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फेमिनाइजिंग हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर को लेकर क्या कहती है स्टडी?
यूरोपियन हार्ट जर्नल में नए पेपर के अनुसार, डॉक्टरों ने ईस्ट्रोजन के एक वर्जन – ओरल एथिनिलोएस्ट्राडियोल का उपयोग करना बंद कर दिया – क्योंकि 1990 के दशक के अंत में सामने आए अध्ययनों से पता चला है कि यह हॉर्मोन नसों या फेफड़ों में खतरनाक थक्कों के जोखिम में 20 गुना वृद्धि के साथ जुड़ा था। जिसे थ्रोम्बेम्बोलाइज्म (Thromboembolism) कहा जाता है।
हाल के वर्षों में, ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए ईस्ट्रोजन का पसंदीदा रूप एस्ट्राडियोल रहा है, महिला सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन का एक संस्करण जिसका उपयोग सिजेंडर (Cisgender) महिलाओं द्वारा कुछ रजोनिवृत्ति के लक्षणों (Menopause symptoms) के इलाज के लिए भी किया जाता है। ट्रांसजेंडर महिलाओं, जिनकी उम्र 40 से अधिक है, को इस हॉर्मोन के मौखिक रूपों से जुड़े थक्कों के ऊंचे जोखिम से बचने के लिए स्किन क्रीम और एस्ट्राडियोल के अन्य वजर्न का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
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मैस्क्युलिनिजिंग हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Effects of Masculinizing Hormone Therapy on Transgender Hearts)
इस थेरिपी का उपयोग फैमिनाइन विशेषताओं को कम करने और मेल सेकेंड्री विशेषताओं को उभारने के लिए किया जाता है। ट्रांसजेंडर्स को इस थेरिपी में टेस्टेस्टेरॉन हॉर्मोन दिया जाता है। यह थेरिपी लंबे समय तक जारी रह सकती है। इसके जोखिम, परिणामों और सीमाओं के बारे में थेरिपी शुरू करने से पहले बताया जाना चाहिए। टेस्टेस्टोरॉन थेरिपी के साथ गर्भावस्था संभंव नहीं है। वही यह एरिथ्रोसाइटोसिस, स्लीप एपनिया और कंजेस्टिव हार्ट फेलियर को बढ़ा सकती है। मैस्क्युलिनिजिंग हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर डाल सकती है।
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हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर : क्या कहती है स्टडी?
ट्रांसजेंडर पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन थेरेपी और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के जोखिम के संबंध में वर्तमान साक्ष्य विवादास्पद हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के सरोगेट जोखिम कारकों पर टेस्टोस्टेरोन थेरेपी के नकारात्मक प्रभावों के बावजूद, ये कार्डियोवैस्कुलर परिणामों पर महत्वपूर्ण प्रभाव में तब्दील नहीं होते हैं।
औसतन 10 वर्षों के दौरान टेस्टोस्टेरोन थेरेपी पर 50 ट्रांसजेंडर पुरुषों का क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन, किसी ने भी मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन (Myocardial infarction), स्ट्रोक या डीप वेनस थ्रॉम्बोसिस का अनुभव नहीं किया था। इसी तरह के केस-कंट्रोल अध्ययन में, औसतन 7.4 वर्षों के लिए टेस्टोस्टेरोन थेरेपी पर 138 ट्रांसजेंडर पुरुषों ने कम वैस्कुलर रोगो की संख्या दिखाई। ट्रांसजेंडर पुरुषों में, सिजेंडर महिलाओं की तुलना में हार्ट अटैक अधिक थे, लेकिन सिजेंडर पुरुषों की तुलना में कोई अंतर नहीं था। वहीं कुछ अध्ययनों में टेस्टेस्टेरॉन थेरिपी और हार्ट अटैक के मामलों में सबंध भी बताया गया है, लेकिन इस विषय पर अधिक अध्ययन करने की आवश्यकता है।
हॉर्मोन थेरिपी का हार्ट पर असर हो सकता है, लेकिन कुछ बेसिक बातों को ध्यान रखकर हम हार्ट डिजीज के खतरों को कम कर सकते हैं। जिसमें वेट मैनेजमेंट, हेल्दी डायट को अपनाना और रूटीन में फिजिकल एक्टिविटीज को शामिल करना है जो ट्रांसजेंडर्स में कम देखी जाती हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के स्वास्थ्य पर असर (Hormone therapy effects in transgender’s Health) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।