नोट: किसी हेल्थ कंडिशन के कारण हार्ट बीट में बदलाव देखे जा सकते हैं।
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पेसमेकर कितने प्रकार के होते हैं? (Types of Pacemaker)
पेसमेकर 3 अलग-अलग तरह के होते हैं। जैसे:
- सिंगल चेंबर पेसमेकर (Single chamber Pacemaker)
- ड्यूल चेंबर पेसमेकर (Dual chamber Pacemaker)
- बिवेन्ट्रिक्युलर पेसमेकर (Biventricular Pacemaker)

सिंगल पेसमेकर (Single chamber Pacemaker)- यह पेसमेकर (Pacemaker) का सबसे समान्य प्रकार है, जिसे ज्यादातर इस्तमेला किया जाता है।
ड्यूल पेसमेकर (Dual chamber Pacemaker)- डिवाइस के दोनों छोड़ से दोनों चेंबर्स को आपस में जोड़ने के लिए ड्यूल चेंबर पेसमेकर का इस्तेमाल किया जाता है।
वेन्ट्रिक्युलर पेसमेकर (Biventricular Pacemaker)- वेन्ट्रिक्युलर पेसमेकर को कार्डियक रीसिंक्रनाइजेशन थेरिपी (CRT) के नाम से भी जाना जाता है। इस पेसमेकर में 3 लीड होती है, जो राइट एट्रियम के साथ-साथ लेफ्ट वेंट्रिक्ल और राइट वेंट्रिक्ल को जोड़ने का काम करती है।
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पेसमेकर का काम: कहां लगाया जाता है पेसमेकर?

पेसमेकर का काम है हृदय को अपना काम करने में सहायता प्रदान करना। इसलिए इसे लेफ्ट या राइट कॉलर बोन के नीचे की ओर एवं फैट टिशू के बीच लगाया जाता है। पेसमेकर के इंस्ट्रक्शन नसों के माध्यम से हार्ट मसल्स तक पहुंचते हैं। पेसमेकर का काम 10 से 12 साल तक होता है या यूं कहें कि पेसमेकर लगाने के बाद यह 10 से 12 साल तक काम कर सकता है। इसे पहले प्रोग्राम करते हैं और फिर हार्ट के पास सर्जरी की मदद से सेट किया जाता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार पेसमेकर के काम करने का वक्त उस पर पड़ रहे दबाव पर भी निर्भर होता है।
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