए और ऐसा आहार लेना चाहिए जो शरीर के फैट को कम कर सके। ब्रिटिश के जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म के अनुसार 10 से 50% तक PCOS की मरीज मोटापे का शिकार होतीं हैं। PCOS की समस्या होने पर या सेहतमंद रहने के लिए सही डाइट बहुत जरूरी है। डाइट के साथ-साथ व्यायाम भी जरूरी है। डॉक्टर से अपने शरीर के अनुसार डाइट कैसा हो जान लें और उसको फॉलो करें। आप अपनी पसंद की डायट का चुनाव भी कर सकती हैं, लेकिन इस बारे में एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
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