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किडनी (Kidney)
किडनी से जुड़ी बीमारियों के पीछे भी कई बार डायबिटीज को सबसे बड़े कारण के रूप में भी देखा गया है। खासतौर पर किडनी के फेल हो जाने के पीछे। टाइप 2 डायबिटीज से प्रभावित 7% लोगों में डायबिटीज की पहचान होने से पहले ही किडनी की बीमारी के की चपेट में वो आ जाते हैं। हाय कोलेस्ट्रॉल, हाय ट्राइग्लिसराइड और लो एचडीएल को इनके पीछे सबसे मुख्य कारणों के रूप में दखा गया है। इसकी नियमित जांच बहुत जरूरी है, जिसके लिए प्रोटीन की जांच की जाती है। अच्छे खान-पान और एक्सरसाइज से क्रेटिन के लेवल को कंट्रोल में किया जा सकता है।
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डायबिटीज का इलाज न होना : ह्रदय और खून की नसें (Heart)
हायपरग्लाइसिमिया के साथ ही, मधुमेह ग्रस्त लोगों में हाय कोलेस्ट्रॉल और हाय ब्लड प्रेशर होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में खून की नसें सख्त होने लगती हैं, जिससे हार्ट अटैक (दिल का दौरा) या दिल से जुड़ी दूसरी तकलीफें बढ़ सकती है और मरीज में स्ट्रोक का खतरा भी सकता है। जिन्हें डायबिटीज नहीं उनके मुकाबले डायबिटीज वाले लोगों में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। पैरों और नर्व्स में खून का फ्लों कम होने से नरवर सिस्टम पर असर पड़ता है। आप कई तरीकों से ह्रदय से जुड़ी परेशानियों और स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं, जैसे अच्छी तरह ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करके, धूम्रपान से बचकर, शराब पीने में ज़्यादा से ज़्यादा कमी लाकर, सेहतमंद खान-पान से, एक्सरसाइज और ब्लड प्रेशर लेवल को अच्छी तरह मैनेज करें। डायबिटीज का इलाज न होना आपके लिए खतरा बन सकता है।