हालांकि, अभी इसके बारे में रिसर्च की जानी जरूरी है। इस बारे में किये गए सर्वे में हॉर्मोन थेरेपी का डाटा शामिल नहीं है। लेकिन ट्रांसजेंडर पुरुषों के लिए टेस्टोस्टेरोन और ट्रांसजेंडर वीमेन के लिए एस्ट्रोजन को हार्ट डिजीज (Heart Disease) के रिस्क के खतरे के साथ लिंक किया जाता है। अब जानते हैं ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) और हॉर्मोन थेरेपी का क्या संबंध है?
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ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा और हॉर्मोन थेरिपी के बीच में लिंक
एक नए अध्ययन में यह भी पाया गया है कि कई ट्रांसजेंडर लोग जो हार्मोन थेरेपी लेते हैं, उनमें हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम नहीं होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार इन रोगियों में अक्सर किशोरावस्था में भी हाय ब्लड प्रेशर और हाय कोलेस्ट्रॉल का निदान नहीं हो पाता है। यह भी पता चला है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच कम है या वो हेल्थ फैसिलिटी का सही से प्रयोग नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे स्टिग्मा, शर्म या दुर्व्यवहार का डर आदि। ट्रांसजेंडर लोगों के लिए हॉर्मोन थेरेपी (Hormone Therapy) लेना जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें लगातार हॉर्मोन थेरेपी लेने के लिए डॉक्टर से मिलना पड़ता है।
इस दौरान स्क्रीनिंग के दौरान उनमें कार्डियोवैस्कुलर रिस्क फैक्टर का निदान हो पाता है। लेकिन, अगर रोगी इस समस्या से पीड़ित है और जल्दी इस समस्या का निदान व उपचार हो जाए, तो वो भविष्य में पुअर हेल्थ से बन सकते हैं। जैसा की पहले ही बताया गया है कि ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) अधिक होता है क्योंकि वो हार्ट डिजीज (Heart Disease) के रिस्क फैक्टर्स से ग्रस्त होते हैं जैसे एल्कोहॉल का सेवन, कुपोषण आदि।
इसके साथ ही यह लोग सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर्स से पीड़ित रहते हैं जैसे एंग्जायटी और डिप्रेशन आदि। इन सब से उनमें हेल्थ प्रॉब्लम्स का जोखिम बढ़ जाता है। अब बात करते हैं ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) और स्ट्रेस के बारे में।
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ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा और स्ट्रेस (Transgender heart disease risk and stress )
जैसा की पहले ही बताया गया है कि स्ट्रेस कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ में मेजर रोल प्ले करती है। हमारे शरीर का स्ट्रेस के प्रति रिस्पांस हमें प्रोटेक्ट करता है। लेकिन अगर यह स्थिर है, तो यह हानिकारक हो सकता है। हॉर्मोन कोर्टिसोल स्ट्रेस के प्रति रिस्पांस रिलीज़ करता है। लेकिन, लॉन्ग-टर्म स्ट्रेस से अधिक लेवल में कोर्टिसोल के कारण ब्लड कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जो हार्ट डिजीज (Heart Disease) के सामान्य रिस्क फैक्टर्स हैं। संक्षेप में कहा जाए तो ट्रांसजेंडर लोग कई बैरियर्स का सामना करते हैं।
यही नहीं, उन्हें पर्याप्त हेल्थ केयर भी नहीं मिल पाती है। ऐसे में, उनकी स्थिति को सुधरने के लिए कदम उठाने जरूरी हैं। ताकि उनमें अन्य हार्ट डिजीज (Heart Disease) और अन्य समस्याओं का जोखिम कम हो सके। आइए, जानें कि ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) कम करने के लिए क्या किया जा सकता है?
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ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा कम करने के लिए क्या जरूरी है?
इसमें कोई संदेह नहीं है कि हार्ट डिजीज (Heart Disease) के जोखिम को कम करने के लिए समय पर इसके लक्षणों को पहचानना और उपचार होना आवश्यक है। लेकिन, ट्रांसजेंडर लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। यही नहीं, वो स्टिग्मा, दुर्व्यवहार के डर, भेदभाव आदि के कारण खुद भी अस्पताल या डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं। इनमें कारण उनके अंदर एक हीन भावना आ जाती है और उन्हें स्ट्रेस से गुजरना पड़ता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American heart association) में भी यह सुझाव दिया है कि ट्रांसजेंडर लोगों के हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए सभी को सहयोग करना चाहिए। इनमें रिसर्चर, डॉक्टर और अन्य हेल्थ वर्कर शामिल हैं।
ताकि, यह लोग खुल कर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पा सकें और उनका स्वास्थ्य और जीवन बेहतर हो। हमारे देश में भी ट्रांसजेंडर के राइट्स को लेकर सेंटर गवर्नमेंट ने प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स रूल्स 2020(Protection of Rights Rules 2020) को अनाउंस किया है और स्टेट गवर्नमेंटस को भी इस बारे में जरूरी इंस्ट्रक्शंस दी गयी हैं। ताकि, ट्रांसजेंडर्स को भी वही सुविधाएं मिलें, जो सामान्य लोगों को मिलती हैं। यह तो थी ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) क्या है और इसके बारे में जानकारी। अब जाते हैं कि हार्ट डिजीज (Heart Disease) के खतरों से बचने के लिए किया किया जा सकता है?