हार्ट की इलेक्ट्रिसिटी की जानकारी के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम की जरूरत पड़ती है, जिसके अलग-अलग रिपोर्ट आ सकते हैं। इसलिए आज इस आर्टिकल में एब्नॉर्मल EKG (Abnormal EKG) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे।
एब्नॉर्मल EKG (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) क्या है?
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम से दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी की जानकारी मिलती है। अगर इसे सामान्य शब्दों में समझें तो इस टेस्ट की सहायता से दिल की धड़कन की गति अपने सामान्य गति से कम या ज्यादा चल रही है इसकी जानकारी मिलती है। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम एक नॉर्मल टेस्ट है, जिसका उपयोग हृदय की समस्याओं का पता लगाने और कई दूसरी स्थितियों में दिल की मॉनिटरिंग के लिए किया जाता है। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम को मेडिकल टर्म में ईसीजी या ईकेजी भी कहा जाता है, जो हॉस्पिटल या डॉक्टर के क्लिनिक में किया जाता है।
और पढ़ें : Heartbeat Vector: तेज दिल की धड़कन? कहीं ‘हार्ट बीट वेक्टर’ की राह में तो नहीं आप!
एब्नॉर्मल EKG (Abnormal EKG) क्या है?
एब्नॉर्मल EKG यानी एब्नॉर्मल इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Abnormal electrocardiogram) का अर्थ अलग-अलग तरह की दिल से जुड़ी परेशानियों की ओर इशारा करते हैं। दरअसल एब्नॉर्मल इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम मेडिकल एमरजेंसी की ओर इशारा करते हैं जैसे हार्ट अटैक (Heart attack) या डेंजरस एरिदिमिया (Dangerous arrhythmia)।
और पढ़ें : Sinus Arrhythmia: साइनस एरिथमिया क्या है? जानिए इसके लक्षण, कारण और इलाज।
एब्नॉर्मल EKG: इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के दौरान क्या होता है?
- इस टेस्ट में मात्र 5 से 10 मिनट का समय लगता है।
- एक तकनीशियन आपके सीने, हाथों और पैरों में एक चिपकने वाले पैड की मदद से 10 इलेक्ट्रोड लगाएगा । यदि आप पुरुष हैं, तो बेहतर इलेक्ट्रो कनेक्शन के लिए, आपको सीने के बाल को साफ करवाने पड़ सकते है ।
- ईसीजी टेस्ट के दौरान जब आप आराम से लेट रहते है, तो कंप्यूटर ग्राफ पेपर पे उन इलेक्ट्रो इंपल्स को नोट करते जाता है जो आपके दिल से होकर गुजर रही होती है। इसे हम “रेस्टिंग” ईकेजी कहते है । हालांकि आपके दिल की जांच करने के लिए इस टेस्ट का इस्तेमाल एक्सरसाइज के दौरान भी किया जाता है ।
- इलेक्ट्रोड अटैचमेंट और टेस्ट में 10 मिनट लगते हैं, लेकिन वास्तविक रिकॉर्डिंग में केवल कुछ सेकंड लगते हैं।
- आपका डॉक्टर आपके ईकेजी पैटर्न को फाइल में रखेगा ताकि भविष्य में आपके कराए टेस्ट से इस टेस्ट की तुलना कर सके।
और पढ़ें : राइट हार्ट फेलियर : हार्ट फेलियर के इस प्रकार के बारे में यह सब जानना है जरूरी!
एब्नॉर्मल EKG: इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम से हार्ट अटैक की जानकारी कैसे मिलती है? (EKG diagnose a heart attack?)
ECG से हार्ट अटैक की जानकारी (ECG Detect Previous Heart Attack) को समझने से पहले ईसीजी टेस्ट से हार्ट अटैक की जानकारी कैसे मिलती है यह समझने कोशिश करते हैं। हार्ट अटैक के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर ईसीजी टेस्ट रेकमेंड करते हैं। ईसीजी टेस्ट की सहायता से डैमेज हुए हार्ट टिशू की जानकारी मिलती है। डैमेज हार्ट टिशू ही इलेक्ट्रिकल एनर्जी (Electrical energy) में बाधा पहुंचाने में सक्षम होती है, लेकिन ईसीजी टेस्ट के माध्यम से इसे आसानी से समझा जा सकता है। इसके अलावा इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट से कोरोनरी आर्टरीज में ब्लड फ्लो ठीक तरह से हो रहा है या नहीं इसकी भी जानकारी मिलती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्लड फ्लो ठीक तरह से नहीं होना भी हार्ट अटैक (Heart attacks) की संभावनाओं को बढ़ाने का काम करती है। सिर्फ इतना ही नहीं, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट से एब्नॉर्मल हार्ट रिदम (Abnormal heart rhythm) यानी एरिदमिया (Arrhythmia) की भी जानकारी मिल सकती है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के दौरान हार्ट अटैक की जानकारी मिलने पर डॉक्टर ब्लड टेस्ट भी करवाने की सलाह देते हैं। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्लड टेस्ट से डैमेज हुए हार्ट टिशू कुछ विशेष तरह की प्रोटीन ब्लड में रिलीज करते हैं, जिसे ट्रोपोनिन (Troponins) कहते हैं। अगर ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में ट्रोपोनिन टी और ट्रोपोनिन आई की मात्रा ज्यादा मिलती है, तो यह हार्ट अटैक के लक्षण की ओर इशारा करते हैं। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट (ECG ) से हार्ट अटैक की लक्षणों को समझा जा सकता है।
और पढ़ें : नवजात में होने वाली रेयर हार्ट डिजीज ‘ट्रंकस आर्टेरियोसस’ का इलाज है संभव!
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के अलावा और किन-किन टेस्ट से हार्ट अटैक की जानकारी मिल सकती है? (Tests can help detect heart attacks?)
ईसीजी के साथ-साथ हार्ट अटैक की जानकारी के लिए निम्नलिखित टेस्ट करवाना अनिवार्य होता है और इसकी सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती है। जैसे-
- हॉल्टर मॉनिटर (Holter monitor)
- ब्लड टेस्ट (Blood tests)
- कोरोनरी सीटी एंजिओग्राम (Coronary CT angiogram)
- कार्डियक कैथीटेराइजेशन (Cardiac catheterization)
- एमआरआई (MRI)
पेशेंट की हेल्थ कंडिशन एवं बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर इन ऊपर बताये टेस्ट को करवाने की सलाह दे सकते हैं। जरूरत पड़ने पर अन्य टेस्ट भी की जा सकती है अगर पेशेंट हार्ट के अलावा किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हों तो।
नोट : एक सामान्य व्यक्ति की हृदय गति 60 और 100 बीट्स प्रति मिनट (बीपीएम) के बीच होती है। ईकेजी यह निर्धारित कर सकता है कि दिल बहुत तेज या धीमी गति से तो नहीं धड़क रहा है, लेकिन आने वाले वक्त में हार्ट अटैक से जुड़ी जानकारी के लिए अन्य टेस्ट की जा सकती है, जिसकी जानकारी आर्टिकल में ऊपर आपके साथ शेयर की गई है।
कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने के लिए क्या करें?
कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना जरूरी है। जैसे:
- पौष्टिक आहार (Healthy diet) का सेवन करें।
- बार-बार खाने (Frequent eating) की आदत से बचें।
- मौसमी फल (Fruits) एवं सब्जियों (Vegetables) का सेवन करें।
- पैक्ड जूस (Juice) एवं खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
- नियमित एक्सरसाइज (Workout), योग (Yoga) या वॉक (Walk) करें।
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन कम से कम करें।
- स्मोकिंग (Smoking) ना करें।
- तनाव (Stress) से बचें।
- 7 से 9 घंटे की नींद (Sleep) लें।
इन बातों को ध्यान में रखकर कार्डियोवैस्कुलर डिजीज को रोकने में मदद मिल सकती है।
अगर आप ECG से हार्ट अटैक की जानकारी (ECG Detect Heart Attack) या हार्ट अटैक से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं। हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देने की कोशिश करेंगे। हालांकि अगर आप हार्ट अटैक या किसी अन्य हेल्थ या हार्ट कंडिशन के शिकार हैं, तो डॉक्टर से कंसल्टेशन करें, क्योंकि ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपके हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर इलाज कर सकते हैं।
स्वस्थ्य रहने के लिए अपने दिनचर्या में नियमित योगासन शामिल करें। योग की शुरुआत करने से पहले नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें और योग के फायदे (Benefits of yoga) और योग करने के लिए क्या है सही तरीका इसे समझें। ध्यान रखें गलत तरीके से योग करने से शारीरिक परेशानी बढ़ सकती है।
[embed-health-tool-heart-rate]