कोरोना सर्वाइवर अश्विन को छोड़ना पड़ा अपना घर
मुंबई के रहने वाले 32 साल के अश्विन यादव कोरोना के संक्रमण से संक्रमित हो चुके हैं और अब वो पूरी तरह से ठीक भी हो चुके हैं। अश्विन ने अपनी जिंदगी को कोरोना होने के बाद पूरी तरह से बदला हुआ पाया है। कोरोना सर्वाइवर अश्विन ने बताया कि, “कोविड-19 की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मुझे हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया गया था और मेरे परिवार के सदस्यों को क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया था। जहां पर मेरी फैमिली लगभग 21 दिनों तक थी। इस बीच मैं भी कोरोना से जंग जीत गया था। फिर मैं और मेरा परिवार खुशी-खुशी घर लौट रहे थे। लेकिन हमारी सोसायटी के मेंबर्स ने हमें बिल्डिंग के अंदर जाने ही नहीं दिया। सभी का कहना था कि अभी तुम्हें कोरोना हुआ है, तो तुम इस सोसायटी में नहीं रह सकते हो। मैंने लोगों को बहुत समझाने की कोशिश की कि मैं अब पूरी तरह से ठीक हो चुका हूं और अब मैं कोविड-19 सर्वाइवर हूं, कोविड-19 कैरियर नहीं। फिर भी सोसायटी के मेंबर्स ने मेरी एक भी नहीं सुनी और मेरी फैमिली को सोसायटी से निकाल दिया गया। अब हम कहीं और रह रहे हैं।”
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पड़ोसियों के तानों से तंग आकर घर पर लिख दिया ‘ये मकान बिकाऊ है’
मध्य प्रदेश के शिवपुरी इलाके के रहने वाले दीपक शर्मा के साथ तो भेदभाव की हद पार हो गई। दीपक बताते हैं कि, “वे पिछले आठ सालों से विदेश में रह कर नौकरी करते हैं। 18 मार्च,2020 को वे अपने घर वापस आए, जिसके बाद एहतियातन उन्होंने अपना कोविड-19 टेस्ट कराया, जिसमें उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जिसके बाद उनके परिवार के अन्य सदस्यों को क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया और दीपक को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। कोविड-19 पॉजिटिव दीपक कुछ दिनों में ठीक हो कर कोरोना सर्वाइवर बन चुके थे। इसके 21 दिनों के बाद वे जब अपने घर लौटे तो देखा कि उनके परिवार के लोगों को जरूरी सामान तक नहीं मिल पा रहा है। ना ही सब्जी, ना ही राशन सभी दुकानदार उनके परिवार से कतराने लगे। इसके अलावा जहां भी जाते यही सुनने को मिलता कि ये वही है, जिसे कोरोना हुआ है। लोगों के तानों से तंग आकर दीपक के पिता ने घर बेचने का फैसला कर लिया। जिसके बाद उन्होंने घर पर एक पोस्टर लटका दिया ‘ये मकान बिकाऊ है’। हालांकि, इसके बाद पुलिस ने सहयोग किया और हमें जरूरी सामान मुहैया कराया। जिससे हमें अपना घर नहीं बेचना पड़ा।”
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