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क्या ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा ज्यादा हो सकता है? जानें ये जरूरी बातें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/12/2021

    क्या ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा ज्यादा हो सकता है? जानें ये जरूरी बातें

    क्या आप जानते हैं कि पूरी दुनिया की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा हार्ट डिजीज से पीड़ित है? हर सालों लाखों लोग दिल के रोगों का शिकार होते हैं और हजारों लोग इसके कारण अपनी जान गवां बैठते हैं। हार्ट डिजीज को कई तरह की हार्ट कंडिशंस के रूप में परिभाषित किया जाता है। अधिकतर हार्ट कंडिशंस के कारण हार्ट तक ब्लड फ्लो प्रभावित होता है। जिससे हार्ट अटैक (Heart attack) और अन्य परेशानियों की संभावना बढ़ जाती है। हार्ट डिजीज जैसा रोग किसी को भी हो सकता है। ऐसे ही, ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) बना रहता है। ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) कितना है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए, जानिए इसके बारे में विस्तार से। लेकिन, सबसे पहले हार्ट डिजीज के बारे में जान लेते हैं।

    हार्ट डिजीज क्या है? (Heart Disease)

    सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार हार्ट डिजीज (Heart Disease) किसी भी उस स्थिति को कहा जा सकता है, जिसका प्रभाव रोगी के हार्ट पर पड़ता है। इसके कई प्रकार हैं, लेकिन इनमें से कई समस्याओं से बचाव संभव है। हार्ट, कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (cardiovascular system) का सेंटर है। शरीर के ब्लड वेसल के माध्यम से, हार्ट शरीर के सभी सेल्स में ब्लड पंप करता है। ब्लड ऑक्सीजन को कैरी करता है, जिसकी सेल्स को आवश्यकता होती है। कार्डियोवैस्कुलर डिजीज समस्याओं का एक ग्रुप है, जो तब होती हैं जब हार्ट और ब्लड वेसल्स ठीक से काम नहीं कर रहे होते हैं।

    हार्ट डिजीज के विभिन्न प्रकार होते हैं। हार्ट डिजीज के कारण कोरोनरी आर्टरीज तंग या ब्लॉक हो जाती हैं। इसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज कहा जाता है और समय के साथ-साथ यह बढ़ती जाती है। कोरोनरी आर्टरीज वो ब्लड वेसल्स होते हैं जो हार्ट को रक्त की आपूर्ति करते हैं। कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट अटैक्स का मुख्य कारण है। कोरोनरी हार्ट डिजीज (Coronary heart disease), हार्ट अटैक (Heart attack), कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive heart failure) और कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital heart disease,) वो मुख्य हार्ट डिजीज (Heart Disease) हैं, जो जान के लिए जोखिम बन सकती हैं।

    यह थी हार्ट डिजीज (Heart Disease) के बारे में जानकारी। यह एक फैक्ट है कि ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) रहता है। लेकिन, इसके बारे में जानने से पहले हार्ट डिजीज के लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।

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    हार्ट डिजीज के लक्षण (Symptoms of heart disease)

    जैसा की पहले ही बताया गया है कि हार्ट डिजीज (Heart Disease) का खतरा किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। ऐसे ही, ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) बना रहता है। हार्ट डिजीज से पीड़ित अधिकतर लोग इसके लक्षण फिजिकल एक्सेरशन और एक्सरसाइज के दौरान अनुभव करते हैं। फिजिकल एक्सेरशन के दौरान हार्ट को अधिक ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन की जरूरत होती है, इसलिए हार्ट डिजीज (Heart Disease) से पीड़ित लोग इसके लक्षण तब नोटिस करते हैं, जब वो एक्टिव होते हैं। हार्ट डिजीज (Heart Disease) के लक्षण इस प्रकार हैं:

    हार्ट डिजीज (Heart Disease) के लक्षणों में चक्कर आना, कमजोरी, हार्टबीट का अनियमित होना, जी मिचलाना और पेट में दर्द आदि भी शामिल है। ऐसे में इस लक्षणों को पहचानना और समय पर इलाज बेहद जरूरी है। क्योंकि यह डिजीज घातक हो सकती है। अब जानते हैं ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) क्या है, इसके बारे में।

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    ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा: पाएं पूरी जानकारी (Transgender and heart disease risk)

    जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (Journal of the American Heart Association) में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट के अनुसार अन्य लोगों की तुलना में ट्रांसजेंडर पुरुषों और महिलाओं में हार्ट अटैक (Heart attack) की संभावना अधिक होती है। यही नहीं, कुछ मामलों में यह रिस्क चार गुना ज्यादा होता है। दरअसल रिसर्चर्स के अनुसार ट्रांसजेंडर पॉपुलेशन स्मोकिंग, डिप्रेशन जैसे रिस्क फैक्टर्स का अधिक शिकार होती हैं।  उन्हें यह जान कर हैरानी हुई है कि इन लोगों में हार्ट अटैक (Heart attack) का रेट भी बहुत अधिक है।

    ऐसा भी पाया गया है कि कार्डियोवैस्कुलर के अन्य रिस्क फैक्टर्स जैसे उम्र, हाय ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और व्यायाम की कमी आदि को एडजस्ट करने के बाद भी ट्रांसजेंडर पुरुषों (वो लोग जो बायोलॉजिकल फीमेल होती हैं, लेकिन बाद में पुरुष के रूप में जाने जाते हैं) को हार्ट अटैक (Heart attack) की संभावना सिसजेंडर फीमेल (वो महिलाएं बायोलॉजिकल फीमेल होती हैं और फीमेल के रूप में ही पहचानी जाती है) के मुकाबले चार गुना अधिक हार्ट अटैक की संभावना अधिक रहती है। यही नहीं, ट्रांसजेंडर महिलाओं में सिसजेंडर पुरुषों की तुलना में हार्ट अटैक की संभावना अधिक होती है

    हालांकि, अभी इसके बारे में रिसर्च की जानी जरूरी है। इस बारे में किये गए सर्वे में हॉर्मोन थेरेपी का डाटा शामिल नहीं है। लेकिन ट्रांसजेंडर पुरुषों के लिए टेस्टोस्टेरोन और ट्रांसजेंडर वीमेन के लिए एस्ट्रोजन को हार्ट डिजीज (Heart Disease) के रिस्क के खतरे के साथ लिंक किया जाता है। अब जानते हैं ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) और हॉर्मोन थेरेपी का क्या संबंध है?

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    ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा और हॉर्मोन थेरिपी के बीच में लिंक

    एक नए अध्ययन में यह भी पाया गया है कि कई ट्रांसजेंडर लोग जो हार्मोन थेरेपी लेते हैं, उनमें हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम नहीं होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार इन रोगियों में अक्सर किशोरावस्था में भी हाय ब्लड प्रेशर और हाय कोलेस्ट्रॉल का निदान नहीं हो पाता है। यह भी पता चला है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच कम है या वो हेल्थ फैसिलिटी का सही से प्रयोग नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे स्टिग्मा, शर्म या दुर्व्यवहार का डर आदि। ट्रांसजेंडर लोगों के लिए हॉर्मोन थेरेपी (Hormone Therapy) लेना जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें लगातार हॉर्मोन थेरेपी लेने के लिए डॉक्टर से मिलना पड़ता है।

    इस दौरान स्क्रीनिंग के दौरान उनमें कार्डियोवैस्कुलर रिस्क फैक्टर का निदान हो पाता है। लेकिन, अगर रोगी इस समस्या से पीड़ित है और जल्दी इस समस्या का निदान व उपचार हो जाए, तो वो भविष्य में पुअर हेल्थ से बन सकते हैं। जैसा की पहले ही बताया गया है कि ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) अधिक होता है क्योंकि वो हार्ट डिजीज (Heart Disease) के रिस्क फैक्टर्स से ग्रस्त होते हैं जैसे  एल्कोहॉल का सेवन, कुपोषण आदि।

    इसके साथ ही यह लोग सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर्स से पीड़ित रहते हैं जैसे एंग्जायटी और डिप्रेशन आदि। इन सब से उनमें हेल्थ प्रॉब्लम्स का जोखिम बढ़ जाता है। अब बात करते हैं ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) और स्ट्रेस के बारे में।

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    ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा और स्ट्रेस (Transgender heart disease risk and stress )

    जैसा की पहले ही बताया गया है कि स्ट्रेस कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ में मेजर रोल प्ले करती है। हमारे शरीर का स्ट्रेस के प्रति रिस्पांस हमें प्रोटेक्ट करता है। लेकिन अगर यह स्थिर है, तो यह हानिकारक हो सकता है। हॉर्मोन कोर्टिसोल स्ट्रेस के प्रति रिस्पांस रिलीज़ करता है। लेकिन, लॉन्ग-टर्म स्ट्रेस से अधिक लेवल में कोर्टिसोल के कारण ब्लड कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जो हार्ट डिजीज (Heart Disease) के सामान्य रिस्क फैक्टर्स हैं। संक्षेप में कहा जाए तो ट्रांसजेंडर लोग कई बैरियर्स का सामना करते हैं।

    यही नहीं, उन्हें पर्याप्त हेल्थ केयर भी नहीं मिल पाती है। ऐसे में, उनकी स्थिति को सुधरने के लिए कदम उठाने जरूरी हैं। ताकि उनमें अन्य हार्ट डिजीज (Heart Disease) और अन्य समस्याओं का जोखिम कम हो सके। आइए, जानें कि ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) कम करने के लिए क्या किया जा सकता है?

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    ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा कम करने के लिए क्या जरूरी है?

    इसमें कोई संदेह नहीं है कि हार्ट डिजीज (Heart Disease) के जोखिम को कम करने के लिए समय पर इसके लक्षणों को पहचानना और उपचार होना आवश्यक है। लेकिन, ट्रांसजेंडर लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। यही नहीं, वो स्टिग्मा, दुर्व्यवहार के डर, भेदभाव आदि के कारण खुद भी अस्पताल या डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं। इनमें कारण उनके अंदर एक हीन भावना आ जाती है और उन्हें स्ट्रेस से गुजरना पड़ता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American heart association) में भी यह सुझाव दिया है कि ट्रांसजेंडर लोगों के हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए सभी को सहयोग करना चाहिए। इनमें रिसर्चर, डॉक्टर और अन्य हेल्थ वर्कर शामिल हैं।

    ताकि, यह लोग खुल कर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पा सकें और उनका स्वास्थ्य और जीवन बेहतर हो। हमारे देश में भी ट्रांसजेंडर के राइट्स को लेकर सेंटर गवर्नमेंट ने प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स रूल्स 2020(Protection of Rights Rules 2020) को अनाउंस किया है और स्टेट गवर्नमेंटस को भी इस बारे में जरूरी इंस्ट्रक्शंस दी गयी हैं। ताकि, ट्रांसजेंडर्स को भी वही सुविधाएं मिलें, जो सामान्य लोगों को मिलती हैं। यह तो थी ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) क्या है और इसके बारे में जानकारी। अब जाते हैं कि हार्ट डिजीज (Heart Disease) के खतरों से बचने के लिए किया किया जा सकता है?

    ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा

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    कैसे संभव है हार्ट डिजीज से बचाव? (Prevention of Heart Disease)

    हार्ट डिजीज का जोखिम हर व्यक्ति को रहता है। यही नहीं, यह समस्याएं बेहद गंभीर भी हैं। लेकिन, कुछ चीजों का ध्यान रख कर हार्ट डिजीज (Heart Disease) की संभावनाओं को कम किया जा सकता है। हार्ट डिजीज के रिस्क्स को कम करने के तरीके इस प्रकार हैं:

    अपने ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें

    हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) हार्ट डिजीज (Heart Disease) का मुख्य रिस्क फैक्टर है।  ऐसे में नियमित रूप में ब्लड प्रेशर की जांच जरूरी है। अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) और ट्राइग्लिसराइड्स लेवल को भी कंट्रोल में रखें। कोलेस्ट्रॉल के हाय लेवल से आर्टरीज ब्लॉक हो सकती हैं जिससे हार्ट अटैक (Heart attack) और अन्य समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।

    वजन को संतुलित रखें

    अधिक वजन होने से भी हार्ट डिजीज (Heart Disease) का जोखिम बढ़ सकता है।

    ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा: हेल्दी डायट का सेवन करें

    अपने आहार में हेल्दी खाद्य पदार्थों को शामिल करें जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज आदि। सैचुरेटेड फैट्स, सोडियम की अधिक मात्रा या ज्यादा चीनी युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। आप इस बारे में डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं।

    नियमित व्यायाम करें

    नियमित व्यायाम के लिए दिन में कुछ समय अवश्य निकालें। इससे न केवल आपका दिल स्वस्थ रहेगा बल्कि आपको सम्पूर्ण रूप से हेल्दी रहने में भी मदद मिलेगी।

    एल्कोहॉल का सेवन कम करें

    अधिक एल्कोहॉल का सेवन करने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है और इससे आपका वजन भी बढ़ सकता है। यह दोनों हार्ट डिजीज (Heart Disease) के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। हार्ट हेल्थ को सही रखने के लिए स्मोकिंग को नजरअंदाज करना भी जरूरी है। इससे भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है जिससे हार्ट समस्याओं की संभावना अधिक रहती है।

    स्ट्रेस को मैनेज करें

    स्ट्रेस को हार्ट डिजीज (Heart Disease) और कई अन्य परेशानियों के साथ जोड़ा जाता है। अधिक स्ट्रेस से हार्ट अटैक (Heart attack) का रिस्क भी अधिक हो जाता है। इसलिए स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए योगा और मेडिटेशन की सहायता ली जा सकती है या डॉक्टर की सलाह लें।

    ब्लड शुगर लेवल को सही रखें

    डायबिटीज से भी हार्ट डिजीज (Heart Disease) का रिस्क बढ़ सकता है। क्योंकि समय के साथ हाय ब्लड शुगर ब्लड वेसल्स और उन नर्वस को नुकसान पहुंचा सकती है, जो हार्ट और ब्लड वेसल्स को कंट्रोल करती हैं। इसके साथ ही पर्याप्त नींद लेना भी आवश्यक है। सही से न सोने से ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापा की संभावना बढ़ जाती है।

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    उम्मीद है कि आप यह समझ गए होंगे कि ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) अधिक रहता है। लेकिन, कई कारणों से उनमें इसका निदान और उपचार सही समय पर नहीं हो पाता। ट्रांसजेंडर लोग हार्ट अटैक (Heart attack) का भी अधिक शिकार बनते हैं। ऐसे में, कुछ जरूरी कदम उठाने बेहद जरूरी हैं ताकि उन्हें पर्याप्त फैसिलिटी मिल सकें और उनका उपचार भी अन्य लोगों की तरह हो। अगर आपके मन में इस बारे में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से अवश्य पूछें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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