backup og meta

कोविड मरीजों के ठीक होने के बाद फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब का महत्व

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/01/2022

    कोविड मरीजों के ठीक होने के बाद फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब का महत्व

    क्या आपको फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब (Physiotherapy and tele rehab) के संबंध के बारे में पता है? कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी और इसका संकट खत्म होने का नाम ले ही नहीं रहा है। जो सभी के लिए एक बड़ा और गंभीर चिंता का विषय है। कोरोना से हमारे जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है और कहीं न कहीं हो भी रही है। दैनिक दिनचर्या के कार्यों में देरी भी हो सकती है। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक, कोरोना से ठीक हुए मरीजों के स्वास्थ्य सुधार और ऐसे लक्षणों से निजात दिलाने में फिजियोथेरिपी महत्वपूर्ण रोल निभा सकती है। जी हां कोविड के मरीजों को फिजियोथेरिपी से काफी आराम मिल सकता है। जानिए यहां कि कोविड मरीजों के ठीक होने के बाद फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब (Physiotherapy and tele rehab) का महत्व क्या है?

    और पढ़ें: COVID-19 Home Test: घर बैठे ही कर सकेंगे कोरोना टेस्ट & COVID-19 होम टेस्टिंग किट” की मदद से, लेकिन कुछ बातों को ध्यान रखना है जरूरी

    फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब :  फिजियोथेरिपी और टेली कोरोना की रिकवरी में फिजियोथेरिपी का रोल (The role of physiotherapy in the recovery of corona)

    एक्वासेंट्रिक थेरिपी प्रायवेट लिमिटेड की कार्डियो-रेस्पिरेटरी फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. दीपा फार्तोडे ने बताया कि पूरे देश में लोगों को एक बार फिर कोविड-19 की दूसरी लहर का सामना करना पड़ रहा है। अब यह केवल बुजुर्गों या वयस्कों को ही प्रभावित नहीं कर रहा है बल्कि युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। सांस लेने में परेशानी, मसल्स में कमजोरी और थकान, यह वो सामान्य लक्षण हैं, जो कोविड से ठीक होने के बाद लोगों में देखने को मिले हैं। यह लक्षण कुछ हफ्ते तक रह सकते हैं या कुछ महीने तक भी रह सकते हैं। यह निर्भर करता है कि किस हद तक कोविड-19 ने मरीज को अपनी जकड़ में लिया है। उपरोक्त लक्षणों का यदि सही ढंग से इलाज न किया जाए तो शरीर की फंक्शनलिटी में समस्याएं हो सकती हैं। जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। दैनिक दिनचर्या के कार्यों में देरी भी हो सकती है। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक, कोरोना से ठीक हुए मरीजों के स्वास्थ्य सुधार और ऐसे लक्षणों

    से निजात दिलाने में फिजियोथेरिपी महत्वपूर्ण रोल निभा सकती है।

    और पढ़ें: डॉक्टर्स की सेहत का रखना चाहते हैं ख्याल, तो प्लीज डोंट ब्रेक कोविड 19 रूल्स

    फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब : कोविड-19 से ठीक होने के बाद स्वास्थ्य सुधार (Health recovery after recovery from Covid-19)

    इस संक्रमण के बाद शरीर में सांस लेने वाला सिस्टम बुरी तरह प्रभावित होता है। ऐसे में यह अनिवार्य हो जाता है कि सबसे पहले फेफड़ों से संबंधित स्वास्थ्य सुधार शुरू किए जाए। स्वास्थ्य सुधार के लिए कई विषयों के विशेषज्ञों की जरूरत होती है। पल्मोनोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट, डायटिशियन और सायकोलॉजिस्ट की जरूरत होती है। जिन लोगों को सामान्य लक्षण होते हैं, वे केवल सांस लेने का अभ्यास कर सकते हैं जैसे कंट्रोल ब्रीदिंग एक्सरसाइज, पेस्ड ब्रीदिंग, शुरुआत में फंक्शनलिटी केपिसिटी को बढ़ाने पर जोर होता है। इसके बाद धीरे-धीरे इसमें बढ़ोतरी करके दैनिक दिनचर्या की गतिविधियों को बढ़ाया जा सकता है। लोगों को कई तरह की हॉबिज में अपना दिमाग लगाना चाहिए। साथ ही अच्छी नींद लेना चाहिए। अच्छे न्यूट्रीशियन लेना चाहिए। हालांकि, जिन लोगों में ज्यादा लक्षण हैं उन्हें तो यही सलाह दी जाती है कि वे किसी फिजियोथेरेपिस्ट या टेली रिहैब के मार्गदर्शन में अपना स्वास्थ्य सुधार प्रक्रिया को शुरू करें। यह न सिर्फ सुरक्षित होगाबल्कि प्रभावी भी होगा। इससे संक्रमण के बढ़ने की आशंका भी कम होगी और बेहतर इलाज भी मिल पाएगा। इस महामारी के दौर में भी आपका निरंतर इलाज जारी रहेगा।

    और पढ़ें: Filariasis (Elephantiasis): फाइलेरिया या हाथी पांव क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

    फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब : कोविड-19 से उबर चुके मरीजों के लिए टेली-रिहैब का सफर (The journey of tele-rehab for patients who have recovered from Covid-19)

    टेली-रिहैब का सफर टेली कंसल्टेशन (फोन पर परामर्श) से शुरू होता है। इसमें थेरेपिस्ट परामर्श के समय तक मरीज के लक्षणों का पूरा इतिहास पता करते हैं। क्या दवाएं ली गईं, क्या गतिविधियां की गईं, क्या रोकी गईं आदि। इसके बाद सीमित निरीक्षण किया जाता है। ऑक्सीजन का सैचुरेशन, पल्स रेट, सांस लेने की दर और शरीर का तापमान।

    कोरोना के मरीजों के लिए अन्य टिप्स:  जब मरीज में कोई गंभीर लक्षण दिखने लगते है, तो उन्हें घर में सबसे अलग किसी कमरे में रहना चाहिए। लेकिन इसी के साथ यह भी जरूरी है कि उस व्यक्ति को संक्रमण को दूसरे व्यक्ति में भी फैलने से रोकना चाहि। यदि सावधानी नहीं बरती गई, तो इसके कारण पूरा घर भी संक्रमण (Corona Infection) की चपेट में आ सकता है। ऐसे में मास्क पहनने से लेकर हाथ धोने तक बहुत सारी चीजें हैं, जिसे सभी फॉलो कर रहे हैं। लेकिन कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन चेन में बहुत सारे कॉमन फैक्टर भी शामिल हैं, जैसे कि कोविड के मरीज (COVID Patient) का टूथ ब्रश सबसे अलग रखा होना चाहिए, बाथरूम हायजीन का ध्यान देना चाहिए या गेट को सैनेटाइन करना चाहिए। बहुत सी छोटी-छोटी बातें आदि। जो दैनिक जीवन में हायजीन के तोर पर ध्यान रखनी चाहिए।” – डॉ सूर्यकांत, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन-एमएस के वाइस चेयरमैन का कहना है।

    और पढ़ें: अगर आपके आसपास मिला है कोरोना वायरस का संक्रमित मरीज, तो तुरंत करें ये काम

    फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब : कुछ बातें, जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए (Some things to be taken care of)

    अस्पताल में लंबा समय बिताने के बाद मरीज के मानसिक स्वास्थ्य को समझना, सूजन से संबंधित मामले, संतुलन, बातचीत करने की स्थिति को समझना खासतौर पर जरूरी है। स्वास्थ्य सुधार प्रक्रिया के तहत मरीज को सांस नियंत्रित करने की तकनीक भी बताई जाती है जैसे एब्डोमिनल ब्रीदिंग, पर्स्ड लिप ब्रीदिंग। ऊर्जा बचाने की तकनीक जैसे गतिविधियों की तेजी, फेफड़े की साफ-सफाई, हफिंग एंड कफिंग टेक्नीक, शारीरिक गतिविधियां करने की क्षमता बढ़ाने के प्रयास आदि। फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए बाद में फंक्शनल केपिसिटी को भी बढ़ाया जाता है। ताकत बढ़ाने के लिए फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज और रसिस्टेड एक्सरसाइज की मदद ली जाती है। धीरे-धीरे इसे बढ़ाया जाता है। सप्ताह में 2 सेशन रखना पड़ते हैं। यहां महत्वपूर्ण है कि पैरामीटर्स को लगातार देखा

    और पढ़ें : कोरोना की दूसरी लहर: बढ़ रहा है खतरा लेकिन सावधानियां भी हैं जरूरी

    फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब के बारे में आपने जाना यहां। कोरोना के मरीजों के ठीक होने में और हेल्थ में सुधार के लिए फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब को प्रभावकारी देखा गया है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सभी मरीजों के लिए एक जैसे परिणाम हों। कोरोना के कुछ मरीजों की हालत ऐसी गंभीर स्थिति में फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब थेरिपी काम नहीं आती है। इसके अलावा डायबिटीज और हायपरटेंशन जैसे क्रॉनिक डिजीज के शिकार मरीजों में इसके अलग-अलग प्रभाव देखे जा सकते हैं। फिजियोथेरिपी और टेली रिहैब  के बारे में अधिक जानकारी के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/01/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement