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कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन ने शेयर किया अपना अनुभव कि उन्होंने कोरोना से कैसे जीता ये जंग

कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन ने शेयर किया अपना अनुभव कि उन्होंने कोरोना से कैसे जीता ये जंग

अगर आपकी विल पावर स्ट्रांग है तो कोरोना से लड़ पाना इतना भी मुश्किल नहीं है। लेकिन, इसके साथ आपको और भी कई बातों का ध्यान रखना होगा। “स्टे सेफ एंड टेक गुड केयर ऑफ योर हेल्थ’ इस सलाह को अपनाना होगा। यह कहना है मुंबई के रहने वाले 32 साल के आश्विन यादव का। दरअसल आश्विन कोरोना के संक्रमण से संक्रमित हो चुके थें लेकिन, अब वो ठीक होकर अपने घर वापस आ चुके हैं और कोविड-19 सर्वाइवर बन चुके हैं। देश में बढ़ते कोरोना वायरस के मामले जहां हमें परेशान करने के साथ-साथ हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं, तो ऐसे वक्त में आश्विन जैसे व्यक्ति ही हमारे लिए ताकत बनते हैं और हमारे हौसले को टूटने नहीं देते हैं। जिम्मेदारी तो सभी पर होती लेकिन, आश्विन काफी कम उम्र से ही अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाली है और अपनी मां के लिए बेटे का फर्ज पूरा करते हैं, तो बहन के लिए एक भाई और पिता दोना का क्योंकि 20 साल पहले आश्विन के पिता का स्वर्गवास हो गया था। कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन से हमने शुरुआत से उनके हेल्थ के बारे में जानना चाहा तो आश्विन हमें बताते हैं कि “मुझे कोविड-19 टेस्ट के पहले मेरा बॉडी टेम्प्रेचर (बुखार) बढ़ने लगा। इस दौरान ठंड लगने के साथ-साथ सांस लेने में भी मुझे थोड़ी-थोड़ी परेशानी महसूस हुई। लेकिन, मेरी कोई ट्रैवलिंग हिस्ट्री नहीं थी और मैं प्रिकॉशन भी ले रहा था इसलिए मुझे लगा फीवर है ठीक हो जायेगा’। आश्विन जिसे मामूली बुखार समझ रहें थें दरअसल वो कोई मामूली बुखार नहीं था बल्कि वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके थें। घर के सामानों की खरीदारी के लिए और सोशल सर्विस के दौरान वो संक्रमित हुए। इन कामों के अलावा वो न बाहर जाते थें और न ही किसी व्यक्ति के संपर्क में आते थें। कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन से एक-एक कर हमने कई सवाल पूछें जो निम्नलिखित हैं:

सवाल: अस्पताल में एडमिट होने में क्या कोई परेशानी हुई?

जवाब: कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन कहते हैं यह वक्त मेरे लिए काफी कठिन था। कोई भी हॉस्पिटल मेरा हेल्थ चेकअप करने के लिए तैयार नहीं था और जब मेरी हालत ज्यादा बिगड़ने लगी तो हॉस्पिटल मुझे एडमिट करने के लिए राजी नहीं था। क्योंकि मेरे पास कोविड-19 रिपोर्ट्स नहीं थें। एक तो मैं शारीरिक रूप से परेशान था और मेरी परेशानी और ज्यादा इसलिए बढ़ने लगी थी क्योंकि मेरे एरिया में कोविड-19 टेस्ट रोक दी गई थी। मैं अब जब ठीक भी हो गया हूं लेकिन, अभी भी वो सारी तस्वीरें मेरे आंखों के सामने आ जाती है लेकिन, मैं कभी डरा नहीं क्योंकि अगर मैं डर जाता तो मेरी फेमली डर जाती।

सवाल: COVID-19 टेस्ट के पहले डॉक्टर का क्या कहना था?

जवाब: COVID-19 टेस्ट के पहले मैंने दो डॉक्टर से कंसल्ट किया क्योंकि पहले डॉक्टर ने मुझे बुखार की दवा के साथ कुछ अन्य मेडिसिन प्रिस्क्राइब कर मुझे कहें की तुम ठीक हो जाओगे इन्हीं दवाओं से। लेकिन, कोरोना वायरस का ये संक्रमण मुझे कहां आसानी से छोड़ने वाला था और मेरी कंडीशन धीरे-धीरे ज्यादा बिगड़ने लगी। जिस वजह से मैंने दूसरे डॉक्टर को कंसल्ट किया और उन्होंने मुझे कोविड-19 टेस्ट करवाने की सलाह दी।

सवाल: रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद और हॉस्पिटल में एडमिट होने तक कितना वक्त लगा?

जवाब: कोविड-19 टेस्ट होने के दो दिन बाद मुझे मुंबई के सेवन हिल्स हॉस्पिटल में एडमिट किया।

सवाल: हॉस्पिटल में किस तरह की व्यवस्था थी? क्या अच्छा था और क्या ठीक नहीं था?

जवाब: कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन कहतें हैं कि “मैं अपने आपको लक्की मानता हूं की मुझे अस्पताल में अच्छी सुविधा मिली। अस्पताल में किसी तरह के इक्विपमेंट की कमी नहीं थी, जिससे इलाज में कोई परेशानी आती। मैं डॉक्टर्स का भी शुक्रगुजार हूं की उन्होंने मेरा और मेरे जैसे कई अन्य संक्रमित लोगों का इलाज किया है और अभी भी कर रहें हैं।

सवाल: कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन से हमने जानना चाहा की जब बुखार हो जाए या तबीयत खराब होती है, तो घरवाले या फ्रेंड्स आपके साथ होते हैं। लेकिन, कोविड-19 की स्थिति में आपके परिवार के सदस्य आपके साथ नहीं थें। क्योंकि इंफेक्शन का खतरा होता है और सिर्फ डॉक्टर्स या नर्स ही आपकी हेल्प के लिए होते हैं। आपका एक्सपीरियंस क्या था और इस दौरान किस तरह के सवाल मन में आते थें?

जवाब: कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन इस सवाल का जवाब देने से पहले थोड़ा रुक कर कहते हैं कि “यह वक्त मेरे लिए काफी डरावना था और उस वक्त को बयां करपाना काफी मुश्किल भरा है मेरे लिए…और शायद बयां करने में मेरे शब्द भी कम पड़ जाएं…’ आज मैं कोविड-19 सर्वाइवर हूं लेकिन, उस वक्त मैं कोविड-19 पॉसिटिव था और मैं अपने से दूर खड़ी मेरी मां को न तो गले लगा सकता था और न ही उनकी आंखों से बहते आंसू को पोछ सकता था। उस वक्त मैं दूर से अपनी मां को यह आश्वासन दे रहा था की मैं ठीक हो जाऊंगा। मैं इलाज के लिए अस्पताल तो जा रहा था लेकिन, मन में न चाहते हुए भी कई डरावने ख्याल आ रहें थें कि क्या मैं अपनी मां से कब मिल पाऊंगा? लेकिन, इस इंफेक्शन से लड़ने के लिए और इसे हारने के लिए मुझे मेरी मां और बहन को बाय बोलना था। यह मेरे लिए एक ऐसा वक्त था जब मैं अपनी मां को सिर्फ एक बार गले लगाना चाहता था लेकिन, मैं ऐसा कहां कर सकता था’

सवाल: जब आप हॉस्पिटल में एडमिट थें, तब आपके साथ क्या- क्या हुआ?

जवाब: मेरी हालत बेहद खराब थी जब मैं हॉस्पिटल में एडमिट हुआ था। मेरी परेशानी और ज्यादा इसलिए भी बढ़ गई क्योंकि वहां घर का कोई सदसय नहीं था जो मेरा ख्याल रखता क्योंकि अस्पताल में आपको अपना ध्यान खुद ही रखना है। मुझे खाने-पीने में बहुत परेशानी होती थी क्योंकि मेरे हाथ में कई सारे ड्रिप लगे होते थें, इंजेक्शन दिए जाते थें और इंजेक्शन और ड्रिप की वजह से मेरे हाथों में सूजन भी बहुत ज्यादा था तो वहीं दूसरी ओर मुझे ऑक्सिजन भी लगा था। अस्पताल में एडमिट होने के तीन दिनों के बाद मेरी हालत ज्यादा बिगड़ने लगी और एक ऐसा वक्त आ गया था की मेरी ब्रीदिंग रूकती जा रही थी और मैं सांस नहीं ले पा रहा था लेकिन, हॉस्पिटल के स्टाफ की मेहनत और जीजस की वजह से आज मैं जीवित हूं।

सवाल: अस्पताल में आपके आस पास भी कोरोना के की पेशेंट थें, क्या आपलोग आपस में बात करते थें अगर हां तो आपलोग किस तरह की बातें करते थें?

जवाब: अस्पताल में हम पेशेंट्स एक दूसरे की हिम्मत बनाए हुए थें हमलोग आपस में बातचीत करते थें। ज्यादतर न्यूज की बाते होती थीं लेकिन, कोरोना वायरस हमारे लिए न्यूज की हेडलाइन की तरह ज्यादा सुर्खियों में रहता था। वैसे मैं इस दौरान बाइबिल में लिखी गई बात और जल्द ठीक होने की बातें ज्यादा करता था।

सवाल: क्या आप हॉस्पिटल से अपनी फेमली या फ्रेंडस से वीडियो कॉल या फोन पर बात करते थें?

जवाब: कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन कहते हैं कि “यही एक मात्र तरीका था अपने परिवार वालों से बात करने या उन्हें देखने का इस दौरान मैं उन्हें अपनी सेहत के बारे में बताता रहता था’

सवाल: क्या अस्पताल में कभी डर भी लगा आस पास के पेशेंट को देखकर?

जवाब: नहीं, मुझे कभी डर नहीं लगा क्योंकि मुझे ईश्वर पर पूरा भरोसा था कि मैं ठीक हो जाऊंगा लेकिन, हां कभी-कभी परेशान जरूर हो जाता था तब जब किसी की डेथ हो जाती थी या जब किसी को सांस लेने में परेशानी होती थी और वो चिल्लाते थें।

सवाल: डॉक्टर्स आपको किस तरह से समझाते थें?

जवाब: डॉक्टर्स हमेशा मोटिवेट करते थें और अपने काम और पेशेंट के हेल्थ को ठीक रखने के लिए हमेशा एक्टिव रहते थें। अगर किसी भी पेशेंट की कोई रिपोर्ट पॉसिटिव आती थी, तो वो ट्रीटमेंट तुरंत शुरू कर देते थें। पॉसिटिव रिपोर्ट्स की जानकारी पेशेंट को नहीं देते थें क्योंकि इसका पेशेंट के मेंटल हेल्थ पर प्रभाव पड़ सकता था। डॉक्टर ने हमें यह भी बताया की इस इंफेक्शन से बचने के लिए गुनगुने पानी में हल्दी मिलाकर पीना लाभकारी होता है और यह उपाय किसी मेडिसिन से कम नहीं है।

सवाल: कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन से हमने समझने की कोशिश की कि उन्होंनें अपने आपको कैसे पॉसिटिव रखा?

जवाब: “मैं मृत्यु की अंधेरी घाटी से गुजरते भी नहीं डरूंगा, क्योंकि यहोवा तू मेरे साथ है। तेरी छड़ी, तेरा दण्ड मुझको सुख देते हैं।’ मैं बाइबिल में लिखी इन्हीं बातों को फॉलो करता हूं और पॉसिटिव रहता हूं।

सवाल: अब जब आप घर पर आ चुके हैं, तो डॉक्टर्स ने किस तरह के प्रिकॉशन लेने की सलाह दी है आपको?

जवाब: डॉक्टर ने मुझे अस्पताल से आने के बाद 14 दिनों तक कॉरेन्टीन रहने की सलाह दी थी, फेमली से सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने की सलाह दी, सेपरेट टॉयलेट यूज करने के लिए कहा है। इन सबके साथ हेल्दी डायट मेंटेन रखने की भी सलाह दी है। मैं डॉक्टर के बताये गए इन निर्देशों का पूरी तरह से पालन करता हूं।

सवाल: क्या आपकी फेमली को भी कॉरेन्टीन किया गया था?

जवाब: हां, मेरी मां और बहन को भी कॉरेन्टीन किया गया था। ईश्वर की कृपा से दोनों ठीक हैं।

सवाल: कौन-सी व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए?

जवाब: कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन कहते हैं की

  • कोविड-19 के पेशेंट्स को अस्पताल में बेड जल्द मिलना चाहिए
  • कोविड-19 टेस्टिंग लैब ज्यादा होने चाहिए
  • रिपोर्ट्स आने में देरी नहीं होनी चाहिए
  • कोविड-19 की पॉसिटिव रिपोर्ट आने के बाद ही पेशेंट्स को कोविड वॉर्ड में शिफ्ट करना चाहिए और जब तक रिपोर्ट न आये तब तक उन्हें सेपरेट वॉर्ड में रखना चाहिए।

सवाल: इस इंफेक्शन को झेलने के बाद आप लोगों को क्या सलाह देते हैं? क्योंकि अभी भी इंफेक्शन का खतरा कम नहीं हुआ है और केसेस बढ़ते जा रहें हैं?

जवाब: कोविड-19 सर्वाइवर आश्विन कहते हैं लोगों को कुछ टिप्स जरूर फॉलो करना चाहिए जैसे:

आश्विन के जीवन में न भुलाने वाली ये एक कहानी की तरह है लेकिन, उन्होंने ऐसे वक्त में अपने आपको को संभाल लिया। आश्विन की अच्छी सेहत की कामना हमसभी करते हैं।

अगर आप कोरोना वायरस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Case study of COVID-19 Patients Ashwin Yadav, Mumbai.

Coronavirus/https://www.who.int/health-topics/coronavirus#tab=tab_1/Accessed on 12/06/2020

COVID-19 Statewise Status/https://www.mohfw.gov.in/Accessed on 12/06/2020

Total Coronavirus Cases in India /https://www.worldometers.info/coronavirus/country/india/Accessed on 12/06/2020

New system forecasts COVID-19 around world /http://en.nhc.gov.cn/2020-05/28/c_80512.htm /Accessed on 12/06/2020

 

Current Version

15/06/2020

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/06/2020

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