हार्ट डिजीज (Heart Disease) के लक्षणों में चक्कर आना, कमजोरी, हार्टबीट का अनियमित होना, जी मिचलाना और पेट में दर्द आदि भी शामिल है। ऐसे में इस लक्षणों को पहचानना और समय पर इलाज बेहद जरूरी है। क्योंकि यह डिजीज घातक हो सकती है। अब जानते हैं ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) क्या है, इसके बारे में।
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ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा: पाएं पूरी जानकारी (Transgender and heart disease risk)
जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (Journal of the American Heart Association) में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट के अनुसार अन्य लोगों की तुलना में ट्रांसजेंडर पुरुषों और महिलाओं में हार्ट अटैक (Heart attack) की संभावना अधिक होती है। यही नहीं, कुछ मामलों में यह रिस्क चार गुना ज्यादा होता है। दरअसल रिसर्चर्स के अनुसार ट्रांसजेंडर पॉपुलेशन स्मोकिंग, डिप्रेशन जैसे रिस्क फैक्टर्स का अधिक शिकार होती हैं। उन्हें यह जान कर हैरानी हुई है कि इन लोगों में हार्ट अटैक (Heart attack) का रेट भी बहुत अधिक है।
ऐसा भी पाया गया है कि कार्डियोवैस्कुलर के अन्य रिस्क फैक्टर्स जैसे उम्र, हाय ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और व्यायाम की कमी आदि को एडजस्ट करने के बाद भी ट्रांसजेंडर पुरुषों (वो लोग जो बायोलॉजिकल फीमेल होती हैं, लेकिन बाद में पुरुष के रूप में जाने जाते हैं) को हार्ट अटैक (Heart attack) की संभावना सिसजेंडर फीमेल (वो महिलाएं बायोलॉजिकल फीमेल होती हैं और फीमेल के रूप में ही पहचानी जाती है) के मुकाबले चार गुना अधिक हार्ट अटैक की संभावना अधिक रहती है। यही नहीं, ट्रांसजेंडर महिलाओं में सिसजेंडर पुरुषों की तुलना में हार्ट अटैक की संभावना अधिक होती है।
हालांकि, अभी इसके बारे में रिसर्च की जानी जरूरी है। इस बारे में किये गए सर्वे में हॉर्मोन थेरेपी का डाटा शामिल नहीं है। लेकिन ट्रांसजेंडर पुरुषों के लिए टेस्टोस्टेरोन और ट्रांसजेंडर वीमेन के लिए एस्ट्रोजन को हार्ट डिजीज (Heart Disease) के रिस्क के खतरे के साथ लिंक किया जाता है। अब जानते हैं ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) और हॉर्मोन थेरेपी का क्या संबंध है?
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ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा और हॉर्मोन थेरिपी के बीच में लिंक
एक नए अध्ययन में यह भी पाया गया है कि कई ट्रांसजेंडर लोग जो हार्मोन थेरेपी लेते हैं, उनमें हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम नहीं होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार इन रोगियों में अक्सर किशोरावस्था में भी हाय ब्लड प्रेशर और हाय कोलेस्ट्रॉल का निदान नहीं हो पाता है। यह भी पता चला है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच कम है या वो हेल्थ फैसिलिटी का सही से प्रयोग नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे स्टिग्मा, शर्म या दुर्व्यवहार का डर आदि। ट्रांसजेंडर लोगों के लिए हॉर्मोन थेरेपी (Hormone Therapy) लेना जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें लगातार हॉर्मोन थेरेपी लेने के लिए डॉक्टर से मिलना पड़ता है।
इस दौरान स्क्रीनिंग के दौरान उनमें कार्डियोवैस्कुलर रिस्क फैक्टर का निदान हो पाता है। लेकिन, अगर रोगी इस समस्या से पीड़ित है और जल्दी इस समस्या का निदान व उपचार हो जाए, तो वो भविष्य में पुअर हेल्थ से बन सकते हैं। जैसा की पहले ही बताया गया है कि ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) अधिक होता है क्योंकि वो हार्ट डिजीज (Heart Disease) के रिस्क फैक्टर्स से ग्रस्त होते हैं जैसे एल्कोहॉल का सेवन, कुपोषण आदि।
इसके साथ ही यह लोग सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर्स से पीड़ित रहते हैं जैसे एंग्जायटी और डिप्रेशन आदि। इन सब से उनमें हेल्थ प्रॉब्लम्स का जोखिम बढ़ जाता है। अब बात करते हैं ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा (Transgender and heart disease risk) और स्ट्रेस के बारे में।
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ट्रांसजेंडर लोगों में दिल की बीमारी का खतरा और स्ट्रेस (Transgender heart disease risk and stress )