के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
गुलमोहर एक पेड़ है, जिसकी उपयोगिता उसके फूल की वजह से होती है। आमतौर पर, गुलमोहर के फूल को आयुर्वेद में काफी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, लेकिन इसके फल और पत्तियों का इस्तेमाल भी कई दवाइयों और औषधियों के निर्माण में किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम डेलोनिक्स रेजिआ (Delonix Regia) है, जो कि सेजैलपिनिएसी (Caesalpiniaceae) सब-फैमिली और Leguminosae फैमिली से ताल्लुक रखता है। इसमें खासतौर से, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-डायबिटिक, एंटी-माइक्रोबियल, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-डायरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। गुलमोहर पेड़ का जन्मस्थान मैडागास्कर को माना जाता है।
गुलमोहर का उपयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है। जैसे-
बवासीर को पाइल्स कहते हैं, जिसमें गुदा के आसपास मौजूद नसों में सूजन आ जाती है। यह समस्या काफी गंभीर हो सकती है, जिसमें मल त्यागने के दौरान दर्द, खून भी आ सकता है। यह दो प्रकार की होती है, पहली अंदरूनी पाइल्स व बाहरी पाइल्स। यह समस्या अधिक उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाएं या पुरानी कब्ज या दस्त के रोगियों में ज्यादा देखने को मिलती है। गुलमोहर में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिस कारण इसके पत्तों की मदद से बवासीर की समस्या में राहत पाई जा सकती है।
गठिया के रोग में जोड़ों के बीच सूजन आ जाती है, जिससे चलने-फिरने, उठने-बैठने में काफी दर्द होता है। लेकिन, गुलमोहर में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण इस समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं और दर्द में आराम मिलता है।
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डायरिया में दस्त की समस्या हो जाती है, जो कि संक्रमित खानपान की वजह से होती है। कई बार, यह इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम या इर्रिटेबल बोवल डिजीज के कारण भी हो सकता है। यह एक्यूट डायरिया, पर्सिस्टेंट डायरिया, क्रॉनिक डायरिया आदि प्रकार का हो सकता है। अगर सही समय पर इस समस्या का इलाज न किया जाए, तो यह बीमारी काफी खतरनाक हो सकती है और बाद में आंत में सूजन जैसी समस्या का कारण बन सकती है। लेकिन, गुलमोहर इस समस्या में काफी फायदा दे सकता है, क्योंकि इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-डायरियल गुण इस समस्या से राहत दिला सकते हैं।
हर्पीज की समस्या पुरुष या महिला किसी को भी हो सकती है। यह एक प्रकार का इंफेक्शन होता है, जिसमें त्वचा पर छोटे-छोटे छाले पड़ जाते हैं। शुरुआत में यह त्वचा पर संक्रमण की तरह दिखते हैं। अधिक उम्र के लोगों में इस समस्या के होने की आशंका बढ़ जाती है और यह इम्यून सिस्टम कमजोर भी कर सकती है। लेकिन इस समस्या के लिए एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-माइक्रोबियल गुण गुलमोहर को काफी उपयोगी बनाते हैं। इसलिए, समय रहते हुए हर्पीज का निदान जरूर कर लेना चाहिए और यदि किसी भी घरेलू इलाज से इसमें फायदा नहीं मिलता है, तो डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
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किसी चोट, एक्सीडेंट, त्वचा पर कट आदि लग जाने की वजह से घाव हो सकते हैं। यह घाव हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, जो कि काफी बार इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं। यह इंफेक्शन त्वचा पर फैल सकता है और अंदर ही अंदर पूरे अंग को खराब भी कर सकता है। इसलिए, किसी भी छोटे घाव को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। डॉक्टर आपको इंजेक्शन या दवाई देकर इंफेक्शन के खतरे को खत्म कर सकता है। लेकिन, अधिकतर छोटी-मोटी चोटों या घावों के लिए आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होती है। बल्कि ऐसी स्थिति में गुलमोहर के एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण घावों के इलाज में मददगार साबित हो सकते हैं और उनसे इंफेक्शन होने की आशंका को कम कर सकते हैं। लेकिन, अगर आपके घाव में दर्द, सूजन या खुजली कम नहीं हो रही है, तो तुरंत किसी डॉक्टर की मदद लें। क्योंकि, यह इंफेक्शन का संकेत हो सकता है।
गुलमोहर के उपयोग के बाद होने वाले खतरों के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस वजह से ड्रग, हर्बल, खाद्य पदार्थ आदि किसी प्रकार की एलर्जी का सामना करने वाले, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिला और अस्थमा, किडनी की समस्या, दिल की बीमारी आदि किसी तरह की क्रॉनिक डिजीज आदि का सामना कर रहे लोग किसी भी हर्बल सप्लीमेंट सेवन से पहले डॉक्टर या हर्बलिस्ट से परामर्श करना न भूलें। वह आपके संपूर्ण स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त करके आपको सही सलाह दे पाएगा।
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गुलमोहर का किसी भी रूप में सेवन करने से होने वाले साइड इफेक्ट्स के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। लेकिन, अस्थमा, दिल की बीमारी, लिवर की समस्या आदि किसी क्रॉनिक डिजीज का सामना कर रहे लोग या फिर गर्भवती व बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग आदि में इसका सेवन करने पर कुछ साइड इफेक्ट्स दिख सकते हैं। इसके दुष्प्रभावों के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी हर्बलिस्ट से संपर्क करें। इसके साथ ही आपको बता दें कि, किसी भी जड़ी-बूटी के सभी लोगों में समान साइड इफेक्ट्स नहीं दिखते हैं।
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किसी भी जड़ी-बूटी की खुराक आपकी उम्र,लिंग, स्वास्थ्य आदि पर निर्भर करती है। यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में भी अलग-अलग हो सकती है। हर्बल सप्लीमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं, इसलिए उचित खुराक के लिए अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से संपर्क करें। लेकिन, कुछ आम समस्याओं के लिए गुलमोहर की खुराक इस प्रकार हो सकती है। जैसे-
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अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
डिस्क्लेमर
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