कोरोना (Corona) के इस महासंकट में लोगों के इलाज और बचाव के लिए कई तरीके अपनाए गए हैं, जिसमें से एक प्लाज्मा थेरिपी (Plasma therapy) है। शायद कई लोगों ने प्लाज्मा थेरिपी के बारे में सुना भी होगा। हम आपको बताते है कि प्लाज्मा थेरिपी (Plasma therapy) है क्या, हमारे रक्त में रेड ब्लड सेल्स (Red blood cells), व्हाइट ब्लड सेल्स (white blood cells) और येलो फ्लूइड होता है। तो इस पीले तरल भाग को ही प्लाज्मा (Plasma) कहा जाता है, जिसका 92 फीसदी हिस्सा पानी होता है।प्लाज्मा में प्रोटीन (Protein), हाॅर्मोंस (Hormones), मिनरल (Mineral) और कार्बन डायऑक्साइड (carbon dioxide) उपलब्ध होता है। हमारे ब्लड में लगभग 55 प्रतिशत भाग प्लाज्मा होता है। जब किसी काे कोरोना का संक्रमण हो जाता है, तो उसके शरीर में एंटीबॉडी (Antibodies) बनते हैं, जो वायरस से लड़ने का काम करते हैं। ऐसा सभी में हो यह जरूरी नहीं है। ऐसे में यह एंटी बाॅडी दूसरे मरीजों की जान बचा सकते हैं। जिसे प्लाज्मा थेरिपी (Plasma therapy) कहते हैं। आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही एक प्लाजमा डोनर से, जिनका नाम अस्थमा गुप्ता है और यह मेरठ की रहने वाली हैं। जिन्होंने अपना अनुभव शेयर किया। इसी के साथ जानें प्लाज्मा डोनर की देखभाल कैसे करें।