उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के रहने वाले अखिलेश मौर्य भी एक कोरोना सर्वाइवर हैं। अखिलेश बताते हैं कि “वे 2 जून, 2020 को मुंबई से अपने गांव वापस गए। जिसके बाद उनके घर वालों ने उन्हें होम क्वारंटाइन करने के लिए घर से दूर खेत में एक झोपड़ी बना कर उसमें रखने का फैसला किया। अखिलेश अपने घर जाने से पहले हॉस्पिटल में जा कर अपना कोविड-19 का टेस्ट कराएं। जिसके बाद वे लगभग चार दिनों तक सरकारी क्वारंटाइन सेंटर में रहे थें। उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। जिसके दो हफ्ते के बाद वे डिस्चार्ज होकर घर भी आ गए थे। लेकिन अभी भी उनके परिवार ने उन्हें घर से दूर झोपड़ी में ही रखा है। जहां पर उन्हें खाना भी अछूतों की तरह दिया जाता है।”
अखिलेश का कहना है कि, “मैं बहुत अकेला महसूस करता हूं। मुझसे लोग बात करने में भी कतराते हैं और खाना भी इस तरह से दिया जाता है कि जैसे मैं इंसान ही नहीं हूं। मैं खुद को मानसिक रूप से काफी परेशान महसूस करता हूं। जहां तक बात रही घरवालों की तो वे मुझे घर में रखना भी चाहते हैं, लेकिन पड़ोसियों के तानों के डर से और दबाव के कारण मुझे खुद से अलग-थलग रखा हुआ है।”
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कोरोना सर्वाइवर के लिए हमारी क्या जिम्मेदारी बनती है?

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के सर सुंदरलाल हॉस्पिटल बीएचयू के मनोचिकित्सक डॉ. जयसिंह यादव से हैलो स्वास्थ्य ने ये सवाल पूछा। डॉ. जयसिंह का जवाब था कि, “हमारे फोन की कॉलर ट्यून भी हमें यही सिखाती है कि हमें बीमारी से लड़ना है, बीमार से नहीं। लेकिन लोग बीमारी से लड़ने के बजाए बीमार से लड़ रहे हैं। कोरोना को भला बुरा करने के बजाए कोरोना विजेता यानी कि कोरोना सर्वाइवर को भला बुरा कहते हैं।” डॉ. जयसिंह ने कुछ टिप्स दिए हैं, जिससे कोरोना सर्वाइवर के लिए हम अपनी जिम्मेदारी को समझ सकते हैं :
- सबसे पहली बात हमेशा याद रखिए कि कोई भी कोरोना सर्वाइवर कोरोना संक्रमित होने से पहले आप जैसा एक इंसान था। इसके बाद वह कोरोना से जंग जीतने के बाद भी एक इंसान है।
- कोरोना को जब से महामारी का नाम मिला है, तब से लोग ज्यादा पैनिक हो जाते हैं। जरा सोचिए कि आप सिर्फ महामारी का नाम सुनकर पैनिक हो जाते हैं, जो व्यक्ति कोरोना से पीड़ित है, वो कितना डरा हुआ हो सकता है। इसलिए आप उसका साथ दे कर उसके मन का डर दूर करें।
- कोरोना सर्वाइवर के साथ प्यार से पेश आएं, क्योंकि वो अभी शारीरिक रूप से ठीक हुआ है। लेकिन मानसिक रूप से उसे ठीक होना है, जिसके लिए आपको उसके साथ सामान्य व्यवहार करने की जरूरत है।
- किसी भी कोरोना सर्वाइवर को अकेले ना छोड़ें, क्योंकि अब वो आप जैसा एक आम इंसान है और उसमें कोरोना वायरस नहीं है। क्योंकि अकेलापन उसके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। जिससे वह एंग्जायटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है।
इस तरह से हम सभी को अपनी जिम्मेदारी समझने की जरूरत है। अगर आपको लगता है कि किसी को आपकी जरूरत है, तो मदद से पीछे ना हटें, बल्कि आगे आए और मदद करें। क्योंकि कोरोना में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना है ना कि सोशलनेस को खत्म करना है। अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।