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इबोला वायरस के परीक्षण के अन्य विकल्प
ब्लड टेस्ट की मदद से इबोला वायरस की एंटीबॉडी की पहचान की जा सकती है। इससे निम्न परिस्थितियों का भी पता चलता है –
ब्लड टेस्ट के साथ डॉक्टर इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि अन्य मरीजों को आपके कारण खतरा न हो।
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क्योंकि इबोला संपर्क में आने के 3 हफ्तों बाद दिखाई देता है इसलिए किसी भी अन्य वस्तु या व्यक्ति के संपर्क में आने पर उन्हें भी संक्रमित रोगी माना जाता है। यदि 21 दिनों के अंदर कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तो इसका मतलब आपको इबोला नहीं है।
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इलाज
इबोला वायरस का इलाज कैसे किया जाता है?
इबोला वायरस का साल 2019 तक कोई इलाज नहीं था। वैक्सीन या इलाज की बजाए मरीज को ज्यादा से ज्यादा सुविधाजनक महसूस करवाने की कोशिश की जाती है।
इबोला वायरस से कैसे आसानी से बचा जाए, इस पर अभी भी शोध जारी है। उपचार में एक प्रयोगात्मक सीरम का उपयोग किया जाता है जो संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।
डॉक्टर इबोला के लक्षणों को ध्यान रखकर इलाज शुरू कर सकते हैं। इनमें शामिल है:
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इबोला वैक्सीन
19 दिसंबर 2019 को अमेरिकन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा इबोला वैक्सीन rVSV-ZEBOV (ट्रेडनेम एरवेबो) को इबोला डिजीज के संभावित इलाज के रूप में मंजूरी दी जा चुकी है।
rVSV-ZEBOV एक ऐसी वैक्सीन है जिसे एक डोज में दिया जाता है। इस वैक्सीन को पूरी तरह से सुरक्षित और इबोला वायरस के खिलाफ रक्षात्मक पाया गया है।
इसके अलावा 2019 में ही हुई एक अन्य स्टडी में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ दी कांगो द्वारा इबोला की अन्य वैक्सीन भी बनाई गई। इस वैक्सीन में दो विभिन्न प्रकार की वैक्सीन (Ad26.ZEBOVऔर MVA-BN-Filo) मौजूद होती हैं।
इस वैक्सीन को दो खुराक में दिया जाता है। पहली खुराक के 56 दिन बाद दूसरी खुराक दी जाती है।
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जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार, जिनकी मदद से इबोला वायरस से बचा जा सकता है
निम्नलिखित टिप्स अपनाकर इबोला वायरस से बचा जा सकता है –
इबोला बीमारी से बचे रहने का एकमात्र तरीका यह है कि जैसे ही किसी वायरस के संपर्क में आएं या कम से कम जब लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। निम्नलिखित स्थितियों में चिकित्सा सहायता अवश्य लें: