हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स पर ये असर भी होता है (Hormone therapy effects on transgenders)
हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर पर जो स्टडी की गई उसमें हॉर्मोन थेरिपी का हार्ट पर असर (Effect of hormone therapy on the heart of transgenders) पर ध्यान केन्द्रित किया गया, लेकिन यह भी निष्कर्ष निकाला कि हॉर्मोन थेरिपी बोन मेटाबॉलिज्म और कैंसर के रिस्क को प्रभावित करती है। इसलिए ट्रांसजेंडर लोगों की देखभाल प्रदान करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। ट्रांसजेंडर रोगियों का इलाज करते समय यह आवश्यक है कि डॉक्टर अच्छी तरह से उन्हें पूरी जानकारी दें और खुले विचारों वाले रहें।
सबसे महत्वपूर्ण बात ट्रांसजेंडर समुदाय को जागरूक करना है कि हम उपचार तक पहुंच को कम करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षित रूप से हॉर्मोन का उपयोग करने और उनके हृदय स्वास्थ्य के लिए किसी भी संभावित जोखिम को कम करने का एक तरीका प्रदान कर रहे हैं। हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर क्यों होता है उसे कैसे कम किया जा सकता है? इस बारे में और अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है।

फेमिनाइजिंग हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Effect of Feminizing Hormone Therapy on Transgender Hearts)
कुछ ट्रांसजेंडर महिलाएं ईस्ट्रोजन लेती हैं जो उन शारीरिक परिवर्तन का कारण बन सकते हैं जो प्यूबर्टी के दौरान महिला सेक्स हार्मोन के कारण होते हैं, जिसमें स्तन विकास भी शामिल है। जो ट्रांसजेंडर महिलाएं मेल प्यूबर्टी शुरू होने से पहले ईस्ट्रोजन लेती हैं, वे पुरुष यौन विशेषताओं जैसे भारी आवाज और सीने के बालों के विकास को सीमित या टालने में सक्षम हो सकती हैं।
ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए, ईस्ट्रोजन लेने से पुरुष सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन कम हो सकता है और महिला सेक्स विशेषताओं के विकास को बढ़ावा मिल सकता है। वे शरीर में टेस्टोस्टेरोन के कार्यों को अवरुद्ध करने के लिए दवा भी ले सकती हैं, जो पुरुष यौन विशेषताओं के विकास को रोकने में मदद करता है।
इस हॉर्मोन थेरिपी के कई फायदे हैं जैसे मेंटल हेल्थ में सुधार, सोशल फंक्शनिंग और क्वालिटी ऑफ लाइफ, लेकिन ट्रांसजेंडर महिलाएं जो हॉर्मोन थेरिपी लेती हैं उनमें कई प्रकार की हार्ट से रिलेटेड कंडिशन्स का रिस्क बढ़ जाता है। जिसमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हाय ब्लड प्रेशर, हाय ग्लिसराइड्स, टाइप 2 डायबिटीज और वेन्स और लंग्स में क्लॉट्स शामिल हैं। इस प्रकार माना जा सकता है कि हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Effect of hormone therapy on the heart of transgenders) होता है।
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फेमिनाइजिंग हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर को लेकर क्या कहती है स्टडी?
यूरोपियन हार्ट जर्नल में नए पेपर के अनुसार, डॉक्टरों ने ईस्ट्रोजन के एक वर्जन – ओरल एथिनिलोएस्ट्राडियोल का उपयोग करना बंद कर दिया – क्योंकि 1990 के दशक के अंत में सामने आए अध्ययनों से पता चला है कि यह हॉर्मोन नसों या फेफड़ों में खतरनाक थक्कों के जोखिम में 20 गुना वृद्धि के साथ जुड़ा था। जिसे थ्रोम्बेम्बोलाइज्म (Thromboembolism) कहा जाता है।
हाल के वर्षों में, ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए ईस्ट्रोजन का पसंदीदा रूप एस्ट्राडियोल रहा है, महिला सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन का एक संस्करण जिसका उपयोग सिजेंडर (Cisgender) महिलाओं द्वारा कुछ रजोनिवृत्ति के लक्षणों (Menopause symptoms) के इलाज के लिए भी किया जाता है। ट्रांसजेंडर महिलाओं, जिनकी उम्र 40 से अधिक है, को इस हॉर्मोन के मौखिक रूपों से जुड़े थक्कों के ऊंचे जोखिम से बचने के लिए स्किन क्रीम और एस्ट्राडियोल के अन्य वजर्न का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
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